NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
फ़िलिस्तीन की दीवारों पर इज़राइल लंबे समय से ख़ूनी खेलता आ रहा है!
एक जुलाई 2020 से इज़राइली सरकार ने वेस्ट बैंक को हड़पना शुरू कर दिया है। फ़िलिस्तीनी भूमि पर कब्जा करने के लिए लगभग 5 लाख इज़राइलियों को वहाँ बसने के लिए भेजा जा चुका है। इस तरह से इज़राइल ने संप्रभु फ़िलिस्तीनी राज्य की संभावना ही मिटा दी है।
ट्राईकोंटिनेंटल : सामाजिक शोध संस्थान
03 Jul 2020
फ़िलिस्तीन की दीवारों पर इज़राइल लंबे समय से ख़ूनी खेलता आ रहा है!

फिलिस्तीनी लोगों की नियति पर चुप रहना संभव नहीं है। 1948 से, उन्हें अपने देश से वंचित रखा गया है और जीने के अधिकार से वंचित रखा गया है। संयुक्त राष्ट्र के एकल के बाद एक प्रस्तावों में कहा गया है कि उनका निर्वासन समाप्त होना चाहिए, कि उन्हें गरिमावान जीवन निर्माण करने की अनुमति दी जानी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 194 (1948) और 242 (1967) के बीच, कई ऐसे प्रस्ताव हैं जो फिलिस्तीनियों को मातृभूमि का अधिकार और फिलिस्तीनियों को अपने वतन लौटने का अधिकार देने का आह्वान करते हैं।

1967 में वेस्ट बैंक के इज़राइली आक्रमण के दौरान, रक्षा मंत्री मोशे ददन ने लेफ्टिनेंट जनरल यित्ज़ाक राबिन से कहा कि युद्ध का उद्देश्य सभी फिलिस्तीनियों को पूरे क्षेत्र से हटाकर जॉर्डन नदी के पश्चिम में भेजना था। जब इजरायल ने जॉर्डन नियंत्रण से उस भूमि को जब्त कर लिया, तो इज़राइल के प्रधान मंत्री लेवी एशकोल ने कहा कि ये नया क्षेत्र ‘दहेज’ है, और ये ‘दहेज’ एक ‘दुल्हन’ -यानि, फिलीस्तीनी लोग- के साथ आया है। ‘परेशानी यह है कि दहेज ऐसी दुल्हन के साथ आया है', उन्होंने कहा, ‘जिसकी हमें ज़रूरत नहीं'। इजरायल की योजना हमेशा से ही पूरे यरुशलम और वेस्ट बैंक को हड़प लेने की रही है, वहाँ रहने वाले फिलिस्तीनियों को मार कर या उन्हें जॉर्डन और सीरिया की ओर धकेल कर।

tc4.PNG

वेरा तमारी (फिलिस्तीन), जेरिको हिल्स पर तारों भरी रात, 2017.

1 जुलाई 2020 को इज़राइली सरकार ने जो शुरू किया है वो ठीक यही है: वेस्ट बैंक को हड़पना (annexation of the West Bank)। 1994 के ओस्लो समझौते में 'दो-राज्य समाधान' का आधार मिलता है, जिसके तहत फिलिस्तीनी लोग भविष्य के फिलिस्तीन देश में वेस्ट बैंक, पूर्वी यरूशलेम और गाजा को नियंत्रित करेंगे। लेकिन इज़राइल ऐसी वास्तविकता की इजाज़त देने वाला नहीं था। गाजा को जेल जैसी जगह में बदल देने और घनत्व वाले उस इलाके में लगातार बमबारी ने वहाँ के लोगों को बेचैन कर दिया है। भू क़ब्ज़ों के माध्यम से पूर्वी यरुशलम की खुली हड़प ने उस शहर की यथास्थिति बदल दी है। इजरायल की राज्य-समर्थित नीति, जिसके तहत सर्वश्रेष्ठ जल स्रोतों वाले वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी भूमि पर कब्जा करने के लिए लगभग 5 लाख इजरायलियों को वहाँ बसने के लिए भेजा जा चुका है, ने किसी भी संप्रभु फिलिस्तीनी राज्य की संभावना ही मिटा दी है।

वर्षों से, वहाँ बसे इजरायल निवासी सरकार के पूर्ण समर्थन के साथ फिलिस्तीनी भूमि पर अतिक्रमण करते रहे हैं। अब, इजरायल ने इन बस्तियों को इजरायल के क्षेत्र में शामिल करना शुरू कर दिया है - जिसे संयुक्त राष्ट्र ने अवैध ठहराया है। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 237 (1967) के बाद से, संयुक्त राष्ट्र इजरायल को चौथे जिनेवा कन्वेंशन (1949) का उल्लंघन न करने के लिए आगाह करता रहा है; इस कन्वेंशन के तहत 1967 के युद्ध में इजरायल द्वारा फिलिस्तीनी लोगों से जब्त किए गए इलाक़ों में आने वाले युद्ध क्षेत्रों में फ़िलिस्तीन नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। 2016 के संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव 2334 में कहा गया था कि इजरायल की बस्तियां अंतर्राष्ट्रीय कानून का ‘निंदनीय उल्लंघन’ करती हैं और इनकी ‘कोई कानूनी वैधता नहीं है’। इज़राइल द्वारा वर्तमान में शुरू की गयी कार्यवाइयाँ अंतर्राष्ट्रीय कानून और फिलिस्तीनी लोगों की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं की अवहेलना को दर्शाती हैं।

tc3.PNG

नबील अनानी (फिलिस्तीन), प्रदर्शन #2, 2016.

वेस्ट बैंक की इस एनेक्सेशन का क्या अर्थ है? इसका मतलब यह है कि इजरायल उस भूमि को हड़प रहा है जो उसने औपचारिक रूप से भविष्य के फिलिस्तीन देश के सपुर्द कर दी थी और इसका मतलब है कि इजरायल इस इस इलाक़े के फिलिस्तीनी मूल निवासियों को इजरायल के गैर-नागरिक निवासियों के रूप में शामिल करने के लिए तत्पर है। भूमि हड़पने से अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन होता है; फिलिस्तीनियों की दूसरे दर्जे की स्थिति इजरायल के भेदभाव करने वाला देश (apartheid state) होने की पुष्टि करती है। 2017 में, संयुक्त राष्ट्र के पश्चिमी एशिया के आर्थिक और सामाजिक आयोग ने Israeli Practices towards the Palestinian People and the Question of Apartheid नामक एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। रिपोर्ट से पता चलता है कि सभी फिलिस्तीनी -चाहे वे कहीं भी रहते हों- इजरायल की अपार्थेड नीतियों से प्रभावित हैं।

जिन फिलीस्तीनियों के पास इजरायल की नागरिकता (ezrahut) है, उन्हें राष्ट्रीयता (लेउम) का अधिकार नहीं है; इसका अर्थ है कि वे केवल निचले दर्जे की सामाजिक सेवाओं ही प्राप्त कर सकते हैं, और वे प्रतिबंधक क्षेत्रिकरण कानूनों का सामना करते हैं और स्वतंत्र रूप से ज़मीन ख़रीदने में ख़ुद को असमर्थ पाते हैं। पूर्वी यरुशलम में फिलिस्तीनी का दर्जा घटकर स्थायी निवासियों का रह गया है, जिन्हें लगातार साबित करना पड़ता है कि वे उसी शहर के रहने वाले हैं। वेस्ट बैंक में रहने वाले फिलिस्तीनी ‘अपार्थेड के जैसी हालातों’ में रहते हैं, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के लेखक लिखते हैं। और जिन लोगों को लेबनान, सीरिया और जॉर्डन में शरणार्थी शिविरों में निर्वासित किया गया है, उनसे मातृभूमि का अधिकार स्थायी रूप छीना जा चुका है। सभी फिलिस्तीनी -चाहे वे हाइफ़ा (इज़राइल) में रहते हों या ऐन अल-हिलवेह (लेबनान) में- इज़राइली अपार्थेड से पीड़ित हैं। फिलिस्तीनियों को अपमानित करने वाले कानून समय समय पर जारी किए जाते हैं, ताकि जीवन को इतना अभिशप्त कर दिया जाए कि वे अपना वतन छोड़ने को मजबूर होते रहें।

tc2.PNG

खालिद हौरानी (फिलिस्तीन), संदेह, 2019.

वेस्ट बैंक का एनेक्सेशन इजरायल की अपार्थेड की नीतियों को और मज़बूत ही करेगा। ज़ायोनी राज्य फिलिस्तीनियों को पूर्ण नागरिकता का अधिकार नहीं देगा। फिलिस्तीनी लोगों को पूर्ण नागरिकता के साथ इजरायल में शामिल करने का कोई इरादा नहीं है और न ही फिलीस्तीन का कोई भी हिस्सा छोड़ने का। ज़ाहिर है कि यह पुरानी तरह का उपनिवेशवाद है। इस तरह के औपनिवेशिक आक्रमण में पूर्वी यरुशलम में फिलिस्तीनी बस्तियों (जैसे वाडी यासुल) का विध्वंस और जैतून के बगीचों का विनाश (जैसे बुरिन गांव में हुआ) शामिल होता है। 2020 के बीते कुछ महीनों में ही, इजरायली राज्य ने 210 फिलिस्तीनी बच्चों और 250 छात्रों को गिरफ्तार कर लिया है, इसके साथ 13 फिलिस्तीनी पत्रकारों को भी गिरफ़्तार किया गया है। इस तरह की कार्यवाइयों की सूचना मानवाधिकार समूहों से मिलती है, फिलिस्तीन के नागरिक समाज संगठन इन कार्यवाइयों की निंदा करते हैं, लेकिन इसके अलावा ये ख़बरें नजरअंदाज की जाती हैं। ये गरिमा पर आक्रमण है।

यह सब गैरकानूनी है: विनाश करना, बस्तियाँ बसाना और वेस्ट बैंक के चारों ओर की अपार्थेड दीवार। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस के निर्णयों, या नागरिक समूहों के द्वारा निंदा किए जाने का कोई प्रभाव पड़ता हुआ नहीं दिखता। 1948 से, इज़राइल ने फिलिस्तीन और फिलिस्तीनियों का संहार -‘दुल्हन’ को परे हटा कर 'दहेज' की चोरी- बेपरवाह हो कर किया है। फिलीस्तीनियों को अपमानित करने के लिए इज़राइल ने वेस्ट बैंक के आसपास जो दीवार बनाई थी, उससे बहुत दूर नहीं हैं, वो दीवारें जो इज़राइल ने घरों को धूल में बदल देने के लिए तोड़ी थीं। वो दीवारें, और उनके ऊपर की छतें, एक समय पर लोगों के आशियाने थे; उन लोगों को अपनी धुरी से हटाकर टेड़े-मेड़े रास्ते पर चलने को मजबूर कर दिया गया, जहाँ इजराइली (उपनिवेशक की) गोली या सैनिक की हथकड़ी का डर हमेशा बना रहता है। जेल की दीवारें पत्थर से बनती हैं। इजराइली (उपनिवेशक) बस्तियों की दीवारें भी पत्थर से बनी हैं। लेकिन किसी फिलिस्तीनी के घर की दीवारें डर और प्रतिरोध के अजीब संयोजन से बनती हैं। डर है कि उपनिवेशक की तोप दीवारों के माध्यम से घर में विस्फोट कर देगी, और प्रतिरोध मानता है कि घर की दीवारें असली दीवारें नहीं हैं। असली दीवारें धीरज और दृढ़ता की दीवारें हैं।

tc1.PNG

फिलिस्तीन, रोनाल्डो कॉर्डोवा (OSPAAAL, क्यूबा) के मूल पोस्टर से प्रेरित, फिलिस्तीन के साथ एकजुटता, 1968.

क्रूर देश अपनी असंवेदनशीलता और अन्यायों से खोखले हो जाते हैं। नैतिकता की कमी में, इज़राइल के लिए बंदूकों के अहंकार के बिना अपना रौब जमाना असंभव है। बुलडोजर के किसी घर के सामने आने पर, बुलडोजर जीत जाता है, लेकिन घर ही है जो लोगों के दिलों और सपनों में जीवित रहता है। बुलडोजर डर पैदा करते हैं, मानवता नहीं। मानवीय समाज भय से निर्मित नहीं हो सकता। उसे केवल प्यार के उत्साह से निर्मित किया जा सकता है। क्रूर देश -जैसे कि इजराइल- उस ज़मीन पर प्यार का आदर्शलोक नहीं बना सकते जो उनकी घृणास्पद चोरी से दाग़दार हो। जैतून के पेड़ उखाड़ दिए जाने के बाद भी, उनके बगीचों में ज़ैतून की गंध बची रहती है।

xu-xiPirAgMhd.jpg

यालालन बैंड (फिलिस्तीन), डिंगी डिंगी, 2016

2014 में गाज़ा में हुई इज़राइली बमबारी के बाद, इराकी कवि सिनान एंटून ने ‘आफ्टरवर्ड्स' कविता लिखी। कविता में एक बचा अपने दादा (सिदू) के साथ चल रहा है।

क्या हम वापस जाफ़ा जा रहे हैं, सिदू?

हम नहीं जा सकते

क्यों?

हम मर चुके हैं

तो क्या हम स्वर्ग में हैं, सिदू?

हम फिलिस्तीन में हैं, हबीबी

और फिलिस्तीन स्वर्ग है

और नरक भी।

अब हम क्या करेंगे?

हम इंतजार करेंगे

इंतज़ार किसका?

दूसरों का

….

उनके लौटने का

इंतजार करने का समय नहीं है। अब दुनिया के लिए इजरायल को संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्ण-समर्थन से मिले बेपरवाह रवैए से रोकने का समय आ गया है।

सूचना: कृपया फिलिस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता में अंतर्राष्ट्रीय पीपुल्स असेंबली द्वारा दिए गए बयान को पढ़ें

Palestine
Israel
West Bank
Israel Government
United nations

Related Stories

फ़िनलैंड-स्वीडन का नेटो भर्ती का सपना हुआ फेल, फ़िलिस्तीनी पत्रकार शीरीन की शहादत के मायने

न नकबा कभी ख़त्म हुआ, न फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध

जलवायु परिवर्तन : हम मुनाफ़े के लिए ज़िंदगी कुर्बान कर रहे हैं

अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की

अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात

इज़रायली सुरक्षाबलों ने अल-अक़्सा परिसर में प्रार्थना कर रहे लोगों पर किया हमला, 150 से ज़्यादा घायल

लैंड डे पर फ़िलिस्तीनियों ने रिफ़्यूजियों के वापसी के अधिकार के संघर्ष को तेज़ किया

अमेरिका ने ईरान पर फिर लगाम लगाई

क्या यूक्रेन मामले में CSTO की एंट्री कराएगा रूस? क्या हैं संभावनाएँ?

पुतिन को ‘दुष्ट' ठहराने के पश्चिमी दुराग्रह से किसी का भला नहीं होगा


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License