NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कश्मीर पर श्वेत पत्र जारी कर दिया जाए दो सालों का हिसाब: यूसुफ़ तारिगामी
शैलेन्द्र शैली स्मृति व्याख्यानमाला 2021 में "कश्मीर के साथ विश्वासघात और उसके बाद" विषय पर दिए अपने व्याख्यान में तारिगामी ने कहा कि श्वेतपत्र में सरकार को बताना चाहिए कि दहशतगर्दी का क्या हुआ? विकास और रोजगार देने और भ्रष्टाचार रोकने के लिए क्या किया गया, लोगों की जिंदगी में क्या सुधार हुआ।

न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
04 Aug 2021
Kashmir

"भारत के स्वतन्त्रता आंदोलन, उसके हासिल संविधान और सारी मुश्किलों को झेल कर भारत को अपना वतन चुनने वाले जम्मू कश्मीर के अवाम को अपमानित करके 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से राज्य का दर्जा छीनकर उसे तीन टुकड़ों में बांटने वाली केंद्र सरकार को अपने आचरण पर शर्म करनी चाहिए और देश की जनता को जवाब देना चाहिए कि पिछली दो वर्षों में कश्मीरियों सहित किसी को भी क्या हासिल हुआ है।"

यह कहना है जम्मू कश्मीर की भंग विधानसभा के सदस्य मोहम्मद यूसुफ़ तारिगामी का। उन्होंने मोदी सरकार से इस बारे में एक श्वेत पत्र जारी कर संसद और पूरे मुल्क को उन वादों पर हुए अमल की हालत बताने की मांग की जो उसने इस खूबसूरत प्रदेश को जेलखाना बनाने के बाद देश की जनता से किये थे। उनके मुताबिक इस श्वेतपत्र में सरकार को बताना चाहिए कि दहशतगर्दी का क्या हुआ? विकास और रोजगार देने और भ्रष्टाचार रोकने के लिए क्या किया गया, लोगों की जिंदगी में क्या सुधार हुआ।

तारिगामी ने एक दिन पहले संसद में दिए गृह राज्य मंत्री के उत्तर का हवाला देते हुए पूछा कि जिस सामान्य स्थिति के आने के बाद राज्य का दर्जा बहाल करने की बात वे कर रहे हैं वह सामान्य स्थिति कब और कैसे आएगी?

शैलेन्द्र शैली स्मृति व्याख्यानमाला 2021 में "कश्मीर के साथ विश्वासघात और उसके बाद" विषय पर दिए अपने व्याख्यान में तारिगामी ने कहा कि 5 अगस्त 2019 को जो हुआ उसका आतंकवाद ख़त्म करने, विकास करने या अवाम को राहत देने से कोई वास्ता नहीं था। यह कदम नंगे रूप में तानाशाही कायम करने के लिए उठाया गया था। उन्होंने कहा कि देश ने तो महामारी और सरकार की नाकामी की वजह से दो लॉकडाउन भुगते, कश्मीर तो लगातार क्रैकडाउन भुगत रहा है। बंदिशों पर बंदिशें हैं। रोजगार मिलने की बजाय खत्म हो रहे हैं। इंटरनेट और टेलीफोन बंद होने का असर छात्र छात्राओं की पढ़ाई पर पड़ा है। छोटे दुकानदार और व्यापारी तबाह हो रहे हैं। जम्मू के नागरिक भी अपनी जमीन और रोजगार के छिनने और व्यापार सिकुड़ने की वजह से परेशानहाल है। सरकार को बताना चाहिए कि उसके वायदे और दावे कहाँ तक पहुंचे है।  

यूसुफ़ तारिगामी ने बताया कि इसी महीने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बुलाई मीटिंग में वे उनसे साफ़ शब्दों में कहकर आये थे कि ''कश्मीरियों को बार बार देशभक्ति का पाठ मत पढ़ाइये।" ये कश्मीरी थे जिन्होंने सीमावर्ती और मुस्लिम आबादी की बहुलता के बावजूद मुस्लिम पाकिस्तान का हिस्सा बनना और अलग देश बनने का महाराजा हरीसिंह का इरादा दोनों को ठुकराया था और धर्मनिरपेक्ष भारत चुना था। भारत की सेनाएं तो बाद में पहुँची थी - पाकिस्तानी शह पर बारामुला तक पहुँच गए कबायलियों के हमलों का कश्मीरियों ने खुद अपनी दम पर मुकाबला किया था। कश्मीरियों ने भारत चुना था क्योंकि उनकी परम्परा साथ रहने की थी, धर्मनिरपेक्षता की थी। तारिगामी ने हुक्मरानो को सलाह दी कि कभी-कभार इतिहास की किताबें भी पढ़ लिया करें। विभाजन के बाद जब बंगाल और पंजाब की सीमाएं लहूलुहान थीं, लाखों लोग मारे जा रहे थे। यहां तक कि कुछ उन्मादियों ने जम्मू में भी दंगा भड़का दिया था ठीक उस समय कश्मीर की वादी में पूरी तरह अमन था। मुसलमान कश्मीरी और कश्मीरी पंडित शान्ति और भाईचारे के साथ रह रहे थे। बाद के दिनों में जो घटनाएं घटी भी उनमे कश्मीरी नहीं थे - वे सीमापार की साजिशें थीं।  

उन्होंने कहा कि भारत के साथ कश्मीर के मेल की बुनियाद साझी विरासत है जिसका धागा भाईचारा, संघीय ढांचा और वह विविधता जो समस्या नहीं है हमारे देश की शक्ति और सम्पदा है। सबसे बड़ी विरासत है उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष जिसकी निरंतरता को बनाये रखने के लिए भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, अशफाकुल्ला खान जैसे अनगिनत युवाओं और भारतीयों ने शहादतें दीं।  

धारा 370 को लेकर आरएसएस और भाजपा द्वारा फैलाये गए झूठों का खंडन करते हुए यूसुफ़ तारिगामी ने कहा कि यह आजाद भारत के नेतृत्व की साझी समझदारी थी। सरदार पटेल के घर में नेहरू और शेख अब्दुल्ला के साथ हुयी मीटिंग में इस बारे में सहमति बनी थी और पटेल ने ही इसे संविधान सभा में रखा था। उन्होंने याद दिलाया कि संस्कृति और जीवन शैली को विशेष संरक्षण देने वाली धारा (अनुच्छेद) 370 अकेली नहीं है - भारत के संविधान में इसी तरह की धारा 371 भी है। मगर आरएसएस ने साम्प्रदायिक इरादे से इसे तूल देकर देश को गुमराह किया है। तारिगामी ने बताया कि किसी बाहरी आदमी के जमीन खरीदने या नौकरी पाने पर लगी रोक कश्मीरी पंडितों और डोगरों के आंदोलन का परिणाम थी और खुद महाराजा हरीसिंह के जमाने में यह आदेश जारी किया गया था। हालांकि आजादी के बाद से ही देश की सरकारों ने इसमें दी गयी स्वायत्तता का उल्लंघन किया। चुनी हुयी सरकार को बर्खास्त करके शेख अब्दुल्ला 1953 में ही गिरफ्तार कर लिए गए। कश्मीर की जनता को तो लोकतांत्रिक तरीके से वोट डालने और सरकार चुनने तक का अधिकार नहीं मिला। कश्मीरी अवाम ने 1977 में पहली बार निष्पक्ष चुनाव देखे थे।

कश्मीर मोदी सरकार की घोर अलोकतान्त्रिकता और असंवैधानिकता का उदाहरण है ; तेलंगाना, उत्तराखंड, झारखंड बनते समय जनता में बहस हुयी, इन राज्यों की विधानसभाओं में चर्चाएं हुयी, प्रस्ताव पारित किये गए मगर जम्मू कश्मीर के तीन टुकड़े कर उससे राज्य का अधिकार तक बिना किसी संवैधानिक प्रक्रिया के छीन लिया गया। उन्होंने बताया कि 2003 में आरएसएस ने जब जम्मू कश्मीर लद्दाख के तीन टुकड़ो का प्रस्ताव पारित किया था तब सीपीएम विधायक के रूप खुद तारिगामी द्वारा रखे प्रस्ताव को मंजूर कर जम्मू कश्मीर विधान सभा ने सर्वसम्मति से इसे खारिज कर दिया था। मगर भाजपा तो संविधान और सारी संवैधानिक संस्थाओं को नष्ट-भ्रष्ट करने पर आमादा है ताकि तानाशाही लाई जा सके। इसने पूरे देश के लोकतांत्रिक समाज, संविधान और कश्मीरी अवाम को अपमानित किया है। उन कश्मीरियों को अलग थलग किया है जिन्होंने लगातार पृथकतावादी ताकतों और सीमापार आतंकवाद के खिलाफ मुहिम चलाई और उनके हमलों में अपने परिवारजनों को खोया।  

देश की स्थिति पर बोलते हुए सीपीएम केंद्रीय समिति सदस्य तारिगामी ने कहा कि कोरोना से पहले ही रोजगार घट रहा था। लगातार निजीकरण हो रहा है। आम जनता की खरीदने की क्षमता घट रही है वहीं मोदी के नजदीकियों के मुनाफों के पहाड़ खड़े हो रहे हैं। इस देश को आजाद कराने वालों ने शहादतें इसलिए नहीं दी थीं कि देसी विदेशी मगरमच्छ इसे हड़पने के लिए झपटें। उन्होंने कहा कि खतरा सिर्फ कश्मीर को नहीं है पूरे देश को है और इस खतरे के खिलाफ कश्मीर से कन्याकुमारी तक मिलकर साथ साथ लड़ा जाएगा। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, आदिवासी, ओबीसी, दलित सब मिलकर आवाज उठाएंगे। जाहिर है कुछ रुकावटें आएंगी - हुक्मरान डर पैदा करने की कोशिश करेंगे। मगर मेहनतकश जनता डरेगी नहीं। कल के सपने देखना और उनकी तामीर के लिए आगे बढ़ने का सिलसिला जारी रहेगा।

व्याख्यान की शुरुआत में उन्होंने शैलेन्द्र शैली के साथ सीपीएम केंद्रीय समिति सदस्य तथा एक अच्छे दोस्त के रूप में अपने संबंधों को याद किया तथा उन्हें श्रद्धांजलि दी।  

(पूरा व्याख्यान सुनने के लिए जाएं- https://youtu.be/F-yraHlPqtQ  या  https://www.facebook.com/Lokjatan/)


बाकी खबरें

  • आज का कार्टून
    ‘तेलंगाना की जनता बदलाव चाहती है’… हिंसा नहीं
    26 May 2022
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तेलंगाना के दौरे पर हैं, यहां पहुंचकर उन्होंने कहा कि तेलंगाना की जनता बदलाव चाहती है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: दलित प्रोफेसर मामले में SC आयोग का आदेश, DU रजिस्ट्रार व दौलत राम के प्राचार्य के ख़िलाफ़ केस दर्ज
    26 May 2022
    दिल्ली पुलिस ने सोमवार को दौलत राम कॉलेज की प्रिंसिपल सविता रॉय तथा दिल्ली यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया है। 
  • भरत डोगरा
    भारत को राजमार्ग विस्तार की मानवीय और पारिस्थितिक लागतों का हिसाब लगाना चाहिए
    26 May 2022
    राजमार्ग इलाक़ों को जोड़ते हैं और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाते हैं, लेकिन जिस अंधाधुंध तरीके से यह निर्माण कार्य चल रहा है, वह मानवीय, पर्यावरणीय और सामाजिक लागत के हिसाब से इतना ख़तरनाक़ है कि इसे…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा
    26 May 2022
    केरल में दो महीने बाद कोरोना के 700 से ज़्यादा 747 मामले दर्ज़ किए गए हैं,वहीं महाराष्ट्र में भी करीब ढ़ाई महीने बाद कोरोना के 400 से ज़्यादा 470 मामले दर्ज़ किए गए हैं। 
  • लाल बहादुर सिंह
    जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है
    26 May 2022
    जब तक जनता के रोजी-रोटी-स्वास्थ्य-शिक्षा के एजेंडे के साथ एक नई जनपक्षीय अर्थनीति, साम्राज्यवादी वित्तीय पूँजी  से आज़ाद प्रगतिशील आर्थिक राष्ट्रवाद तथा संवैधानिक अधिकारों व सुसंगत सामाजिक न्याय की…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License