NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कानपुर: सरकारी शेल्टर होम में 7 गर्भवती बालिकाओं का मामला क्यों तूल पकड़ रहा है?
उत्तर प्रदेश के कानपुर में सरकारी बालिका गृह में रहने वाली 57 लड़कियों में कोरोनो संक्रमण की पुष्टि हुई है। जांच के दौरान सात लड़कियाँ गर्भवती भी पाई गईं जबकि एक एचआईवी संक्रमित बताई जा रही है। इस घटना के सामने आने के बाद एक ओर प्रशासन जहां विपक्ष पर मामले को अनावश्यक तूल देने की बात कर रहा है तो वहीं विपक्ष लगातार बालगृहों में गड़बड़ी की बातों को लेकर सरकार से सवाल कर रहा है।
सोनिया यादव
22 Jun 2020
शेल्टर होम में 7 गर्भवती बालिकाओं का मामला

“…जांच के नाम पर सब कुछ दबा दिया जाता है लेकिन सरकारी बाल संरक्षण गृहों में बहुत ही अमानवीय घटनाएं घट रही हैं।”

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का ये पोस्ट सरकारी बालिका गृहों से सामने आ रही घटनाओं के संदर्भ में है। प्रियंका ने लिखा कि कानपुर के सरकारी बाल संरक्षण गृह में 57 बच्चियों की कोरोना जांच के बाद हैरान करने वाला तथ्य सामने आया है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के कानपुर में सरकारी बालिका गृह में रहने वाली 57 लड़कियों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। जांच के दौरान सात लड़कियाँ गर्भवती भी पाई गईं जबकि एक एचआईवी संक्रमित बताई जा रही है। इस घटना के सामने आने के बाद एक ओर प्रशासन जहां विपक्ष पर अनावश्यक तूल देने की बात कर रहा है तो वहीं विपक्ष लगातार बालगृहों में गड़बड़ी की बातों को लेकर सरकार से सवाल कर रहा है।

क्या है पूरा मामला?

कानपुर शहर का स्परूपनगर बालिका संरक्षण गृह एकाएक 21 जून को सुर्खियों में आ गया। इसकी वजह एक साथ बड़ी संख्या में कोरोना मामलों की पुष्टि तो थी ही साथ में उन संक्रमितों में से कुछ के गर्भवती होने की खबर भी थी। मीडिया में जैसे ही ये खबर ब्रेक हुई हंगामा मच गया। कोरोना पॉजिटिव से बड़ा मामला लड़कियों के गर्भवती होने का बन गया। सोशल मीडिया पर बालगृहों को लेकर तरह-तरह की बातें लिखी जाने लगी, तो वहीं इस मामले को लेकर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए।

जानकारी के मुताबिक इस बालिका संरक्षण गृह में एक लड़की को बुखार आने के बाद 12 जून को पहली बार कोरोना की जांच की गई थी। जिसमें पांच में से चार लड़कियों की रिपोर्ट निगेटिव आई, जबकी एक कोरोना पॉज़िटिव निकली। इसके बाद यहां रह रही अन्य 97 लड़कियों के सैंपल भी लिए गए थे जिनमें अब 57 की रिपोर्ट पॉज़िटिव आई है।

इस संरक्षण गृह में लगभग 170 बालिकाएं इस समय मौजूद हैं, जिसमें 69 पॉक्सो मामले से सम्बन्धित पीड़िताएं हैं जो नाबालिग हैं। पॉक्सो मामले से ही संबंधित सात लड़कियों के गर्भवती होने की बात सामने आई है।

प्रशासन क्या कर रहा है?

सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले पर जिलाधिकारी से बात की है। तो वहीं राज्य महिला आयोग ने भी इस संबंध में संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी से रिपोर्ट तलब की है।

मामले के तूल पकड़ने के बाद रविवार, 21 जून को ही देर शाम कानपुर मंडल के आयुक्त डॉक्टर सुधीर बोबड़े और कानपुर नगर के ज़िलाधिकारी डॉक्टर ब्रह्मदेवराम तिवारी ने इस मामले में यह स्पष्टीकरण दिया कि लड़कियां यहां आने के पहले से ही गर्भवती थीं।

कानपुर के ज़िलाधिकारी डॉक्टर ब्रह्मदेवराम तिवारी ने मीडिया को बताया, "इस संरक्षण गृह में कुल 57 बालिकाएँ कोविड पॉज़िटिव पाई गई हैं। सात बालिकाएं गर्भवती पाई गईं जिनमें पांच कोरोना संक्रमित भी हैं जबकि दो में कोरोना संक्रमण नहीं है। जो पांच लड़कियां कोविड पॉज़िटिव हैं वो आगरा, एटा, कन्नौज, फ़िरोज़ाबाद और कानपुर नगर की बाल कल्याण समिति के संदर्भ से यहां आई थीं। सभी लड़कियां यहां आने से पहले ही गर्भवती थीं और इसकी पूरी जानकारी प्रशासन के पास मौजूद है।"

IMG-20200622-WA0007.jpg

भ्रामक खबरों को न बढ़ावा दें- महिला आयोग

राज्य महिला आयोग ने इस घटना के संबंध में जानकारी साझा करते हुए कहा कि राजकीय समप्रेक्षण गृह, बालगृह में कोई भी प्रवेश न्यायालय, मजिस्टेट एंव सीडब्लूसी के आदेशों के अनुसार ही किया जाता है। साथ ही प्रवेश के समय मेडिकल परीक्षण भी जरूरी होता है। ऐसे में आयोग ने विपक्ष और अन्य सभी लोगों से गलत तथ्यों और खबरों को न बढ़ावा देने की अपील की है।

इस पूरे मामले अपना पक्ष रखते हुए उत्तर प्रदेश महिला आयोग की उपाध्यक्ष सुषमा सिंह ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, “स्वरूप नगर बालिका गृह में जितनी भी गर्भवती बालिकाएं हैं ये पॉक्सो मामले से संबंधित बाल कल्याण समिति (सीडब्लूसी) के आदेशानुसार आगरा, कन्नौज, फिरोजाबाद, एटा, कानपुर नगर से आई हैं। लड़कियां शेल्टर होम आने से पहले ही गर्भवती थीं। ये जहां से आई हैं, वहां अभियुक्तों के ख़िलाफ़ केस भी दर्ज होंगे। ऐसे किसी भी मामले में पूरे रिकॉर्ड के बाद ही उन्हें किसी भी बालगृह में रखा जाता है। जल्द ही उनके रिकॉर्ड संबंधी सभी कागज़ातों को हासिल कर लिया जाएगा, जिसके बाद सभी को सही और सटीक जानकारी दी जा सकेगी। फिर अपने आप दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।”

सुषमा सिंह ने आगे बताया कि राज्य के सभी सरकारी बालगृहों में समय-समय पर जांच की जाती है। इसलिए किसी तरह की गलत अटकलें लगाना या भ्रामक खबरें फैलाना ठीक नहीं है। प्रदेश के तमाम जिलों में संचालित महिला और बालिका गृहों में ज्यादातर वो लड़कियां रखी जाती हैं जो किसी न किसी मामले में कानूनी तौर पर संलग्न होती है। उनका कोर्ट में केस चल रहा होता है, बलात्कार पीड़ित, मानव तस्करी में छुड़ाई गई लड़कियां या किसी अन्य मामलों के तहत उन्हें सजा या राहत के तौर पर यहां रखा गया होता है। ऐसे मामलों में सेंटर के पास सभी रिकॉर्ड होते हैं लेकिन ये सब कॉफिडेंशियल होते हैं।  

एडवा की मांग- संरक्षण गृह के प्रबंधकों को हटाया जाए

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) उत्तर प्रदेश ईकाई की अध्यक्ष नीलम तिवारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाषिनी अली ने इस मामले में एसएसपी कानपुर ने मुलाकात कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए संरक्षण गृह के प्रबंधकों को तत्काल हटाने की बात कही है।

एडवा की उपाध्यक्ष सुभाषिनी अली के अनुसार, “कानपुर के संवासिनी गृह में कई कोरोना के मामलों का मिलना अपने-आप में बद इंतजामी का प्रमाण है। खबरों के मुताबिक संक्रमितों में नाबालिग गर्भवती बच्चियां भी शामिल हैं, इसमें एक एचआईवी और एक हेपेटाइटिस सी से ग्रसित है। प्रशासन के लोगों को इस बारे में कुछ नहीं पता कि आखिर लड़कियां कब से संरक्षण गृह में हैं। ये लापरवाही नहीं अपराध की श्रेणी में आता है। इसलिए हमारी मांग है कि लड़कियों का बयान तुरंत दर्ज किया जाए। अगर कोई बलात्कार जैसी घटना सामने आती है तो कार्रवाई हो साथ ही प्रबंधक की गतिविधियों की जांच हो और अधीक्षक को उसके पद से हटाया जाए।”

“बाल गृहों में बच्चियों का संरक्षण नहीं, भक्षण किया जाता है”

इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी की नेता ऋचा सिंह ने कहा कि ऐसे बाल संरक्षण गृहों को बंद कर देना चाहिए, जहां बच्चियों का संरक्षण नहीं बल्कि उन्हें बंधक बनाकर उनका भक्षण किया जाता है।

ऋचा के अनुसार उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों भी बालिका संरक्षण गृहों के नाम पर रैकेट चलाने वालों का खुलासा हुआ था और अब कानपुर की घटना सामने आई है। ये संगठित हैवानियत है।

आपको बता दें कि इससे पहले बिहार के मुजफ़्फ़रपुर शेल्टर होम का भयानक सच सबके सामने आया था, जिससे पूरा देश हिल गया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश में देवरिया, आगरा समेत कई शेल्टर होम, बालिका संरक्षण गृहों में संचालन की गड़बड़ी, अनियमितता और यौन शोषण की खबरें आ चुकी हैं। जिसे लेकर लोगों में पहले ही डर और गस्से का माहौल बना हुआ है।

बालगृहों से लगातार आ रही गड़बड़ियों के सवाल पर सुषमा सिंह कहती हैं, “प्रदेश में संचालित सभी बालगृह सरकारी नहीं हैं, कई गैर सरकारी संगठनों द्वारा भी संचालित होते हैं। ऐसे में सभी का निरीक्षण संभव नहीं है। जहां से हमें कोई भी शिकायत मिलती है, हम उस पर तुरंत कार्रवाई करते हैं। बालिका गृहों में पहले से ही जगह के अपेक्षा अधिक लड़कियां रह रही हैं। हम उनके रहने के बेहतर इंतजामों में रात दिन लगे हुए हैं। आयोग बच्चियों की बेहतर देख-रेख के लिए प्रतिबद्ध है। हम समय-समय पर बालगृहों का दौरा भी करते हैं। सभी खामियों को दूर करने की हमारी कोशिश लगातार जारी है।”

विपक्ष ने क्या कहा?

कानपुर का मामला सामने आने के बाद प्रियंका गांधी ने फेसबुक पर एक पोस्ट के माध्यम से प्रदेश सरकार पर निशाना साधा। प्रियंका ने लिखा, “मुजफ्फरपुर (बिहार) के बालिका गृह का पूरा किस्सा देश के सामने है। यूपी में भी देवरिया से ऐसा मामला सामने आ चुका है। ऐसे में पुनः इस तरह की घटना सामने आना दिखाता है कि जांच के नाम पर सब कुछ दबा दिया जाता है लेकिन सरकारी बाल संरक्षण गृहों में बहुत ही अमानवीय घटनाएं घट रही हैं।

वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस पूरे मामले पर जांच की मांग की है।

अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, “कानपुर के सरकारी बाल संरक्षण गृह से आई खबर से उत्तर प्रदेश में आक्रोश फैल गया है। कुछ नाबालिग लड़कियों के गर्भवती होने का गंभीर खुलासा हुआ है। इनमें 57 कोरोना व एक एड्स ग्रसित भी पाई गई हैं। इनका तत्काल इलाज हो। सरकार शारीरिक शोषण करने वालों के खिलाफ तुरंत जांच बैठाए।

चिंनताजनक है प्रदेश के अनाथालयों और बालगृहों की स्थिति

गौरतलब है कि ये किसी से छुपा नहीं है कि उत्तर प्रदेश में अनाथालयों, बालगृहों की हालत खस्ता है। 2018 में जारी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के आकंड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में केवल 34.7 प्रतिशत ही बाल देखभाल संस्थान जेजे एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत हैं। वहीं, मात्र 39.41 प्रतिशत बाल गृहों में ही बच्चों के दाखिले के विवरण की जानकारी मौजूद है।

बच्चों के अधिकारों की रक्षा के क्षेत्र में कार्यरत संस्था क्राई के प्रमोद ने न्यूज़क्लिक को बताया, “हमारा मुख्य उद्देश्य सरकार के समक्ष ऐसे अनाथालयों, बालगृहों को उजागर करना है, जो जेजे एक्ट के तहत पंजीकृत नही हैं और निश्चित ही उत्तर प्रदेश के आंकड़े निराश करने वाले हैं। इसके चलते अनियमितता भी ज्यादा है।”

एक आकलन के मुताबिक उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के माध्यम से प्रदेशभर में 58 राजकीय संरक्षण गृह संचालित होते हैं, जबकि निजी संस्थाओं के जरिए 175 संरक्षण गृह चल रहे हैं। इनमें से कुछ संरक्षण गृह बंद भी हो चुके हैं। तो वहीं कई बाल गृह ऐसे भी हैं जो जुवेलाइन जस्टिस एक्ट 2015 के अंतर्गत पंजीकृत नहीं हैं।

इसे भी पढ़े: कैसे सुरक्षित रहेंगी बेटियां? : आगरा अनाथालय सील, जांच जारी

UttarPradesh
shelter home
Corona Positive
Corona cases
UttarPradesh
yogi sarkar
Yogi Adityanath
PRIYANKA GANDHI VADRA
Congress
AIDWA

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल, कहा प्रधानमंत्री का छोटा सिपाही बनकर काम करूंगा

राज्यसभा सांसद बनने के लिए मीडिया टाइकून बन रहे हैं मोहरा!

ED के निशाने पर सोनिया-राहुल, राज्यसभा चुनावों से ऐन पहले क्यों!

ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया

राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License