NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
जेएनयू हिंसा: सर्वररूम और सीसीटीवी तोड़फोड़ को लेकर क्या जेएनयू प्रशासन ने झूठ बोला?
छात्र संघ के अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि यह सब खुलासे हमारे पुराने रुख की पुष्टि करता है कि हिंसा पूर्व नियोजित थे।  हमले से पहले साबरमती हॉस्टल में साजिश के तहत रोशनी बंद की गई थी ,यह कोई एक संयोग नहीं था।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
21 Jan 2020
JNU
फाइल फोटो

दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के सर्वर रूम में बायोमीट्रिक प्रणाली और सीसीटीवी संबंधी तोड़फोड़ जनवरी के पहले सप्ताह में नहीं हुई थी।विश्वविद्यालय ने यह बात एक आरटीआई आवेदन के जवाब में कही है।

यह विश्वविद्यालय प्रशासन के उन दावों के विपरीत है जिनमें कहा गया था कि छात्रों ने तीन जनवरी को बायोमीट्रिक प्रणाली और सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया था।

नेशनल कैम्पेन फॉर पीपुल्स राइट टू इन्फॉर्मेशन के सदस्य सौरव दास ने आरटीआई के तहत आवेदन दायर कर यह जानकारी मांगी थी।

विश्वविद्यालय द्वारा दी गई जानकारी में कहा गया है कि सेंटर फॉर इन्फॉर्मेशन सिस्टम (सीआईएस) में जेएनयू का मुख्य सर्वर तीन जनवरी को बंद हुआ था और अगले दिन यह ‘‘विद्युत आपूर्ति में बाधा की वजह से’’ ठप हो गया।

जवाब में यह भी कहा गया है कि पांच जनवरी को अपराह्न तीन बजे से रात 11 बजे तक जेएनयू परिसर के उत्तरी/मुख्य द्वार पर लगे कैमरों की कोई पूरी सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं है जिस दिन नकाबपोश लोगों ने परिसर में प्रवेश किया था और छात्रों तथा शिक्षकों पर हमला किया था।

जेएनयू प्रशासन ने तीन जनवरी को दावा किया था कि नकाब पहने छात्रों के एक समूह ने सीआईएस में जबरन प्रवेश किया और विद्युत आपूर्ति बंद कर दी जिससे सर्वर, सीसीटीवी निगरानी, बायोमीट्रिक उपस्थिति और इंटरनेट सेवाएं निष्क्रिय हो गईं।

आरटीआई आवेदन के जवाब में कहा गया, ‘‘जेएनयू का मुख्य सर्वर तीन जनवरी को बंद हुआ और अगले दिन विद्युत आपूर्ति ठप होने से ठप हो गया।’’

इसमें कहा गया, ‘‘30 दिसंबर 2019 से आठ जनवरी 2020 के बीच कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं टूटा।’’

जवाब में यह भी कहा गया कि चार जनवरी को दोपहर एक बजे 17 फाइबर ऑप्टीकल केबल नष्ट हुईं। 30 दिसंबर 2019 से आठ जनवरी 2020 के बीच कोई बायोमीट्रिक प्रणाली नहीं टूटी।

आरटीआई आवेदन में यह भी पूछा गया कि क्या जेएनयू परिसर में सीआईएस कार्यालय के भीतर या आसपास सीसीटीवी कैमरों के सर्वर हैं।

इसके जवाब में कहा गया कि सीसीटीवी कैमरों के सर्वर डेटा सेंटर में हैं, न कि सीआईएस कार्यालय में।  इसमें यह भी कहा गया, ‘‘सीसीटीवी कैमरों की अवस्थिति का विवरण सुरक्षा कारणों से उपलब्ध नहीं कराया जा सकता।’’

आवेदन में यह भी पूछा गया कि 25 दिसंबर 2019 से आठ जनवरी 2020 तक तकनीकी खामी या समस्या की वजह से जेएनयू की वेबसाइट कितनी बार बंद हुई।

इसके जवाब में कहा गया कि इस अवधि में वेबसाइट वैकल्पिक बैकअप प्रबंधों की वजह से लगातार चलती रही।

हालाँकि  5 जनवरी की हिंसा के बाद, जेएनयू प्रशासन ने दावा किया था कि इस महीने की पहली और चौथी तारीख को जेएनयू में बर्बरता हुई थी, जिसमें 4 जनवरी को विश्वविद्यालय के डेटा सेंटर को निशाना बनाया गया था। इसी तरह, प्रशासन ने कहा था कि बर्बरता का नेतृत्व छात्रसंघ के लोगों किया  था।  

 जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि यह सब खुलासे हमारे पुराने रुख की पुष्टि करता है कि हिंसा पूर्व नियोजित थे।  हमले से पहले साबरमती हॉस्टल में साजिश के तहत रोशनी बंद की गई थी ,यह कोई एक संयोग नहीं था।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए, घोष ने कहा कि आरटीआई हिंसा की तस्वीर कई तरीकों से साफ़ करता है। उन्होंने कहा, "वीसी द्वारा लगाए गए झूठे आरोप 5  तारीख को हुई घटना से ध्यान हटाने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है ... वीडियो सबूत हैं कि  एबीवीपी ने  कैसे स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के पास वास्तविक में हिंसा की थी।" पंजीकरण प्रभावित करने के  मुद्दे पर प्रशासन ने झूठ बोल रहीं है।  

विश्वविद्यालय से इस बारे में तत्काल कोई टिप्पणी उपलब्ध नहीं हुई है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

JNU admin
JNU Server Room
JNUSU
JNU Violence
RTI on JNU

Related Stories

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!

‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र

जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए

JNU में खाने की नहीं सांस्कृतिक विविधता बचाने और जीने की आज़ादी की लड़ाई

2020 : जेएनयू हिंसा, दंगों, सीएए-एनआरसी और किसान आंदोलन पर पुलिस का रवैया सवालों के घेरे में!

जेएनयू : आरटीआई के बाद पुलिस की रिपोर्ट से भी जेएनयू प्रशासन का झूठ सामने आया!

JNU में दिल्ली पुलिस का गुजरात मॉडल

JNU हिंसा: क्या दिल्ली पुलिस अधूरी तस्वीर पेश कर रही है?

जेएनयू हिंसा और सीएए के खिलाफ छात्रों का दिल्ली में मार्च

डीयू: सेंट स्टीफन कॉलेज में जोरदार प्रदर्शन, छात्रों ने कहा-आज जेएनयू कल डीयू भी हो सकता है!


बाकी खबरें

  • Jahangirpuri
    न्यूज़क्लिक टीम
    जहांगीरपुरी: हिंसा और तनाव के बाद निकली सौहार्द की तिरंगा यात्रा
    25 Apr 2022
    जहांगीरपुरी में हिंसा के एक सप्ताह बाद रविवार 24 अप्रैल को हिन्दू मुस्लिम सौहार्द स्थापित करने के लिए दोनों समुदाय के लोगों ने तिरंगा यात्रा निकाली।इसमें लोगों ने कहा 16 अप्रैल की जो घटना हुई वो एक…
  • भाषा
    ज़मानत मिलने के बाद विधायक जिग्नेश मेवानी एक अन्य मामले में फिर गिरफ़्तार
    25 Apr 2022
    मोदी के खिलाफ ट्वीट से संबंधित एक मामले में सोमवार को असम की एक अदालत द्वारा जमानत दिए जाने के बाद, असम पुलिस ने उन्हें अधिकारियों पर हमला करने के आरोप में फिर से गिरफ़्तार कर लिया।
  • aadiwasi
    न्यूज़क्लिक टीम
    जनगणना में अलग धर्मकोड से ही बचेगी आदिवासियों की पहचान !
    25 Apr 2022
    दिल्ली के जंतर मंतर पर देश भर से आए आदिवासी प्रतिनिधि अगले साल होने वाली जनगणना में अपने लिए अलग धर्मकोड माँग रहे है. उनका मानना है कि आदिवासियों की गणना संविधान के द्वारा दिए गए धर्म चुनने की…
  • भाषा
    लखीमपुर खीरी हिंसा के आरोपी के आत्मसमर्पण पर पीड़ित परिवार ने खुशी जताई
    25 Apr 2022
    उच्चतम न्यायालय से जमानत रद्द होने के बाद आशीष मिश्रा ने रविवार को लखीमपुर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चिंताराम की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया।
  • भाषा
    दिल्ली में गिरी इमारत के मलबे में फंसे पांच मज़दूरों को बचाया गया
    25 Apr 2022
    ‘‘यह एक पुरानी इमारत थी और मरम्मत के लिये अच्छी स्थिति में नहीं थी। हमें जांच में पता चला है कि इसे पीजी में बदलने के लिए मरम्मत का काम किया जा रहा था । इसलिए, उन्होंने ढांचे के कुछ हिस्से को तोड़ा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License