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भारत
राजनीति
कश्मीर : सरकार ने वीपीएन को ब्लॉक करके इंटरनेट बैंडविड्थ को ख़त्म कर दिया है
कश्मीर के निवासियों का कहना है कि वीपीएन को अवरुद्ध करने से उन "व्हाइटलिस्टेड" वेबसाइटों तक पहुंच कम हो गई है क्योंकि ये वेबसाइट अचानक कम की गई बैंडविड्थ के कारण नहीं खुल रही हैं।
अनीस ज़रगर
03 Mar 2020
Translated by महेश कुमार
jammu and kashmir

श्रीनगर : सरकार द्वारा महीनों बाद कम स्पीड वाले इंटरनेट को बहाल करने के बाद कश्मीर में "सफ़ेदसूचीबद्ध" (व्हाइटलिस्टेड) वेबसाइटों तक पहुंच काफ़ी कम हो गई है क्योंकि, वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क्स (वीपीएन) ने जो राहत प्रदान की थी वह कुछ क्षण के बाद बंद कर दी गई और अब क्षेत्र के स्थानीय लोग फिर से इंटरनेट की सीमित पहुंच से जूझ रहे हैं।

प्रशासन ने कश्मीर में वीपीएन के उपयोग पर रोक लगा दी है, घाटी में मौजूद लगभग सभी पर दूरसंचार कंपनियों ने रोक लगा दी हैं। निवासियों का कहना है कि वीपीएन को अवरुद्ध करने से उनका  "सफ़ेदसूचीबद्ध" वेबसाइटों तक पहुंचना भी मुश्किल हो गया है क्योंकि ये वेबसाइट अचानक कम हुए बैंडविड्थ के कारण खुल नहीं पा रही हैं।

एक श्रीनगर निवासी आदिल ने कहा, “मैं पिछले दो दिनों से अपने फोन पर जीमेल एप्लिकेशन नहीं खोल पा रहा हूं। अधिकांश अन्य सफ़ेद सुची वाली साइटों के साथ भी यही स्थिति है। ऐसा लगता है कि सरकार ने कश्मीर में फिर से इंटरनेट बंद कर दिया है, लेकिन इस बार उन्होंने इसकी कोई घोषणा नहीं की है।”

इंटरनेट का मुद्दा कश्मीर में एक बड़े संकट के रूप में उभरा है जिसने छात्रों, पेशेवरों, व्यापारियों और व्यवसाय से जुड़े हर तबके को प्रभावित किया है, इसलिए कई लोग इन इलाकों से पलायन करने पर  मजबूर हो रहे हैं। इस सब से कई को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है और उनमें से कुछ को ऑनलाइन रोक के कारण अपने व्यवसायों को बंद करने के लिए भी मजबूर होना पड़ा है। कई लोगों ने शिकायत की है कि यह हालत तेजी से एक गंभीर समस्या में तब्दील होता जा रहा है।

जुनैद के लिए, पूर्ण इंटरनेट प्रतिबंध उतना ज़्यादा निराशाजनक नहीं था जितना कि धीमी गति का इंटरनेट है। उन्होंने कहा, "मैं बार-बार अपने फ़ोन को देखता रहता हूँ, कि कहीं स्पीड तो नहीं बढ़ी है।"

नौकरी करने वाले पेशेवर लोगों ने न्यूज़क्लिक को बताया, “टेक्नोलॉजी और फोन के बारे में मेरे माता-पिता के साथ मेरी बातचीत यहाँ तक सीमित थी कि फोन चार्ज है या नहीं। लेकिन अब हम डिनर टेबल पर सरकारी आदेशों और वीपीएन के बारे में चर्चा करते हैं। सरकार ने हमारे इंटरनेट की आदतों में बदलाव नहीं किया है, लेकिन इस मुद्दे ने हमारे ड्राइंग रूम की चर्चाओं में जगह बना ली है जो अपने आप में असामान्य सी बात है।”

24 जनवरी को गृह विभाग ने एक सरकारी आदेश के तहत मोबाइल डाटा सेवाओं को "सत्यापित" क्रेडेंशियल्स के साथ प्री-पेड और पोस्ट-पेड सिम कार्ड सहित सभी नेटवर्क पर बहाल कर दिया था, इसे धारा 370 को ख़त्म करने के बाद पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया था और 5 अगस्त को दो केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू और कश्मीर के पूर्ववर्ती राज्य का विभाजन कर दिया गया था, और 6 महीने बाद इसे खोला गया। हालांकि गति केवल 2जी तक ही सीमित थी और लोगों को कुछ सौ वेबसाइटों तक ही पहुंच की इजाज़त दी गई थी।

तब से, सरकार यथास्थिति बनाए रखने के लिए अनुवर्ती आदेश जारी कर रही है और केवल "सफ़ेदसूचीबद्ध" वेबसाइटों की संख्या में वृद्धि कर रही है, जिनकी संख्या अब 1,600 से थोड़ा अधिक है।

मोबाइल इंटरनेट, ब्रॉडबैंड कनेक्शन के अलावा, जिसने घाटी में 20,000 से अधिक घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को इंटरनेट की सुविधा प्रदान की है वे अब बंद है। एक सरकारी अधिकारी के अनुसार, 1,500 ब्रॉडबैंड कनेक्शन हैं जो वर्तमान में काम कर रहे हैं। सरकार ने दूरसंचार कंपनियों को विशेष रूप से वीपीएन के माध्यम से किसी भी इंटरनेट रिसाव को अवरुद्ध करने के लिए फ़ायरवॉल स्थापित करने का निर्देश दे दिया है, जिसके बाद राज्य के स्वामित्व वाली बीएसएनएल ने एक यूएस-आधारित कंपनी से महंगा आईटी सोलुशन हासिल किया है।

श्रीनगर के एक अन्य निवासी दाऊद ने कहा, "यहां कोई इंटरनेट काम नहीं कर रहा है। सरकार इंटरनेट केवल उनको उपलब्ध करा रही है जिन्हें वह यह सुविधा देना चाहती है। हम एक डिजिटल रंगभेद के शिकार हैं।”

इससे पहले फरवरी में, जम्मू-कश्मीर पुलिस की साइबर शाखा ने सरकारी आदेशों की अवहेलना करने और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का उपयोग करने के लिए "विभिन्न सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं" के ख़िलाफ़ ग़ैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक केस दर्ज किया था। एफ़आईआर को विभिन्न वीपीएन के उपयोग द्वारा सोशल मीडिया पोस्टों का  संज्ञान लेते हुए दर्ज किया गया था, पहली एफ़आईआर एक सरकारी अधिसूचना के बाद दर्ज की गई थी।

घाटी के एक व्यापारी ने न्यूज़क्लिक को बताया, “एक तरफ़ तो बहुत अधिक भ्रम की स्थिति है, दूसरी तरफ़ सरकार यह दावा करती है कि स्थिति सामान्य है और सब प्रतिबंध भी जारी रखती हैं। एक तो पहुंच सीमित है और उस पर उन्होंने वीपीएन को भी अवरुद्ध कर दिया है। वे ऐसे लोगों को गिरफ़्तार कर रहे हैं जो इंटरनेट का दुरुपयोग करते हैं लेकिन, आम जनता को अभी भी कोई राहत नहीं है।”

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Kashmir: Govt Smothers Internet Bandwidth to Block VPNs

Internet Ban in J&K
Internet Access
Limited Access to Internet in Kashmir
Jammu and Kashmir
Economic Slump in J&K
Abrogation of Article 370
VPN Blocked in Kashmir
Business in Kashmir
UAPA
J&K Police
Ban on Social Media
FIR Against Social Media Users in J&K

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