NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखंड: खूंटी के आदिवासी गांवों में ‘ड्रोन सर्वे’ को लेकर विरोध, प्रशासन के रवैये से तनाव
एआईपीएफ़ की फ़ैक्ट फाइंडिंग टीम ने झारखंड ग्रामीण विकास मंत्री को वस्तुस्थिति की रिपोर्ट सौंपी।
अनिल अंशुमन
31 Dec 2021
jharkhand

एक समय में ‘पत्थलगड़ी’ को लेकर काफी अशांत और सुर्ख़ियों में चर्चित रहनेवाला झारखंड का आदिवासी बाहुल्य खूंटी ज़िला एक बार फिर से अशांत दिख रहा है। क्षेत्र के सभी आदिवासी गांवों में इन दिनों ‘ड्रोन सर्वे’ के विरोध को लेकर सरगर्मी बढ़ने लगी है। क्रिस्मस त्यौहार की सरगर्मियों के बीच भी जगह जगह आदिवासी समुदाय के लोग जुटकर ‘ड्रोन सर्वे’ के बहिष्कार की बातें करते रहे। इनमें शामिल होने वालों से पूछे जाने पर सबने एक ही जवाब दिया कि ज़मीन की रक्षा से बढ़कर हमारे लिए कुछ नहीं है।

जबरन किए जा रहे ‘ड्रोन सर्वे’ को लेकर हो रहे विरोध के मामले में प्रशासन का फिर वही पुराना रवैया दिख रहा है जैसा पहले नज़र आया था। खूंटी समेत राजधानी के कई नागरिक-सामाजिक संगठनों द्वारा चिंता जताई जा रही है कि यदि समय रहते हुए इस स्थिति का सही ढंग से समाधान नहीं किया गया तो मामला फिर उलझ जा सकता है।

सनद रहे कि रघुवर दास के नेतृत्व वाली भाजपा की पिछली सरकार ने जब सीएनटी/एसपीटी एक्ट में संशोधन किया था तब भी इस क्षेत्र के आदिवासी समुदाय ने उसका तीखा विरोध किया था। तब सड़कों पर हो रहे शांतिपूर्ण विरोध धरना प्रदर्शनों को बातचीत के जरिए नियंत्रित करने की बजाय पुलिस प्रशासन ने सख्ती का रास्ता अपनाया था। परिणामस्वरूप कई स्थानों पर लाठी चार्ज और पुलिस फायरिंग की घटनाएं हुई थी। जिसमें साइको पुलिस फायरिंग में अब्राहम मुंडू नामक निर्दोष आदिवासी की मौत भी हो गयी थी। उसके कुछ ही दिनों बाद जब यहां के मुंडा आदिवासियों ने अपनी पारंपरिक व्यवस्था के तहत गांव-गांव में ’पत्थलगड़ी’ का अभियान चलाया था तो चंद अराजक किस्म की घटनाओं को बहाना बनाकर सरकार ने आदिवासियों से संवाद कर उनका पक्ष जानने समझने की बजाय हजारों निर्दोष ग्रामीण आदिवासियों पर ‘राजद्रोह’ का मुकदमा दर्ज कर दिया था।

24 दिसंबर को ऑल इंडिया पीपल्स फोरम की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने ‘ड्रोन सर्वे’ का विरोध कर रहे आदिवासी इलाके का दौरा किया। टीम में शामिल वरिष्ठ आदिवासी बुद्धिजीवी और एक्टिविस्टों ने खूंटी जिला स्थित कर्रा प्रखंड के कई गावों के लोगों से मिलकर वस्तुस्थिति की जानकारी ली। कर्रा के आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता शिबू अलबर्ट होरो ने बताया कि यह सब कुछ इस क्षेत्र के सांसद और केंद्रीय आदिवासी मामलों के मंत्री के निर्देश से हो रहा है। जिन्होंने जिला प्रशासन द्वारा 2 नवंबर को इसी प्रखंड के कुदा गांव में भव्य सरकारी समारोह से उद्घाटन करने की घोषणा करवायी थी। लेकिन संभावित विरोध के कारण 1 नवंबर को ही अपनी पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक कुछ आदिवासियों को जुटाकर आनन फानन में ड्रोन उड़ाकर उद्घाटन किया और फ़ौरन चलते बने। कार्यक्रम में उनकी पार्टी के स्थानीय विधायक, तोरपा विधायक और भारी संख्या में पुलिस प्रशासन की मौजूदगी रही।

जबकि क्षेत्र के आदिवासी स्वशासन संगठनों के अगुआ तथा मुंडा पड़हा राजाओं समेत आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच इत्यादि अक्टूबर महीने से केंद्रीय मंत्री समेत स्थानीय प्रशासन को बार बार ज्ञापन देकर ‘प्रोपर्टी कार्ड योजना’ और ड्रोन सर्वे का विरोध जताते रहे हैं। लेकिन इन पर कोई संज्ञान लेना तो दूर प्रशासन ने ‘ड्रोन सर्वे’ कराने में और तेजी ला दी।

फोरम की टीम जब कर्रा प्रखंड के जलटंडा बाज़ार मैदान में स्थानीय आदिवासी और मुंडा पड़हा समितियों द्वारा ‘पेसा कानून लागू होने की पच्चीसवीं वर्षगांठ’ पर आयोजित जनसभा में शामिल हुई तो कई भयावह सच सामने आए। जो सभा में बोलने वाले प्रायः सभी वक्ताओं ने घटनावार जानकारी देते हुए बताया। जिनकी बातों का कुल सार यही लगा कि अब तक यह इलाका जो निजी और कॉर्पोरेट घरानों के खनन-दोहन से बचा हुआ रहा है, लेकिन अब मौजूदा केंद्र सरकार इस बात पर आमादा है कि यहां किसी भी कीमत पर उन कंपनियों को लाया जाए। साथ ही इस तथ्य को भी उठाया गया कि ‘स्वामित्व/ प्रोपर्टी कार्ड योजना’ लागू करने की आड़ में यहां प्राभावी संविधान की पांचवी अनुसूची के सभी प्रावधानों को सिरे से निरस्त कर दिया जाएगा। जिसके अनुसार इस इलाके की सभी ज़मीनें और खनिज- प्राकृतिक संसाधन जो स्थानीय ग्राम साभाओं की सामुदायिक संपत्ति मानी जाती है, केंद्र सरकार के ‘डिजिटल दस्तवेज़’ से उसे हटाकर केवल व्यक्तिगत मक़ानों का ही नक्शा बनेगा। इसी प्रकार से झारखंड स्थानीयता की पहचान 1932 के खतिहान व्यवस्था को भी पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा जिससे यहां की आदिवासी ज़मीनें छीनकर केंद्र की सरकार जब भी चाहेगी ऑनलाइन सिस्टम से वो निजी कंपनियों को दे देगी। सभा में उपस्थित सभी लोगों ने दोनों साथ उठाकर प्रधानमंत्री ‘स्वामित्व / प्रोपर्टी कार्ड योजना’ और ड्रोन सर्वे के बहिष्कार की घोषणा की।

ध्यान देने का एक पहलू यह भी दिखा कि सभा शुरू होने से पूर्व वहां ‘पत्थलगड़ी’ स्थल पर सभी लोगों की ओर से स्थानीय मुंडा पड़हा राजाओं के नेतृत्व में पुष्प अर्चना और पारंपरिक पूजा की गई। गांव गणराज्य आंदोलन के प्रणेता रहे बीडी शर्मा और दिलीप सिंह भूरिया को नमन किया गया। साथ ही देश के संविधान में वर्णित ‘पांचवी अनुसूची के प्रावधानों और ग्राम सभा अधिकारों’ की पत्थलगड़ी पर माल्यार्पण कर उसका मुंडारी भाषा में सामूहिक पाठ किया गया। जो यह दर्शा रहा था कि यहां के आदिवासी अपने अधिकारों के लिए कितना जागरूक हो रहे हैं।

29 दिसंबर को एआईपीएफ फैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्यों और आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच समेत खूंटी जिले के कई आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री से रांची में मुलाक़ात की। ‘ड्रोन सर्वे’ के साथ-साथ ‘प्रधानमंत्री स्वामित्व/ प्रोपर्टी कार्ड योजना’ का आदिवासी समुदायों द्वारा किए जा रहे विरोध और ऑनलाइन-डिजिटल दस्तावेज़ बनाने की आड़ में आदिवासी ज़मीनों की हेरफेर, दस्तावेजी छेड़छाड़ और लूट की हो रही घटनाओं का पूरा ब्योरा अविलंब संज्ञान में लेने की मांग की गयी। फोरम फैक्ट फाइंडिंग टीम ने भी ज्ञापन के तौर पर अपनी अनुशंशाओं को लिखित में दिया।

देखने वाली बात होगी कि झारखंड के राज्य ग्रामीण मंत्री और उनकी सरकार इस पूरे मामले पर क्या क़दम उठाती है। लेकिन फिलहाल केंद्र सरकार की ‘प्रधानमंत्री स्वामित्व और प्रोपर्टी कार्ड’ योजना के पायलट प्रोजेक्ट के दूसरे चरण के तहत हो रहे ‘ड्रोन सर्वे’ को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है। आदिवासी समुदाय और उनके पारंपरिक सामाजिक संगठनों के लोग और प्रशासन एक दूसरे के आमने सामने होने वाली स्थिति में आ रहे हैं जो कि काफी संवेदनशील मसला बन चुका है।

उक्त पूरे मामले में एक बात जो न सिर्फ देश के लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है बल्कि सामान्य मानवीय सोच के धरातल पर भी गलत है। देश की आजादी के लिए सबसे पहले अंग्रेजों से लोहा लेनेवाले आदिवासी समुदाय के लोगों के साथ मौजूदा प्रशासन आज वही रुख अपनाए हुए है जिसे अंग्रजी हुकूमत ने संगठित दुष्प्रचार से स्थापित कर रखा था कि आदिवासी ‘हिंसक और उपद्रवी’ होते हैं।

Jharkhand
Drone survey
Protest over drone survey
adiwasi
AIPF
Hemant Soren

Related Stories

झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार

झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध

झारखंड : हेमंत सरकार को गिराने की कोशिशों के ख़िलाफ़ वाम दलों ने BJP को दी चेतावनी

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

झारखंड की खान सचिव पूजा सिंघल जेल भेजी गयीं

झारखंडः आईएएस पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी दूसरे दिन भी जारी, क़रीबी सीए के घर से 19.31 करोड़ कैश बरामद

खबरों के आगे-पीछे: अंदरुनी कलह तो भाजपा में भी कम नहीं

आदिवासियों के विकास के लिए अलग धर्म संहिता की ज़रूरत- जनगणना के पहले जनजातीय नेता

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

झारखंड: पंचायत चुनावों को लेकर आदिवासी संगठनों का विरोध, जानिए क्या है पूरा मामला


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License