NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
ईरान का यूरोपीय संघ पर ट्रम्प की नीति को लागू करने का आरोप; सैनिकों को क्षेत्र छोड़ने के लिए कहा
ईरान का आरोप है कि 2018 में परमाणु समझौते से एकतरफा तरीके से हटने के बाद अमेरिका द्वारा लगाए गए अवैध प्रतिबंधों के खिलाफ इस समझौते के यूरोपीय हस्ताक्षरकर्ता आवश्यक सुरक्षा उपाय प्रदान करने में विफल रहे हैं।
पीपल्स डिस्पैच
16 Jan 2020
Iranian FM

भारत की अपनी यात्रा के दौरान दिल्ली में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ ने यूरोपीय देशों पर अमेरिकी दबाव में परमाणु समझौते या ज्वाइंट कम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (जेसीपीओए) के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।

उन्होंने इन देशों पर इस समझौता को लेकर असंगत भूमिका निभाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने खुद इसका उल्लंघन किया है तो ईरान को कैसे इसका अनुपालन करने के लिए कहते हैं। ज़रीफ़ के अनुसार, “वे (इस समझौते पर यूरोप के हस्ताक्षरकर्ता) हमसे तेल नहीं ख़रीद रहे हैं, उनकी सभी कंपनियां ईरान से वापस बुला ली गई हैं। तो यूरोप उल्लंघन करता है।”

इस समझौते को बचाने के लिए यूरोपीय हस्ताक्षरकर्ताओं को कई चेतावनी देने के बाद ईरान ने समझौते के प्रावधानों से अलग होना शुरू कर दिया था। ईरान चाहता था कि 2018 में ओबामा काल के जेसीपीओए से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा हाथ खींचने के बाद एकतरफा तरीके से लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव से निपटने के लिए फ्रांस, जर्मनी और यूके को एक व्यवस्था तैयार करना चाहिए। इसके बजाय हाल ही में इन देशों ने ईरान से अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद इस समझौते के प्रावधानों पर अमल करने के लिए कहा है। ब्रिटेन के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी ईरान को ट्रम्प की पसंद के अनुसार इस समझौते पर फिर से बातचीत शुरू करने के लिए कहा है।

इस बीच ईरान ने राष्ट्रपति हसन रूहानी के साथ इस क्षेत्र में विदेशी सैनिकों की मौजूदगी के ख़िलाफ़ अपने मुहिम की शुरुआत की और सभी विदेशी सैनिकों से इस क्षेत्र को छोड़ने के लिए कहा। 3 जनवरी को बगदाद में अमेरिकी ड्रोन हमले में जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद ईरान ने अमेरिकी सैनिकों की वापसी की मांग की थी। बीते कल एक टीवी प्रसारण में रूहानी ने यूरोपीय शक्तियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि "आज अमेरिकी सैनिक खतरे में हैं, कल यूरोपीय सैनिक खतरे में पड़ सकते हैं"।

अमेरिका (बहरीन) के अलावा, फ्रांस का भी इस क्षेत्र (अबू धाबी) में एक नौसैनिक अड्डा है जबकि यूके और जर्मनी के इराक में अपने सैनिक हैं।

इराकी संसद द्वारा सैनिकों की वापसी के प्रस्ताव को पारित करने के बावजूद अधिकांश यूरोपीय शक्तियों ने इराक से अपनी सेना वापस लेने से इनकार कर दिया है।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

IRAN
European Union
Donand Trump
America
US-Iran Tension
Iranian FM Jawad Zarif
Hassan Rouhani

Related Stories

डेनमार्क: प्रगतिशील ताकतों का आगामी यूरोपीय संघ के सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने पर जनमत संग्रह में ‘न’ के पक्ष में वोट का आह्वान

रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ

यूक्रेन: यूरोप द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाना इसलिए आसान नहीं है! 

और फिर अचानक कोई साम्राज्य नहीं बचा था

ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि

यूक्रेन में संघर्ष के चलते यूरोप में राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव 

रूसी तेल की चिकनाहट पर लड़खड़ाता यूरोपीय संघ 

असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की

क्या दुनिया डॉलर की ग़ुलाम है?

सऊदी अरब के साथ अमेरिका की ज़ोर-ज़बरदस्ती की कूटनीति


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन
    20 May 2022
    मुंडका, नरेला, झिलमिल, करोल बाग से लेकर बवाना तक हो रहे मज़दूरों के नरसंहार पर रोक लगाओ
  • रवि कौशल
    छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस
    20 May 2022
    प्रचंड गर्मी के कारण पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे गेहूं उत्पादक राज्यों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
  • Worship Places Act 1991
    न्यूज़क्लिक टीम
    'उपासना स्थल क़ानून 1991' के प्रावधान
    20 May 2022
    ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ा विवाद इस समय सुर्खियों में है। यह उछाला गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर क्या है? अगर मस्जिद के भीतर हिंदू धार्मिक…
  • सोनिया यादव
    भारत में असमानता की स्थिति लोगों को अधिक संवेदनशील और ग़रीब बनाती है : रिपोर्ट
    20 May 2022
    प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में परिवारों की आय बढ़ाने के लिए एक ऐसी योजना की शुरूआत का सुझाव दिया गया है जिससे उनकी आमदनी बढ़ सके। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य, शिक्षा, पारिवारिक विशेषताओं…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना
    20 May 2022
    हिसार के तीन तहसील बालसमंद, आदमपुर तथा खेरी के किसान गत 11 मई से धरना दिए हुए हैं। उनका कहना है कि इन तीन तहसीलों को छोड़कर सरकार ने सभी तहसीलों को मुआवजे का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License