NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखंड–बिहार: सावित्री बाई फुले–फ़ातिमा शेख को याद करते हुए महिलाओं ने लिया संकल्प!
महिलाओं के सवालों को किसानों के सवालों से जोड़ कर महिला आंदोलन को व्यापक बनाने की कोशिश
अनिल अंशुमन
04 Jan 2021
झारखंड–बिहार: सावित्री बाई फुले–फ़ातिमा शेख को याद करते हुए महिलाओं ने लिया संकल्प!
फोटो साभार : सोशल मीडिया

देश की पहली महिला शिक्षिका और वंचित समाज में एक नई सामाजिक जागरूकता लाने वाली सावित्री बाई फुले के 190 जन्मदिन पर फ़ातिमा शेख को भी याद करते हुए 3 जनवरी को देश के कई हिस्सों के अलावा झारखंड–बिहार में भी जोशो–उमंग के साथ कई कार्यक्रम किए गए। जिनमें उक्त आदर्श व्यक्तित्वों को सबसे अधिक गाँवों और शहरों की उपेक्षित बस्तियों की महिलाओं ने न सिर्फ़ अपने पारंपरिक गंवई अंदाज़ में उनकी तस्वीर पर श्रद्धा-सुमन चढ़ाए बल्कि उनके विचार-शिक्षाओं का पुनर्रपाठ कर संकल्प भी लिया।

इन कार्यक्रमों में एक बड़ी विशेषता यह भी रही कि इनके माध्यम से आज भी सामाजिक तौर से वंचित–उपेक्षित महिलाओं को शिक्षित-जागरूक बनाने के साथ-साथ उन्हें मोदी सरकार के नए कृषि क़ानूनों के खिलाफ देश में जारी किसानों के आंदोलन के पक्ष में खड़े होने के महत्व को भी समझाया गया। साथ ही, हाल के समय में मोदी शासन द्वारा जेलों में क़ैद की गईं सुधा भारद्वाज, गुलनिशा व देवांगना जैसी संघर्षशील महिला की अविलंब रिहाई की मांग भी उठाई गयी। 

कुरीतियों के खिलाफ लड़े चलो, ज़ुल्मत के खिलाफ बढ़े चलो’ के आह्वान के साथ जगह-जगह छोटी-छोटी ग्रामीण महिला गोष्ठी व सेमिनार–कन्वेशन आयोजित कर यह दिवस मनाया गया। कुछ स्थानों पर ‘सावित्री बाई फुले अमर रहें, बेटियों को पढ़ाएंगे–आगे बढ़ाएँगे, संविधान को बचाएंगे....! जैसे नारों के साथ किशोरी–छात्राओं के मार्च भी निकाले गए।    

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन के राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत झारखंड की राजधानी रांची, जमशेदपुर, रामगढ़, गढ़वा, पलामू, कोडरमा, देवघर इत्यादि जगहों पर कार्यक्रम किए गए। गिरिडीह ज़िला के बागोदर व धनवार में ज़िला परिषद सदस्य पूनम महतो, सरिता महतो व जयंती चौधरी के अलावा बागोदर प्रखण्ड उप प्रमुख सरिता साव समेत कई अन्य पंचायत महिला जनप्रतिनधियों ने कार्यक्रमों का नेतृत्व किया। जिनमें सावित्री बाई फुले के प्रेरणामयी जीवन संघर्ष की जानकारी देते हुए बेटियों को अधिक से अधिक शिक्षित बनाने के साथ-साथ आधुनिक प्रगतिशील–वैज्ञानिक विचारों से लैस करने का भी ज़ोर दिया गया।

जमशेदपुर में कई सामाजिक जन-संगठनों के सदस्यों ने सावित्री बाई फुले और झारखंड के प्रतीक राजनेता व देशप्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के जन्मदिवस को एक साथ मनाया।

ब्राम्हणवाद, पितृसत्ता व सांप्रदायिकता के खिलाफ सामाजिक न्याय, समानता और आज़ादी के लिए सावित्री बाई व फ़ातिमा शेख़ की साझी विरासत को आगे बढ़ाने व उनके दिखाए रास्तों पर चलने के आह्वान के साथ आयोजित इन कार्यक्रमों में ऐपवा द्वारा जारी महिला संकल्प पत्र का भी पाठ किया गया।

बिहार की राजधानी से सटे पटना सिटी व आशियाना के मुहल्लों में ऐपवा ने महिलाओं–बच्चियों के बीच कार्यक्रम किया।

पटना सिटी में आयोजित महिला सेमिनार को संबोधित करते हुए ऐपवा बिहार की अध्यक्ष सरोज चौबे ने कहा कि आज देश–समाज में उन्हीं विचारों और शक्तियों का बोलबाला हो गया है जिनके खिलाफ़ सावित्री बाई फुले ने ताजिंदगी फ़ातिमा शेख़ के साथ मिलकर संघर्ष चलाती रहीं।

तलाश पत्रिका की संपादिका मीरा दत्त ने भी अपने संबोधन में कहा कि वे सभी चुनौतियाँ आज भी मौजूद हैं जिनके खिलाफ भीषण सामाजिक दमन का सामना करते हुए सावित्री बाई फूले ने महिलाओं को शिक्षित व जागरूक बनाया था। मौजूदा सरकार स्त्री–दलित और मुस्लिम के साथ-साथ किसान विरोधी भी है।

पटना के आशियाना क्षेत्र में एक्टू व ऐपवा की चर्चित नेत्री शशि यादव के संयोजकत्व में छात्राओं का मार्च निकालकर कर सभा की गयी। कार्यक्रम से किसानों के आंदोलन और उनकी मांगों के प्रति एकजुटता प्रकट कर मोदी व नितीश कुमार सरकार के किसान विरोधी रवैये के खिलाफ महिलाओं को भी आगे आने का आह्वान किया गया।

भोजपुर–सिवान व गया इत्यादि में भी महिला कन्वेन्शन कर महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए जागरूक बनाने के साथ-साथ मोदी व नितीश कुमार शासन की महिला व किसान विरोधी नीतियों-कार्यों के खिलाफ संघर्ष के शिक्षण–प्रशिक्षण पर चर्चा की गयी ।

यह भी सनद रहे की वंचितों–दलितों व विशेष कर इन समुदायों की बच्चियों– किशोरियों और व्यापक महिलाओं में शिक्षा और सामाजिक जागरूकता की अलख जगाने वाली देश की पहली महिला शिक्षक सावित्री बाई फुले के जन्म दिवस की चर्चा को मुख्यधारा की मीडिया ने सिरे से गायब रखा। जबकि, सोशल मीडिया के अधिकांश भौकाल प्रवक्ता भी दूसरे मुद्दों के ही राग अलापने में व्यस्त दिखे। वहीं महिला मुद्दों की स्थापित प्रवक्ताओं की भी बड़ी आबादी महज फेसबुक तक की सक्रियता में ही सावित्री बाई फुले की स्मृतियों को याद करने की रस्म निभाती हुई दिखीं।

आदिवासी छात्राओं के बीच भाषा संस्कृति के पठन-पाठन को लेकर ज़मीनी रूप से सक्रिय रहने वाली आदिवासी भाषा शोधार्थी प्रो. सोनी तिरिया का मानना है कि सावित्री बाई फुले व शेख़ फ़ातिमा जैसी नायिकाओं ने जिस प्रकार से जटिल सामाजिक चुनौतियों-हमलों का मुक़ाबला करके वंचित-उपेक्षित आधी आबादी को जीने की नई ज्ञान-रौशनी देने का आदर्श स्थापित किया, महिला उत्थान की तथाकथित एनजीओ और महिला जागरूकता अभियानों से उन आदर्शों को वास्तविक ज़मीन पर नहीं उतारा जा सकता है।

इस लिहाज़ से महिला ऐक्टिविस्टों द्वारा गाँवों-शहरों की उपेक्षित बस्तियों–इलाकों में रहने वाली महिलाओं के बीच जाकर सावित्री बाई फुले–शेख़ फ़ातिमा का जन्म दिवस कार्यक्रम आयोजित करना, सार्थक कदम है। साथ ही इसके माध्यम से महिला विमर्श व सवालों को देश के किसानों के सवालों से जोड़ने का प्रयास भी महिला आंदोलन को एक व्यापक और नया सामाजिक नज़रिया प्रदान करने वाला कहा जा सकता है।

Jharkhand
Bihar
Savitribai Phule
Fatima Sheikh
Savitribai Phule Birth Anniversary
All India Progressive Women's Association
AIPWA

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग

मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 

बिहार : दृष्टिबाधित ग़रीब विधवा महिला का भी राशन कार्ड रद्द किया गया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका

बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License