NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
भारत
राजनीति
शिक्षा के सवाल पर एकजुट हुए छात्र संगठन, बनाया साझा मंच, 8 जनवरी को  देशव्यापी हड़ताल
सभी के लिए सरकारी मुफ़्त शिक्षा की मांग और उच्च शिक्षा पर हो रहे हमलों के ख़िलाफ़ देशभर के छात्र संगठनों ने साझा मंच 'ऑल इंडिया  नेशनल फ़ोरम टू सेव पब्लिक एजुकेशन' बनाया। हालांकि एबीवीपी को इससे बाहर रखा गया है।
मुकुंद झा
10 Dec 2019
JNU

दिल्ली के जवाहर लाल विश्विद्यालय जेएनयू के छात्र हॉस्टल की फीस में भारी वृद्धि और नए हॉस्टल मैन्युअल के खिलाफ पिछले एक महीने से ज्यादा से संघर्ष कर रहे है। लेकिन अब यह फीस वृद्धि का सवाल सिर्फ जेएनयू का नहीं बल्कि देश के तमाम विश्विद्यालयों का बन गया है। आज  उच्च शिक्षा की  फीस  या लागत में  लगातर हो रही वृद्धि को लेकर देश भर के तमाम  छात्र संगठनों और छात्रसंघों ने एक साझा मंच बनाया है। इसी को लेकर मंगलवार को दिल्ली के प्रेस क्लब में आरएसएस से जुड़े छात्र संगठन एबीवीपी को छोड़कर लगभग सभी छात्र संगठन शामिल हुए।

इस प्रेस कॉन्फ्रंस में  स्टूडेंट फेडरशन ऑफ़ इण्डिया (एसफआई), ऑल इण्डिया स्टूडेंट एसोसिएशन (अइसा), नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ़ इण्डिया (एनएसयूआई), ऑल इण्डिया स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया (एआईएसएफ ) के साथ कई अन्य छात्र संगठन के नेता शामिल हुए।  
इसके आलावा जेएनयू छात्रसंघ, एमएयू छात्रसंघ, एयुडी छात्रसंघ के नेताओ ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इसके अलावा एचसीयू छात्रसंघ, पीयू छात्र संघ के साथ अन्य छात्र संघों ने भी इस साझे मंच को समर्थन किया है। सभी ने देश में उच्च शिक्षा पर हो रहे हमलों के खिलाफ एक साझे संघर्ष पर जोर दिया। इसी के साथ सभी के लिए सरकारी मुफ़्त शिक्षा की मांग को लेकर छात्रों ने एक साझा मंच 'ऑल इंडिया  नेशनल फ़ोरम टू सेव पब्लिक एजुकेशन' के गठन का एलान किया ।

छात्र संगठनों ने कहा कि उत्तराखंड के आयुर्वेदिक विज्ञान के छात्र, दिल्ली  IIMC  , AIIMS, IIT, और AUD  के छात्र फीस में वृद्धि का विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

IMG-20191210-WA0043.jpg

सभी छात्र नेताओ ने कहा कि इन सभी प्रदर्शनों में सरकारों द्वारा  छात्रों की वास्तविक मांगों पर या तो उदासीनता दिखाई जाने  या  पुलिस  के माध्यम से आंदोलन का दबाने का प्रयास की निंदा की है। इसका हालिया उदहारण दिल्ली  पुलिस द्वारा JNU के छात्रों के विरोध और उत्तराखंड पुलिस द्वारा आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों के छात्रों पर किए गए लाठीचार्ज है ,ये सरकारों का दृष्टिकोण साफ दिखाता है।

इसके अलावा,छात्र नेताओ ने कहा की वर्तमान सरकार  छात्रों को छात्र यूनियनों  को खत्म करके छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला कर रहे है।  जेएनयू प्रशासन द्वारा जेएनयूएसयू को मान्यता नहीं देना इसी का परिचायक है। इसके आलावा जामिया, एचपीयू, एसएयू आदि के छात्र लगातार छात्रसंघ की मांग कर रहे हैं लेकिन इसका  कोई फायदा नहीं हुआ है। यह कैंपसों  के लोकतांत्रिक वातावरण को नष्ट करने का प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए। इसके साथ ही कैंपसों में सामाजिक न्याय और प्रगतिशील संस्थानों जैसे कि GSCASH को खत्म किया जा रहा है। इस परिदृश्य में, यह जरूरी है कि छात्रों के आंदोलनों और संगठनों की एक राष्ट्रीय समन्वय समिति देश के युवाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा  के लिए संघर्ष करे। सार्वजनिक वित्त पोषित शिक्षा के बचाने के संघर्ष को तेज करने के लिए संगठनों और विश्वविद्यालय छात्र संघों के एक मंच की घोषणा की है।

एसएफआई के महासचिव मयूख विश्वास ने कहा कि इस सरकार ने छात्रों के ख़िलाफ़ जंग की शुरू कर दी है । सोमावर को भी जेएनयू के छात्रों पर लाठीचार्ज किया। ये सरकार गरीब लोगों को शिक्षा से बाहर करने की साज़िश है । ये सिर्फ़ जेएनयू का ही मामला  नहीं है।

आदिवासी क्षेत्रों में स्कूल बन्द किया जा रहा है। इसके लिए सभी को शिक्षा मिले इसके लिए लड़ाई है।

एयूडी छात्रसंघ के नेता सुभोजित डे ने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय कहने को तो सरकारी है लेकिन शायद वो देश का सबसे  महंगा विश्वविद्यालय है। हर साल दस प्रतिशत  फीस बढ़ाई जा रही है। वो भी बिना किसी कारण बताए किया जाता है ।

आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एन साईं बालाजी ने कहा कि जिस सरकार के पास मूर्ति बनाने के लिए पैसा है, अमीरों को टैक्स छूट देने के लिए पैसा लेकिन छात्रों के लिए पैसा नहीं है । सरकार को याद दिलाने की जरूरत है  कि वो देश में हिंदुत्व को लागू करने के लिए नहीं बल्कि शिक्षा और रोजगार के लिए काम करने केलिए सरकार में है।

एनएसयूआई के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विकास यादव ने कहा कि  देश में अलग-अलग राज्यों में छात्र इस सरकार के खिलाफ  सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं। शिक्षा व्यापार की वस्तु नहीं है।बल्कि शिक्षा सबका मौलिक अधिकार हो,इसकी लड़ाई है।

भगत सिंह अंबेडकर स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन की नेता अपेक्षा प्रियदर्शी ने कहा जेएनयू में पिछले तीन साल से लगातर फंड कट हुआ है। सरकार इसलिए डर रही है क्योंकि उन्हें पता है कि यह लड़ाई सिर्फ़ जेएनयू का नहीं रही है।

जेएनयूएसयू की अध्यक्ष अशीई घोष ने कहा कि सोमावर को छात्रों पर बिना किसी कारण के बर्बतापूर्ण लाठीचार्ज किया है। सरकार को यह डर है फीस वृद्धि का मामला आईआईएमसी आईआईटी जैसा कई अन्य संस्थानों का भी मुद्दा है । इन सभी आंदोलनों को जेएनयू एक जगह ला रहा है ।
डीएसएफ की सारिका चौधरी ने कहा कि यह छात्रों के संघर्ष का ही दबाव था कि सरकार नई शिक्षा नीति को संसद के इस सत्र में नहीं ला सकी है। जब शिक्षा की बात होगी तो सिर्फ फीस की बात नहीं बल्कि सामाजिक न्याय की बात करनी होगी। देश के हाशिए के लोगों को शिक्षा मिले इसकी लड़ाई है।

इन सभी मुद्दों को लेकर अंत में ऑल इंडिया  नेशनल फ़ोरम टू सेव पब्लिक एजुकेशन के बैनर तले 8 जनवरी को देशव्यापी हड़ताल का आवाह्न किया गया। इसके बाद 26 जनवरी को पूरे देश में संविधान के प्रस्तावना पढ़ी जाएंगी और मानव श्रृंखला बनाई जाएगी। 

JNU
JNUSU
JNUTA
BJP
MHRD
AISA
SFI
DSF
AISF
JNU Fee Hike
JNU Hostels
JNU Fee Hike Protest

Related Stories

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

आंगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने क्यों कर रखा है आप और भाजपा की "नाक में दम”?


बाकी खबरें

  • रवि कौशल
    डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी
    24 May 2022
    दिल्ली विश्वविद्यालय के इस फैसले की शिक्षक समूहों ने तीखी आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि इससे विश्वविद्यालय में भर्ती का संकट और गहरा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल
    24 May 2022
    उत्तर बंगाल के ब्रू बेल्ट में लगभग 10,000 स्टाफ और सब-स्टाफ हैं। हड़ताल के निर्णय से बागान मालिकों में अफरा तफरी मच गयी है। मांग न मानने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का संकेत दिया है।
  • कलिका मेहता
    खेल जगत की गंभीर समस्या है 'सेक्सटॉर्शन'
    24 May 2022
    एक भ्रष्टाचार रोधी अंतरराष्ट्रीय संस्थान के मुताबिक़, "संगठित खेल की प्रवृत्ति सेक्सटॉर्शन की समस्या को बढ़ावा दे सकती है।" खेल जगत में यौन दुर्व्यवहार के चर्चित मामलों ने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़…
  • आज का कार्टून
    राम मंदिर के बाद, मथुरा-काशी पहुँचा राष्ट्रवादी सिलेबस 
    24 May 2022
    2019 में सुप्रीम कोर्ट ने जब राम मंदिर पर फ़ैसला दिया तो लगा कि देश में अब हिंदू मुस्लिम मामलों में कुछ कमी आएगी। लेकिन राम मंदिर बहस की रेलगाड़ी अब मथुरा और काशी के टूर पर पहुँच गई है।
  • ज़ाहिद खान
    "रक़्स करना है तो फिर पांव की ज़ंजीर न देख..." : मजरूह सुल्तानपुरी पुण्यतिथि विशेष
    24 May 2022
    मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी का शुरूआती दौर, आज़ादी के आंदोलन का दौर था। उनकी पुण्यतिथि पर पढ़िये उनके जीवन से जुड़े और शायरी से जुड़ी कुछ अहम बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License