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जामिया : पुलिस हेडक्वार्टर के बाहर रहा रात भर जागरण, तड़के हुई छात्रों की रिहाई
जेएनयू, डीयू के छात्रों, सिविल सोसाएटी और कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं की सक्रियता और एकजुटता काम आई और हिंसा के आरोप में पकड़े गए जामिया के छात्रों को सोमवार तड़के पुलिस ने छोड़ दिया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
16 Dec 2019
jamia protest

दिल्ली: रविवार-सोमवार की दरमियानी रात दिल्ली बहुत देर तक जागी। कुछ लोग आईटीओ स्थित पुलिस हेडक्वार्टर पर जमा थे तो बहुत लोग टीवी स्क्रीन और फेसबुक, व्हाट्सएप पर नज़र जमाए थे। जहां हर पल का अपडेट हो रहा था। मामला वही था, नागरिकता का नया विवादित कानून और उसके विरोध में जामिया का प्रदर्शन। हालांकि रविवार को जामिया विश्वविद्यालय की ओर से प्रदर्शन की कोई CALL (आह्वान) नहीं था और जामिया के बाहर व अन्य इलाकों से प्रदर्शन शुरू हुए, लेकिन अंतत: इसकी चपेट में जामिया के ही छात्र-छात्राएं आईं 

हालांकि बाद में दिल्ली के अन्य छात्रों, सिविल सोसाएटी और कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं की सक्रियता और हस्तक्षेप काम आया और हिंसा के आरोप में पकड़े गए जामिया के छात्रों को सोमवार तड़के पुलिस ने छोड़ दिया। हालांकि  पुलिस ने साफ कर दिया है कि वो जांच करेगी और उपद्रव में किसी भी छात्र के शामिल होने के अगर सबूत मिले तो फिर छात्रों को हिरासत में लिया जाएगा। उधर, छात्रों का कहना है कि हिंसा और आगज़नी पुलिस की तरफ़ से की गई है, उनकी तरफ से नहीं।

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आपको बता दें कि राजधानी दिल्ली में रविवार को नागरिकता संसोधन कानून के विरोध में जामिया इलाके में किया जा रहा प्रदर्शन उग्र हो गया था। कथित तौर प्रदर्शनकारियों ने तीन बसों और कुछ गाड़ियों में आग लगा दी। इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर भारी बल प्रयोग किया। पुलिस जामिया कैंपस में भी घुस गई और कई छात्रों को हिरासत में ले लिया।

ये ख़बर जैसे ही सोशल मीडिया और अन्य समाचार माध्यमों से फैली, तमाम छात्र संगठनों और अन्य लोगों ने आईटीओ स्थित पुलिस हेडक्वार्टर का रुख किया और फिर वहां जो जमावड़ा हुआ वो सुबह छात्रों की रिहाई के साथ ही ख़त्म हुआ।

दिल्ली पुलिस के पीआरओ एमएस रंधावा ने बताया कि हिरासत में लिए गए सभी छात्रों को छोड़ दिया गया है। इन छात्रों को कालकाजी और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के थाना में रखा गया था। इसके बाद तकरीबन सुबह साढ़े तीन बजे प्रदर्शनकरी पुलिस मुख्यालय से हटे। लेकिन देश के तमाम हिस्सों में प्रदर्शन जारी है।

रविवार को पुलिस मुख्यालय पर प्रदर्शन में सीपीआई के डी. राजा, सी.पी.एम. की वृंदा करात ,आम आदमी पार्टी के नेता इमरान हुसैन ,कांग्रेस के उदित राज और भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद मौके पर मौजूद रहे।

भीड़ बढ़ती देख पुलिस मुख्यालय पर भारी तादाद में पुलिस बल तैनात कर दिया गया था। आईटीओ से लक्ष्मीनगर की ओर जाने वाला विकास मार्ग प्रदर्शनकारियों से भर गया था। इस प्रदर्शन में दिल्ली के छात्रों ,शिक्षकों के अलावा आम लोगों ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया।
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ऐसे एक आम व्यक्ति शहाबुद्दीन थे जिनकी उम्र लगभग 55 वर्ष है और वो दरियागंज में मैकिनक का काम करते हैं। वो अपने पूरे परिवार के साथ पुलिस हेडक्वार्टर पहुंचे। वे अपने साथ बिस्कुट ,नमकीन और पानी की बोतल लेकर आये थे। उन्होंने वहां प्रदर्शन कर रहे छात्रों व अन्य लोगों को पानी और बिस्कुट-नमकीन दिए। उनकी साथ आईं फ़ातिमा बेगम ने कहा कि ये बच्चे देश के भविष्य के लिए सड़कों पर हैं, तो हम कैसे घरों में सो सकते हैं। पुलिस ने जिस तरह से बच्चों को मारा है वो दिल दहलाने वाला है। जब वो हमसे बात कर रही थी तो उनके आँखों में छात्रों के प्रति लगाव और पुलिस के खिलाफ गुस्सा साफ दिख रहा था। इसी तरह का गुस्सा लिए हज़ारों की संख्या में दिल्ली का नागरिक समाज रविवार पूरी रात पुलिस मुख्यालय पर डटा रहा।

इसके बाद हमने जामिया के उन छात्रों से भी बात की जिन्हें पुलिस ने रविवार शाम को हिरासत में लिया था।

"पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज किया, सांप्रदायिक गालियां दी और हाथ ऊपर उठाकर कैंपस से बाहर निकालकर घुमाया" - यह सब अब्दुल रहमान ने बताया जब उनसे  इस पूरे प्रकरण के बारे में पूछा गया। जामिया में बी.टेक के छात्र अब्दुल रविवार शाम को हिरासत में लिए गए छात्रों में से एक थे। उनके बाएं हाथ की हड्डी टूटी है। वह विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में पढ़ रहे थे, जब पुलिस के साथ सीआरपीएफ के जवानों ने अंदर प्रवेश किया।

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अब्दुल के अनुसार, कई छात्रों ने पुस्तकालय में शरण ली क्योंकि पुलिस ने प्रदर्शनकारी छात्रों के खिलाफ सड़कों पर आंसू गैस चला रही थी और कई लोगों के लिए ऑक्सीजन की सांस लेना मुश्किल हो गया।

हिरासत में लिए गए छात्रों ने न्यूज़क्लिक को बताया, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में रविवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा की गई कार्रवाई में बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। इसके साथ 50 से अधिक छात्रों को  हिरासत में लिया गया था। उन सभी को विश्वविद्यालय के पुस्तकालय से बाहर निकाल दिया गया और जबकि "वे विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं थे"।

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बीएससी (ऑनर्स) के छात्र अंजुम हुसैन को भी हिरासत में लिया गया था। उन्होंने कहा कि “छात्रों का विरोध बाहर हो रहा था। पुलिस ने विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश किया और छात्राओं सहित पुस्तकालय में बैठे छात्रों पर लाठी मारना शुरू कर दिया । उन्होंने कैंपस की संपत्ति को भी नुकसान पहुँचाया।”

जामिया के एक अन्य छात्र शाहरुख ने कहा, "कैंपस लाइब्रेरी से बाहर निकलने का एक ही रास्ता था और उस गेट पर भी सीआरपीएफ के लोगों ने कब्जा कर लिया था।" वह उस समय पुस्तकालय की दूसरी मंजिल पर बैठे थे, जब वो नीचे जाने लगे तो उनके अनुसार "उनमें से 20 से अधिक लोगों ने सीढ़ी पर उनके साथ मारपीट की, मैं एक बार सीढ़ियों से नीचे भागते हुए गिर गया।" उन्होंने कहा, "हालांकि, उन्होंने मुझे मारना बंद नहीं किया। किसी तरह, मैंने खुद को बचाया और मस्जिद के निकास द्वार की ओर दौड़ना शुरू किया। लेकिन वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने मुझे पकड़ लिया।

छात्र दानिश खुर्शीद ने न्यूज़क्लिक को बताया "हम नहीं जानते थे कि पुलिस केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रवेश करेगी। सीसीटीवी फुटेज में हमारे ऊपर होने वाली सभी अमानवीयता को देखा जा सकता है।"

छात्रों ने बताया कि हिरासत में लिए गए छात्रों को परिसर की जगह से बाहर निकलते समय, पुलिस बलों ने गुस्साई भीड़ के खिलाफ विश्वविद्यालय के छात्रों को "मानव ढाल" के रूप में भी इस्तेमाल किया। 

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