NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
इज़रायल : 180 से ज़्यादा बुद्धिजीवियों ने आईसीसी से फ़िलिस्तीनी में हुए वॉर क्राइम्स की जांच में इज़रायल पर भरोसा न करने के लिए कहा
इस पत्र में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय से आग्रह किया गया है कि वार क्राइम की जांच के संबंध में सबूत और दस्तावेज़ इकट्ठा करने के लिए इज़रायल और फ़िलिस्तीनी मानवाधिकार समूहों के साथ काम किया जाए।
पीपल्स डिस्पैच
07 May 2021
इज़रायल

प्रोफेसरों, लेखकों, वैज्ञानिकों और प्रमुख एक्टिविस्टों सहित बड़ी संख्या में इज़रायली बुद्धिजीवियों ने अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) को लिखे एक पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए आग्रह किया है कि कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में हुए वार क्राइम को लेकर इजरायल सरकार द्वारा किए गए जांच को स्वीकार न करे।

विभिन्न क्षेत्रों और पेशे के 185 इजरायली हस्तियों द्वारा इस पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। इसमें आईसीसी को सलाह दिया गया है कि बजाय इसके वह सूचना, सबूत और दस्तावेज के लिए इजरायल के मानवाधिकार संगठनों से सहायता ले।

मुख्य आईसीसी अभियोजक फतोउ बेंसौडा को संबोधित इस पत्र में कहा गया है कि "पिछले अनुभव के आधार पर हम इस प्रारंभिक चरण में अपने गहरे संदेह पर जोर देना चाहते हैं कि अपनी जांच और कानूनी संस्थानों सहित इजरायल का वार क्राइम की शिकायतों पर गंभीरता से जांच करने का कोई इरादा नहीं है। इजरायल द्वारा कब्जे वाले क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन करते हुए इसके वार क्राइम में शामिल होने के हमारे संदेह को बड़ी संख्या में मौजूद दस्तावेज पुष्ट करते हैं। इनमें से अधिकांश मामलों की जांच बिल्कुल नहीं की गई है और कुछ मामलों का सतही और अपर्याप्त जांच के बाद बंद कर दिया गया है।

इस साल 3 मार्च को आईसीसी ने औपचारिक रूप से घोषणा की थी कि 13 जून 2014 से अब तक फिलिस्तीन में इजरायली सैनिकों के साथ साथ फिलिस्तीनी सैन्य समूह द्वारा किए गए मानवाधिकार उल्लंघन और वार क्राइम की जांच शुरु करेगा। निरंतर जारी इजरायली बस्तियों के निर्माण और विस्तार के मद्देनजर हुए वार क्राइम की जांच आईसीसी करेगा।

अवैध बस्तियों के निर्माण के परिणामस्वरुप फिलिस्तीनी भूमि पर कब्जा कर लिया गया, हजारों फिलिस्तीनी घरों को ध्वस्त किया गया जिससे सैकड़ों फिलिस्तीनी बेघर हो गए। आईसीसी के फैसले का फिलीस्तीनियों द्वारा स्वागत किया गया। पैलेस्टिनियन अथॉरिटी, हमास और अन्य राजनीतिक गुटों ने जांच में पूरी तरह से सहयोग करने का संकल्प लिया है। दूसरी ओर इजरायली सरकार ने इस जांच की निंदा की और बाद में घोषणा की कि वह जांच में आईसीसी का सहयोग या सहायता नहीं करेगी।

Israel
Palestine
International crime court

Related Stories

फ़िनलैंड-स्वीडन का नेटो भर्ती का सपना हुआ फेल, फ़िलिस्तीनी पत्रकार शीरीन की शहादत के मायने

न नकबा कभी ख़त्म हुआ, न फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध

अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की

अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात

इज़रायली सुरक्षाबलों ने अल-अक़्सा परिसर में प्रार्थना कर रहे लोगों पर किया हमला, 150 से ज़्यादा घायल

लैंड डे पर फ़िलिस्तीनियों ने रिफ़्यूजियों के वापसी के अधिकार के संघर्ष को तेज़ किया

अमेरिका ने ईरान पर फिर लगाम लगाई

ईरान नाभिकीय सौदे में दोबारा प्राण फूंकना मुमकिन तो है पर यह आसान नहीं होगा

शता ओदेह की गिरफ़्तारी फ़िलिस्तीनी नागरिक समाज पर इस्राइली हमले का प्रतीक बन गया है

141 दिनों की भूख हड़ताल के बाद हिशाम अबू हव्वाश की रिहाई के लिए इज़रायली अधिकारी तैयार


बाकी खबरें

  • वसीम अकरम त्यागी
    विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी
    26 May 2022
    अब्दुल सुब्हान वही शख्स हैं जिन्होंने अपनी ज़िंदगी के बेशक़ीमती आठ साल आतंकवाद के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बिताए हैं। 10 मई 2022 को वे आतंकवाद के आरोपों से बरी होकर अपने गांव पहुंचे हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा
    26 May 2022
    "इंडो-पैसिफ़िक इकनॉमिक फ़्रेमवर्क" बाइडेन प्रशासन द्वारा व्याकुल होकर उठाया गया कदम दिखाई देता है, जिसकी मंशा एशिया में चीन को संतुलित करने वाले विश्वसनीय साझेदार के तौर पर अमेरिका की आर्थिक स्थिति को…
  • अनिल जैन
    मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?
    26 May 2022
    इन आठ सालों के दौरान मोदी सरकार के एक हाथ में विकास का झंडा, दूसरे हाथ में नफ़रत का एजेंडा और होठों पर हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद का मंत्र रहा है।
  • सोनिया यादव
    क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?
    26 May 2022
    एक बार फिर यूपी पुलिस की दबिश सवालों के घेरे में है। बागपत में जिले के छपरौली क्षेत्र में पुलिस की दबिश के दौरान आरोपी की मां और दो बहनों द्वारा कथित तौर पर जहर खाने से मौत मामला सामने आया है।
  • सी. सरतचंद
    विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान
    26 May 2022
    युद्ध ने खाद्य संकट को और तीक्ष्ण कर दिया है, लेकिन इसे खत्म करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका को सबसे पहले इस बात को समझना होगा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष का कोई भी सैन्य समाधान रूस की हार की इसकी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License