NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
झारखण्ड – बिहार : बेतहाशा महंगाई के ख़िलाफ़ वाम दलों का विरोध पखवाड़ा, मोदी सरकार के पुतले जले 
वाम दलों ने सरकार से मांग की है कि आयकर के दायरे से बाहर परिवारों को 6 माह तक प्रति परिवार 7500 रु की आर्थिक सहायता देने तथा इन परिवारों के प्रति सदस्य 10 किलो अनाज के साथ साथ दाल, खाद्य तेल, चीनी व अन्य आवश्यक खाद्य वस्तुएं मुहैया कराने की मांग उठायी है।
अनिल अंशुमन
21 Jun 2021
झारखण्ड – बिहार : बेतहाशा महंगाई के ख़िलाफ़ वाम दलों का विरोध पखवाड़ा, मोदी सरकार के पुतले जले 

कोविड महामारी आपदा से कराह रही जनता पर लगातार कमरतोड़ महंगाई थोपे जाने के खिलाफ देश के वामपंथी दलों द्वारा 16 जून से शुरू किये गए राष्ट्रव्यापी ‘महंगाई विरोधी पखवारा’ के तहत झारखण्ड और बिहार के विभिन्न जिला मुख्यालयों और इलाकों में भी आक्रोश प्रदर्शित किया गया।

राज्य के वाम दलों द्वारा जारी संयुक्त प्रेस बयान में कहा गया है कि एक ओर चावल, दाल, खाद्य तेल व सब्जी समेत सभी खाद्य वस्तुओं की कीमतों में पांच गुना से भी अधिक वृद्धि किये जाने से मध्यम वर्ग तक का घरेलु बजट चरमरा गया है। गांवों से लेकर शहरों के गरीबों में भयावह भूखमरी की स्थिति पैदा हो गयी है।  तो दूसरी ओर सरकार के संरक्षण में तमाम कालाबाजारी करने वाले इस मौके का खुलकर फायदा उठाकर जनता को धड़ल्ले से लूट रहें हैं। उत्पादकों को उनके उत्पाद का न्यूनतम मूल्य भी नहीं मिल रहा है। वहीं महामारी में सभी आवश्यक दवाओं की कालाबाजारी करने वालों पर तत्काल कड़ी कार्रवाई करने की बजाय उन्हें बेलगाम छोड़ दिया गया है।

वाम दलों ने सरकार से यह भी मांग की है कि आयकर के दायरे से बाहर परिवारों को फिलहाल 6 माह तक प्रति परिवार 7500 रु की आर्थिक सहायता देने तथा इन परिवारों के प्रति सदस्य 10 किलो अनाज के साथ साथ दाल, खाद्य तेल, चीनी व अन्य आवश्यक खाद्य वस्तुएं मुहैया कराने की मांग उठायी है। 16 जून से शुरू किये गए इस महंगाई विरोधी अभियान को गांव-गांव तक ले जाते हुए 30 जून को सभी जगहों पर मोदी सरकार का पुतला जलाकर स्थानीय जिला प्रशासन के माध्यम से केंद्र सरकार को स्मार पत्र भेजा जाएगा।    

‘कोरोना संग महंगाई की मार,  चारों ओर हाहाकार, गद्दी छोड़ो मोदी सरकार’ नारे के साथ  16 जून को अभियान की शुरुआत करते हुए झारखण्ड की राजधानी रांची में भाकपा माले, सीपीएम, सीपीआई और मासस समेत कई अन्य जन संगठनों के नेताओं व कार्यकर्त्ताओं ने अलबर्ट एक्का चौका पर संयुक्त प्रतिवाद कार्यक्रम किया।  हजारीबाग में भाकपा प्रदेश सचिव एवं पूर्व सांसद भुवनेश्वर मेहता के नेतृत्व में विरोध अभियान की शुरुआत की गयी। 

बगोदर में माले विधायक विनोद सिंह के नेतृत्व में बगोदर बस स्टैंड तक युवाओं का प्रतिवाद मार्च निकालकर मोदी सरकार का पुतला दहन किया गया। इसके अलावे गिरिडीह , कोडरमा, बोकारो, धनबाद, रामगढ़ से लेकर पलामू के पांकी व कई इलाकों के गांवों में जगह जगह महंगाई विरोधी मार्च निकाल कर मोदी सरकार का पुतला दहन किया गया। ‘पेट्रोल-डीजल समेत सभी आवश्यक वस्तुओं और दवाओं की बढ़ी हुई कीमतें वापस लो’, ‘जनता झेले महंगाई की मार, मोदी सरकार है जिम्मेदार’ व ‘मोदी राज का देखो खेल 200 रु सरसों तेल’ इत्यादि नारे लिखे पोस्टरों के साथ कई स्थानों पर पोस्टर प्रतिवाद किये गए। इस दौरान ‘दाम बांधो काम दो, वरना गद्दी छोड़ दो‘ का नारा एक बार फिर से गुंजायमान होने लगा है। 

कोयलांचल धनबाद व बोकारो के कई कोलियरी इलाकों में कोयला मजदूर संगठनों ने  महंगाई विरोधी अभियान में व्यापक मजदूरों से शामिल होने का आह्वान करते हुए कहा है कि मोदी सरकार ने कोयला क्षेत्र के व्यापक मजदूरों को झांसा दे कर वोट झटक लिया। अब कोयला क्षेत्र को निजी हाथों में सौंपकर मजदूरों की रोजी-रोटी छीनने के साथ-साथ आसमाँ छूती महंगाई लाकर जीना भी दुर्भर करने पर आमादा है।

बिहार प्रदेश में सीपीआई , सीपीएम व भाकपा माले के अलावे फारवर्ड ब्लॉक और आरएसपी के कार्यकर्ताओं ने मोदी सरकार द्वारा थोपी गयी बेतहाशा महंगाई के खिलाफ संयुक्त अभियान चलाया। राजधानी पटना के अलावा मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी, भोजपुर, बेगुसराय, गया व जहानाबाद इत्यादि कई जिलों व शहरों में महंगाई विरोधी मार्च निकाल कर मोदी सरकार का पुतला जलाया गया।

उक्त प्रतिवाद कार्यक्रमों में वामपंथी वक्ताओं ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि कोरोना माहामारी आपदा में लाखों अपनों की जानें गंवाकर असहाय हुए लोगों और भीषण आर्थिक क्षति से त्रस्त जनता को तत्काल कोई सहायता देने की बजाय जानलेवा महंगाई की दुहरी मार थोप रही है। पेट्रोल-डीजल समेत सभी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में लगातार वृद्धि कर आम जनता की रोजी रोटी पर भी भयंकर हमले कर रही है। ये मोदी सरकार की नीतियों की ही देन है कि कोरोना काल में भी अदानी व अंबानी जैसे कॉर्पोरेट घरानों ने लोगों की मजबूरियों का फायदा उठाकर गाढ़ी कमाई लूटकर धनकुबेर बन रहें हैं। कल तक सस्ते में मिलनेवाला कश्मीरी सेव भी अब काफी महंगा मिलने लगा है क्योंकि लॉकडाउन बंदी के चलते तमाम सेव उत्पादक अपनी फसल बाहर नहीं भजे सके। उनकी इस मज़बूरी का फायदा उठाकर निजी कम्पनियां खरीद भाव गिराकर सेव उत्पादकों के सड़े सेव कौड़ी के मोल खरीद कर खुले बाज़ारों में लोगों से मनमाना दाम वसूल रहीं हैं। 

वाम दल आहूत महंगाई विरोधी अभियान में महामारी व महंगाई से त्रस्त आम जन कहाँ तक शामिल हो पाते हैं , देखने की बात होगी। लेकिन फिलहाल तो पेट्रोल डीजल मूल्य वृद्धि से आए दिन यात्रा और सामान ढोनेवाले वाहनों के किराए में हो रही बेतहाशा वृद्धि ने आम लोगों और तमाम छोटे दुकानदार-व्यवसायियों की कमर ही तोड़ दी है, जिसका नज़ारा ग्रामीण क्षेत्रों में लगनेवाले साप्ताहिक हाटों में साफ़ देखा जा सकता है। झारखण्ड के सुदूरवर्ती आदिवासी और पिछड़े इलाकों में स्थानीय लोगों और दुकानदारों के लिए साप्ताहिक हाट ही उनकी आय का मुख्या आधार है। अभी की मूल्य वृद्धि का सामना कैसे हो, ये किसी की समझ में ही नहीं आ रहा हैं। हाटों में ग्रामीणों को अपने सामानों का तो न्यूनतम रेट भी नहीं मिल रहा है, लेकिन उन्हें अपनी ज़रूरत की चीजों के कई गुना अधिक दाम देने पड़ रहें हैं। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र खरसाँवाँ के कुचाई में लगने वाले साप्ताहिक हाट में सुगन मुंडा खुदरा रेडीमेड कपड़ों की दुकान लगाते हैं।  लॉकडाउन बंदी से पहले जैसे-तैसे उधारी कर के वे बड़ा बाज़ार से सामान ला कर कुछ आय कर लेते थे, लेकिन अभी की बंदी से खस्ताहाल लोगों के पास उतने पैसे ही नहीं रह गए हैं कि कोई उनसे कपड़ा खरीद सके। फलतः रोज़-रोज़ उधारी का तकाज़ा झेलने के साथ-साथ खुद के पारिवारिक खर्चे के भी लाले पड़ गए हैं।

Jharkhand
Bihar
Inflation
Rising inflation
left parties
Left Parties Protest
BJP
Narendra modi
Modi Govt

Related Stories

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 


बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License