NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखंड : वामपंथ के जीवनपर्यंत योद्धा- कॉमरेड त्रिदिव घोष
’80 – 90 दशक में जुझारू क्रांतिकारी जनमोर्चा इंडियन पीपुल्स फ्रंट के नेतृत्वकारी साथियों में त्रिदिव घोष जी की एक विशिष्ट पहचान रही है। कोरोना संक्रमण से ठीक होने के उपरांत भी 15 दिसंबर को वे हमसे विदा हो गए।
अनिल अंशुमन
20 Dec 2020
कॉमरेड त्रिदिव घोष

कोरोना काल ने झारखंड में भी कई महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों को हमसे छीन लिया है। 15 दिसंबर को जाने माने वामपंथी विचारक और नागरिक मानवाधिकारों के मुखर एक्टिविस्ट त्रिदिव घोष जी कोरोना संक्रमण से ठीक होने के उपरांत भी हमसे विदा हो गए।

’80 – 90 दशक में जुझारू क्रांतिकारी जनमोर्चा इंडियन पीपुल्स फ्रंट के नेतृत्वकारी साथियों में कॉमरेड त्रिदिव घोष जी की एक विशिष्ट पहचान रही है। एकीकृत बिहार के समय से ही झारखंड क्षेत्र में लंबे समय तक आईपीएफ के साथ साथ नागरिक अधिकारों के जमीनी संघर्षों के एक जुझारू प्रतीक रहे। पूर्व से ही बढ़ती उम्र की कई बीमारियों का सामना कर रहे 82 वर्षीय त्रिदिव दा रांची के बरियातु स्थित रामप्यारी अस्पताल में अपनी पत्नी वरिष्ठ महिला आंदोलनकारी मालंच घोष के साथ कोरोना संक्रमित होने के कारण इलाजरत थे। जिससे वे दोनों पूरी तरह ठीक भी हो चुके थे लेकिन अस्पताल से डिस्चार्ज होने के एक दिन पहले ही अचानक हुए दिल के दौरे ने 15 दिसंबर को 4.30 बजे शाम उनकी जान ले ली।

त्रिदिव दा को 70 – 80 के क्रांतिकारी दशक के उभार ने इस कदर प्रभावित किया कि जर्मनी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई उपरांत बोकारो स्टील प्लांट में इंजीनियरिंग की नौकरी को छोड़कर वे क्रांतिकारी वामपंथी राजनीति के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। हालांकि इसके पहले से ही वे पीयूसीएल से जुड़कर नागरिक अधिकारों के लिए नियमित रूप से सक्रिय रहे।

झारखंड के चर्चित कम्युनिस्ट जननेता कॉमरेड महेंद्र सिंह के साथ मिलकर त्रिदिव दा ने देश के पहले क्रांतिकारी जन मोर्चा इंडियन पीपुल्स फ्रंट के गठन में अहम भूमिका निभाई। 1982 में दिल्ली में आयोजित आईपीएफ स्थापना सम्मेलन में प्रख्यात झारखंड आंदोलनकारी बुद्धिजीवी डॉ. वीपी केसरी समेत कई महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यकर्ताओं की टीम के साथ शामिल हुए। सम्मेलन में विशेष रूप से तत्कालीन झारखंड अलग राज्य आंदोलन के समर्थन में विशेष प्रस्ताव पारित करवाया। उस सम्मेलन से वे आईपीएफ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और बाद में बिहार– झारखंड के सहसचिव रहे।

’90 के दशक में रांची– हटिया के हेसाग कांड में पुलिसिया उत्पीड़न से तीन युवकों की मौत के खिलाफ काफी हुए काफी जुझारू आंदोलन संगठित कर वे व्यापक चर्चा में आए। आईपीएफ के बैनर तले कॉमरेड महेंद्र सिंह के साथ मिलकर कई आंदोलनाकारी संगठनों और महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों को संगठित कर काफी कम समय में बिहार व झारखंड में क्रांतिकारी वामपंथी संघर्ष धारा का प्रतीक चेहरा बन गए।

’90 के दशक में आईपीएफ के साथ साथ झारखंड मजदूर किसान समिति के बैनर तले झारखंड अलग राज्य गठन को लेकर हुए कई बड़े जन अभियानों के नेतृत्वकारी केन्द्रकों में रहे। इसी दौरान जननेता महेंद्र सिंह को तत्कालीन सरकार द्वारा झूठे मुकदमों में फँसकर फांसी की सज़ा दिये जाने के खिलाफ ‘न्याय मंच’  का गठन कर जबर्दस्त नागरिक अधिकार आंदोलन चलाया। जिसके कारण अंततोगत्वा महेंद्र सिंह की फांसी की सज़ा रद्द हुई। हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से आईपीएफ प्रत्याशी के बतौर चुनाव भी लड़े ।                             

बाद में आईपीएफ के स्थगन को लेकर पार्टी से हुए गहरे मतभेद के कारण कुछ समयों तक खुद को लगभग सीमित कर लिया। कुछ अंतराल के बाद ही पीयूसीएल के माध्यम से पुनः नागरिक अधिकारों व जन मुद्दों की संघर्ष यात्रा की शुरुआत की। इस दौरान तत्कालीन सरकार द्वारा जन आंदोलनकारियों पर राज्य दमन के लिए बनाए गए कुख्यात ‘पोटा कानून’  के खिलाफ नागरिक अधिकार आंदोलनों को संगठित करने में अहम भूमिका निभाई। साथ ही आदिवासी बाहुल्य इलाकों में ‘ ऑपरेशन ग्रीन हंट’ के नाम पर चलाये जा रहे पुलिस दमन के खिलाफ नागरिक प्रतिवाद संगठित किए जाने के कारण इस क्रम में कई बार राज्य दमन का निशाना भी बने।

हाल के समय में झारखंड प्रदेश के जल जंगल ज़मीन के सवालों के साथ साथ आदिवासी समुदायों पर होने वाले सरकारी– प्रशासनिक दमन के खिलाफ ‘ विस्थापन विरोधी जन आंदोलन’ संगठन व आंदोलनों के अहम नेतृत्वकर्ता रहे। वरिष्ठ मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के साथ मिलकर कई संघर्ष अभियानों का भी संचालन किया।

बढ़ती उम्र और कई गंभीर बीमारियों का सामना करने के कारण हाल के वर्षों में जन आंदोलनों में उनकी दैहिक भागीदारी तो कम रही लेकिन मानसिक तौर से वे सदैव ही क्रांतिकारी वामपंथी राजनीति और नागरिक अधिकारों के सतत एक्टिविस्ट बने रहे। जाने माने वामपंथी चिंतक और मासस संस्थापक कॉमरेड एके राय से भी इनका गहरा नाता रहा।

उनके निधन से झारखंड प्रदेश के वामपंथी धारा के साथ साथ व्यापक आंदोलनकारी जमातों में गहरा शोक है।

जाने माने फ़िल्मकार मेघनाथ जी के शब्दों में – 1983 से त्रिदिव दा को जनता हूँ, वे आम लोगों के सच्चे योद्धा थे। आज जबकि लोग राजनीति में कमाने–खाने के लिए आते हैं लेकिन त्रिदिव दा इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए और उन्होंने सबकुछ संघर्ष में लगा दिया।

भाकपा माले महासचिव दीपांकर जी के अनुसार त्रिदिव दा ने हमेशा गरीबों, मजदूरों और मेहनतकशों के हितों के लिए संघर्ष किया। वे इंडियन पीपुल्स फ्रंट के अग्रणी नेताओं में रहे और अपने राजनीतिक – सामाजिक योगदान के लिए सदैव याद रखे जाएँगे।

माले विधायक विनोद सिंह ने उनके निधन को समस्त कम्युनिस्ट आंदोलन के लिए आपूर्णीय क्षति बताया है।

पूर्व सांसद व सीपीआई झारखंड प्रदेश सचिव भुवनेश्वर मेहता के शब्दों में त्रिदिव जी ने अपना सारा जीवन वामपंथी विचारधारा के प्रचार – प्रसार में लगा दिया। उनकी गिनती राजनीति में सिद्धांतों के प्रति समर्पण और मूल्यों की राजनीति करनेवालों में सदा होती रहेगी।

’80 दशक से ही उनके सहकर्मी और वैचारिक मित्र रहे एक्टू झारखंड के प्रदेश महासचिव शुभेन्दु सेन के अनुसार वे एक लड़ाकू ह्यूमनिस्ट रहे और जीवनपर्यंत एक प्रखर वामपंथी विचारक होने के साथ साथ नागरिक – मानवाधिकारों के सतत जमीनी एक्टिविस्ट रहे। झारखंड के संदर्भों में उनका जाना झारखंड राज्य नवनिर्माण के स्वप्नद्रष्टा डॉ. रामदयाल मुंडा – डॉ. वीपी केसरी और कॉमरेड महेंद्र सिंह जैसों की पीढ़ी के एक महत्वपूर्ण कड़ी का टूट जाना है।

Jharkhand
Comrade Tridiv Ghosh
Indian People's Front
left parties

Related Stories

वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान

झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

झारखंड की खान सचिव पूजा सिंघल जेल भेजी गयीं

दिल्ली: ''बुलडोज़र राजनीति'' के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरे वाम दल और नागरिक समाज

झारखंडः आईएएस पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी दूसरे दिन भी जारी, क़रीबी सीए के घर से 19.31 करोड़ कैश बरामद

खबरों के आगे-पीछे: अंदरुनी कलह तो भाजपा में भी कम नहीं

आदिवासियों के विकास के लिए अलग धर्म संहिता की ज़रूरत- जनगणना के पहले जनजातीय नेता

कोलकाता : वामपंथी दलों ने जहांगीरपुरी में बुलडोज़र चलने और बढ़ती सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ निकाला मार्च

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण


बाकी खबरें

  • समीना खान
    विज्ञान: समुद्री मूंगे में वैज्ञानिकों की 'एंटी-कैंसर' कम्पाउंड की तलाश पूरी हुई
    31 May 2022
    आख़िरकार चौथाई सदी की मेहनत रंग लायी और  वैज्ञानिक उस अणु (molecule) को तलाशने में कामयाब  हुए जिससे कैंसर पर जीत हासिल करने में मदद मिल सकेगी।
  • cartoon
    रवि शंकर दुबे
    राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास
    31 May 2022
    10 जून को देश की 57 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं, ऐसे में सभी पार्टियों ने अपने बेस्ट उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। हालांकि कुछ दिग्गजों को टिकट नहीं मिलने से वे नाराज़ भी हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन: यूरोप द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाना इसलिए आसान नहीं है! 
    31 May 2022
    रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाना, पहले की कल्पना से कहीं अधिक जटिल कार्य साबित हुआ है।
  • अब्दुल रहमान
    पश्चिम बैन हटाए तो रूस वैश्विक खाद्य संकट कम करने में मदद करेगा: पुतिन
    31 May 2022
    फरवरी में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूस पर एकतरफा प्रतिबंध लगाए हैं। इन देशों ने रूस पर यूक्रेन से खाद्यान्न और उर्वरक के निर्यात को रोकने का भी आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट
    31 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,338 नए मामले सामने आए हैं। जबकि 30 मई को कोरोना के 2,706 मामले सामने आए थे। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License