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भारत
राजनीति
जेएनयू, जम्मू कश्मीर मुद्दे पर हंगामा, राज्यसभा दोपहर दो बजे तक स्थगित
वामदलों ने जम्मू कश्मीर में आम लोगों के और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन के मुद्दे पर राज्यसभा में सभापति द्वारा चर्चा कराने की अनुमति नहीं देने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
19 Nov 2019
parliament
Image courtesy: janoduniya

विरोध प्रदर्शन कर रहे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई और जम्मू कश्मीर में लगातार पाबंदियों को लेकर विभिन्न दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण मंगलवार को राज्यसभा की बैठक शुरू होने के कुछ ही देर बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखवाए। इसी बीच वाम, कांग्रेस और अन्य दलों के सदस्यों ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि का विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर कल हुई पुलिस की कथित कार्रवाई और पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद से वहां लगातार जारी पाबंदियों का मुद्दा उठाने का प्रयास किया।

नायडू ने कहा कि उन्हें सदस्यों के पास से तीन कार्य स्थगन नोटिस मिले हैं लेकिन उन्होंने वे तीनों नोटिस स्वीकार नहीं किये। नोटिस अस्वीकार किए जाने की बात सुन कर वाम सदस्यों तथा कांग्रेस सदस्यों ने कुछ कहना चाहा। लेकिन उन्हें सभापति ने अनुमति नहीं दी।

इन सदस्यों के अपनी बात कहने के लिए जोर देने पर सभापति ने कहा, ‘आप पूरे सदन में व्यवधान उत्पन्न करेंगे। यह ऐसे मुद्दे नहीं हैं कि सदन का कामकाज रोका जाए।’

सदन में हंगामा देख नायडू ने सदस्यों को आगाह किया कि यह स्थिति जारी रहने पर उन्हें सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ेगी। उन्होंने शून्यकाल शुरू करने का ऐलान किया। लेकिन हंगामा थमते न देख उन्होंने 11 बज कर करीब दस मिनट पर ही बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

वाम दलों ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण

वामदलों ने जम्मू कश्मीर में आम लोगों के और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन के मुद्दे पर राज्यसभा में सभापति द्वारा चर्चा कराने की अनुमति नहीं देने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुये कहा है कि राष्ट्रीय हित के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा कराने के बजाय सदन का स्थगन उचित तरीका नहीं है।

माकपा के राज्यसभा सदस्य के के रागेश ने मंगलवार को इस मुद्दे पर उच्च सदन की बैठक दोपहर दो बजे तक के लिये स्थगित किये जाने के बाद संसद भवन परिसर में संवाददाताओं को बताया कि उन्होंने सभापति एम वेंकैया नायडू से नियम 267 के तहत कश्मीर और जेएनयू के मुद्दे पर चर्चा कराने का अनुरोध किया था। रागेश ने कहा, ‘हमने अपनी मांग आसन के समक्ष रखी थी लेकिन सभापति ने इस पर संज्ञान लेने के बजाय बैठक को स्थगित कर दिया।’

माकपा के बिनय विस्वम ने कहा कि जेनयू में छात्रों के और जम्मू कश्मीर में जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का लगातार हनन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर माकपा के इलामारम करीम ने नियम 267 के तहत चर्चा कराने की मांग की जिसे सभापति ने ठुकरा दिया।

करीम ने कहा कि सोमवार को ही राज्यसभा के 250वें सत्र पर आयोजित चर्चा में स्वयं सभापति और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा को वरीयता देने की बात कही थी, लेकिन इसके अगले दिन ही इतने महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की मांग को ठुकराना दुर्भाग्यपूर्ण है।

उल्लेखनीय है कि जेएनयू में फीस बढ़ोतरी का विरोध कर रहे छात्रों पर सोमवार को पुलिस के कथित लाठीचार्ज को वामदलों सहित अन्य विपक्षी दल छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बता रहे हैं।

विस्वम ने जम्मू कश्मीर से अनुच्देद 370 हटाये जाने के बाद पिछले तीन महीने में हालात सामान्य नहीं होने का हवाला देते हुये सोमवार को नियम 267 के तहत इस मुद्दे पर चर्चा कराने का नोटिस दिया था। सभापति ने इसे अस्वीकार कर दिया था। 

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JNU
JNU Protest
Jammu and Kashmir
Rajya Sabha
M.Venkaiah Naidu
left parties
CPM
CPI(M)
Indian democracy

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