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जम्मू-कश्मीर: बीएसएफ़, सीआइएसएफ़ अभ्यर्थियों का प्रदर्शन 60वें दिन पार, भाजपा के मंत्री पर झूठा आश्वासन देने का आरोप
इन नौकरियों के लिए निर्धारित सभी राउंड पास करने वाले युवा अभ्यर्थी जम्मू में भाजपा कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। ये प्रदर्शनकारी भाजपा पर उन्हें धोखा देने का आरोप लगा रहे हैं जिसने पदों की संख्या बढ़ाये जाने का झूठा आश्वासन दिया था।
सागरिका किस्सू
31 Mar 2021
Kashmir
Kashmir Pen

अर्धसैनिक बलों में नौकरी की मांग को लेकर बीएसएफ और सीआइएसएफ के अभ्यर्थी पिछले दो महीनों से जम्मू के त्रिकुटा नगर में स्थित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। इन प्रदर्शनकारी युवाओं ने नौकरी पाने के सभी राउंड के लिए तय अर्हताओं को पार कर लिया है। अब वे भाजपा पर झूठे आश्वासनों के जरिये उन्हें “धोखा” देने का आरोप लगा रहे हैं। 

न्यूजक्लिक से बातचीत करते हुए उन प्रदर्शनकारी युवाओं में से एक करमजीत वर्मा ने कहा, “चुनाव के दौरान वे केवल रोजगार देने की बात करते हैं, कहां है रोजगार अब? हमारे प्रदर्शन के दो महीने हो गये, आज तक भाजपा कार्यालय से हमारी अपेक्षाओं के बारे में पूछने के लिए कोई नहीं आया।” करमजीत जम्मू के कठुआ जिले के निवासी हैं।

प्रदर्शनकारी छात्रों ने केंद्रीय मंत्री और भाजपा के सदस्य जीतेन्द्र कुमार पर गंभीर आरोप लगाया, जिन्होंने पिछले साल जिला विकास परिषद के चुनाव के दौरान रिक्तियों की तादाद बढ़ाने और अधिक से अधिक रोजगार देने का वादा किया था। इसी के फलस्वरूप उन सभी युवाओं ने भाजपा को वोट दिया था।

दोहा जिले के नीरज ने बताया, “हम रिक्तियों में इजाफा करने की मांग इसलिए कर रहे थे क्योंकि वैकेंसी के आये दो साल पूरे हो गए और इनके पदों पर चयन की कई सारी औपचारिकताओं को पूरी करते-कराते कई छात्रों की उम्र भी पार कर गई है। लिहाजा, हम लोग इस बाबत केंद्रीय मंत्री जीतेन्द्र सिंह से मिले थे तो उन्होंने शर्त रखी कि अगर हम युवाओं ने भाजपा को वोट दिये तो 2,000 हजार और नई रिक्तियां मौजूदा रिक्तियों में जोड़ दी जाएंगी।”

बीएसएफ और सीआइएसएफ के 1,356 कांस्टेबलों के लिए 2018 में वैकेंसी निकली थी, जिसके लिए जम्मू और कश्मीर के लाखों युवाओं ने आवेदन किया था। इस बीच, पदों की तादाद में बढ़ोतरी की मांग उठाई गई। इस पर केंद्रीय मंत्री जीतेन्द्र सिंह ने इसके लिए आश्वासन भी दिया था। हालांकि फरवरी 2021 में जब अंतिम रूप से सफल अभ्यर्थियों की जो सूची जारी की गई उनमें बजाय 2,000 के मात्र 1,356 अभ्यर्थियों के ही नाम थे। इसने सूची के बाहर रह गये ऐसे छात्रों को, जिन्होंने फाइनल रांउड भी सफलतापूर्वक पार कर लिया था, उन्हें भाजपा दफ्तर के आगे प्रदर्शन करने पर मजबूर कर दिया। उनका प्रदर्शन आज भी जारी है।

नीरज ने कहा, “हम सभी इस चयन प्रक्रिया का पिछले तीन सालों से इंतजार कर रहे हैं, जिसको पूरा होने में छह महीने से ज्यादा समय लग गया है और अब हमलोग तो उस सूची में भी नहीं आ पाए हैं, जबकि हमने फाइनल रांउड भी पार कर लिया है।” 

इन प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन को योग्यता की ऊंची दर करने का भी आरोप लगाया। राजौरी के एक युवक प्रदर्शनकारी ने अपना नाम न जाहिर करने के अनुरोध के साथ कहा,“यह एक कांस्टेबल का पद है और इसके चयन के मानदंड आपने इतने ऊंचे कर दिये हैं ताकि युवा इन्हें छोड़ कर चला जाए। इस पूरी प्रक्रिया में पूरे तीन साल लगे हैं, अपनी बढ़ती उम्र के कारण हम लोग अगली चयन प्रक्रिया में भी शामिल होने लायक नहीं रह गये हैं। हमें हुई इस क्षति की भरपाई कौन करेगा?”

डीडीसी चुनाव के मेनिफेस्टो में भाजपा ने 70,000 नौकरियां देने का वादा किया था और वे सभी की सभी स्थानीय नागरिकों को देने का वादा किया था। इसके साथ ही भाजपा ने निजी क्षेत्रों में भी रोजगार देने, उद्योग-मित्र नीति बनाने तथा जम्मू-कश्मीर में स्वच्छ, पारदर्शी और उत्तरदायी प्रशासन देने का भी वादा किया था।

“कहां है वे नौकरियां? हम भाजपा के दफ्तर के आगे प्रदर्शन कर रहे हैं और इसका उन पर अभी तक कोई असर नहीं पड़ा है। क्या यह केवल डीडीसी चुनाव तक ही था?” प्रदर्शनकारियों में से एक पूछता है। 

पिछले महीने पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले  लिया था। उन्हें तभी छोड़ा गया जब बाकी प्रदर्शनकारियों में से अनेक ने उन्हें खदेड़े जाने के प्रयास के बावजूद वहां डटे रहे थे। प्रदर्शनकारियों के हिरासत में लिये जाने की विपक्षी दलों पर तीखी प्रतिक्रिया हुई। उन्होंने सरकार पर “युवा विरोधी” नीतियां अख्तियार करने का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों ने न्यूज क्लिक को बताया कि उन पर आरोप लगाया जाता है कि वे विरोधी दलों से धन ले कर भाजपा की छवि खराब कराने के काम में लगे हैं। 

नीरज ने कहा, “हमने इस नौकरी के लिए तय सभी राउंड की परीक्षाएं पास कर ली हैं। हमने भाजपा को वोट दिया है। हमने वह सब कुछ किया है, जो वे हमसे चाहते थे और अब वे हम पर विपक्षियों से पैसे ले कर प्रदर्शन करने का आरोप लगा रहे हैं? आप जरा हमारी हालत पर एक नजर डालें, हम लोग फटी चटाइयों पर बैठ कर प्रदर्शन कर रहे हैं। हम यहां नौकरी पाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।” 

हालांकि प्रदर्शन के 60 दिन बीत गए हैं, लेकिन अभ्यर्थी अपनी मांगें पूरी होने तक प्रदर्शन जारी रखने पर आमादा हैं।

करमजीत ने कहा, “या तो जितेन्द्र सिंह को यहां जनता के सामने आना चाहिए और कहना चाहिए कि उन्होंने वोट पाने के लिए वैकेंसी की तादाद बढ़ाने का झूठ बोला था। इससे उनका असल चेहरा सबके सामने आ जाएगा। अन्यथा उन्हें बाकी अन्य सभी अभ्यर्थियों को नियुक्त करने का प्रबंध करना चाहिए जिन्होंने सारी परीक्षाएं पास कर ली हैं। वे आखिरकार जनता का सेवक हैं, वे हमसे मिलने क्यों नहीं आते? क्या वे उन युवाओं से खौफजदा हैं जो राष्ट्र की सेवा करना चाहते हैं?”

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें ।

J&K-BSF-CISF-Aspirants-Protest-Crosses-60-Days-BJP-Minister-False-Assurances

Jammu and Kashmir
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Jobs Crisis

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