NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
खोरी गांव: विरोध प्रदर्शन के बीच बारिश में तोड़े जा रहे मकान, कई स्थानीय और सामाजिक कार्यकर्ता हुए गिरफ़्तार
हरियाणा सरकार ने उनसे रोटी कपड़ा और मकान सब छीन लिया है। अब उसके पास जीने का कोई रास्ता नहीं बचा है। सरकार ने सर्वे नहीं किया है इसलिए अब पुनर्वास यदि मिलेगा तो सरकार यह कह देगी कि ये परिवार यहां नहीं रहता था।
मुकुंद झा
15 Jul 2021
खोरी गांव: विरोध प्रदर्शन के बीच बारिश में तोड़े जा रहे मकान, कई स्थानीय और सामाजिक कार्यकर्ता हुए गिरफ़्तार

आज यानी गुरुवार को तड़के सुबह ही खोरीगांव में हलचल शुरू हो गई। स्थानीय लोग अपने आशियाने को बचाने के लिए एकत्र होकर गांव के मुख्य सड़क पर बैठ गए और अपना विरोध जताने लगे, उनका विरोध प्रदर्शन पुलिस द्वारा खोरी गांव में बुधवार से शुरू हुआ घरों को तोड़ने के अभियान के ख़िलाफ़ था। पुलिस ने विरोध में शामिल लोगों को बलपूर्वक हटाया और छात्र संगठन DSU के प्रभाकर, मज़दूर बिगुल के सार्थक, इंकलाबी मजदूर केंद्र के नितेश और गांव की दो अन्य महिलाओं को हरियाणा पुलिस गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई। मिल रही जानकारी के मुताबिक़ सभी को सूरजकुंड थाने ले जाया गया है। 

कल यानि बुधवार से ही खोरी गांव को छावनी में तब्दील कर दिया गया है, वहां लोगों को डरा धमकाकर चुप कराने की कोशिश की जा रही है। लेकिन वहां के लोग एकजुट होकर आज सुबह रास्ता रोककर बैठ गए।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पुलिस को गांव को अंदर नहीं बढ़ने दिया गया जिससे बौखला कर वहां लाठीचार्ज किया जिसमें कई लोगों को चोटें आई और कई गिरफ्तारियां हुई हैं। उन्होंने प्रगतिशील, इंसाफपसंद लोगों से अपील की है कि खोरी को टूटने से बचाने के लिए आगे आने की अपील भी की है ।

14 जुलाई बुधवार को खोरी गांव में सुबह जब लोगों की आंखें भी नहीं खुली थीं तब पुलिस बल की एक बड़ी फौज उनके घरों के बाहर तैनात नजर आई। ऐसे हालात में जब खोरी गांव की छाती पर सैकड़ों की फौज खड़ी हो और महामारी काल बनकर जिनके सामने खड़ी हो, उस समय भी फरीदाबाद पुलिस प्रशासन खोरी गांव वासियों पर रहम नहीं कर रही है। इधर नगर नगर ने भयंकर बारिश के बीच तोड़फोड़ की शुरुआत कर दी है।

जनता जिस तरह से लगातार विरोध कर रही है उससे ये तो है कि ये सरकारें बहुत डरी हुई हैं, पर निहत्थे लोग इसके अलावा और कर क्या सकते हैं इनकी बंदूकों के सामने। प्रशासन न सिर्फ जनता को नज़रबंद कर रही है, बल्कि मीडिया कर्मियों को भी वहां की हकीकत दिखाने से रोक रही है। हालांकि कुछ एक मीडिया कर्मी जो प्रशासन के चहते हैं, उन्हें प्रशासन अपने साथ ले जा रहा है। जबकि बाकि को गांव में घुसने की भी परमिशन नहीं है। 

वहां की जनता जो बार-बार कह और पूछ रही है कि उनके पास सिवा खोने के कुछ भी नहीं है। अपने जीवन की एक-एक पाई जोड़कर उन्होंने घर बनाया और आज वो टूट रहे हैं। वो कहां जाएंगे?

समिति ने कहा कि गत 13 जुलाई 2021 को फरीदाबाद प्रशासन के द्वारा एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई गई जिसमें नगर निगम आयुक्त श्रीमती गरिमा मित्तल के द्वारा खोरी गांव के लोगों को पुनर्वास की योजना के बारे में बताया गया था। पर अभी 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि प्रशासन के झूठे वादों की पोल खुल गई। इससे यह साफ पता चलता है कि सरकार की नियत में खोट है। प्रशासन के द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस केवल बुद्धिजीवियों एवं जन संगठनों का मुंह बंद करने की लिए बुलाई गई थी किंतु लगभग 150 से अधिक जन संगठनों ने पूरे भारतवर्ष से हरियाणा सरकार के द्वारा बिना पुनर्वास के तोड़फोड़ का कड़ा विरोध दर्ज़ किया है।

बुधवार को जब एक तरफ भारी बारिश में खोरी गांव के बाशिंदों को उजाड़ा जा रहा था तभी दिल्ली में नागरिक समाज और कई छात्र और नौजवान संगठन हरियणा भवन का घेराव कर रहे थे। खोरी गांव, फरीदाबाद को तोड़े जाने के विरोध में दिल्ली के नागरिक समाज ने कई छात्र और युवा संगठनों के साथ क्ल बुधवार को हरियाणा भवन में विरोध प्रदर्शन किया था।

प्रदर्शनकारियों ने महामारी के बीच खोरी गांव से लोगों को जबरन बेदखल करना मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन बताया है। हालांकि इस बीच खोरी में प्रशासन ने खोरी में तोड़ फोड़ का काम तेज़ कर दिया है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन में चल रही बेदखली और मकानों को तोड़े जाने पर तत्काल कार्रवाई की मांग की गई है। खोरी गांव में एक लाख से अधिक निवासी अपने घरों को तोड़े जाने के लगातार डर में जी रहे हैं। पानी, बिजली और अन्य बुनियादी सुविधाओं उनसे छीन ली गई हैं।

दिल्ली स्थिति मंडी हाऊस में भारी बारिश में प्रदर्शन करने आए लोगों ने कहा खोरी गांव के मजदूर वर्ग की आबादी पर इन हमलों का हर कीमत पर विरोध किया जाएगा। उन्होंने मांग रखी है कि खोरी गांव में लोगों के बुनियादी मानवाधिकारों को कायम रखते हुए हरियाणा सरकार को सकारात्मक हस्तक्षेप करना चाहिए।

मज़दूर आवास समिति का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार का पूरा जोर खोरी के पुनर्वास के बजाय लोगों को उजाड़ने में ही लगा रहा। सरकार लोगों को उजाड़कर करोना काल में मजदूरों, गर्भवती महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों का वध करने पर उतारू है जबकि मौसम अपना कहर अलग बरपा रहा है। जिन मजदूरों ने हरियाणा को विकसित करने के लिए अपना खून और पसीना लगाया है, आज उन्हीं मजदूरों के परिवारों को सरकार के बुलडोजर उजाड़ने का काम कर रहे हैं। जिन मजदूरों ने इस सुंदर शहर को बनाया है उन्हीं से आज शहर में रहने का अधिकार छीना जा रहा है।

लगभग 10 बुलडोजर को लेकर नगर निगम ने लगभग 300 घरों को तोड़ डाला है। मजदूर आवाज संघर्ष समिति के सदस्य निर्मल गोराना ने बताया कि नगर निगम ने पुनर्वास की बात की जिसे वह खुद लागू नहीं कर पाए और आज खोरी में तोडफोड़ पर उतर आई। किंतु नगर निगम को कोर्ट में जवाब देना पड़ेगा की आखिर पॉलिसी में निहित प्रक्रिया को फॉलो क्यों नहीं किया गया है? मानवता का ग्राउंड देकर पुनर्वास की बात करने वाली उपायुक्त नगर निगम को तनिक भी दया तक नहीं आई कि पहले लोगो को ट्रांसिट कैंप में ले जाएं फिर आगे की कार्यवाही करनी चाहिए। सरकार तत्काल ट्रांसिट कैंप में लोगों को आश्रय दे जब तक कि पुनर्वास की व्यवस्था नहीं हो जाती। यह प्रक्रिया गलत है कि लोग खुद नगर निगम कार्यालय जाएं और वहां जाकर पुनर्वास के लिए आवेदन प्रस्तुत करें। जिन लोगों का घर टूट गया है, जिनके बच्चे बिलख रहे हैं, जिनका घर का सारा सामान बिखरा पड़ा है, भला वो यह सब छोड़ कर कैसे प्रशासन के द्वार जाकर वहां पर आवेदन कर सकता है? यह जमीनी स्तर पर असंभव है।

अभी भी समय है कि सरकार संयुक्त सर्वे करे अन्यथा इसका नुकसान प्रशासन को होगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में उन्हें ही जवाब तलब करना है।

खोरी में आज अपने टूटे घर में विलाप करती ममता देवी ने बताया कि उनके पति बृजेश कुमार एक ऑटो ड्राइवर हैं। वे 11 साल से खोरी में रह रही हैं । उनकी 9 साल की बेटी लक्ष्मी कक्षा 4 और 6 साल का बेटा समक्ष है जो कक्षा 2 में पढ़ता है। उनका सरकार से सवाल है के वह इन मासूमों को लेकर कहां इस महामारी एवं बारिश में कहां जाएं? अबतक वो सरकार की कार्रवाई और परिवार की भूख से जंग लड़ रही थीं, अब वह बच्चों के साथ सड़क पर आ गई हैं।

घरेलू कामगार राजमणि जो कि खोरी गांव में पिछले 12 सालों से रह रही हैं। उनके दो बच्चे हैं—बड़ा बेटा आशु जो कि 16 साल का है और 11वीं कक्षा में पढ़ता है और एक छोटा बेटा अंशु जो 13 साल का है, जो नौवीं कक्षा में पढ़ता है। आज उनका घर फरीदाबाद नगर निगम द्वारा बुलडोजर से तोड़ दिया है जहां एक और परिवार करोना महामारी के चलते जीविकोपार्जन के लिए लड़ाई लड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर नगर निगम की कार्रवाई की वजह से रोड पर आ गए हैं। राजमनी का कहना है कि सरकार उन्हें तड़प-तड़प कर मरने को मजबूर न करें, सीधे गोली मार दे।

खोरी निवासी ब्रज रानी जो कि 65 साल की हैं, वे पिछले 9 साल से खोरी गांव में रह रही हैं। उनके पति बृजलाल जोकि सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे, कोरोना महामारी के चलते उनकी नौकरी चली गई। ऐसी मुश्किल घड़ी में जब कोरोना की वजह से न तो नौकरी है और न ही घर में राशन और अब तो नगर निगम ने छत भी छीन ली है। बिना पुनर्वास के अब वह परिवार को लेकर कहा जाएं। उनका कहना है कि हरियाणा सरकार ने उनसे रोटी कपड़ा और मकान सब छीन लिया है। अब उसके पास जीने का कोई रास्ता नहीं बचा है। सरकार ने सर्वे नहीं किया है इसलिए उनका नाम भी कहीं दर्ज नहीं होगा। अब पुनर्वास यदि मिलेगा तो सरकार यह कह देगी कि ये परिवार यहां नहीं रहता था।

दूसरी तरफ नगर निकाय अधिकारियों ने बुधवार को घरों को तोड़ने के लिए अंतिम चरण का अभियान शुरू कर दिया।

अधिकारियों ने बताया कि 172 एकड़ में फैली वन भूमि पर पिछले कुछ सालों में किए गए सभी अतिक्रमणों को हटाने के लिए फरीदाबाद नगर निगम ने कई टीमों को लगाया गया है। खोरी गांव के पास अरावली वन क्षेत्र में करीब 10,000 आवासीय ढांचे हैं, जिन्हें हटाने का आदेश शीर्ष अदालत ने दिया है।

न्यायालय ने अपने सात जून के आदेश में लकरपुर खोरी गांव के पास वन भूमि से छह सप्ताह के अंदर अतिक्रमण हटाने के बाद राज्य सरकार के अधिकारियों से अनुपालन रिपोर्ट भी मांगी थी।

अधिकारियों ने बताया कि बुलडोजर और अन्य उपकरणों को काम पर लगाया गया है। उन्होंने कहा कि अभियान के दौरान कानून व व्यवस्था बनाए रखने के लिए 2,000 से अधिक पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, अभियान को पूरा होने में कुछ दिन लग सकते हैं और इसे शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित समय सीमा में पूरा कर लिया जाएगा। पुलिस ने गांव में प्रवेश और निकास स्थानों पर बैरिकेड लगा दिए हैं।

उन्होंने बताया कि बुधवार को अभियान शुरू करने से पहले, अधिकारियों ने इस महीने की शुरुआत में प्रवेश और निकास स्थानों पर स्थित सभी ढांचों को तोड़ दिया था ताकि रास्ता साफ हो सके और भारी वाहन व बुलडोजर आसानी से अंदर पहुंच सकें और क्षेत्र के सभी अतिक्रमणों को हटा सकें।

हालांकि, बुधवार को बारिश के कारण अभियान को कुछ समय के लिए रोकना पड़ा। अधिकारियों ने ढांचों को गिराना शुरू किया तो झुग्गी बस्ती में बरसों से रहने वाले लोगों ने कहा कि सरकार को उनका पुनर्वास करना चाहिए।

फरीदाबाद नगर निगम की आयुक्त गरिमा मित्तल ने बुधवार को फरीदाबाद में संवाददाताओं से कहा कि हरियाणा सरकार ने फरीदाबाद के खोरी झुग्गी बस्ती के बाशिंदों के लिए पुनर्वास योजना तैयार की है जिसके तहत उन्हें पास के डबुआ कॉलोनी और बापू नगर क्षेत्र में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी में फ्लैट मिलेंगे और उनमें बिजली, पानी और शौचालय की सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि उन्हें निश्चित मासिक किस्तों में फ्लैट की कीमत का भुगतान करना होगा।

लेकिन इसको लेकर भी पेंच है, हरियणा सरकार ने जो पुनर्वास की नीति बताई है, उसमे केवल हरियणा के नागरिकों को ही लाभ दिया जाएगा। दूसरा यहां के लोगों को नए माकन का पैसा देना होगा जबकि यहां बड़ी संख्या में मज़दूर वर्ग रहता है, जिसने अपने जीवन भर की जमा पूंजी को यहां लगा दिया है। दूसरा सरकार और प्रशासन के दावे और वादे कब पूरे होंगे, इसका भी अंदाज़ा किसी को नहीं है। 

मूल रूप से अलीगढ़ के रहने वाले अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने पत्रकारों से कहा कि वह पिछले 14 साल से खोरी गांव में रह रहा था और उसके पास अब कहीं जाने के लिए जगह नहीं है।

ऑटो-रिक्शा चालक ने कहा, “मुझे पत्नी और एक नाबालिग बेटी की देखभाल करनी होती है। इस महामारी के बीच अब हमारे पास कहीं जाने के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपनी सारी बचत अपना घर बनाने में खर्च कर दिया है। अब मेरे पास कुछ नहीं बचा। सरकार को हमारा पुनर्वास करना चाहिए।”

उसकी तरह ही कई लोग हैं जो यही बात कहते हैं। कुछ ने कहा कि सरकार को उन सभी का पुनर्वास करना चाहिए जो अदालत के आदेश से प्रभावित होंगे।

Supreme Court
Khori village
Khori Demolition
Faridabad
Haryana
COVID-19
Haryana Government
haryana police
manohar laal khattar

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

आर्थिक रिकवरी के वहम का शिकार है मोदी सरकार

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?


बाकी खबरें

  • सरोजिनी बिष्ट
    विधानसभा घेरने की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशाएं, जानिये क्या हैं इनके मुद्दे? 
    17 May 2022
    ये आशायें लखनऊ में "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन- (AICCTU, ऐक्टू) के बैनर तले एकत्रित हुईं थीं।
  • जितेन्द्र कुमार
    बिहार में विकास की जाति क्या है? क्या ख़ास जातियों वाले ज़िलों में ही किया जा रहा विकास? 
    17 May 2022
    बिहार में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है, इसे लगभग हर बार चुनाव के समय दुहराया जाता है: ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का और दरभंगा ठोप का’ (मतलब रोम में पोप का वर्चस्व है, मधेपुरा में यादवों का वर्चस्व है और…
  • असद रिज़वी
    लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश
    17 May 2022
    एडवा से जुड़ी महिलाएं घर-घर जाकर सांप्रदायिकता और नफ़रत से दूर रहने की लोगों से अपील कर रही हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा नए मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए 
    17 May 2022
    देश में क़रीब एक महीने बाद कोरोना के 2 हज़ार से कम यानी 1,569 नए मामले सामने आए हैं | इसमें से 43 फीसदी से ज्यादा यानी 663 मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए हैं। 
  • एम. के. भद्रकुमार
    श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ख़तरे से भरी
    17 May 2022
    यहां ख़तरा इस बात को लेकर है कि जिस तरह के राजनीतिक परिदृश्य सामने आ रहे हैं, उनसे आर्थिक बहाली की संभावनाएं कमज़ोर होंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License