NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
एक पत्रकार समूह द्वारा कब्ज़े के बाद, कश्मीर प्रेस क्लब को सरकार ने खुद के सुपुर्द किया
प्रमाणिक पत्रकारों की सुरक्षा और शांति भंग होने के डर से कश्मीर प्रेस क्लब के परिसर को सरकार ने एस्टेट डिपार्टमेंट को दे दिया है।
अनीस ज़रगर
18 Jan 2022
Kashmir Press Club

श्रीनगर: कश्मीर प्रेस क्लब (केपीसी) पर सशस्त्र बलों के सहयोग से दो दिन पहले कुछ पत्रकारों के एक समूह ने कब्ज़ा कर लिया था। अब जम्मू-कश्मीर सरकार ने पोलो व्यू पर स्थित इस जगह का आवंटन रद्द कर दिया है और इस इमारत को संपत्ति विभाग को सौंप दिया है। सोमवार को हुई इस कार्रवाई के लिए सरकार ने "असल पत्रकारों की सुरक्षा और शांति भंग करने" को वजह बताया है।

सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा, "पत्रकारों के दो समूहों में अवांछित घटनाक्रम और तनाव के चलते यह तय किया गया है कि पोलो व्यू पर अब अंपजीकृत हो चुके कश्मीर प्रेस क्लब के आंवटित परिसर को वापस लिया जाएगा। यह परिसर संपत्ति विभाग के स्वामित्व में था, जिसे अब वापस किया जाएगा।"

केपीसी के पूर्व अध्यक्ष शुजा-उल-हक ने पहले बताया था कि पिछले साल सरकार द्वारा केंद्र शासित प्रदेशों के नियमों के हिसाब से केपीसी को दोबारा पंजीकरण के लिए कहा गया था। 29 दिसंबर, 2021 को नया पंजीकरण जारी करने के बावजूद रजिस्ट्रार ऑफिस ने 14 जनवरी को इस पंजीकरण को स्थगित कर दिया। 15 जनवरी को केपीसी के आधे दर्जन से भी ज़्यादा कम सदस्य केपीसी की बिल्डिंग पहुंचे, और यह कहते हुए कि क्लब अच्छी तरह से नहीं चल पा रहा है, खुद को वहां की नई संस्था नियुक्त कर दिया।  

क्लब में दो "संघर्षरत समूहों" से संबंधित घटनाक्रमों पर "चिंता" जताते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कहा कि इन स्थितियों में पुराने केपीसी का नाम इस्तेमाल करते हुए किसी भी एक धड़े द्वारा नोटिस जारी करना या बातचीत करना अवैधानिक होगा।"

कब्ज़ा करने वाले समूह की बड़े पैमाने पर भर्त्सना हुई थी। कम से कम 7 स्थानीय पत्रकारिता संस्थानों, 300 से ज़्यादा मीडियाकर्मियों (जिनमें केपीसी से संबंध न रखने वाले पत्रकार भी शामिल थे), एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया, दिल्ली पत्रकार संघ, मुंबई प्रेस क्लब और प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया ने इस कब्ज़े की निंदा की।

शनिवार को हुई इस घटना के बाद केपीसी की इमारत में ताला डाल दिया गया था। इस तालाबंदी से स्थानीय पत्रकारों में गंभीर चिंता छाई है। कुछ ने तो इस घटना को केपीसी का "निरसन" तक करार दिया है। एक पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर न्यूज़क्लिक को बताया, "यह व्यापक दमन और धमकाने की कार्रवाईयों का हिस्सा है, ताकि प्रशासन ज़मीन पर होने वाली रिपोर्टिंग को खत्म कर सके। हम प्रेस क्लब के साथ या इसके बिना लगातार अपना काम करना जारी रखेंगे।"

सीपीआई (एम) के राज्य सचिव गुलाम नबी मलिक ने प्रशासन के इस अनचाहे हस्तक्षेप की निंदा की है। उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर में प्रेस पहले ही बहुत तनाव में है। पेशेवर पत्रकारों को यह महसूस होता है कि उनके लिए सामान्य रिपोर्ट भी करना असंभव है। पत्रकारों को बिना तनाव के उनका काम करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।"

केपीसी को उस कश्मीर में प्रेस की स्वतंत्रता का बड़ा पैरोकार माना जाता था, जहां पिछले दो सालों में पुलिस द्वारा बुलाए गए पत्रकारों को डराया-धमकाया और उत्पीड़ित किया गया है। हाल में संस्था ने पत्रकार सज्जाद गुल की सुरक्षा पर गंभीर चिंताएं जताई थीं, जिन्हें बांदीपुरा जिले में 6 जनवरी को उनके घर से एक वीडियो डालने पर गिरफ़्तार किया गया था। साप्ताहिक पत्रिका द कश्मीर वाला द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक़, इस महीने हारवन में लश्कर-ए-तैएबा के कमांडर सलीम पार्रे के मारे जाने के बाद यह वीडियो डाला गया था, जिसमें एक परिवार भारत विरोधी नारे लगा रहा था।

एक मजिस्ट्रेट द्वारा जमानत दिए जाने के बावजूद गुल को नहीं छोड़ा गया और बाद में विवाादित पब्लिक सेफ्टी एक्ट, 1978 के तहत उन्हें दोबारा गिरफ़्तार दर्शा दिया गया। इस कानून के तहत किसी आरोपी को बिना सुनवाई के दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है। सज्जाद पर यह अधिनियम लगाए जाने के बाद उन्हें जम्मू की कोट भलवाल जेल में पहुंचा दिया गया था।

गुल के वकील उमैर रोंगा ने न्यूज़क्लिक को बताया, "हमने एक नई ज़मानत याचिका संबल कोर्ट में दाखिल की है, जिसमें संबंधित पुलिस स्टेशन से रिपोर्ट मांगी गई है। जब पीएसए के तहत उनकी हिरासत से जुड़े दस्तावेज़ हमें मिल जाएंगे, तो हम हाई कोर्ट में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करेंगे और उनके खिलाफ़ दायर किए गए केस को रद्द करने की अपील करेंगे।"

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

J&K Govt Takes Control of Kashmir Press Club After ‘Takeover’ by Journalists

Kashmir Press Club
Jammu and Kashmir
Srinagar

Related Stories

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 

यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा

आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद

जम्मू में आप ने मचाई हलचल, लेकिन कश्मीर उसके लिए अब भी चुनौती

जम्मू-कश्मीर परिसीमन से नाराज़गी, प्रशांत की राजनीतिक आकांक्षा, चंदौली मे दमन


बाकी खबरें

  • निखिल करिअप्पा
    कर्नाटक : कच्चे माल की बढ़ती क़ीमतों से प्लास्टिक उत्पादक इकाईयों को करना पड़ रहा है दिक़्क़तों का सामना
    02 May 2022
    गलाकाट प्रतियोगिता और कच्चे माल की क़ीमतों में बढ़ोत्तरी ने लघु औद्योगिक इकाईयों को बहुत ज़्यादा दबाव में डाल दिया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिजली संकट को लेकर आंदोलनों का दौर शुरू
    02 May 2022
    पूरा देश इन दिनों बिजली संकट से जूझ रहा है। कोयले की प्रचुर मात्रा होने के बावजूद भी पावर प्लांट में कोयले की कमी बनी हुई है। इसे लेकर देश के कई इलाके में विरोध शुरू हो गए हैं।  
  • सतीश भारतीय
    मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों में सैलून वाले आज भी नहीं काटते दलितों के बाल!
    02 May 2022
    भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 भारत के हर नागरिक को समानता का दर्जा देता है। मगर हक़ीक़त यह है कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी दलित आवाम असमानताओं में जीने को विवश है। आज भी ऊंची जाति ने दलित समाज को सिर के…
  • पीपल्स डिस्पैच
    "एएलबीए मूल रूप से साम्राज्यवाद विरोधी है": सच्चा लोरेंटी
    02 May 2022
    एएलबीए मूवमेंट्स की तीसरी कंटिनेंटल असेंबली के दौरान संबद्ध मंचों ने एकता स्थापित करने और साम्राज्यवाद व पूंजीवाद के ख़िलाफ़ एक साथ लड़ने की अहमियत के बारे में चर्चा की।
  • राजु कुमार
    6 से 9 जून तक भोपाल में होगी 17वीं अखिल भारतीय जन विज्ञान कांग्रेस
    02 May 2022
    “भारत का विचार : वैज्ञानिक स्वभाव, आत्मनिर्भरता और विकास“ के साथ-साथ देश की वर्तमान चुनौतियों पर मंथन एवं संवाद के लिए 600 से अधिक जन विज्ञान कार्यकर्ता एवं वैज्ञानिक शिरकत करेंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License