NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखंड: सीएम हेमंत सोरेन का बड़ा फ़ैसला, वापस लिया जाएगा 3000 लोगों से राजद्रोह का केस
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने धनबाद में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन करने पर 3000 लोगों पर लगे राजद्रोह के मुकदमा को वापस लेने का आदेश दिया है। साथ ही दोषी अधिकारियों के खिलाफ समुचित कार्रवाई की अनुशंसा की है।
अनिल अंशुमन
10 Jan 2020
hemant soren
Image Courtesy: Hindustan

झारखंड राज्य के इतिहास में संभवतः यह पहली घटना कही जा सकती है कि जब प्रदेश के मुख्यमंत्री ने स्वयं संज्ञान लेकर अपने तंत्र की पुलिस के खिलाफ 24 घंटे के अंदर कारवाई की हो। घटना धनबाद की है जहां पुलिस द्वारा 3000 लोगों पर लगाए गए राजद्रोह का मुकदमा वापस लेने का आदेश देते हुए मुख्यमंत्री ने पुलिस अधिकारियों पर भी कारवाई करने की बात कही।

दरअसल सीएए–एनआरसी व एनपीआर के खिलाफ पूरे देश में जारी व्यापक प्रतिवाद अभियान के तहत धनबाद में भी गत मंगलवार यानी सात जनवरी को विभिन्न मुस्लिम सामाजिक संगठनों द्वारा वासेपुर से ज़िला मुख्यालय तक शांतिपूर्ण जुलूस निकाला था। इस पर स्थानीय धनबाद पुलिस ने कई प्रमुख मुस्लिम सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत 3000 लोगों पर राजद्रोह का मुकदमा दायर कर दिया।

दूसरे दिन अखबारों में छपी इस खबर पर प्रदेश की नई सरकार के मुख्यमंत्री ने उसी दिन स्वतः संज्ञान लेते हुए 8 जनवरी को आदेश जारी करते हुए धनबाद पुलिस से सभी 3000 लोगों पर लगाए गए राजद्रोह का मुकदमा फौरन वापस लेने की अनुशंसा कर दी। साथ ही इस मुकदमे को करने वाले दोषी पुलिस के अधिकारी पर भी अविलंब कारवाई की अनुशंसा कर दी। इतना ही नहीं उक्त आदेश को जारी करते हुए मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कानून जनता को डराने और उसकी आवाज़ दबाने के लिए नहीं बल्कि आम जनमानस में सुरक्षा का भाव उत्पन्न करने के लिए होता है।

आनन फानन हरकत में आते हुए धनबाद पुलिस एसपी ने समाचार जारी किया कि पुलिस से भूलवश यह कार्रवाई हो गयी है इसलिए दर्ज प्राथमिकी से राजद्रोह की धारा वापस ले लिया जाएगा। खबर यह भी है कि राजद्रोह का मुकदमा दर्ज़ करनेवाले उक्त दारोगा को लाईन हाजिर कर दिया गया है।

ऐसी एक दूसरी घटना भी अभूतपूर्व ही कही जा सकती है जिसमें हाल के वर्षों में पहली बार राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने अखबारों में प्रकाशित पद्मश्री सिमोन उरांव की दयनीय स्थिति पर स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रदेश की नयी सरकार से मदद करने को कहा है। राजधानी स्थित आयोग के क्षेत्रीय कार्यालय की निदेशक ने भी पहली बार सरकार व संबन्धित अधिकारियों को लिखे पत्र में संविधान के अनुच्छेद का हवाला देकर सिमोन जी को अनुसूचित जनजाति वर्ग के अधिकारों व संरक्षा से वंचित किए जाने संबंधी शिकायतों की जांच करने को कहा है।
 
उक्त कार्रवाई आयोग की सक्रियता को अवश्य ही दर्शाता है लेकिन प्रदेश की सियासी दुनिया में चर्चे शुरू हो गए हैं कि अचानक एसटी/एससी आयोग में ऐसी सक्रियता क्यों आई है? क्योंकि पिछली सरकार के शासन में जब प्रदेश के लगभग हर कोने से आदिवासी समुदाय के लोग संविधान प्रदत्त अपने विशेष संरक्षा प्रावधानों के धड़ल्ले से उल्लंघन किए जाने को लेकर चीखते–चिल्लाते रहे और यही आयोग पूरी तरह से चुप्पी मारे बैठा हुआ था।

अनेक सामाजिक जन संगठन व कार्यकर्त्ता आदिवासियों के लिए बने संविधान की पाँचवी अनुसूची के प्रावधानों को सख्ती से लागू किए जाने की मांगों को लेकर राज्यपाल से लेकर सरकार को मेमोरेंडम दे देकर थक गए मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। सीएनटी/एसपीटी क़ानूनों में संशोधन के खिलाफ खूंटी में चल रहे आंदोलन के दौरान साइको में पुलिस गोली से मारे गए आदिवासी के मामले को लेकर यही आयोग बुत बना बैठा रहा। गुमला में सुनियोजित लिंचिंग कांड के शिकार आदिवासियों–परिजनों के साथ तो आयोग व उसके अधिकारियों ने मानवीय औपचारिकता भी नहीं निभाई। आज अचानक से आयोग सक्रिय क्यों दिखने लगा है?
 
युवा आदिवासी कार्यकर्ता ज़ेवियर कुजूर के अनुसार यह सब केंद्र के इशारों पर राज्य की सरकार पर अपना मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है। तब जबकि वर्तमान केंद्र और पूर्व की भाजपा सरकार की गरदन गोड्डा में संथाल आदिवासियों से उनकी रैयती ज़मीनें छीनकर अडानी कंपनी को देने के मामले में खुद फंसी हुई है। आज यदि केंद्र की सरकार झारखंड की सरकार पर किसी भी प्रकार का नकारात्मक मनोवैज्ञानिक दबाव डालेगी तो लोग इसका भी माकूल जवाब देंगे।
 
उधर 6 से 8 जनवरी तक चले नयी विधान सभा के प्रथम सत्र की कार्यवाहियाँ भी ध्यान देने योग्य हैं। मसलन राज्य गठन के 19 वर्षों में यह भी पहली बार हुआ जब राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में ये ज़ोर देकर कहा कि सीएनटी/एसपीटी एक्ट सख्ती से बहाल रहेगा। आदिवासी हितों की रक्षा के लिए भारतीय वन कानून तथा वनाधिकार कानून के आदिवासी हितोन्मुख स्वरूप को अक्षुण्ण रखा जाएगा।

सत्र के तीसरे दिन अभिभाषण पर हुई बहसों–सुझावों का जवाब देते हुए सरकार की ओर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एकबार फिर से दुहराया कि हमारी सरकार का विकास अखबारों व चैनलों के बजाए राज्य के आम लोगों के चेहरों–चूल्हों पर दिखनेवाला होगा। हम संरचना आधारित विकास नहीं व्यक्ति–निर्माण आधारित विकास पर फोकस करेंगे।

वर्तमान की केंद्र व राज्य की सरकार द्वारा नौकरशाही के राजनीतिकरण को गलत ठहराते हुए अबसे नौकरशाहों को उनके कार्यव्यवहार से परखे जाने की बात कही। इसके लिए पाँच मानदंड  – 1. जनता के प्रति जवाबदेही, 2. जनप्रतिनिधियों से समन्वय, 3.नियम कानून के दायरे में काम, 4. काम के लिए समय की पाबंदी, 5. वंचितों के प्रति संवेदना ... घोषित कर आगे से इसी पर अमल करने पर ज़ोर दिया।
 
सदन ने जब जेएनयू परिसर में वहां के छात्र–छात्राओं पर हुए हमले की निंदा व दोषियों पर अविलंब कारवाई करने तथा केंद्र सरकार द्वारा थोपे गए सीएए/ एनआरसी के विरोध का प्रस्ताव लिया तो विपक्ष में बैठे भाजपा विधायक बेकाबू होकर प्रस्ताव समर्थक विधायकों पर अनाप सनाप बयान देने लगे। बाद में उक्त प्रस्ताव बहुमत से पास हो गया।  

Hemant Soren
Jharkhand
Treason case
CAA
NRC
JMM
BJP
JNU

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • left
    अनिल अंशुमन
    झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान
    01 Jun 2022
    बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़ वामपंथी दलों ने दोनों राज्यों में अपना विरोध सप्ताह अभियान शुरू कर दिया है।
  • Changes
    रवि शंकर दुबे
    ध्यान देने वाली बात: 1 जून से आपकी जेब पर अतिरिक्त ख़र्च
    01 Jun 2022
    वाहनों के बीमा समेत कई चीज़ों में बदलाव से एक बार फिर महंगाई की मार पड़ी है। इसके अलावा ग़रीबों के राशन समेत कई चीज़ों में बड़ा बदलाव किया गया है।
  • Denmark
    पीपल्स डिस्पैच
    डेनमार्क: प्रगतिशील ताकतों का आगामी यूरोपीय संघ के सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने पर जनमत संग्रह में ‘न’ के पक्ष में वोट का आह्वान
    01 Jun 2022
    वर्तमान में जारी रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में, यूरोपीय संघ के समर्थक वर्गों के द्वारा डेनमार्क का सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने की नीति को समाप्त करने और देश को ईयू की रक्षा संरचनाओं और सैन्य…
  • सत्यम् तिवारी
    अलीगढ़ : कॉलेज में नमाज़ पढ़ने वाले शिक्षक को 1 महीने की छुट्टी पर भेजा, प्रिंसिपल ने कहा, "ऐसी गतिविधि बर्दाश्त नहीं"
    01 Jun 2022
    अलीगढ़ के श्री वार्ष्णेय कॉलेज के एस आर ख़ालिद का कॉलेज के पार्क में नमाज़ पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद एबीवीपी ने उन पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की मांग की थी। कॉलेज की जांच कमेटी गुरुवार तक अपनी…
  • भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    मुंह का कैंसर दुनिया भर में सबसे आम ग़ैर-संचारी रोगों में से एक है। भारत में पुरूषों में सबसे ज़्यादा सामान्य कैंसर मुंह का कैंसर है जो मुख्य रूप से धुआं रहित तंबाकू के इस्तेमाल से होता है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License