NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कश्मीरः क्या सेना के कैप्टन को सज़ा मिलेगी
जम्मू-कश्मीर में विशेष सशस्त्र बल अधिकार क़ानून और सेना कानून लागू है, जिसके तहत सेना व अन्य सुरक्षा बलों के लोगों पर मुक़दमा चलाने या उन्हें गिरफ़्तार करने के लिए केंद्र सरकार से इजाज़त लेनी पड़ती है।
अजय सिंह
01 Jan 2021
कश्मीर
 प्रतीकात्मक तस्वीर।

मसला यह नहीं है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने भारतीय सेना की 62-वीं राष्ट्रीय राइफ़ल्स के कैप्टन भूपेंद्र सिंह व दो ग़ैर-सैनिक व्यक्तियों के ख़िलाफ़ तीन मज़दूरों की फ़र्जी मुठभेड़ हत्या के आपराधिक मामले में 26 दिसंबर 2020 को शोपियां के प्रमुख सेशन जज की अदालत में चार्जशीट (आरोपपत्र) दाखिल की है। असल सवाल यह है कि क्या सेना के कैप्टन पर मुक़दमा चल पायेगा और क्या उसे सज़ा मिल पायेगी। कहना मुश्किल है।

जम्मू-कश्मीर में विशेष सशस्त्र बल अधिकार क़ानून (एएफ़एसपीए) और सेना कानून लागू है, जिसके तहत सेना व अन्य सुरक्षा बलों के लोगों पर मुक़दमा चलाने या उन्हें गिरफ़्तार करने के लिए केंद्र सरकार से इजाज़त लेनी पड़ती है। और शायद ही केंद्र सरकार इसकी इजाज़त देती हो। इस मामले में पुलिस ने कैप्टन के दो ग़ैर-सैनिक सहयोगियों—ताबिश नज़ीर और बिलाल अहमद लोन—को, जो सेना के लिए मुख़बिरी करते रहे हैं, गिरफ़्तार कर लिया है, लेकिन कैप्टन भूपेंद्र सिंह को अभी तक गिरफ़्तार नहीं किया जा सका है क्योंकि इसके लिए सरकारी मंज़ूरी नहीं मिली है। कश्मीर में सेना को एएफ़एसपीए के तहत हर तरह की छूट मिली है—वह दंड के भय से मुक्त है।

पुलिस चार्जशीट में कहा गया है कि सेना/सुरक्षा बलों द्वारा दिये जानेवाले 20 लाख रुपये का इनाम पाने के लालच में कैप्टन ने तीन मज़दूरों को आतंकवादी बता कर मार डाला। शायद आपको पता हो, जम्मू-कश्मीर में किसी को आतंकवादी बता कर गिरफ़्तार करने या उसे मार डालने पर सेना/सुरक्षा बलों के लोगों को बीस लाख रुपये का सरकारी इनाम मिलता है और नौकरी में तरक़्क़ी भी मिलती है। मुख़बिरों को भी इनाम मिलता है। इसीलिए ख़ासकर कश्मीर घाटी में फ़र्जी मुठभेड़ों और असली हत्याओं का सिलसिला चलता रहता है।

चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि तीन लोगों की हत्या कर देने के बाद उनकी लाशों के पास सेना ने हथियार व गोला-बारूद रख दिया और उनकी बरामदगी दिखाते हुए तीनों को ‘अज्ञात आतंकवादी’ घोषित कर दिया।

तथाकथित मुठभेड़ की यह घटना 18 जुलाई 2020 की है। राजौरी क्षेत्र के तीन नौजवान—इम्तियाज़ अहमद (20), मोहम्मद अबरार (16) और अबरार अहमद (25)—नौकरी की तलाश में शोपियां गये थे। वहीं अम्शीपोरा गांव में उनका 18 जुलाई को सेना ने उन तीनों का अपहरण कर लिया और फिर उन्हें मार डाला गया।

उस समय सेना व जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दावा किया था कि ये तीनों ‘अज्ञात आतंकवादी’ थे जो मुठभेड़ में मारे गये। बाद में तीनों को उत्तर कश्मीर में बारामूला में एक अज्ञात जगह सेना ने चुपचाप दफ़ना दिया था। 19 जुलाई 2020 को राष्ट्रीय राइफ़ल्स के कमांडर ने प्रेस कांफ्रेंस करके विस्तार से बताया था कि ‘मज़बूत सुराग’ मिलने पर अम्शीपोरा गांव में घेरो- और- तलाशी लो अभियान चलाया गया, जहां इन ‘आतंकवादियों’ ने सेना पर गोलियां चलायीं, और सेना की जवाबी कार्रवाई में तीनों मारे गये। सेना ने तीनों के पास से हथियारों व गोला-बारूद की बरामदगी भी दिखा दी।

बाद में मारे गये लोगों के परिवारों की शिकायतों पर जांच-पड़ताल हुई, तब यह हक़ीक़त सामने आयी। हालांकि सेना के कैप्टन की गिरफ़्तारी होगी और उस पर मुक़दमा चलेगा, यह सवाल अभी बना हुआ है। लेकिन पुलिस चार्जशीट ने सेना द्वारा प्रचारित झूठ की कलई खोल दी।

सेना ने कुनन पोशपोरा-1991, पथरीबल-2000, गंदरबल-2007, माछिल-2010 व अन्य जगहों में बलात्कारों, फ़र्जी मुठभेड़ों व हवालात हत्याओं पर मुक़दमा चलाने की मंजूरी देने से बराबर इनकार किया है। भारतीय सेना को कठघरे में खड़ा करना और उसके अधिकारियों को दंडित करना आसान काम नहीं है! वह हर तरह के दंड विधान से ऊपर है!

(लेखक वरिष्ठ कवि व राजनीतिक विश्लेषक हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Jammu and Kashmir
Kashmir
Armed Forces
Indian army
Jammu and Kashmir police
Captain Bhupendra Singh
AFSPA

Related Stories

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 

यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा

आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद

क्यों अराजकता की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है कश्मीर?


बाकी खबरें

  • श्रुति एमडी
    किसानों, स्थानीय लोगों ने डीएमके पर कावेरी डेल्टा में अवैध रेत खनन की अनदेखी करने का लगाया आरोप
    18 May 2022
    खनन की अनुमति 3 फ़ीट तक कि थी मगर 20-30 फ़ीट तक खनन किया जा रहा है।
  • मुबाशिर नाइक, इरशाद हुसैन
    कश्मीर: कम मांग और युवा पीढ़ी में कम रूचि के चलते लकड़ी पर नक्काशी के काम में गिरावट
    18 May 2022
    स्थानीय कारीगरों को उम्मीद है कि यूनेस्को की 2021 की शिल्प एवं लोककला की सूची में श्रीनगर के जुड़ने से पुरानी कला को पुनर्जीवित होने में मदद मिलेगी। 
  • nato
    न्यूज़क्लिक टीम
    फ़िनलैंड-स्वीडन का नेटो भर्ती का सपना हुआ फेल, फ़िलिस्तीनी पत्रकार शीरीन की शहादत के मायने
    17 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने रूस-यूक्रेन संघर्ष के विस्तार के रूप में फिनलैंड-स्वीडन के नेटो को शामिल होने और तुर्की के इसका विरोध करने के पीछे के दांव पर न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सोनिया यादव
    मैरिटल रेप : दिल्ली हाई कोर्ट के बंटे हुए फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या अब ख़त्म होगा न्याय का इंतज़ार!
    17 May 2022
    देश में मैरिटल रेप को अपराध मानने की मांग लंबे समय से है। ऐसे में अब समाज से वैवाहिक बलात्कार जैसी कुरीति को हटाने के लिए सर्वोच्च अदालत ही अब एकमात्र उम्मीद नज़र आती है।
  • ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद
    विजय विनीत
    ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद
    17 May 2022
    सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने की। कोर्ट ने कथित शिवलिंग क्षेत्र को सुरक्षित रखने और नमाज़ जारी रखने के आदेश दिये हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License