NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखंड चुनाव: प्रथम चरण मतदान; कितना करेगा वास्तविक जनसमस्याओं का समाधान!
प्रदेश की सत्ता के दावेदार दोनों गठबंधनों में शामिल दलों को लेकर चर्चा–विमर्श अनिवार्य पहलू है लेकिन प्रदेश में सक्रिय तीसरी ताकत के तौर पर यहाँ के वामपंथी दलों को दरकिनार नहीं किया जा सकता। जिनका झारखंड राज्य गठन के काफी पहले से कोलियारियों समेत कई इलाकों में राजनीतिक कामकाज और संघर्ष के प्रभाव का इलाका रहा है।
अनिल अंशुमन
29 Nov 2019
jharkhand
फाइल फोटो। साभार NDTV

झारखंड प्रदेश विधानसभा के पाँच चरण वाले मैराथनी चुनाव के मतदान का अगाज़ 30 नवंबर को होना है। प्रदेश के पलामू प्रमंडल के सभी 9 सीटों के अलावा पुरानी रांची ज़िला के गुमला - लोहरदगा व चतरा ज़िला समेत कुल 13 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। जिसमें लगभग 38 लाख वोटर एकबार फिर अपने क्षेत्र से ‘ योग्य – कर्मठ – जवाबदेह ’ जनप्रतिनिधियों का चुनाव करेंगे।

कहने को तो इस चरण के चुनाव प्रचार के लिए खुद प्रधानमंत्री व गृह मंत्री समेत कई अन्य केंद्रीय व दिग्गज नेता और बड़े सिनेमा स्टारों ने अपनी पार्टी की डबल इंजन की सरकार फिर से बनाने की अपील की है। विपक्षी दलों की ओर से बगल के राज्य छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के तेजस्वी यादव और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन  (एआईएमआईएम) के असदुद्दीन ओवैसी समेत कई धाकड़ नेतागण भी आए और सत्ताधारी भाजपा– एनडीए गठबंधन को हटाने और महागठबंधन की सरकार बनाने की जोरदार अपील की।

मोदी-रघुवर राज के विकास कार्यों की याद दिलाते हुए सत्ताधारी दल की भावी ‘स्थिर सरकार’ के वायदे के तौर पर प्रदेश की जनता के लिए एक संकल्प पत्र भी जारी किया गया। विशेषकर सभी विपक्षी दलों–नेताओं द्वारा आदिवासियों को ठगने – बहकाने का आरोप लगाते हुए सत्ता के प्रमुख दावेदार झामुमो के निश्चय–पत्र (चुनावी घोषणापत्र) को अनिश्चितता भरा करार दिया गया। तो झामुमो द्वारा भाजपा नेताओं के सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर निर्माण फैसले का श्रेय लेने के प्रचार के खिलाफ राज्य चुनाव आयोग से शिकायत करते हुए डबल इंजन की सरकार को डबल विनाश की सरकार कहा गया।

वहीं कई स्थानों से भाजपा नेता–कार्यकर्ताओं की गाड़ियों से लाखों रुपये पकड़े जाने की भी खबरें आयीं हैं। एक खबर में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष व गृहमंत्री जी द्वारा सभा में कम भीड़ होने पर कुपित होकर कहना कि – भीड़ कम है, कैसे जीतेंगे, जाओ 50–50 लोगों को फोन लगाकर वोट मांगों .... का भी समाचार है। एक नेता द्वारा कमल फूल निशान वाली सड़ियाँ बँटवाए जाने पर चुनाव आयोग ने रोक भी लगा दी है।  

विधानसभा चुनावों के संदर्भ में मीडिया की सक्रियता विवेचना भी गैरज़रूरी नहीं होगी। जिनमें एक ओर तो राज्य के सभी मतदाताओं से ‘वोट करें, राज्य गढ़ें’ जैसी गंभीर अपील भी गयी, लेकिन राजनीतिक दलों-  प्रत्याशियों की चुनावी स्पर्धा को–-  लड़ाई आर या पार, वार है धारदार … जैसे संबोधनों से सनसनीखेज – उत्तेजक बनाने में भी कोई कमी नहीं रही।

प्रदेश की सत्ता के दावेदार दोनों गठबंधनों में शामिल दलों को लेकर चर्चा – विमर्श अनिवार्य पहलू है लेकिन प्रदेश में सक्रिय तीसरी ताकत के तौर पर यहाँ के वामपंथी दलों को दरकिनार नहीं किया जा सकता। जिनका झारखंड राज्य गठन के काफी पहले से कोलियारियों समेत कई इलाकों में राजनीतिक कामकाज और संघर्ष के प्रभाव का इलाका रहा है। इस संदर्भ में यह सनद रहे कि झारखंड राज्य गठन पश्चात प्रदेश की विधानसभा में वामपंथ की उपस्थिती हमेशा से रही है। वरिष्ठ वामपंथी विचारक और कोयला मजदूर नेता कॉमरेड एके राय को दो दो बार धनबाद की जनता ने संसद में पहुंचाया। झारखंड राज्य की पहली और दूसरी विधानसभा में भाकपा माले विधायक और जनप्रिय नेता महेंद्र सिंह को सदन में पूरे विपक्ष की और सड़कों पर जनता की सबसे बुलंद आवाज़ माना जाता था।

इसे भी पढ़े: झारखंड: पहले चरण में 13 सीटों पर सुबह 7 बजे से दोपहर तीन बजे तक ही मतदान

वर्तमान विधानसभा चुनाव के संदर्भ में मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य की बातें काफी महत्वपूर्ण हैं। जिसमें उन्होंने प्रदेश की सत्ता सियासत में हावी अवसरवादी राजनीति को चिह्नित करते हुए कहा है कि वामपंथी दलों को छोड़कर सभी दल बिकाऊ साबित हुए हैं। इसीलिए विपक्षी महागठबंधन द्वारा वामपंथी दलों को मोर्चे से बाहर रखे जाने से जनता का विश्वसनीय मोर्चा नहीं बन सका। क्योंकि ये सर्वविदित है कि राज्य के सभी ज्वलंत जन मुद्दो पर भाकपा माले, माकपा, भाकपा और मासस सरीखे वामपंथी दल ही सदन के साथ साथ सड़कों पर सबसे पहले संघर्ष का मोर्चा संभालते हैं। आपसी सहमति से ही ये सभी वामपंथी दलों ने भी गठबंधन बनाकर अपने संघर्ष व प्रभाव के इलाकों में प्रत्याशी खड़े कर जल–जंगल–ज़मीन की लूट, विस्थापन, पलायन, भूख, बेकारी, अकाल, मॉब लिंचिंग और बेरोजगारी जैसे संकटों को स्थायी बनानेवाली भाजपा को हराने की मुहिम चला रहे हैं।

साक्षात्कार में दीपंकर ने मौजूदा भाजपा–एनडीए सरकार को पूरी तरह से जनता के हर तबके के लिए तबाही मचाने वाली बताते हुए कहा है कि ‘भय–भूख–भ्रष्टाचार मिटाने का नारा देकर सत्ता में काबिज होनेवाली इस सरकार में चारों ओर भय – भूख – भ्रष्टाचार का बोल बाला है। जिसने आदिवासियों की भलाई के नाम पर उनके खिलाफ युद्ध सा छेड़ रखा है। राज्य के जल–जंगल–ज़मीन और प्रकृतिक–खनिज संसाधनों को कॉर्पोरेट कंपनियों की खुली लूट का चरागाह बना दिया।

इसके लिए संविधान की पाँचवी अनुसूची के नियम क़ानूनों को धता बताते हुए सीएनटी / एसपीटी एक्टों में संशोधन व  कमजोर करना की साजिश की। लेकिन व्यापक जन प्रतिवाद के कारण सफल न हो सकी तब पत्थलगड़ी के नाम पर हजारों निर्दोष आदिवासियों पर ‘ देशद्रोह ’ का मुकदमा कर दिया , ऐसा राज्य दमन आज़ादी के पहले अंग्रेजों के जमाने में भी नहीं हुआ था। ऐसे कुशासन से झारखंड प्रदेश की जनता को छुटकारा दिलाना हमारा परम कर्तव्य और भाजपा को सत्ता में दुबारा आने से रोकना सभी वामपंथी दलों की प्राथमिकता है। इसीलिए जहां भी हमारा उम्मीदवार नहीं है वहाँ हम पूरी सक्रियता से विपक्षी गठबंधन दलों के प्रत्याशियों को सक्रिय समर्थन देंगे।

प्रदेश की जनता से भी उन्होंने अपील करते हुए कहा है कि झारखंड की जनता के लिए एक मौका फिर आया है कि पिछले पाँच वर्षों से हो रही अपनी तबाही का वो हिसाब ले और इस सरकार की सभी जन विरोधी नीतियों पर रोक लगाए।  
एक बार फिर जब चुनाव आया है तो सभी दल के सारे प्रत्यशी और कार्यकर्ता डोर टू डोर हाथ जोड़कर मतदाताओं के पास जा रहे हैं । देखना है कि इनमें से कितने ऐसे जन प्रतिनिधि - मंत्री बननेवाले और सरकार बनानेवाले दल और नेता होंगे जो फिर लौटकर इन मतदाताओं की सुध लेंगे... इनकी समस्याओं के वास्तविक समाधान के लिए पूरी जन निष्ठा के साथ सतत सक्रिय रहेंगे...!  

Jharkhand
Jharkhand Assembly Election
First phase polling
election commission
BJP
Congress
Narendra modi
Amit Shah
CPM

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License