NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
JNU: दिल्ली HC का छात्रों के हक में फैसला  
कई संगठनों के लंबे संघर्ष के बाद शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने छात्रावास की नियमावली में संशोधन के फैसले को चुनौती देने वाली जेएनयू छात्र संघ की याचिका पर सुनवाई के बाद छात्रों को बड़ी राहत दी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अंतिरम आदेश दिया और कहा कि छात्रों को वर्तमान में पुरानी फीस के आधार पर ही पंजीकरण करने की इजाजत दी जाएगी।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
24 Jan 2020
JNU

कई संगठनों के लंबे संघर्ष के बाद शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने छात्रावास की नियमावली में संशोधन के फैसले को चुनौती देने वाली जेएनयू छात्र संघ की याचिका पर सुनवाई के बाद छात्रों को बड़ी राहत दी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अंतिरम आदेश दिया और कहा कि छात्रों को वर्तमान में पुरानी फीस के आधार पर ही पंजीकरण करने की इजाजत दी जाएगी। अदालत ने कहा कि इन छात्रों से किसी भी तरह की लेट फीस भी नहीं ली जाएगी। इसके साथ ही विश्वविद्यालय से जवाब भी मांगा हैं।

इस मामलें की अगली सुनवाई 28 फरवरी को है। इस मामले में जेएनयू छात्र संगठन के वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरन कहा कि फीस में वृद्धि गैर कानूनी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जेएनयू की हाई लेवल कमेटी को हॉस्टल नियमावली में बदलाव का अधिकार नहीं था।
 
इस सुनवाई के दौरान जेएनयू प्रशासन ने जब कई छात्रों की फीस जमा करने की बात कही तो छात्रों की तरफ से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि बच्चों ने दबाव में आकर डर के कारण फीस जमा की है। इसके बाद कपिल सिब्बल ने कहा कि प्रशासन को बढ़ी हुई फीस वापस करनी चाहिए, इसलिए जिन छात्रों को पैसे चाहिए उन्हें भी लौटाना होगा।

न्यायमूर्ति राजीव शक्तिधर की पीठ ने मामले में पक्षकार मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी को भी नोटिस जारी किया।

जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष और छात्र संघ के अन्य पदाधिकारियों साकेत मून, सतीश चंद्र यादव और मोहम्मद दानिश ने याचिका दाखिल की थी। याचिका में पिछले साल 28 अक्टूबर को जारी आईएचए की कार्यवाही और 24 नवंबर को गठित उच्च स्तरीय समिति के अधिकार क्षेत्र और उसकी सिफारिशों पर सवाल उठाए गए हैं।

याचिका में सिडनी छात्रावास नियमावली रद्द करने के लिए निर्देश की मांग करते हुए आईएचए के फैसले को दुर्भावनापूर्ण, मनमानी, अवैध और छात्रों के प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला बताया गया है।

याचिका में दावा किया गया है कि छात्रावास नियमावली में संशोधन जेएनयू कानून, 1966, अध्यादेश और छात्रावास नियमावली के प्रावधानों के विपरीत है।

 उच्च न्यायालय ने आज अपने अंतरिम आदेश में छात्रों के समुदाय को एक बड़ी राहत दी। उच्च न्यायालय ने जेएनयू प्रशासन को निर्देश दिया है:

1. छात्रों के पंजीकरण के लिए पिछले छात्रावास वाक्यांश के साथ पुरानी दरों पर पंजीकरण की अनुमति है।

2. देर से पंजीकरण का कोई भी शुल्क या भय के बिना पंजीकरण का समय एक सप्ताह बढ़ाने को कहा है।

3. पुराने हॉस्टल नियामवली के अनुसार आरक्षण और प्राथमिकताएं / लाभ को भी लागू करने को कहा गया है।

4. इस मुद्दे को हल करने के लिए छात्रों के साथ बातचीत करने को भी कहा जाता है।

जेएनयूएसयू इस राहत देने के लिए उच्च न्यायालय का आभार व्यक्त किया है। इसके साथ ही जेएनयूएसयू ने छात्रों से अगले एक सप्ताह के भीतर पुरानी दरों पर पंजीकरण लेने के लिए छात्र समुदाय से अपील की है। हम प्रशासन को चिह्नित करना चाहते हैं कि हम हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं।
 
इसके साथ छात्रसंघ ने कहा कि छात्रों के ख़िलाफ़ बने 28/10/19 छात्रावास नियामवली समाप्त करने और IHA बैठक के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा!

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

JNU
Delhi High court
Fee Hike
Against fee hike
Jawaharlal Nehru University
Aishe Ghosh
JNUSU
JNUTA

Related Stories

दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया

बग्गा मामला: उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस से पंजाब पुलिस की याचिका पर जवाब मांगा

मैरिटल रेप : दिल्ली हाई कोर्ट के बंटे हुए फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या अब ख़त्म होगा न्याय का इंतज़ार!

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!

भारत में छात्र और युवा गंभीर राजकीय दमन का सामना कर रहे हैं 

बैठक में नहीं पहुंचे अधिकारी, छात्र बोले- जेएनयू प्रशासन का रवैया पक्षपात भरा है

‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र

जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए

JNU: मांस परोसने को लेकर बवाल, ABVP कठघरे में !

जेएनयू छात्र झड़प : एबीवीपी के अज्ञात सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर
    30 Apr 2022
    मुज़फ़्फ़रपुर में सरकारी केंद्रों पर गेहूं ख़रीद शुरू हुए दस दिन होने को हैं लेकिन अब तक सिर्फ़ चार किसानों से ही उपज की ख़रीद हुई है। ऐसे में बिचौलिये किसानों की मजबूरी का फ़ायदा उठा रहे है।
  • श्रुति एमडी
    तमिलनाडु: ग्राम सभाओं को अब साल में 6 बार करनी होंगी बैठकें, कार्यकर्ताओं ने की जागरूकता की मांग 
    30 Apr 2022
    प्रदेश के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 22 अप्रैल 2022 को विधानसभा में घोषणा की कि ग्रामसभाओं की बैठक गणतंत्र दिवस, श्रम दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के अलावा, विश्व जल दिवस और स्थानीय शासन…
  • समीना खान
    लखनऊ: महंगाई और बेरोज़गारी से ईद का रंग फीका, बाज़ार में भीड़ लेकिन ख़रीदारी कम
    30 Apr 2022
    बेरोज़गारी से लोगों की आर्थिक स्थिति काफी कमज़ोर हुई है। ऐसे में ज़्यादातर लोग चाहते हैं कि ईद के मौक़े से कम से कम वे अपने बच्चों को कम कीमत का ही सही नया कपड़ा दिला सकें और खाने पीने की चीज़ ख़रीद…
  • अजय कुमार
    पाम ऑयल पर प्रतिबंध की वजह से महंगाई का बवंडर आने वाला है
    30 Apr 2022
    पाम ऑयल की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। मार्च 2021 में ब्रांडेड पाम ऑयल की क़ीमत 14 हजार इंडोनेशियन रुपये प्रति लीटर पाम ऑयल से क़ीमतें बढ़कर मार्च 2022 में 22 हजार रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गईं।
  • रौनक छाबड़ा
    LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम
    30 Apr 2022
    कर्मचारियों के संगठन ने एलआईसी के मूल्य को कम करने पर भी चिंता ज़ाहिर की। उनके मुताबिक़ यह एलआईसी के पॉलिसी धारकों और देश के नागरिकों के भरोसे का गंभीर उल्लंघन है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License