NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
केरल जनादेश : विकास और सकारात्मक विचारधारा ही वाम की सत्ता वापसी का बना कारण
लेफ्ट डेमोक्रटिक गठबंधन की जीत ने पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए नया कीर्तिमान स्थापित किया है। केरल विधानसभा चुनाव में कम से कम 35 सीटें जीतने का दावा करने वाला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) रविवार को अपनी एकमात्र नेमोम भी नहीं बचा पाया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
03 May 2021
पिनराई विजयन

देश के चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के कल चुनाव परिणाम आए। इसमें से एक महत्वपूर्ण राज्य केरल भी था, जहाँ इस बार के चुनाव परिणाम ऐतिहासिक है क्योंकि वहां लगभग चार दशक बाद किसी सत्तधारी दल या गठबंधन की वापसी हुई है।  केरल को एक पैंडुलम स्टेट कहा जाता था यानि यहाँ हर पांच वर्ष में सत्ता परिवर्तन होता रहा है। लेकिन इस बार लेफ्ट डेमोक्रटिक गठबंधन की जीत ने इस परंपरा को तोड़ते हुए नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

केरल में वाम के जीत के कई प्रमुख कारण थे, लेकिन मुख्यतौर पर उनका मज़बूत वैचारिक संगठनात्मक मज़बूती दूसरा माहमारी और प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़ और तूफानों से राज्य की सुरक्षा और उनका प्रबंधन कौशल ने इस जीत में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।    

आप सोचिए कोई राजनैतिक दल चुनाव से पहले ये एलान कर सकता है  कि दो बार से अधिक जीते विधायकों को इस बार टिकट नहीं दिया जाएगा  लेकिन वाम दल माकपा ने किया।  इससे वहां कई वरिष्ठ मंत्रियों के टिकट भी कटे लेकिन इन सबके बाद भी संगठन में कोई विरोध का स्वर न उठे ये उनके संगठन की मज़बूती दिखता है।  

दूसरा महामारी के दौरान उनका प्रबंधन सराहनीय रहा है उनके स्वास्थ्य मॉडल की चर्चा देश ही नहीं दुनिया में हुई।  संयुक्त राष्ट्र ने भी केरल के स्वस्थ्य मंत्री केके शैलजा की तारीफ की थी। ऐसा नहीं है कि कोरोना संक्रमण नहीं हुआ बल्कि देश में सबसे अधिक संक्रमण वाले राज्यों में वो शीर्ष दो में है, लेकिन वहां मौत का अनुपात देश में सबसे कम रहा क्योंकि उन्होंने संक्रमितों को बेहतर स्वस्थ्य सुविधाएं दी।  आज जहाँ पूरे देश में ऑक्सीजन को लेकर हाहकार मचा हुआ है।  यहाँ तक कि राजधानी दिल्ली में जहाँ केंद्र सरकार की खुद प्रत्यक्ष मौजूदगी है वहां लोग ऑक्सीजन न मिलने से तड़प कर मर रहे हैं। ऐसा लग रहा है देश और राज्यों में कोई सरकार ही नहीं है। ऐसे में  केरल एक मात्र राज्य है जहाँ ऑक्सीजन सरप्लस है और वो बाकि राज्यों की भी इस संकट के दौर में मदद कर रहा है।  इसी का नतीजा है उनकी स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा 60 हज़ार के रिकॉर्ड अंतर् से चुनाव जीती हैं।

विजयन के नेतृत्व ने केरल में एलडीएफ को यूडीएफ पर शानदार जीत दिलायी

मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का दशकों का राजनीतिक कौशल उनके नेतृत्व वाले एलडीएफ को रविवार को घोषित विधानसभा चुनाव परिणाम में मिली शानदार जीत का एक प्रमुख कारण है।  

राज्य विधानसभा चुनाव के लिए मतदान छह अप्रैल को हुए थे।

वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) की इस ऐतिहासिक जीत के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें सरकार की ओर से मुफ्त में चावल बांटने, कोविड-19 का बेहतर प्रबंधन जैसी तमाम चीजें शामिल हैं।

कांग्रेस की संगठनात्मक कमजोरी और भाजपा की परंपरागत वाम विरोधी नीतियों ने भी एलडीएफ को आसानी से जीतने में मदद की है। एलडीएफ ने 140 में से 87 सीटें जीती हैं।

चुनाव के अंतिम परिणाम देर से आने की आशा है।

वहीं चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। भाजपा नीत राजग ने केरल में कम से कम 35 सीटें जीतने का दावा किया था। लेकिन रविवार को आए परिणामों में पार्टी का पत्ता पूरी तरह साफ दिख रहा है। यहां तक कि पार्टी के लोकप्रिय उम्मीदवार ई. श्रीधरन और पार्टी के राज्य प्रमुख के. सुरेन्द्रन भी जीत नहीं सके हैं।

केरल में अपनी एकमात्र सीट भी जीतने में नाकाम रही भाजपा, श्रीधरन एवं राज्य प्रमुख भी हारे

केरल विधानसभा चुनाव में कम से कम 35 सीटें जीतने का दावा करने वाला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) रविवार को अपनी एकमात्र नेमोम सीट भी नहीं बचा पाया और ‘मेट्रोमैन’ के नाम से प्रसिद्ध ई श्रीधरन और पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख के सुरेंद्रन समेत उसके सभी बड़े उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा।

राज्य की राजधानी स्थित नेमोम सीट पर पुन: जीत हासिल करने की जिम्मेदारी मिजोरम के पूर्व राज्यपाल कुमानम राजशेखरन के कंधों पर थी, लेकिन वह 2016 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले पार्टी नेता ओ राजागोपाल की तरह जादू चलाने में नाकाम रहे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता और वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) उम्मीदवार वी सिवनकुट्टी ने 3,949 मतों के अंतर से राजशेखरन को हराया। इससे पहले 2016 में सिवनकुट्टी को राजागोपाल ने मात दी थी।

नेमोम सीट पर जीत बरकरार रखना भगवा दल के लिए प्रतिष्ठा की बात थी, क्योंकि सत्तारूढ़ माकपा ने 140 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को पैर जमाने से रोकने से कोई कसर नहीं छोड़ी।

चुनाव से मात्र एक सप्ताह पहले मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा था कि माकपा राज्य में भाजपा की एकमात्र सीट को भी इस बार छीन लेगी।

अपनी एकमात्र नेमोम सीट हारने के अलावा, भगवा दल पलक्कड़, मालमपुझा, मांजेश्वरम और काझाकुट्टम जैसी अहम सीटों पर भी खास प्रदर्शन नहीं कर पाई।

88 वर्षीय श्रीधरन ने पलक्कड़ सीट पर शुरुआती बढ़त हासिल कर ली थी, लेकिन अंतत: युवा विधायक शफी परमबिल ने उन्हें 3,859 मतों के अंतर से हरा दिया।

अभिनेता से सांसद बने सुरेश गोपी त्रिशुर में शुरुआत में कई दौर की गणना के बाद पहले स्थान पर बने हुए थे, लेकिन अंतिम परिणाम आने तक वह तीसरे स्थान पर खिसक गए। पूर्व केंद्रीय मंत्री के जे अल्फोंस भी कांजीराप्पल्ली में खास प्रदर्शन नहीं कर पाए और हार गए।

भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख के सुरेंद्रन मांजेश्वरम और कोन्नी दोनों सीटों से हार गए, जिसके कारण पार्टी के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा हो गई।

वरिष्ठ नेता शोभा सुरेंद्रन को भी काझाकूट्टम से हार का सामना पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह, निर्मला सीतारमण एवं राजनाथ सिंह जैसे केंद्रीय मंत्रियों तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई भाजपा नेताओं ने प्रचार किया था और सबरीमला और ‘लव जिहाद’ जैसे मामले उठाए थे।

भाजपा ने चुनाव में कम से कम 35 सीट जीतने का दावा किया था, लेकिन वह खाता भी नहीं खोल पाई।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

Kerala
Left Democratic Front
UDF
Pinarayi Vijayan
CPM

Related Stories

केरल उप-चुनाव: एलडीएफ़ की नज़र 100वीं सीट पर, यूडीएफ़ के लिए चुनौती 

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

केरल: RSS और PFI की दुश्मनी के चलते पिछले 6 महीने में 5 लोगों ने गंवाई जान

सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए आंबेडकर के संघर्षों से प्रेरणा लें : विजयन

सीपीआईएम पार्टी कांग्रेस में स्टालिन ने कहा, 'एंटी फ़ेडरल दृष्टिकोण का विरोध करने के लिए दक्षिणी राज्यों का साथ आना ज़रूरी'

सीताराम येचुरी फिर से चुने गए माकपा के महासचिव

केजरीवाल का पाखंड: अनुच्छेद 370 हटाए जाने का समर्थन किया, अब एमसीडी चुनाव पर हायतौबा मचा रहे हैं

देशव्यापी हड़ताल को मिला कलाकारों का समर्थन, इप्टा ने दिखाया सरकारी 'मकड़जाल'

केरल में दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल के तहत लगभग सभी संस्थान बंद रहे

केरल: एचएलएल के निजीकरण के ख़िलाफ़ युवाओं की रैली


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई
    17 May 2022
    मुण्डका की फैक्ट्री में आगजनी में असमय मौत का शिकार बने अनेकों श्रमिकों के जिम्मेदार दिल्ली के श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर उनके इस्तीफ़े की माँग के साथ आज सुबह दिल्ली के ट्रैड यूनियन संगठनों…
  • रवि शंकर दुबे
    बढ़ती नफ़रत के बीच भाईचारे का स्तंभ 'लखनऊ का बड़ा मंगल'
    17 May 2022
    आज की तारीख़ में जब पूरा देश सांप्रादायिक हिंसा की आग में जल रहा है तो हर साल मनाया जाने वाला बड़ा मंगल लखनऊ की एक अलग ही छवि पेश करता है, जिसका अंदाज़ा आप इस पर्व के इतिहास को जानकर लगा सकते हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    यूपी : 10 लाख मनरेगा श्रमिकों को तीन-चार महीने से नहीं मिली मज़दूरी!
    17 May 2022
    यूपी में मनरेगा में सौ दिन काम करने के बाद भी श्रमिकों को तीन-चार महीने से मज़दूरी नहीं मिली है जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • सोन्या एंजेलिका डेन
    माहवारी अवकाश : वरदान या अभिशाप?
    17 May 2022
    स्पेन पहला यूरोपीय देश बन सकता है जो गंभीर माहवारी से निपटने के लिए विशेष अवकाश की घोषणा कर सकता है। जिन जगहों पर पहले ही इस तरह की छुट्टियां दी जा रही हैं, वहां महिलाओं का कहना है कि इनसे मदद मिलती…
  • अनिल अंशुमन
    झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध
    17 May 2022
    कॉपी जांच कर रहे शिक्षकों व उनके संगठनों ने, जैक के इस नए फ़रमान को तुगलकी फ़ैसला करार देकर इसके खिलाफ़ पूरे राज्य में विरोध का मोर्चा खोल रखा है। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License