NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तान
करतारपुर  कॉरिडोर : दोनों तरफ़ के पंजाबियों को भारत-पाक के बेहतर संबंधों की आस
“हम दोनों मुल्कों के पंजाबी तो कब से एक दूसरे को गले लगाने के लिए तरस रहे हैं पर भारत-पाक की सरकारों ने हमें अब तक जुदा करके रखा है। अब गुरु नानक पातशाह की कृपा हुई है, आस है इस कॉरिडोर के खुलने के साथ दोनों देशों के संबंध भी बेहतर होंगे।”
शिव इंदर सिंह
08 Nov 2019
kartarpur corridor
फोटो साभार : एनडीटीवी

करतारपुर बॉर्डर से जुड़े डेरा बाबा नानक के स्वरूप सिंह ने खुशी से खिलते हुए कहा, “9 नवंबर का दिन मेरे लिए भाग्यशाली है। इस दिन अपने गुरु की मेहर से मैं गुरुद्वारा करतारपुर साहिब नतमस्तक होऊंगा और अपने पंजाब की उस मिट्टी को चूमूंगा जिससे हुक्मरानों ने हम पंजाबियों को 72 साल से अलग करके रखा है।” गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक में ही मिले एक और श्रद्धालु गुरमुख सिंह ने अपने जज़्बातों का इज़हार करते हुए कहा, “हम दोनों मुल्कों के पंजाबी तो कब से एक दूसरे को गले लगाने के लिए तरस रहे हैं पर भारत-पाक की सरकारों ने हमें अब तक जुदा करके रखा है। अब गुरु नानक पातशाह की कृपा हुई है, आस है इस कॉरिडोर के खुलने के साथ दोनों देशों के संबंध भी बेहतर होंगे।”

9 नवंबर को दोनों देशों के प्रधानमंत्री करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन कर रहे हैं, इसे दोनों तरफ के पंजाबी भारत और पाकिस्तान के बीच नए दौर की शुरुआत के तौर पर देख रहे हैं। उन्हें आस है कि इस प्रयास द्वारा जहां दोनों देशों के संबंध सुधरेंगे वहीं आपसी व्यापार के मौके भी बढ़ेंगे जिसका फायदा पंजाब को भी होगा।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत-पाकिस्तान के तल्खी वाले संबंधों के बावजूद भारतीय और पाकिस्तानी पंजाबियों के दिल एक दूसरे के लिए धड़कते हैं। पंजाबियों की सांझी पंजाबी बोली, सांझा सभ्याचार, सांझा लोक संगीत, साहित्यिक और जज़्बाती सांझ इस रिश्ते को और भी गहरा बनाती है। पंजाब के सरहदी राज्य होने के कारण पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की तल्खी से सबसे ज्यादा पंजाब ही प्रभावित होता है। यहां के सरहदी क्षेत्र के लोगों को बार-बार उजड़ना पड़ता है, फिर भी पंजाब में पाकिस्तान के प्रति नफ़रत वाली भावना नहीं है। पिछले 5-6 सालों के दौरान जब भी पाकिस्तान के साथ तल्खी वाला माहौल बना तो पंजाब की आवाज़ पूरे देश से अलग थी।

जहां देश के अन्य हिस्सों से आवाजें आ रही थीं - ‘पाकिस्तान को सबक सिखा दो’ वहीं पंजाब से बिल्कुल उलट आवाज़ आई -‘हमें जंग नहीं शांति चाहिए, अगर जंग हुई तो नुकसान पंजाब का ही होगा, पंजाब चाहे इधर वाला हो या उधर वाला। उस समय पंजाबी नौजवान जंग विरोधी कविताएं, कहानियां और फिल्में सोशल मीडिया पर शेयर करते नज़र आए। सरहदी इलाके के एक बुर्जुग ने भावुक होते हुए कहा, “दिल्ली बैठ कर जंग की बातें करना आसान हैं पर हम जैसे सरहदी इलाकों में बसने वालों लोगों से पूछो कि हमारे ऊपर क्या बीतती है? आखिर हमने गोले-बारूद किनके ऊपर फेंकने हैं, वो हमारे ही तो पंजाबी भाई-बहन हैं।”

जब भी किसी भारतीय या पाकिस्तानी नेता ने भारत-पाक दोस्ती के लिए पहलकदमी की तो पंजाबियों ने उसे बाहों में उठा लिया, जिस तरह आजकल नवजोत सिंह सिद्धू और इमरान खान की बल्ले-बल्ले हो रही है। भारत-पाक दोस्ती के लिए काम करने वाली संस्था ‘पंजाबी सथ्थ लाम्बड़ा’ के जनरल सैक्रेटरी डॉ. निर्मल सिंह का कहना है, “पंजाबी करतारपुर कॉरिडोर को सिर्फ धार्मिक आस्था तक सीमित करके नहीं देख रहे बल्कि वे इसे दोनों पंजाबों और दोनों देशों के खूबसूरत संबंधों के अध्याय के तौर पर भी देख रहे हैं। कई लोग इसका सेहरा नवजोत सिंह सिद्धू व इमरान खान के सिर बांध रहे हैं पर इसके असली हकदार खुद दोनों ओर के पंजाबी हैं जिन्होने अपनी सरकारों को ऐसा करने के लिए मजबूर किया।”

भारत-पाक संबंधों पर पैनी नज़र रखने वाले पंजाबी के नामवर पत्रकार और ‘पंजाबी ट्रिब्यून’ के न्यूज़ कोऑर्डिनेटर हमीर सिंह का विचार है, “इस कॉरिडोर द्वारा सिखों की लंबे समय से की गई प्रार्थना पूरी हो गई है, उन्हें बिछड़े गुरु धामों के दर्शन करने का मौका मिलेगा। भारत और पाकिस्तान के बीच ख़ासकर पिछले कुछ समय से बढ़े तनाव के कारण स्थिरता बनी हुई है पर करतारपुर कॉरिडोर के रास्ते में कोई रुकावट नहीं आई। शायद एक लम्बे अरसे के बाद दोनों देशों के अधिकारियों के बीच कोई सुखद समझौता हुआ है, नहीं तो इससे पहले 1965, 1971 की जंग और 1999 की कारगिल लड़ाई दौरान भारी जान-माल के नुकसान ही हुए हैं।”

हिंद-पाक दोस्ती मंच के जनरल सैक्रेटरी सतनाम सिंह मानक का मानना है, “पंजाबियों की आपसी सांझ की जड़े बहुत गहरी हैं। भारत-पाक के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद दोनों पंजाबों के बीच साहित्यिक व सांस्कृतिक सांझ बनी रही है। दोनों के पंजाबी साहित्यकार सांझे हैं-नानक, बुल्ला, फरीद, वारिस शाह को दोनों तरफ के पंजाबी शीश झुकाते हैं। नूरजहां, प्रकाश कौर, सुरेन्द्र कौर हर पंजाबी के दिल में धड़कती हैं। ऐसे माहौल में करतारपुर कॉरिडोर दोनों पंजाबों के लिए एक पुल का काम करेगा।”

इसी तरह का उत्साह पाकिस्तानी पंजाब में भी दिखता है। पाकिस्तानी पंजाबी शायर अफज़ल साहिर कहते हैं, “मैं ‘भारतीय पंजाब’ और ‘पाकिस्तानी पंजाब’ कहना पसंद नहीं करता। पंजाब सिर्फ पंजाब है। इसे हम ‘लहन्दा पंजाब’ और ‘चढ़दा पंजाब’ तो कह सकते हैं। गुरु नानक अगर हिन्दुओं और सिखों के गुरु हैं तो मुसलमानों के पीर हैं, उन्होंने हमें ‘न कोई हिन्दू, न कोई मुसलमान’ का सबक पढ़ाया है। आज बाबा नानक फिर अपने पंजाब को जोड़ने का जरिया बन रहे हैं।” दोनों पंजाबों को अपने यू-ट्यूब चैनल ‘पंजाबी लहरां’ द्वारा जोड़ने वाले लहिन्दे पंजाब के पंजाबी गभरू नासिर ढिल्लों का कहना है, “चढ़दे पंजाब के पंजाबियों की तरह हम भी 9 तारीख का बेसब्री के साथ इंतज़ार कर रहे हैं। हमें हमारे सालों से बिछड़े माँ-जन्में मिलेंगे, काश उस दिन की कभी रात न हो। विभाजन को कितना समय बीत गया है लेकिन नई पीढ़ी को भी वो जख़्म आज तक तंग कर रहे हैं।”

दोनों पंजाबों के पंजाबी कॉरिडोर के खुलने को व्यापार के नजरिए से भी अच्छा संकेत मानते हैं। नामवर पत्रकार संजीव पांडेय का कहना है कि दहशतगर्दी का बुरा असर पाकिस्तान के खेती व उद्योग क्षेत्र पर भी पड़ रहा है। बीते बीस सालों के दौरान पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को दहशतगर्दी कारण 125 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। इस कारण पाकिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार व फौज़ की मुश्किलें बढ़ीं है। पाकिस्तानी सरकार को उम्मीद है कि दोनों मुल्कों के बीच धार्मिक सैर-सफर बढ़ने से आर्थिक भाईचारा भी बढ़ेगा।

गौरतलब है कि सिख धर्म से सम्बंधित अहम स्थान पाकिस्तान में स्थित हैं जो मुख्य तौर पर लाहौर, ननकाना साहिब, हसन अब्दाल और करतारपुर साहिब में हैं। भारत-पाक विभाजन के बाद पाकिस्तान में सिखों की आबादी करीब 70,000 रह गई है। इसी तरह धार्मिक स्थानों के मामले में पाकिस्तान की स्थिति दिलचस्प है। पाकिस्तान इस्मालिक देश है और इस्लाम से संबंधित ज्यादातर पवित्र स्थान सऊदी अरब, इराक और ईरान में है।

पाकिस्तान सरकार अगर अपने देश में धार्मिक स्थानों के पर्यटन को विकसित करना चाहती है तो उसकी पहली तरजीह सिख धर्म से संबंधित स्थानों के विकास की होगी। काबिल-ए-गौर है कि भारत ने भी विदेशी सैलानियों को ऐसे ही धार्मिक पर्यटन स्थलों की तरफ आकर्षित करने के लिए उत्तर प्रदेश और बिहार में स्थित बुद्ध धर्म के अहम स्थानों को विकसित किया है। इसी तरह पाकिस्तान भी सिख धर्म से संबंधित स्थानों को विकसित करके धार्मिक पर्यटन को विकसित कर सकता है।

भारत और पाकिस्तान के आर्थिक रिश्ते कुछ सालों से ख़राब चले आ रहे हैं पर दोनों देशों के व्यापारी अच्छे व्यापारिक संबंधों के इच्छुक हैं। अमृतसर और लाहौर के व्यापारियों को इस कॉरिडोर के खुलने से काफी उम्मीदें हैं। जानकारों का कहना है कि पंजाब के रास्ते पाकिस्तान के साथ व्यापार बढ़ने का पूरे उत्तर भारत को फायदा होगा। लाहौर चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री की तरफ से भी पंजाब सरहद के रास्ते भारत के साथ व्यापार बढ़ाने की मांग की जा रही है।

भारतीय पंजाब के नेता भी लगातार पंजाब के रास्ते पाकिस्तान के साथ आर्थिक रिश्ते सुधारने पर ज़ोर देते आए हैं। अभी सिर्फ अटारी सरहद के रास्ते ही दोनों देशों के बीच लेन-देन है। आर्थिक जानकार यह भी बताते हैं कि दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार की समर्थता 30 अरब डॉलर के करीब है जबकि मौजूदा आपसी व्यापार 2.50 अरब डॉलर है। पाकिस्तानी अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यदि करतार कॉरिडोर रिश्ते सुधारने का जरिया बनता है तो इसका पाकिस्तान के कई औद्योगिक क्षेत्रों को सीधा लाभ होगा। पाकिस्तान का ऑटोमोबाइल उद्योग भारत के गुड़गांव व मानेसर से जरूरत का सामान आयात कर सकेगा। पाकिस्तान के दवा उद्योग को भी भारी फायदा होगा। दोनों मुल्कों के बीच खेती सहयोग भी बढ़ने की आस है।

पाकिस्तान के दावे और उम्मीदें

पाकिस्तान का दावा है कि कॉरिडोर द्वारा रोजाना 5000 के करीब संगत गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शन कर सकेगी। पाकिस्तान सरकार के प्रवक्ता व कॉरिडोर के बारे में हस्ताक्षर करने की जिम्मेदारी निभाने वाले डॉ. मुहम्मद फ़ैज़ल का कहना है कि ऐसे माहौल में समझौता बहुत मुश्किल होता है। उनके मुताबिक 20 डॉलर सर्विस चार्ज इसलिए लगाया गया था कि सरकार का खर्च अरबों में हुआ है और लगभग एक चौथाई पैसा इससे वापस आने की उम्मीद थी। पाकिस्तान प्रधानमंत्री ने कुछ दिनों के लिए यह भी माफ़ कर दिया है। बातचीत के तीन दौर -दो अटारी में, एक वाघा में- हुए हैं। पासपोर्ट तो ज़रूरी है लेकिन वीजा की शर्त नहीं है। उन्होंने बताया कि इसमें कोई शक नहीं कि पाकिस्तान सरकार आर्थिक संकट से गुज़र रही है परंतु कॉरिडोर के मामले में कोई दिक्कत नहीं होगी। डॉ. फ़ैज़ल का यकीन है कि इससे व्यापार व पर्यटन बढ़ेगा।

पाकिस्तान की तरफ से करतारपुर कॉरिडोर के रास्ते जाने वाले श्रद्धालुओं की देखभाल, गुरुद्वारे की इमारत व रिहाइश समेत पूरे प्रोजेक्ट के डायरेक्टर आतिफ़ मज़ीद ने कहा कि सिख भाईचारे के इच्छा मुताबिक पूरा काम किया गया है, यह बड़ी चुनौती थी पर बाबा नानक के आशीर्वाद से हम कामयाब हो गए। अब करतारपुर साहिब दुनिया का सबसे बड़ा गुरुद्वारा बन गया है। पहले यह चार एकड़ में स्थित था और आस-पास जंगलनुमा माहौल था। अब 43 एकड़ में संगमरमर लगा दिया गया है।

जिन खेतों में गुरु नानक देव जी ने खेती की थी वह 26 एकड़ जगह ज्यों की त्यों गुरुद्वारे के पास ही खेती के लिए रखी गई है। इसके अलावा 36 एकड़ ज़मीन बागवानी व अन्य कामों के लिए रखी गई है। गुरुद्वारे का भारत की तरफ वाला भाग खुला रखा गया है ताकि श्रद्धालु दूर से आते हुए ही दर्शन कर लें। दूसरी तरफ बड़ा लंगर हाल बनाया गया है जिसमें एक समय में 2500 श्रद्धालुओं के बैठने का प्रबंध है। इसी तरह लाइब्रेरी, म्यूज़ियम और रिहायशी कमरे हैं। पहले पड़ाव के लिए 404 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण किया गया है। पाकिस्तान सरकार का दावा है कि यह पूरा प्रोजेक्ट 800 एकड़ में पूरा होगा।

पाकिस्तान सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर को अर्पित धार्मिक गीत ‘पवित्र धरती नानक दी’ रिलीज़ किया है जिसकी दोनों पंजाबों में सराहना हो रही है।

भारतीय पंजाब में पाकिस्तान सरकार द्वारा लगाए गए 20 अमेरिकी डॉलर फीस का लोगों को कोई एतराज नहीं है। सिर्फ पंजाब के नेता ही इस पर सवाल उठा रहे हैं। लोग तो यह कह रहे हैं कि यदि नेताओं को श्रद्धालुओं की इतनी ही फिक्र है तो पंजाब व केन्द्र सरकार खुद ही इस फीस की भरपाई क्यों नहीं कर देती? गुरमीत सिंह नाम के एक श्रद्धालु ने आरोप लगाया कि “दिल्ली के एक गुरुद्वारा में 15-20 बंदों के लिए कमरों की बुकिंग के लिए पौने लाख रूपये तक की रिश्वत देनी पड़ती है, दरबार साहिब अमृतसर में कमरा बुक कराने के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के आला अधिकारियों की सिफारिश लगानी पड़ती है।

पहले सिख नेता अपनी संस्थाओं में चल रहे इस भ्रष्टाचार पर रोक लगाएं नहीं तो उन्हें पाकिस्तान सरकार द्वारा लगाई लगी 20 डॉलर की फीस पर सवाल उठाने का भी कोई हक नहीं। दूसरे, पंजाब में से ही हरिमंदिर साहिब गुरुद्वारा तक पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को सैकड़ों रुपये तो टोल टैक्स के देने पड़ते हैं, क्या सरकारें इनको माफ़ करेंगी?” पंजाब के सिख श्रद्धालु इस बात से भी चिंतित हैं कि गुरु नानक साहब के जन्म दिन पर सियासी नेताओं द्वारा अलग-अलग स्टेजें लगाई जा रहीं हैं जिससे वे अपनी ओछी राजनीति को चमकाना चाहते हैं। पैसे व सियासी चमक-दमक ने गुरु नानव देव जी की सादगी व मानवतावादी सोच को पीछे छोड़ दिया गया है।

(लेखक पंजाब से जुड़े स्वतंत्र वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

Kartarpur Corridor
india-pakistan
India-Pakistan Relation
Punjabis on both sides
Indian government
Pakistani Government
Religious discrimination
Religion Politics

Related Stories

विचार: बिना नतीजे आए ही बहुत कुछ बता गया है उत्तर प्रदेश का चुनाव

विचार-विश्लेषण: विपक्ष शासित राज्यों में समानांतर सरकार चला रहे हैं राज्यपाल

हिन्दू धर्म और हिन्दुत्व का फ़र्क़

तिरछी नज़र: प्रश्न पूछो, पर ज़रा ढंग से तो पूछो

जै श्रीराम: अभिवादन को युद्धघोष बनाने के पीछे क्या है?

उनके तालिबान तालिबान, हमारे वाले संत?

दुनिया बीमारी से ख़त्म नहीं होगी

तुष्टिकरण बनाम दुष्टिकरणः भाषाई संक्रमण से बीमार होता समाज

असम चुनावः भाजपा को हांफ़ना पड़ गया विपक्ष और मुद्दों के आगे

ज़रा सोचिए: अपनी सेवा से दिल जीतती ननें!


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License