NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
खोरी गांव विस्थापन: सुप्रीम कोर्ट ने तोड़-फोड़ पर नहीं लगाई रोक; पुनर्वास योजना में दी राहत
खोरी गांव के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। खोरी निवासियों को विस्थापन पर स्टे तो नहीं मिला किंतु मजदूर आवास संघर्ष समिति की ओर से दायर याचिका पर मिली पुनर्वास योजना में राहत दी है।  साथ कोर्ट ने साफ किया कि सिर्फ़ गरीबों के मकान नहीं, बल्कि अमीरों के फार्म हाउस एवं एंक्रोचमेंट को भी बेदखल किया जाएगा।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
24 Jul 2021
सुप्रीम कोर्ट

मजदूर आवाज संघर्ष समिति खोरी गांव द्वारा मजदूरों के आवास के मुद्दे पर पिछले कई वर्षों से जमीन से सुप्रीम कोर्ट एवं यूनाइटेड नेशन तक की लड़ाई लड़ी जा रही है। हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक की लड़ाई में खोरी गांव के मजदूर परिवारों ने नगर निगम कार्यालय, डीसी कार्यालय तो कभी जंतर-मंतर पर जाकर अपना दुखड़ा सरकार को सुनाया किंतु सुप्रीम कोर्ट भी का मस न हुआ। हालांकि, शुक्रवार को खोरी से जुड़े एक मामले सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की जिसमे  यह तो स्पष्ट  कर दिया कि वो तोड़ फोड़ पर रोक नहीं लगाएगा। परन्तु उसने मज़दूर परिवारों के विस्थापन को लेकर सकारत्मक बाते कही और साथी उसने वहां बने फार्म हॉउस और होटल  हटाने को कहा  है।  

मजदूरों के आवास के संघर्ष में एक बहुत बड़ा मोड़ 7 जुलाई 2021 को तब आया जब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस खानविलकर ने खोरी गांव की बेदखली के आदेश जारी किए। उस आदेश के बाद नगर निगम ने लगभग 5000 से ज्यादा घरों को पिछले सप्ताह में धराशाई कर दिया। एक लाख की आबादी वाला क्षेत्र जहां पर 10000 से ज्यादा परिवार इन नन्हे नन्हे आशियाने में सर ढके बैठे हैं आज खुले आसमान के नीचे, बरसती हुई बारिश में और कड़कड़ाती धूप में इस वैश्विक महामारी के दौरान अपने जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं।

मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी के अनुसार गांव के कई लोगो और उनके सहयोगियों को इस संघर्ष के दौरान झूठे मुकदमों में फंसाकर फरीदाबाद की पुलिस द्वारा जेल में धकेल दिया गया तो कभी पुलिस संरक्षण में दो-दो चार-चार दिन तक बिना परिवार को बताए जबरन रखा गया। एक तरफ टूटे घर दूसरी तरफ बिलखता हुआ परिवार और तीसरी तरफ पुलिस अत्याचार चौथी तरफ रोजगार खो जाने एवं कोरोना की महामारी से अपनी जान बचाने के साथ आज एक रोटी के टुकड़े के लिए तरसता हुआ परिवार पुनर्वास की मांग कर रहा है किंतु नगर निगम की ओर से जारी की गई पुनर्वास की नीति केवल एक ड्राफ्ट के रूप में फाइलों के फेर में दबी हुई है।

 पुनर्वास की नीति में 2021 तक मजदूरों के पास उनके पहचान पत्र वोटर आईडी कार्ड, परिवार पहचान पत्र, बिजली के बिल में से किसी एक दस्तावेज का होना आवश्यक बताया गया है। साथ ही ₹17000 की पहली किस्त मजदूर द्वारा जमा कराई जाना एवं प्रतिमाह ₹2500 की राशि नगर निगम फरीदाबाद को जमा करवाना आवश्यक रूप से निहित किया गया है। यही नहीं बल्कि बेदखल परिवार को अपना आवेदन प्रस्तुत करने के लिए नगर निगम के पास जाना पड़ेगा। पॉलिसी में कई प्रकार की कमियां निहित होने के कारण 8 दिन पूर्व मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के लोगो  ने नगर निगम फरीदाबाद, प्रिंसिपल सेक्रेट्री हरियाणा सरकार एवं डिप्टी कमिश्नर फरीदाबाद को पत्र लिखकर पुनर्वास की नीति में संशोधन करने की गुहार भी लगाई थी किंतु प्रशासन एवं नगर निगम ने इस और कोई भी ध्यान नहीं दिया।

 दिनांक 23  जुलाई 2021 को माननीय सुप्रीम कोर्ट में सरीना सरकार वर्सेस स्टेट ऑफ हरियाणा का मामला जो पहले से ही विचाराधीन है किंतु अशोक कुमार वर्सेस स्टेट ऑफ हरियाणा, विनोद कुमार वर्सेस स्टेट ऑफ हरियाणा, रेखा वर्सेस स्टेट ऑफ हरियाणा भी मामले के रूप में दाखिल किए गए जिसकी सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में की गई पर कुछ बात न बनी।

सरीना सरकार बनाम हरियाणा सरकार याचिका क्रम संख्या 301 के मामले में एवं अशोक कुमार वर्सेस स्टेट ऑफ हरियाणा के मामले में मजदूर आवाज संघर्ष समिति के साथियों की ओर से यह मांग की गई कि पुनर्वास की योजना जो नगर निगम एवं हरियाणा सरकार की ओर से ड्राफ्ट के रूप में तैयार की गई है उसमें कई सारी कमियां है जिसमें सरकार को संशोधन करने की आवश्यकता है साथ ही उस नीति को नोटिफाई करने की जरूरत है क्योंकि बिना नोटिफाई किए यह पुनर्वास की नीति मात्र कागज का एक टुकड़ा बन कर रह जाएगी और किसी को पुनर्वास नहीं मिलेगा। इस मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस ने तत्काल ही खोरी गांव के सभी मजदूर परिवारों को पुनर्वास देने एवं पुनर्वास की नीति में बदलाव करने की मांग की।

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्वास के मुद्दे पर तत्काल ही याचिकाकर्ता सरीना सरकार को अपनी ओर से एक रिप्रेजेंटेशन हरियाणा सरकार एवं नगर निगम फरीदाबाद को देने के लिए कहा गया तथा नगर निगम फरीदाबाद को डायरेक्ट किया गया कि 1 सप्ताह के अंदर पुनर्वास की नीति में संशोधन कर उसे नोटिफाई किया जाए। जब  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेदखल किए गए परिवारों को भोजन एवं आश्रय की तत्काल सुविधा प्रशासन की तरफ से दी जानी चाहिए। फिलहाल बेदखली पर स्टे संबंधित कोई आदेश नहीं आया है। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा की गरीबों के घर टूटने पर कोर्ट कोई राहत नही दे रही फिर फार्म हाउस पर रोक कैसे है ? किंतु सुप्रीम कोर्ट ने अरावली की जमीन पर बने हुए फार्महउस एवं किसी भी प्रकार के स्ट्रक्चर को न बक्श कर उसे तत्काल बेदखल करने के सख्त आदेश दिए हैं।

मजदूर आवाज संघर्ष समिति खोरी गांव के सदस्य निर्मल गोराना ने कहा कि हरियाणा सरकार तत्काल ही मजदूरों को चिन्हित कर डबुआ कॉलोनी में बने हुए फ्लैट देकर राहत प्रदान कर सकती है किंतु प्रशासन उन तमाम फ्लैट्स की मरम्मत तत्काल करवाएं। मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव की ओर से नगर निगम एवं हरियाणा सरकार को पुनर्वास की नीति में बदलाव हेतु एक और निवेदन प्रपत्र भेजा जाएगा और प्रयास रहेगा कि खोरी गांव के हर मजदूर परिवार को उचित सम्मानजनक पुनर्वास मिल सके।

निर्मल गोराना ने यह भी बताया कि वर्षा ऋतु एवं करुणा की महामारी को ध्यान में रखते हुए नगर निगम को बेदखल परिवारों के प्रति संवेदनशीलता रखते हुए इन्हें ट्रांसिट कैंप तक पहुंचाने के लिए जन संगठनों का सहयोग लेने की आवश्यकता है। मजदूर आवाज संघर्ष समिति खोरी गांव इस प्रकार के सहयोग के लिए तैयार हैं।  साथ ही निर्मल गोराना ने नगर निगम फरीदाबाद से निवेदन किया है कि बिना दस्तावेज के खोरी गांव में रहने वाले प्रत्येक मजदूर परिवार को भी घर आवंटित किए जाएं और इसमें किसी प्रकार का कोई भी दस्तावेज संबंधित कोई भी नियम व शर्तें न रखी जाए केवल वह परिवार या उसका मुखिया खोरी गांव में रह रहा हो उसी आधार पर बेदखल परिवारों को निशुल्क पुनर्वास प्रदान किया जाए।

Supreme Court
Khori village
Khori Village Clashes

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?


बाकी खबरें

  • CARTOON
    आज का कार्टून
    प्रधानमंत्री जी... पक्का ये भाषण राजनीतिक नहीं था?
    27 Apr 2022
    मुख्यमंत्रियों संग संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीज़ल के दामों पर टैक्स कम करने की बात कही।
  • JAHANGEERPURI
    नाज़मा ख़ान
    जहांगीरपुरी— बुलडोज़र ने तो ज़िंदगी की पटरी ही ध्वस्त कर दी
    27 Apr 2022
    अकबरी को देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं था न ही ये विश्वास कि सब ठीक हो जाएगा और न ही ये कि मैं उनको मुआवज़ा दिलाने की हैसियत रखती हूं। मुझे उनकी डबडबाई आँखों से नज़र चुरा कर चले जाना था।
  • बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    27 Apr 2022
    वाहनों में महिलाओं को बेहतर सुरक्षा देने के उद्देश्य से निर्भया सेफ्टी मॉडल तैयार किया गया है। इस ख़ास मॉडल से सार्वजनिक वाहनों से यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होगी।
  • श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    प्रभात पटनायक
    श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    27 Apr 2022
    श्रीलंका के संकट की सारी की सारी व्याख्याओं की समस्या यह है कि उनमें, श्रीलंका के संकट को भड़काने में नवउदारवाद की भूमिका को पूरी तरह से अनदेखा ही कर दिया जाता है।
  • israel
    एम के भद्रकुमार
    अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात
    27 Apr 2022
    रविवार को इज़राइली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ जो बाइडेन की फोन पर हुई बातचीत के गहरे मायने हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License