NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मुद्दा: कश्मीर में लाशों की गिनती जारी है
वर्ष 2020 और वर्ष 2021 में सेना ने, अन्य सुरक्षा बलों के साथ मिलकर 197 मुठभेड़ अभियानों को अंजाम दिया। इनमें 400 से ज्यादा कश्मीरी नौजवान मारे गये।
अजय सिंह
13 Jan 2022
jammu and kashmir
Image courtesy : ThePrint

सरकारी आंकड़े बताते हैं, कश्मीर में भारतीय सेना की गोलियों से मारे गये कश्मीरी नौजवानों—भारतीय नागरिकों—की लाशों की गिनती जारी है। सरकारी आंकड़े बोलते हैं, कश्मीर एक प्रकार से लाशघर बन गया है। आंकड़े यह भी बताते हैं कि कश्मीर को अघोषित तौर पर पूरी तरह सेना के हवाले कर दिये जाने के बावजूद न तो हिंसक घटनाओं में कमी आयी है, न मुठभेड़ हत्याओं में कमी आयी है, न चरमपंथियों/मिलिटेंटों की संख्या में कमी आयी है। कश्मीरी जनता पर सैनिक-प्रशासनिक दमनचक्र और ख़ौफ़नाक हो चला है।

अब उन आंकड़ों पर निगाह डालते हैं, जिन्हें केंद्र-शासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर के प्रशासन ने जनवरी 2022 में सार्वजनिक किया है।

वर्ष 2020 और वर्ष 2021 में सेना ने, अन्य सुरक्षा बलों के साथ मिलकर 197 मुठभेड़ अभियानों को अंजाम दिया। इनमें 400 से ज्यादा कश्मीरी नौजवान मारे गये।

लगभग इतने ही (400 से ज़्यादा) कश्मीरी नौजवान वर्ष 2018 और वर्ष 2019 में सेना के साथ तथाकथित मुठभेड़ों में मारे गये।

यानी, चार वर्षों (2018, 2019, 2020, 2021) के दरमियान सेना ने क़रीब-क़रीब 1000 कश्मीरी नौजवानों को मुठभेड़ दिखाकर हलाक कर दिया। इतनी बड़ी तादाद में नौजवानों का मारा जाना किसी आपदा से कम नहीं है। यह जन-धन का भयानक नुकसान है। यह दिखाता है कि कश्मीर में भारत सिर्फ़ बंदूक के बल पर मौजूद है।

जो मारे गये, वे सेना व जम्मू-कश्मीर पुलिस की निगाह में आतंकवादी या मिलिटेंट थे। लेकिन मुठभेड़ हत्याओं के बाद कश्मीर में सेना के ख़िलाफ़ स्थानीय निवासियों के जिस तरह विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं, वे कुछ और ही कहानी कहते हैं।

ख़ुद जम्मू-कश्मीर पुलिस का कहना है कि मारे गये चरमपंथियों/मिलिटेंटों में 80 प्रतिशत से ज्यादा स्थानीय निवासी—कश्मीर के बाशिंदे—थे। यानी, वे विदेशी नहीं भारतीय नागरिक थे। पुलिस की यह भी स्वीकारोक्ति है कि इतनी भारी तादाद में मारे जाने के बाद भी चरमपंथियों/मिलिटेंटों की संख्या में कमी नहीं आयी है—नये-नये रंगरूट शामिल हो रहे हैं।

नया साल 2022 शुरू होते ही जनवरी के पहले हफ़्ते में सेना के साथ तथाकथित मुठभेड़ों में 11 कश्मीरी नौजवान मारे गये। ये सभी कश्मीर घाटी में अलग-अलग जगहों पर मारे गये।

जो संकेत मिल रहे हैं, उनसे लगता है कि कश्मीर के लिए वर्ष 2022 भी, पिछले सालों की तरह, ख़ून-ख़राबे से भरा साल रहेगा।

कश्मीर में सभी राजनीतिक गतिविधियां, लोकतांत्रिक आंदोलन, असहमति व विरोध की आवाजें—सभी बंद व दफ़न हैं। वहां असहमति व विरोध अपराध या क्राइम है, और इसके लिए दमनकारी गैर-क़ानूनी गतिविधि निरोधक क़ानून (यूएपीए) और जन सुरक्षा क़ानून (पब्लिक सेफ़्टी ऐक्ट) का बेलगाम तरीक़े से इस्तेमाल किया जा रहा है। कश्मीर में सिर्फ़ सेना की बंदूक की राजनीति चलती है।

(लेखक कवि व राजनीतिक विश्लेषक हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Jammu and Kashmir
Indian army
Jammu
Kashmir
laddakh

Related Stories

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 

यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा

आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद

क्यों अराजकता की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है कश्मीर?


बाकी खबरें

  • एजाज़ अशरफ़
    विचारों की लड़ाई: पीतल से बना अंबेडकर सिक्का बनाम लोहे से बना स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी
    31 May 2022
    गुजरात के दलित स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के मौक़े पर बीआर अंबेडकर को समर्पित एक टन के पीतल का सिक्का लेकर संसद जायेंगे। वे सांसदों को याद दिलाना चाहते हैं कि वे छुआछूत मिटाने में नाकाम रहे हैं।
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद पर मस्जिद कमेटी के वकील अभय नाथ यादव से खास बातचीत
    31 May 2022
    ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी विवाद पर न्यूज क्लिक संवादाता तारिक अनवर ने मस्जिद कमेटी के वकील अभय नाथ यादव से बातचीत की। इस विवाद से जुड़े कई सवालों पर बात किया। जैसे कि जिला अदालत में आप इस…
  • ट्राईकोंटिनेंटल : सामाजिक शोध संस्थान
    और फिर अचानक कोई साम्राज्य नहीं बचा था
    31 May 2022
    अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को जून में उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिकी देशों (अमेरिकाज़) के शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करनी है; जिसके बहाने बाइडन यह उम्मीद कर रहे हैं कि अन्य अमेरिकी देशों पर वाशिंगटन…
  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी जी, देश का नाम रोशन करने वाले इन भारतीयों की अनदेखी क्यों, पंजाबी गायक की हत्या उठाती बड़े सवाल
    30 May 2022
    खोज ख़बर में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने टाइम मैग्जीन में आए तीन भारतीयों (खुर्रम परवेज़, करुणा नंदी और गौतम अडानी) के साथ-साथ बुकर इंटरनेशनल अवार्ड जीतने वाली हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री की मोदी…
  • भाषा
    धनशोधन क़ानून के तहत ईडी ने दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ़्तार किया
    30 May 2022
    प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन को धनशोधन के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License