NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
जॉर्डनः 2011 के विरोध प्रदर्शन की सालगिरह के मौके पर किए गए प्रदर्शनों पर सुरक्षा बलों की कार्रवाई
इन विरोध प्रदर्शनों का आह्वान राजशाही-विरोधी और लोकतंत्र-समर्थक प्रदर्शन की 10 वीं वर्षगांठ के मौके पर किया गया था। ये प्रदर्शनकारी पिछले साल लागू किए गए आपातकालीन कानून को समाप्त करने की भी मांग कर रहे थे।
पीपल्स डिस्पैच
25 Mar 2021
जॉर्डन

जॉर्डन के सुरक्षा बलों ने बुधवार 24 मार्च को देश भर में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए बड़े पैमाने पर बल प्रयोग किया जिससे कई लोग घायल हो गए। इस दौरान कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया गया। लोगों के लिए व्यापक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों की मांग करते हुए 2011 के विरोध प्रदर्शन की सालगिरह के मौके पर ये विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए।

जॉर्डन की दंगा-रोधी पुलिस ने राजधानी अम्मान में विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए उस समय लोगों को गिरफ्तार किया और हिरासत में लिया जब उन्होंने शहर के दखिलिया के आस पास इकट्ठा होने की कोशिश की। इसी तरह के विरोध प्रदर्शन देश के कई अन्य शहरों में किए गए। उधर सरकार ने कोरोनावायरस महामारी का हवाला देते हुए विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया है।

पिछले सप्ताह राजधानी अम्मान के निकट एक सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से हुई नौ लोगों की मौत के बाद देश के विभिन्न शहरों में हुए विरोध प्रदर्शन को समाप्त करने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया। प्रदर्शनकारी देश में रात के कर्फ्यू को समाप्त करने की मांग करते हुए इकट्ठा हुए थे। कार्रवाई में अधिकारियों ने सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया था।

बुधवार को दाखिलिया के आसपास एक विशाल सभा होने की संभावना थी जो 2011 में लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शन का केंद्र था। इस दौरान तथाकथित अरब विद्रोह प्रदर्शन अधिकांश अरब देशों में व्यापक हो रहा था। हालांकि सरकार ने भारी पुलिस की तैनाती की और दाखिलिया के आसपास पहुंचने से पहले प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया और हिरासत में लिया। इन विरोध प्रदर्शनों का आह्वान वाम समूहों तथा अन्य समूहों द्वारा किया गया था।

जॉर्डन की राजनीतिक प्रणाली में संरचनात्मक बदलावों की मांग के अलावा ये प्रदर्शनकारी पिछले साल कोरोनवायरस महामारी को लेकर लागू किए गए रक्षा कानून नामक आपातकालीन कानूनों को हटाने की भी मांग कर रहे थे। नागरिक अधिकार समूह का कहना है कि ये कानून नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। क्रमिक सरकारों द्वारा जॉर्डन की अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन क चलते देश में ये विरोध प्रदर्शन लोकप्रिय हो रहे हैं। बदतर अर्थव्यवस्था ने देश बेरोजगारी और गरीबी को बढ़ा दिया है।

जॉर्डन में राजशाही व्यवस्था है जहां निर्वाचित संसद के बावजूद अधिकांश कार्यकारी और विधायी शक्तियां राजा के पास है। जॉर्डन समाज के विभिन्न वर्गों ने राजशाही की पूर्ण शक्तियों का विरोध किया है और लंबे समय से देश की राजनीतिक प्रणाली में व्यापक बदलाव की मांग की है।

Jordan
Jordon protest
COVID-19

Related Stories

आर्थिक रिकवरी के वहम का शिकार है मोदी सरकार

महामारी के दौर में बंपर कमाई करती रहीं फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां

विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान

महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां

कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक

महंगाई की मार मजदूरी कर पेट भरने वालों पर सबसे ज्यादा 

जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप

कोरोना अपडेट: देश में एक हफ्ते बाद कोरोना के तीन हज़ार से कम मामले दर्ज किए गए

दिल्लीः एलएचएमसी अस्पताल पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया का ‘कोविड योद्धाओं’ ने किया विरोध

WHO और भारत सरकार की कोरोना रिपोर्ट में अंतर क्य़ों?


बाकी खबरें

  • सबरंग इंडिया
    उत्तर प्रदेश: पेपर लीक की रिपोर्ट करने वाले पत्रकार गिरफ्तार
    02 Apr 2022
    अमर उजाला के बलिया संस्करण ने जिस दिन दोपहर 2 बजे से परीक्षा होनी थी उस दिन सुबह लीक पेपर प्रकाशित किया था।
  • इलियट नेगिन
    समय है कि चार्ल्स कोच अपने जलवायु दुष्प्रचार अभियान के बारे में साक्ष्य प्रस्तुत करें
    02 Apr 2022
    दो दशकों से भी अधिक समय से कोच नियंत्रित फ़ाउंडेशनों ने जलवायु परिवर्तन पर सरकारी कार्यवाई को विफल बनाने के लिए 16 करोड़ डॉलर से भी अधिक की रकम ख़र्च की है।
  • DU
    न्यूज़क्लिक टीम
    यूजीसी का फ़रमान, हमें मंज़ूर नहीं, बोले DU के छात्र, शिक्षक
    01 Apr 2022
    नई शिक्षा नीति के तहत UGC ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों को कई कदम लागू करने के लिए कहा है. इनमें चार साल का स्नातक कोर्स, एक प्रवेश परीक्षा और संस्थान चलाने के लिए क़र्ज़ लेना शामिल है. इन नीतियों का…
  • रवि शंकर दुबे
    इस साल यूपी को ज़्यादा बिजली की ज़रूरत
    01 Apr 2022
    उत्तर प्रदेश की गर्मी ने जहां बिजली की खपत में इज़ाफ़ा कर दिया है तो दूसरी ओर बिजली कर्मचारी निजीकरण के खिलाफ आंदोलन छेड़े हुए हैं। देखना होगा कि सरकार और कर्मचारी के बीच कैसे समन्वय होता है।
  • सोनिया यादव
    राजस्थान: महिला डॉक्टर की आत्महत्या के पीछे पुलिस-प्रशासन और बीजेपी नेताओं की मिलीभगत!
    01 Apr 2022
    डॉक्टर अर्चना शर्मा आत्महत्या मामले में उनके पति डॉक्टर सुनीत उपाध्याय ने आरोप लगाया है कि कुछ बीजेपी नेताओं के दबाव में पुलिस ने उनकी पत्नी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया, जिसके चलते उनकी पत्नी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License