NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखंड : नागरिक समाज ने उठाई  ‘मॉबलिंचिंग विरोधी क़ानून’ की नियमावली जल्द बनाने की मांग
26 दिसंबर को रांची के डोरंडा के रिसालदार बाबा सभागार में सर्वधर्म संगठनों, नागरिक समाज, एआईपीएफ़ और अवामी इंसाफ़ मंच समेत कई सामाजिक संगठनों ने ‘मॉबलिंचिंग क़ानून और हमारा नज़रिया’ विषय पर नागरिक विमर्श-चर्चा का आयोजन किया।
अनिल अंशुमन
28 Dec 2021
jharkhand

झारखंड राज्य गठन के 21 वर्षों बाद हेमंत सोरेन सरकार प्रदेश की पहली ऐसी पहली सरकार कहलाएगी जिसने नफ़रती राजनीती प्रेरित और उग्र सांप्रदायिक संचालित ‘संगठित भीड़ हिंसा और मॉबलिंचिंग’ को रोकने के लिए लिए क़ानून बनाया। प्रदेश की व्यापक धर्मनिर्पेक्ष और अमनपसंद ताक़तों ने गर्मजोशी के साथ इसक स्वागत किया है। वहीँ भाजपा और इससे जुड़े कतिपय उग्र हिंदुत्ववादी संगठनों ने हमेशा की भांति ‘तुष्टिकरण’ का आरोप लगाते हुए कड़ा विरोध किया है। जिसे लेकर सोशल मीडिया में काफी तीखी प्रतिक्रियाएं आ रहीं हैं।

सनद हो कि झारखंड राज्य गठन के उपरांत प्रदेश की पहली एनडीए गठबंधन सरकार के अल्पसंख्यक विरोधी रवैये तथा सत्ता संरक्षण में अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों और मॉबलिंचिंग कांडों के खिलाफ पूरे प्रदेश में आवाजें उठी थीं। राजधानी स्थित राजभवन के समक्ष धरना प्रदर्शन से लेकर सड़कों के प्रतिवाद कार्यक्रमों में ‘झारखंड सांप्रदायिकता की प्रयोगशाला नहीं बनेगा और यह गुजरात नहीं बनेगा’ जैसे नारे लगे थे।

सभी वाम दलों ने भी इस क़दम का समर्थन करते हुए विधान सभा में भाजपा के सभी विधायकों द्वारा इस अध्यादेश के विरोध में हंगामा करने व सदन का बायकाट करने की आलोचना की है। वाम दलों ने यह भी कहा है कि- इस घटना ने भाजपा के अल्पसंख्यक विरोधी चरित्र का पर्दाफ़ाश कर दिया है।

दूसरी ओर, उक्त अध्यादेश को लेकर बिल के समर्थन में अध्ययन एवं मंथन भी जारी है। 26 दिसंबर को रांची के डोरंडा स्थित रिसालदार बाबा सभागार में सर्वधर्म संगठनों, नागरिक समाज,एआईपीएफ़ और अवामी इंसाफ़ मंच समेत कई सामाजिक संगठनों ने ‘मॉबलिंचिंग क़ानून और हमारा नज़रिया’ विषय पर नागरिक विमर्श-चर्चा का आयोजन किया। जिसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्यों को मॉबलिंचिंग विरोधी क़ानून बनाने की गाइड लाइन प्रपत्र का पाठ किया गया।

चर्चा में भाग लेते हुए झारखंड बार कौंसिल के वरीय अधिवक्ता एके राशिदी ने कहा कि बिल बनाने में सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पूरा पूरा पालन किया जाता तो बिल और अधिक मजबूत बनता। जिससे काण्ड के पीड़ितों को समय पर न्याय और दोषियों को कड़ी सज़ा की गारंटी होती। मॉबलिंचिंग कांडों के पीड़ितों के इन्साफ की लड़ाई लड़ रहे कई अधिवक्ताओं ने सुझाव दिया कि सरकार इस क़ानून में पीड़ितों के लिए काम करनेवाले वकीलों तथा गवाहों को सरकारी सुरक्षा देने का भी प्रावधान भी सुनिश्चित करे।

चर्चा में शामिल क़ानून विशेषज्ञों ने इस क़ानून को प्रशासन द्वारा त्वरित संज्ञान लेने और पीड़ितों के इन्साफ की गारंटी के लिए ‘विशेष फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट’ का गठन और समयबद्ध सुनवाई कर ज़ल्द फैसला देने सम्बन्धी निर्देश जोड़ने पर जोर दिया।

कई वक्ताओं ने मॉबलिंचिंग काण्ड के पीड़ितों को 2 लाख मुआवज़ा देने के प्रावधान को नाकाफी बताते हुए कहा कि जब राज्य में दुर्घटना या वज्रपात से हुए मौतों के लिए 3-4 लाख मुआवज़ा है तो ऐसे भयाव कांडों के पीड़ितों के लिए इतनी कम राशी क्यों?

विमर्श में यह भी पहलू उठाया गया की मॉबलिंचिंग कांड मामलों में सबकुछ पुलिस के हाथों सौपना सही नहीं रहेगा। क्योंकि हाल के समयों में यह साफ़ दिखा है कि एक सम्प्रदाय विशेष के लोगों के साथ हुई घटनाओं में पुलिस की भूमिका काण्ड करनेवाले को बचाने वाली रही है। त्वरित संज्ञान नहीं लेने की स्थिति में सम्बंधित पुलिस प्रशासन को कैसे जवाबदेह बनाया जाए इस पहलू को भी निर्देशित किया जाना ज़रूरी है।

चर्चा में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया कि हेमंत सरकार ज़ल्द से ज़ल्द इस क़ानून की नियमावली भी जारी करे। अन्यथा एक अच्छा क़ानून प्रभावहीन बनकर रह जाएगा।

इस विमर्श कार्यक्रम से लिए गए प्रस्तावों में मांग की गयी कि- 

1. हेमंत सरकार ‘भीड़ हिंसा और मॉबलिंचिंग विरोधी क़ानून को और अधिक प्रभावी तथा कारगर बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन पर मजबूती से मॉल करे। 

2. पीड़ितों को समय पर सही न्याय, मुआवज़ा तथा पीड़ित परिवार के जीवकोपार्जन व पुनर्वास के लिए ठोस उपाय किये जाएँ। 3। दोषियों को ज़ल्द से ज़ल्द सज़ा दिलाने के लिए फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट गठन एवं विशेष जाज की नियुक्ति को अनिवार्य बनाया जाय। 4। कतिपय मिडिया और सोशल मिडिया से सम्प्रदाय विशेष के खिलाफ उग्र साम्प्रदायिक व नफरती विचारों तथा अफवाह फैलाने वालों पर लगाम लगाने के लिए कारगर प्रावधान किये जाएँ।  

परिचर्चा का आयोजन एआईपीएफ़ झारखंड, आवामी इन्साफ मंच, झारखंड सिख फेडरेशन, आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच समेत कई सामाजिक जन संगठनों ने किया।             

बिल पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पीयूसीएल से जुड़े सोशल एक्टिविष्ट पत्रकार किसलय ने कहा कि झारखंड सरकार ने मॉबलिंचिंग पर रोक के लिए क़ानून तो बना दिया है लेकिन इसे धरातल पर अमली जामा पहनानेवाले पुलिस-प्रशासन तंत्र के अल्पसंख्यक विरोधी रवैये में बदलाव लाना भी एक चुनौती है। 

बिल पर झारखंड के राज्यपाल का हस्ताक्षर होना बाकी है। इसीलिए 27 दिसंबर को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष तथा विधान सभा में भाजपा विधायक दल नेता समेत दर्जनों नेताओं ने राज्यपाल से मिलकर हेमंत सरकार द्वारा पारित ‘भीड़ हिंसा और मॉब लिंचिंग रोकथाम बिल 2021’ के खिलाफ ज्ञापन दिया। जिसमें बिल को असंवैधानिक, गैर क़ानूनी और झारखंड की परम्पराओं के खिलाफ बताया गया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने मिडिया से जारी बयान में कहा है कि यह बिल धर्मांतरण बढ़ानेवाला तथा एक सम्प्रदाय विशेष की तुष्टिकरण करनेवाला है। जिसमें ‘मॉब’ को गलत ढंग से परिभाषित कर एक सम्प्रदाय विशेष को चिढ़ाने की कोशिश की गयी है। साथ ही इसमें जो प्रावधान किये गये हैं उससे आम आम आदमी का जीवन बुरी तरह से प्रभावित होगा। 

भाजपा व उसके राज्य नेताओं की इस प्रतिक्रिया को लेकर कहा जा रहा है कि – बिल बन जाने से मॉबलिंचिंग कर वोट ध्रुविकरण कराने की कवायदों पर रोक लग जाने तथा काण्ड करनेवाले अपने कार्यकर्त्ताओं को समाज का हीरो नहीं बना पाने इत्यादि के कारण ही भाजपा को दर्द हो रहा है। सनद हो कि रामगढ़ मॉबलिंचिंग काण्ड के निचली अदालत से उम्रक़ैद की सज़ा पाए अभियुक्तों को हाईकोर्ट से बेल मिलने पर भाजपा के हजारीबाग सांसद वऔर तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री द्वारा नागरिक अभिनन्दन किये जाने की व्यापक निंदा हुई थी। 

खबर है कि झारखंड भाजपा द्वारा इस बिल के विरोध में दिए जा रहे अनाप शनाप बयानों के खिलाफ वाम दल और संगठनों ने जन अभियान संगठित कर भाजपा के नफरती राजनीती, समाज विभाजनकारी और अल्पसंख्यक विरोधी रवैये को उजागर करने की घोषणा की है।  

Jharkhand
civil society
mob lynching
Anti Mob lynching Act
Hemant Soren

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार

झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध

झारखंड : हेमंत सरकार को गिराने की कोशिशों के ख़िलाफ़ वाम दलों ने BJP को दी चेतावनी

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

झारखंड की खान सचिव पूजा सिंघल जेल भेजी गयीं

सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

झारखंडः आईएएस पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी दूसरे दिन भी जारी, क़रीबी सीए के घर से 19.31 करोड़ कैश बरामद


बाकी खबरें

  • Ramjas
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल
    01 Jun 2022
    वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया(SFI) ने दक्षिणपंथी छात्र संगठन पर हमले का आरोप लगाया है। इस मामले में पुलिस ने भी क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। परन्तु छात्र संगठनों का आरोप है कि…
  • monsoon
    मोहम्मद इमरान खान
    बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग
    01 Jun 2022
    पटना: मानसून अभी आया नहीं है लेकिन इस दौरान होने वाले नदी के कटाव की दहशत गांवों के लोगों में इस कदर है कि वे कड़ी मशक्कत से बनाए अपने घरों को तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं। गरीबी स
  • Gyanvapi Masjid
    भाषा
    ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ताओं हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन को पैरवी करने से हटाया गया
    01 Jun 2022
    उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु जैन ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पैरवी कर रहे थे। इसके साथ ही पिता और पुत्र की जोड़ी हिंदुओं से जुड़े कई मुकदमों की पैरवी कर रही है।
  • sonia gandhi
    भाषा
    ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया
    01 Jun 2022
    ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष को आठ जून को पेश होने को कहा है। यह मामला पार्टी समर्थित ‘यंग इंडियन’ में कथित वित्तीय अनियमितता की जांच के सिलसिले में हाल में दर्ज किया गया था।
  • neoliberalism
    प्रभात पटनायक
    नवउदारवाद और मुद्रास्फीति-विरोधी नीति
    01 Jun 2022
    आम तौर पर नवउदारवादी व्यवस्था को प्रदत्त मानकर चला जाता है और इसी आधार पर खड़े होकर तर्क-वितर्क किए जाते हैं कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति में से किस पर अंकुश लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना बेहतर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License