NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कानपुर: सरेआम मुस्लिम युवक की पिटाई, आरोपियों की ग़िरफ़्तारी के ख़िलाफ़ बजरंग दल का धरना
जिस समय बजरंग दल के कार्यकर्ता अफ़सार अहमद को मार रहे थे, उस समय उनकी बेटी अपने पिता को बचाने के लिए फ़रियाद कर रही थी। ई-रिक्शा चालक अहमद को मारने वाले गले में भगवा स्कार्फ़ डाले हुए थे, जो लगातार “जय श्री राम” के नारे लगा रहे थे।
असद रिज़वी
13 Aug 2021
कानपुर: सरेआम मुस्लिम युवक की पिटाई, आरोपियों की ग़िरफ़्तारी के ख़िलाफ़ बजरंग दल का धरना
बजरंग दल की प्रतीकात्मक फोटो

उत्तर प्रदेश सरकार की अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज की सुरक्षा के प्रति उदासीनता का एक और उदाहरण सामने आया है। कानपुर में कथित बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने पुलिस की मौजूदगी में एक मुस्लिम व्यक्ति  को पीटा और उस से “जय श्री राम” भी लगवाए।

जिस समय बजरंग दल के कार्यकर्ता अफ़सार अहमद (45) को मार रहे थे, उस समय उनकी बेटी अपने पिता को बचाने के लिए फ़रियाद कर रही थी। ई-रिक्शा चालक अहमद को मारने वाले गले में भगवा स्कार्फ़ डाले हुए थे, जो लगातार “जय श्री राम” के नारे लगा रहे थे।

इस पूरी घटना का वीडिओ स्थानीय लोगों द्वारा बनाया गया है, जो बहुत तेज़ी से सोशल मीडिया पर वयारल हो गया। विडिओ में साफ़ देखा जा सकता है कि एक व्यक्ति ने अपने हेल्मेट से अहमद के सर पर मारा। विडिओ में यह भी दिख रहा है कि मारने के साथ यह उग्र भीड़ अहमद से भी “जय श्री राम” का नारा लगाने को कह रही है।

पुलिस ने बीच में आकर उसको बचाने की कोशिश भी करी, लेकिन उपद्रवी उसको मारते ही रहे। आख़िर में पुलिस अहमद और उसकी बेटी को भीड़ से बचाकर अपनी जीप में बैठाकर ले गये। लेकिन विडीओ को देख कर साफ़ नज़र आ रहा था कि उपद्रवी के मन में पुलिस का कोई ख़ौफ़ नहीं था।

बताया जा रहा है कि कानपुर की एक बस्‍ती बर्रा में दो पड़ोसी कुरैशा और रानी के परिवार में बाइक की पार्किंग के मुद्दे को लेकर यह झगड़ा शुरू हुआ था। इसमें कुरैशा ने रानी पर मारपीट की एफ़आईआर लिखाई और रानी ने कुरैशा के दो बच्चों पर छेड़खानी की मुक़दमा दर्ज कराया था।

लेकिन इस से पहले की पुलिस-प्रशासन इस मामले में कोई क़ानूनी कार्रवाई करता, बजरंग दल के कार्यकर्ता बीच में आ गए और मामूली विवाद को हिंसक और साम्प्रदायिक रंग दे दिया। फ़िलहाल मौक़े पर भारी पुलिस बल तैनात है।

एसीपी (साउथ) रवीना त्‍यागी ने बताया, 'जो पीडि़त है उनकी तहरीर के आधार पर कुछ नामजद और कुछ अज्ञात व्‍यक्तियों के खिलाफ मुकदमा कायम कर लिया गया है। नामज़द होने वालों में अजय बैंड वाला, डॉन, केशू नेता, रमेश, और  रानी के अलावा  8-10 अज्ञात लोग शामिल हैं। 

हालाँकि पुलिस ने दावा किया की अजय उर्फ राजेश अमन गुप्ता, सुमन कुमार गुप्ता, राहुल कुमार को गिरफ़्तार कर लिया गाय है और शेष अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए दबिशें दी जा रही हैं।

प्राप्त समाचार के अनुसार आरोपियों की गिरफ्तारी के खिलाफ बजरंग दल  के कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन किया और डीसीपी साउथ के कार्यालय का घेराव किया।

गिरफ्तार अमन बजरंग दल का सदस्य बताया जा रहा है।

इस घटना की सोशल मीडिया पर जम कर निंदा हो रही है। पूर्व आईएएस सूर्या प्रताप सिंह ने घटना का उल्लेख करते हुए लिखा “कानपुर का वीडियो अब देखा नहीं जा रहा है। लगता है, प्रभु श्री राम अभी भी वन में हैं और रावण कानपुर की सड़कों पर”।

हालाँकि अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज पर उत्पीड़न या हिंसा का यह पहला मामला नहीं है। इधर कुछ समय से लगातार अल्पसंख्यक समुदाय को प्रशासन और उपद्रवी ने निशना बनाया है।

सिद्धार्थ नगर में कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय विधायक और एसडीएम के कहने पर भीड़ ने 16  मई, को  एक मुस्लिम पत्रकार अमीन फ़ारूक़ी की पिटाई कर दी।

आजमगढ़ में पुलिस ने सोशल मीडिया पर फिलिस्तीन के लोगों के साथ एकजुटता ज़ाहिर करने की अपील के आरोप में 20 मई एक मुस्लिम युवक यासीर अराफ़ात को गिरफ्तार कर क़रीब 24 घंटे तक हिरासत में रखा गया।

उन्नाव में 21 मई, को एक किशोर मुस्लिम लड़के फ़ैसल हुसैन की कथित तौर पर बनगरमाऊ पुलिस प्रताड़ना के बाद मौत हो गई। हुसैन पर परिवार के 6 लोगों की ज़िम्मदरी थी और उस पर आरोप था कि वह लॉकडाउन में सब्ज़ी बेच रहा था।

मुरादाबाद में 24 मई को गोरक्षकों की भीड़ ने एक मुस्लिम मांस व्यापारी की पिटाई कर दी। बताया जा रहा है की मांस व्यापारी को मारने के लिए भारतीय गौरक्षा वहनी के लोग आये थे। पुलिस ने आरोपियों के साथ पीड़ित के विरुद्ध भी मुक़दमा लिख दिया।

राज्य की राजधानी लखनऊ के पड़ोसी जिले बाराबंकी में, स्थानीय प्रशासन ने उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना में एक शताब्दी पुरानी मस्जिद “ग़रीब नवाज़” (तहसील वाली मस्जिद) को ध्वस्त कर दिया।बाद मस्जिद की प्रबंधन कमेटी के ख़िलाफ़ ही मुक़दमा दर्ज कर दिया गया था।

इस से पहले सीएए के विरुद्ध 19 दिसंबर 2019 को हुए के प्रदर्शन के दौरान भी 20 से अधिक मुसलमानों की मौत हुई थी। आरोप है कि अधिकतर मौतें पुलिस की गोली लगने से हुई थी।

उल्लेखनीय है कि 2019 में हेट क्राइम में 43 फीसदी हिस्सेदारी के साथ उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यकों, दलितों के लिए सबसे असुरक्षित स्थान था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 2016 और 2019 के बीच 2,008 हेट क्राइम के मामले दर्ज किए।

जहाँ अल्पसंख्यकों और दलितों को परेशान किया गया, जिसमें लिंचिंग के मामले भी शामिल हैं। इनमें से अकेले उत्तर प्रदेश में 869 मामले हैं। इतना ही इन तीन वर्षों में, द्वारा उठाए गए अल्पसंख्यकों और दलितों के उत्पीड़न के सभी मामलों में से 43 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए थे। 

दिल्ली से आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की क़ानून और व्यवस्था के लिए प्रशंसा की थी। 

हालांकि, यूपी में वर्ष 2019 में 6,28,578 आपराधिक मामले दर्ज़ किये गये थे। वर्ष 2017 में ये आंकड़ा 3,10,084 था। यानि अपराध के मामलों में कमी नहीं बल्कि दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। जबकि योगी सरकार दावा कर रही है कि मामलों में 25% से 75% तक की कमी हुई है। 

यह आंकड़े  और प्रदेश में इस तरह की घटनाएँ भाजपा नेताओं के सारे दावों को ख़ारिज करती हैं और प्रदेश की क़ानून व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करती हैं।

UttarPradesh
UP ELections 2022
Religion Politics
hindu-muslim
jai shree ram
Yogi Adityanath
BJP
RSS
bajrang dal

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • उपेंद्र स्वामी
    अंतरिक्ष: हमारी पृथ्वी जितने बड़े टेलीस्कोप से खींची गई आकाशगंगा के ब्लैक होल की पहली तस्वीर
    13 May 2022
    दुनिया भर की: ब्लैक होल हमारे अंतरिक्ष के प्रमुख रहस्यों में से एक है। इन्हें समझना भी अंतरिक्ष के बड़े रोमांच में से एक है। इस अध्ययन के जरिये अंतरिक्ष की कई अबूझ पहेलियों को समझने में मदद
  • परमजीत सिंह जज
    त्रासदी और पाखंड के बीच फंसी पटियाला टकराव और बाद की घटनाएं
    13 May 2022
    मुख्यधारा के मीडिया, राजनीतिक दल और उसके नेताओं का यह भूल जाना कि सिख जनता ने आखिरकार पंजाब में आतंकवाद को खारिज कर दिया था, पंजाबियों के प्रति उनकी सरासर ज्यादती है। 
  • ज़ाहिद खान
    बादल सरकार : रंगमंच की तीसरी धारा के जनक
    13 May 2022
    बादल सरकार का थिएटर, सामाजिक-राजनीतिक बदलाव का थिएटर है। प्रतिरोध की संस्कृति को ज़िंदा रखने में उनके थर्ड थिएटर ने अहम रोल अदा किया। सत्ता की संस्कृति के बरअक्स जन संस्कृति को स्थापित किया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    असम : विरोध के बीच हवाई अड्डे के निर्माण के लिए 3 मिलियन चाय के पौधे उखाड़ने का काम शुरू
    13 May 2022
    असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस साल फ़रवरी में कछार में दालू चाय बाग़ान के कुछ हिस्से का इस्तेमाल करके एक ग्रीनफ़ील्ड हवाई अड्डे के निर्माण की घोषणा की थी।
  • पीपल्स डिस्पैच
    इज़रायल को फिलिस्तीनी पत्रकारों और लोगों पर जानलेवा हमले बंद करने होंगे
    13 May 2022
    टेली एसयूआर और पान अफ्रीकन टीवी समेत 20 से ज़्यादा प्रगतिशील मीडिया संस्थानों ने वक्तव्य जारी कर फिलिस्तीनी पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की हत्या की निंदा की है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License