NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखंड : हेमंत सोरेन शासन में भी पुलिस अत्याचार बदस्तूर जारी, डोमचांच में ढिबरा व्यवसायी की पीट-पीटकर हत्या 
थाना प्रभारी व अन्य पुलिसवालों पर गंभीर आरोप है कि उन्होंने मारपीट का विरोध करने पर अर्जुन को बंदूक के कुंदों और लोहे की छड़ से बुरी तरह मारकर उनकी एक आँख तक फोड़ दी थी। पुलिस पर पेट्रोल डालकर अर्जुन के शव को जलाने का प्रयास करने का भी गंभीर आरोप है।
अनिल अंशुमन
18 Apr 2022
Hemant soren

पिछली सरकार के शासन काल में पुलिस की ज्यादतियों को लेकर झारखंड प्रदेश की काफी किरकिरी हुई थी। इसपर कोई लगाम लगना तो दूर, प्रदेश में सत्तासीन हुई नयी सरकार के शासन काल में तो यह और भी तेज़ रफ़्तार से बढ़ती ही जा रही है। थोड़ी तबदीली यही दिखती है कि गाहे-बगाहे माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ट्वीटर पर संज्ञान ले लिया करते हैं और पुलिस ज़ुल्म के शिकार हुए पीड़ित परिजनों को मुआवज़ा वगैरह देने की घोषणा भी करते हैं। लेकिन आज तक ऐसे कांडों के किसी भी दोषी पुलिसकर्मी अथवा अधिकारी के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई करने की ज़हमत नहीं उठाई है। इससे इन्हें गद्दी में बिठानेवाले मतदाताओं के बड़े हिस्से का क्षोभ अब आये दिन सड़कों पर प्रदर्शित होने लगा है।

गत 13 अप्रैल को प्रदेश की अबरख नगरी कहे जाने वाले कोडरमा जिला स्थित डोमचांच के ढिबरा कारोबारी 58 वर्षीय अर्जुन साव की तथाकथित पुलिस द्वारा की जा रही अवैध वसूली न देने पर पीट पीटकर मार देने की घटना ने एक बार फिर से हेमंत सोरेन सरकार को शर्मशार बना दिया है। इसे लेकर सियासी दलों में तो उबाल है ही, क्षेत्र की जनता में भी काफी आक्रोश है।  

उक्त कांड के दूसरे दिन से ही प्रायः हर दिन कोडरमा व गिरिडीह जिले में जारी विरोध प्रदर्शनों के दबाव का ही परिणाम है कि हाल के समय में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी थाने के प्रभारी समेत उसके सहयोगी पुलिस कर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज़ हुआ है। 

घटना वाले दिन ही भाकपा माले विधायक विनोद सिंह और झारखंड किसान महासभा के महासचिव व पूर्व विधायक राजकुमार यादव मृतक ढिबरा कारोबारी अर्जुन साव के परिजनों से मिलने उनके गाँव पहुंचे। अर्जुन साव हत्या मामले की एसआईटी जांच और ह्त्यारे थाना प्रभारी और उसके सहयोगी पुलिसकर्मियों को ह्त्या के आरोप में सख्त सज़ा और अर्जुन साव की हत्या में इंसाफ की मांग को लेकर तत्काल आंदोलन की घोषणा कर दी। इसके बाद से कोडरमा समेत पूरे गिरिडीह जिले के कई स्थानों पर सड़कों पर प्रतिवाद प्रदर्शित कर लोगों ने बढ़ते पुलिस ज़ुल्म के खिलाफ आक्रोश प्रदर्शित किया।

अंततोगत्वा पुलिस विभाग को मृतक अर्जुन साव के बेटे द्वारा पिता के हत्यारे दोषी डोमचांच थाना प्रभारी व सहयोगी नामज़द पुलिसकर्मियों के खिलाफ दायर कम्पलेन केस पर संज्ञान लेते हुए हत्या का मुकदमा दर्ज़ करना पड़ा है।  

इसमें साफ़-साफ आरोप लगाया गया है कि 13 अप्रैल की सुबह 3 बजे जब अर्जुन साव अपनी बाइक से एक रिश्तेदार से मिलने जा रहे थे, तो नेरु पहाड़ी चौक में बिना नंबर वाले वाहन से गश्त लगा रहे डोमचांच के थाना प्रभारी शशिकांत सिंह व उनके साथ बैठे 4 पुलिस वालों ने उन्हें रोककर गाली गलौज करते हुए बेवजह मार-पिटाई शुरू कर दी। 

आरोप यह भी है कि इसी दौरान उसी थाना की एक और अन्य पेट्रोलिंग टीम भी वहाँ पहुँच गयी और उसमें बैठे पुलिस के जवान भी हाथापाई करने लगे। इसी दौरान वहाँ से गुजर रहे ‘ढिबरा’ (कच्चा अबरख) से लदे चार वाहनों को रोका गया। पुलिस ने कथित तौर पर तीन चालकों से लगभग 4 लाख रुपये वसूलकर उन्हें छोड़ दिया गया और एक वाहन को सीज कर थाना ले जाया गया। अपने पिता के मोबाईल पर कई बार फोन करने के बाद पुलिस ने पहले तो जवाब दिया कि तुम्हारे पिता थाने में हैं, यहाँ आ जाओ। बाद में फोन करने पर बताया  कि उन्हें नेरु पहाड़ी चौक के पास ही छोड़ दिया गया है और वे वहाँ से ढोढ़ाकेला जंगल की ओर भाग गए हैं। जबकि खुद थाना प्रभारी व पुलिसवालों पर गंभीर आरोप यही कि उन्होंने मारपीट का विरोध करने पर उसके पिता को बंदूक के कुंदों और लोहे की छड़ से बुरी तरह मारकर उनकी एक आँख तक फोड़ दी थी। 

सबसे चौंकाने वाले पुलिस पर जो आरोप लगे हैं उनमें अर्जुन को मरणासन्न स्थिति में नेरु पहाड़ी चौक से ढोढ़ाकेला की ओर दो किलोमीटर दूर पास के अम्बादाहा जंगल में ले जाकर फेंकना भी शामिल है। दर्ज रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि पुलिस द्वारा पेट्रोल डालकर उनके शव को जलाने का भी प्रयास किया गया। सिर्फ इतना ही नहीं, थाना प्रभारी पर पिता का मोबाइल और जेब में रखे 10,000 रूपये ने छीनने का भी आरोप है।  

उधर, अम्बादाहा जंगल में लावारिस हालत में अर्जुन साव का शव मिलने के बाद से लोगों में काफी गुस्सा बढ़ गया।  इस बार सीधे तौर पर पुलिस ज्यादती के खिलाफ ज्यादा आक्रोश प्रकट हो रहा था।  

लोगों का आरोप है कि  आए दिन पुलिस के अधिकारी और जवान इलाके की कानून और विधि व्यवस्था पर ध्यान नहीं देकर सिर्फ अवैध वसूली में लगे रहते हैं। खासकर ढिबरा व्यवसाय में लगे लोगों से धौंस-धमकी देकर वसूली करना पुलिस का एक मात्र धंधा बना हुआ है।  ढिबरा व्यवसायी अर्जुन साव की हत्या भी उसी अवैध वसूली के कारण ही की गयी है। 

आक्रोशित लोगों ने अर्जुन साव के शव को लेकर रातभर कोडरमा-डोमचांच मुख्य मार्ग जाम रखा।  घटनास्थल पर पहुंचे एसपी व अन्य पुलिस अधिकारियों के काफी समझाने-बुझाने और मामले में निष्पक्ष कार्रवाई करने का भरोसा दिलाने के बाद ही जाम हटा। 

बढ़ते जन तनाव को देखते हुए आरोपी डोमचांच थाना प्रभारी को तत्काल निलंबित कर उनके और  4 नामज़द पुलिसकर्मियों समेत कई अन्य पुलिस वालों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है।  

ढिबरा व्यवसायी अर्जुन साव हत्याकांड ने अवैध ढिबरा कारोबार वसूली के मामले को एक बार फिर से सुर्खियों में ला खड़ा किया है, जिसमें पुलिस की आपराधिक भूमिका भी खुलकर देखने को मिल रही है।  

अवैध ढिबरा कारोबार को लेकर माले विधायक विनोद सिंह ने इस कारोबार में लगे तमाम लोगों व ढिबरा मजदूरों से पुलिसिया उत्पीड़न और अवैध वसूली बंद करने की मांग की है।  साथ ही ढिबरा खनन को वैधता प्रदान कर स्थानीय लोगों को रोज़गार देने की मांग उठायी है ।  

बहरहाल, इस मामले में आगे की कारवाई का नतीजा जो  भी हो, लेकिन इस कांड ने झारखंड में बेलगाम पुलिस उत्पीड़न की बढती घटनाओं की संख्या में लागातार इजाफा होते जाने को एक चिंतनीय प्रश्न के रूप में सामने ला दिया है।  पिछले रघुवर शासन में बढ़ता पुलिस अत्यचार एक गंभीर मसला बना हुआ था और प्रदेश के लोगों की गहरी आकांक्षा थी कि हेमंत सोरेन शासन में इस मसले पर कारगर क़दम उठाया जाएगा। लेकिन स्थिति ठीक विपरीत नज़र आ रही है और राज्य में पुलिस अत्याचार की घटनाओं पर कोई लगाम नहीं लग पा रही है।

सनद रहे कि राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग के रिकार्ड अनुसार सिर्फ फर्जी पुलिस मुठभेड़ मामले में झारखंड 2014 में देश में सातवें स्थान पर था, हालांकि, 2020 की रिपोर्ट में यह चौथे स्थान पर आ गया है। आ रहीं मौजूदा ख़बरों के अनुसार हेमंत सोरेन शासन में भी पुलिस ज्यादती की बढ़ती घटनाएँ दर्शा रहीं हैं कि भले ही प्रदेश के शासक का चेहरा बदल गया है, लेकिन पुलिस ज्यादती के मामले में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

Jharkhand
Hemant Soren
Jharkhand government
JHARKHAND POLICE
Police brutality
jharkhand police brutality

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन

झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार

झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध

झारखंड : हेमंत सरकार को गिराने की कोशिशों के ख़िलाफ़ वाम दलों ने BJP को दी चेतावनी

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

झारखंड की खान सचिव पूजा सिंघल जेल भेजी गयीं

झारखंडः आईएएस पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी दूसरे दिन भी जारी, क़रीबी सीए के घर से 19.31 करोड़ कैश बरामद

खबरों के आगे-पीछे: अंदरुनी कलह तो भाजपा में भी कम नहीं

आदिवासियों के विकास के लिए अलग धर्म संहिता की ज़रूरत- जनगणना के पहले जनजातीय नेता


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License