NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
भारत
राजनीति
कर्नाटक: स्कूली किताबों में जोड़ा गया हेडगेवार का भाषण, भाजपा पर लगा शिक्षा के भगवाकरण का आरोप
नए पाठ्यक्रम में कई लेखकों के पाठ को सिलेबस से हटा दिया गया है तो वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के भाषण को शामिल किया गया है, जो कर्नाटक में विवाद का नया केंद्र बन गया है।
सोनिया यादव
19 May 2022
Hedgewar

बीजेपी शासित प्रदेश कर्नाटक एक बार फिर सुर्खियों है। यहां स्कूली बच्चों के लिए निर्धारित कन्नड़ भाषा की एक किताब में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के भाषण को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। इस निर्णय से सरकार पर राज्य की शिक्षा को भगवाकरण करने के आरोप जरूर लगने लगे हैं। लेकिन सरकार के इस फैसले के खिलाफ माकपा से जुड़े स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया और कुछ दूसरे संगठनों को छोड़ कर किसी दूसरे बड़े राजनीतिक दल के छात्र या युवा संगठनों ने कोई बड़ा प्रदर्शन नहीं किया है।

बता दें कि कर्नाटक में बीजेपी की बसवराज बोम्मई सरकार है और बीते दिनों राज्य में हिजाब, हलाल और कारोबार के मुद्दों को लेकर काफी सांप्रदायिक तनाव देखा गया है। अब ये ऐसा पहला प्रदेश बनने जा रहा है, जहां हेडगेवार के भाषण को आधिकारिक तौर पर स्कूली पाठ में शामिल किया जा रहा है। फिलहाल हेडगेवार के जिस भाषण को स्कूली सिलेबस में शामिल किया जा रहा है। उसका नाम है - 'आदर्श व्यक्ति कौन है'। इस शिक्षा सत्र में दसवीं क्लास के छात्र इस भाषण को पढ़ेंगे।

क्या है पूरा मामला?

कर्नाटक टेक्स्टबुक सोसाइटी (केटीबीएस) ने मंगलवार, 17 मई को एक बयान जारी कर कहा कि भगत सिंह पर 10वीं कक्षा की कन्नड़ पाठ्य-पुस्तकों के पाठों को आरएसएस के विचारक केबी हेडगेवार के भाषणों से बदला नहीं गया है। भगत सिंह से संबंधित सामग्री पहले की ही तरह पुस्तक में है, केवल हेडगेवार का पाठ बढ़ाया गया है।

इससे पहले खबर थी कि कर्नाटक सरकार महान स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह के पाठ को हटाकर हेडगेवार के भाषण को शामिल कर रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भगत सिंह के पाठ को सिलेबस से हटाने के फैसले का विरोध किया था। विरोध और हंगामे के बाद कर्नाटक सरकार ने इस मामले पर सफाई देते हुए यू-टर्न ले लिया या यूं कहें कि भगत सिंह पर लिखे गए अध्याय को हटाने का फैसला टाल दिया।

क्या है हेडगेवार के भाषण में?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हेडगेवार के भाषण का ये पाठ उन बच्चों की किताब में शामिल किया गया है, जो अपनी पहली भाषा के तौर पर कन्नड़ पढ़ते हैं। इसमें कई ऐसे दूसरे मुद्दे से जुड़े पाठ भी शामिल हैं, जिन्हें 'वाम और उदार रुझान' न होने की वजह से 'दरकिनार' किया गया था।

पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति के अध्यक्ष रोहित चक्रतीर्थ ने मीडिया को बताया कि हेडगेवार पर अध्याय में एक भाषण का जिक्र किया गया है, जिसमें उन्होंने युवाओं से कहा था कि वे किसी की मूर्ति न बनाएं, बल्कि अपनी पसंद की विचारधारा में विश्वास करें।

चक्रतीर्थ के मुताबिक ये उनके कई भाषणों में से एक है, जिसके बारे में लोगों को ज्यादा पता नहीं है। यह संघ आंदोलन के आखिरी पंद्रह साल के दौरान दिया गया उनका भाषण है ( हेडगेवार का 1940 में निधन हो गया था) । इस भाषण को दूसरे लोगों ने नोट कर तैयार किया था।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार हेडगेवार के इस भाषण की प्रस्तावना में कहा गया है कि एक आदर्श व्यक्ति के रूप में ऐसा व्यक्ति खोजना मुश्किल है, जिसमें कोई खामी न हो। इसलिए किसी व्यक्ति को आदर्श या मिसाल के तौर पर देखने के बजाय ऐसे सिद्धांत अपनाए जाएं जिनमें परिवर्तन न हो और आदर्श के तौर पर आपके आंतरिक मूल्य बने रहें। लेकिन इस दर्शन को व्यवहार में लाना भी उतना ही मुश्किल है।

''यही वजह है कि समाज में मूर्ति पूजा का अस्तित्व सामने आया। मूर्ति पूजा विश्व शक्ति की अमूर्त प्रकृति के बारे में चेतना फैलाने का एक जरिया है।''

इस भाषण में कहा गया है, '' हम ध्वज को एक गुरु की तरह मानते हैं और गुरुपूर्णिमा के दिन इसकी पूजा करते हैं। जब भी हम अपने झंडे को देखते हैं तो हमारे देश का पूरा इतिहास, संस्कृति और परंपरा हमारी आंखों के सामने आ जाता है। जिस वक्त हम अपने ध्वज को देखते हैं, हमारे हृदय में भावनाएं उमड़ पड़ती हैं। इसलिए हम अपनी ध्वजा को गुरु मानते हैं।''

इस मामले पर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने एक ट्वीट सीरीज के जरिये सरकार हमला बोलते हुए कहा, ''हिजाब, हलाल और कारोबार के मुद्दों को हवा देने के बाद बीजेपी अब स्कूली किताबों के पीछे पड़ गई है। यह उनके गिरने की पराकाष्ठा है।''

क्यों है हेडगेवार को लेकर बवाल?

हेडगेवार को हिंदू राष्ट्र बनाने की कल्पना का प्रमुख स्तंभ माना जाता है। वे पेशे से डॉक्टर थे, लेकिन बंकिम चंद्र चटर्जी और वीएस सावरकर की हिंदुत्व की व्याख्या से काफी प्रभावित थे। उन्होंने आजादी के आंदोलनों में हिस्सा लेना शुरू तो किया था लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गठन के बाद वे इससे दूर ही रहे। उन्होंने उस दौरान हिंदू राष्ट्र बनाने के मकसद से हिंदुओं को संगठित करने तक ही खुद को सीमित कर लिया था। अब उनका भाषण कर्नाटक में विवाद का नया केंद्र बन गया है।

कहा जा रहा है कि नए पाठ्यक्रम में कई लेखकों के पाठ को सिलेबस से हटा दिया गया है। जिन लेखकों को स्कूली किताबों से हटाया गया है उनमें पुरस्कृत लेखक पी लंकेश, सारा अबुबकर और एएन मूर्ति राव शामिल हैं। इनके बदले शिवानंद कलवे, एम गोविंद राव, वैदिक स्कॉलर स्वर्गीय गोविंदाचार्य और सतवदनी आर गणेश को शामिल किया गया है। ऐसे में ,कर्नाटक सरकार पर तर्कवाद से हटकर बच्चों में एक विचारधारा विशेष को बढ़ावा देने के आरोप भी लग रहे हैं।

कई जानकारों का कहना है कि सरकार पाठ्यपुस्तकों को मेनिफेस्टो में तब्दील करने की कोशिश कर रही है, जो स्कूलों में बच्चों के इतिहास पढ़ाने के मकसद से इतर एक खास विचारधारा वाले व्यक्ति विशेष की सोच को बढ़ावा दे रही है। भारत के महापुरुषों का स्वतंत्रता संग्राम के लिए संघर्ष और उनके मूल्यों को जानने के लिए इतिहास की किताबों में उनका जिक्र होता है लेकिन हेडगेवार स्वतंत्रता संग्राम में शामिल नहीं थे, वे केवल हिंदू राष्ट्र के निर्माण के इर्द-गिर्द अपनी दुनिया देखते थे।

ये भी पढ़ें: परदे से आज़ादी-परदे की आज़ादी: धर्म और शिक्षा से आगे चला गया है हिजाब का सवाल

karnataka
K. B. Hedgewar
RSS
BJP
education
Bhagat Singh
Karnataka Textbook Society
Bellur Chandrashekharaiah Nagesh

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा

जौनपुर: कालेज प्रबंधक पर प्रोफ़ेसर को जूते से पीटने का आरोप, लीपापोती में जुटी पुलिस

बच्चे नहीं, शिक्षकों का मूल्यांकन करें तो पता चलेगा शिक्षा का स्तर

अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !

शिक्षा को बचाने की लड़ाई हमारी युवापीढ़ी और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई का ज़रूरी मोर्चा

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

नई शिक्षा नीति बनाने वालों को शिक्षा की समझ नहीं - अनिता रामपाल

उत्तराखंड : ज़रूरी सुविधाओं के अभाव में बंद होते सरकारी स्कूल, RTE क़ानून की आड़ में निजी स्कूलों का बढ़ता कारोबार 

NEP भारत में सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करने के लिए भाजपा का बुलडोजर: वृंदा करात


बाकी खबरें

  • अजय गुदावर्ती
    भारत में धर्म और नवउदारवादी व्यक्तिवाद का संयुक्त प्रभाव
    28 Apr 2022
    नवउदारवादी हिंदुत्व धर्म और बाजार के प्रति उन्मुख है, जो व्यक्तिवादी आत्मानुभूति पर जोर दे रहा है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन
    28 Apr 2022
    वाम दलों ने धरने में सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ व जनता की एकता, जीवन और जीविका की रक्षा में संघर्ष को तेज़ करने के संकल्प को भी दोहराया।
  • protest
    न्यूज़क्लिक टीम
    दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन
    28 Apr 2022
    वाम दलों ने आरएसएस-भाजपा पर लगातार विभाजनकारी सांप्रदायिक राजनीति का आरोप लगाया है और इसके खिलाफ़ आज(गुरुवार) जंतर मंतर पर संयुक्त रूप से धरना- प्रदर्शन किया। जिसमे मे दिल्ली भर से सैकड़ों…
  • ज़ाकिर अली त्यागी
    मेरठ : जागरण की अनुमति ना मिलने पर BJP नेताओं ने इंस्पेक्टर को दी चुनौती, कहा बिना अनुमति करेंगे जागरण
    28 Apr 2022
    1987 में नरसंहार का दंश झेल चुके हाशिमपुरा का  माहौल ख़राब करने की कोशिश कर रहे बीजेपी नेताओं-कार्यकर्ताओं के सामने प्रशासन सख़्त नज़र आया।
  • रवि कौशल
    आदिवासियों के विकास के लिए अलग धर्म संहिता की ज़रूरत- जनगणना के पहले जनजातीय नेता
    28 Apr 2022
    जनजातीय समूह मानते रहे हैं कि वे हिंदू धर्म से अलग रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन करते हैं, इसलिए उन्हें अलग धर्म संहिता दी जाना चाहिए, ताकि आने वाली जनगणना में उन्हें अलग समहू के तौर पर पहचाना जा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License