NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
SC ST OBC
आंदोलन
कानून
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
झारखण्ड : फ़ादर स्टेन स्वामी समेत सभी राजनीतिक बंदियों की जीवन रक्षा के लिए नागरिक अभियान शुरू
तलोजा जेल में यूएपीए के तहत बंद 84 वर्षीय वरिष्ठ मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए। उन्हें गंभीर बीमार अवस्था में बेहतर इलाज़ के लिए होली फैमिली अस्पताल ले जाया गया। जहां भर्ती होते समय उनकी कोरोना जांच हुई तो वे पॉजिटिव पाए गए। स्थिति नाज़ुक होने के कारण उन्हें आईसीयू में ऑक्सिजन पर रखा गया है।
अनिल अंशुमन
02 Jun 2021
Stan swamy

आखिरकार नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल में यूएपीए के तहत पिछले कई महीनों से बंद 84 वर्षीय वरिष्ठ मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ ही गए। गत 25 मई को उन्हें गंभीर बीमार अवस्था में मुंबई हाई कोर्ट के विशेष अनुमति से बेहतर इलाज़ के लिए होली फैमिली अस्पताल ले जाया गया। जहां भर्ती होते समय उनकी कोरोना जांच हुई तो वे पॉजिटिव पाए गए। स्थिति नाज़ुक होने के कारण फिलहाल उन्हें आईसीयू में ऑक्सिजन पर रखा गया है।        

समाचार एजेंसियों के अनुसार 31 मई को स्टेन स्वामी के वकील मिहिर देसाई ने मीडिया में  बयान जारी कर तलोजा जेल प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरों के बावजूद समय पर स्टेन स्वामी की आरटीपीसीआर नहीं करायी गयी।

इस घटना ने स्टेन स्वामी द्वारा अपनी गिरती स्वस्थ्य स्थिति के प्रति एनआईए और जेल प्रशासन के संवेदनहीन रवैये को लेकर बार बार जताई गयी आशंकाओं को सही साबित कर दिया है। जिससे यह सच भी उजागर हो रहा है कि एनआईए ने स्टेन स्वामी समेत अन्य वरिष्ठ मानवाधिकार – सामाजिक कार्यकर्ताओं व आन्दोलनकारियों को यूएपीए जैसी संगीन धाराएँ थोपकर जेलों में क़ैद कर रखा है और वहाँ उन सबों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहारों के मूल में सिर्फ जेल प्रशासन ही नहीं है। पिछले ही साल जब स्टेन स्वामी ने अपनी गिरती स्वास्थय स्थिति का हवाला देकर एनआईए कोर्ट से जमानत मांगी थी तो वह खारिज़ कर दी गयी थी। कमोबेश यही रवैया अन्य राजनीतिक बंदियों के साथ भी लागू हुआ। पिछले कई महीनों से सिर्फ तारीक पर तारीक दिए जा रहें हैं। 

पूर्व से ही पार्किन्संस समेत कई गंभीर बिमारियों से जूझ रहे स्टेन स्वामी के कोरोना पीड़ित होने की ख़बर पाकर एआइपीएफ़ की झारखण्ड इकाई ने 1 जून को इस मामले पर आपात वर्चुवल मीटिंग बुलाई। जिसमें तलोजा जेल प्रशासन और एनआईए के संवेदनहीन रवैये की निंदा करते हुए उनकी बेहतर चिकित्सीय व्यवस्था की गारंटी और उनका नियमित हेल्थ बुलेटिन जारी करने मांग की गयी। साथ ही मुंबई हाई कोर्ट द्वारा होली फैमिली अस्पताल में स्टेन स्वामी के चिकित्सीय इलाज़ में होने वाले खर्च का वहन उन्हें ही करने के फैसले के मद्दे नज़र हेमंत सोरेन से अपील की गयी कि स्टेन स्वामी के इलाज का सारा खर्च झारखण्ड सरकार उठाये। 

वरिष्ठ आंदोलनकारी आदिवासी बुद्धिजीवी प्रेमचंद मुर्मू व वाल्टर कंडूलना, झारखण्ड हॉफमैन लॉ एसोसिएट्स के फादर महेंद्र पीटर तिग्गा, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता कुमार वरुण एवं फोरम के एक्टिविष्ट नदीम खान समेत कई अन्य लोगों ने वर्चुअल मीटिंग में बोलते हुए केंद्र की सरकार पर आरोप लगाया कि वह एनआईए का इस्तेमाल कर जन आन्दोलनकारियों व मानवाधिकार – सामाजिक कार्यकर्ताओं पर राज्य दमन चला रही है। 

उक्त सन्दर्भ में झारखण्ड जन संस्कृति मंच के प्रदेश संयोजक जेवियर कुजूर ने भी फादर स्टेन स्वामी को कोरोना संक्रमित और गंभीर बीमार स्थिति में पहुँचाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उसने स्टेन स्वामी को 2014 से ही टारगेट कर रखा है।वो इसलिए क्योंकि केंद्र व प्रदेश की सत्ता में काबिज़ होते ही भाजपा सरकार व उसके मंत्री नेताओं ने पुरे झारखण्ड को कोर्पोरेट निजी कंपनियों की खुली लूट का चारागाह बना रहे थे। आजादी के बाद से ही जिन आदिवासी क्षेत्रों में संविधान की पांचवी अनुसूची प्रावधान सख्ती से लागू था।  भाजपा सरकारों ने खुलेआम उल्लंघन कर प्रदेश के खनिज व प्राकृतिक संसाधनों की लूट को आम परिघटना बना दिया था। जिसके विरोध रोकने के लिए ही पूरे प्रदेश को पुलिस स्टेट में तब्दील कर सभी आदिवासी क्षेत्रों में हर जगह जगह सीआरपीएफ पुलिस कैम्प बिठा दिए गए, जो आज भी हैं। भाजपा शासन के इस कृत्य का विरोध करने वाले कई राजनितिक -  सामाजिक कार्यकर्त्ताओं और आदिवासी – मूलवासी समुदाय के हजारों लोगों को माओवादी नक्सली करार देकर फर्जी मुकदमों में जेल में डाल दिया गया। स्टेन स्वामी ने भाजपा शासन के राज्य दमन और मानवाधिकार हनन के सवाल को काफी मुखरता से उठया तो कुपित होकर रघुवर शासन ने भी उन पर राजद्रोह का मुकदमा कर दिया  था।   

आज भी चर्चा आम है कि तथाकथित भीमा कोरेगांव कांड मामले में प्रधानमंत्री की हत्या के साजिशकर्ताओं व माओवादियों से लिंक रखने के झूठे आरोप में यूएपीए के तहत स्टेन स्वामी समेत अन्य सभी वरिष्ठ मानवाधिकार – सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के मूल में एनआईए सिर्फ एक मुखौटा है , असली कर्ता-धर्ता तो केंद्र की सरकार है।  

ऐसे में आज अगर यह कहा जा रहा है कि अभी के कोरोना महामारी संक्रमण के आपद दौर में भी उक्त सभी राजनीतिक बंदियों की जीवन रक्षा को लेकर केंद्र की सरकार और जेल प्रशासन को कोई मतलब नहीं दीख रहा है, तो गलत नहीं कहा जा सकता। 

सनद हो कि गत  27 मई से ही ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम की झारखण्ड इकाई के आह्वान पर कई अन्य सामाजिक जन संगठन और एक्टिविष्टों द्वारा पुरे प्रदेश स्तर पर ‘नागरिक अभियान’ शुरू कर कोरोना काल संकट के मद्दे नज़र फादर स्टेन स्वामी समेत सभी राजनितिक बंदियों की अविलम्ब रिहाई की मांग की जा रही है।

27 मई को माले विधायक विनोद सिंह के नेतृत्व में बगोदर के अलावे राजधानी रांची, गढ़वा, रामगढ़, बोकारो, चाईबासा, जमशेदपुर, पलामू, लातेहार, गिरिडीह इत्यादि जिलों के साथ साथ कई आदिवासी गांवों में पोस्टर प्रतिवाद प्रदर्शित किया गया।

नागरिक अभियान के संचालकों ने बताया है कि प्रदेश में लॉकडाउन बंदी होने के कारण अभी तो सोशल मीडया मंच से प्रतिवाद किया जा रहा है लेकिन स्थिति सामान्य होते ही झारखण्ड के गांव-गाँव तक यह नागरिक अभियान चलाकर केंद्र की दमनकारी नीतियों के खिलाफ तथा सभी राजनितिक बंदियों की रहे की मांग पर व्यापक जन दवाब खड़ा किया जाएगा।    

ख़बरों के अनुसार स्टेन स्वामी की गिरती स्वास्थय स्थिति को देखते हुए यह भी मांग बढ़ती जा रही है कि हेमंत सोरेन खुद पहलकदमी लेकर महाराष्ट्र सरकार से बात करें और उन्हें मेडिकल पैरोल पर रिहा कराने का प्रयास करें।                                        

Jharkhand
Stan Swamy

Related Stories

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

झारखंड: पंचायत चुनावों को लेकर आदिवासी संगठनों का विरोध, जानिए क्या है पूरा मामला

झारखंड: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी जन सत्याग्रह जारी, संकल्प दिवस में शामिल हुए राकेश टिकैत

झारखंड : ‘भाषाई अतिक्रमण’ के खिलाफ सड़कों पर उतरा जनसैलाब, मगही-भोजपुरी-अंगिका को स्थानीय भाषा का दर्जा देने का किया विरोध

'सोहराय' उत्सव के दौरान महिलाओं के साथ होने वाली अभद्रता का जिक्र करने पर आदिवासी महिला प्रोफ़ेसर बनीं निशाना 

भारत में हर दिन क्यों बढ़ रही हैं ‘मॉब लिंचिंग’ की घटनाएं, इसके पीछे क्या है कारण?

झारखंड: बेसराजारा कांड के बहाने मीडिया ने साधा आदिवासी समुदाय के ‘खुंटकट्टी व्यवस्था’ पर निशाना

झारखंड: ‘स्वामित्व योजना’ लागू होने से आशंकित आदिवासी, गांव-गांव किए जा रहे ड्रोन सर्वे का विरोध

झारखण्ड : शहीद स्मारक धरोहर स्थल पर स्कूल निर्माण के ख़िलाफ़ आदिवासी संगठनों का विरोध


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई
    17 May 2022
    मुण्डका की फैक्ट्री में आगजनी में असमय मौत का शिकार बने अनेकों श्रमिकों के जिम्मेदार दिल्ली के श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर उनके इस्तीफ़े की माँग के साथ आज सुबह दिल्ली के ट्रैड यूनियन संगठनों…
  • रवि शंकर दुबे
    बढ़ती नफ़रत के बीच भाईचारे का स्तंभ 'लखनऊ का बड़ा मंगल'
    17 May 2022
    आज की तारीख़ में जब पूरा देश सांप्रादायिक हिंसा की आग में जल रहा है तो हर साल मनाया जाने वाला बड़ा मंगल लखनऊ की एक अलग ही छवि पेश करता है, जिसका अंदाज़ा आप इस पर्व के इतिहास को जानकर लगा सकते हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    यूपी : 10 लाख मनरेगा श्रमिकों को तीन-चार महीने से नहीं मिली मज़दूरी!
    17 May 2022
    यूपी में मनरेगा में सौ दिन काम करने के बाद भी श्रमिकों को तीन-चार महीने से मज़दूरी नहीं मिली है जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • सोन्या एंजेलिका डेन
    माहवारी अवकाश : वरदान या अभिशाप?
    17 May 2022
    स्पेन पहला यूरोपीय देश बन सकता है जो गंभीर माहवारी से निपटने के लिए विशेष अवकाश की घोषणा कर सकता है। जिन जगहों पर पहले ही इस तरह की छुट्टियां दी जा रही हैं, वहां महिलाओं का कहना है कि इनसे मदद मिलती…
  • अनिल अंशुमन
    झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध
    17 May 2022
    कॉपी जांच कर रहे शिक्षकों व उनके संगठनों ने, जैक के इस नए फ़रमान को तुगलकी फ़ैसला करार देकर इसके खिलाफ़ पूरे राज्य में विरोध का मोर्चा खोल रखा है। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License