NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
जम्बूद्वीप का राजा और काम का सरकारी तमाशा!
जम्बूद्वीप का राजा तमाशे के इस महत्व को खूब जानता था। उसने जनहित के सारे कामों को तमाशे में बदल दिया और तमाशे को ही जनहित कार्य बना दिया। नोटः इस व्यंग्य आलेख का 21वीं सदी के इस भारत से कोई संबंध नहीं है।
राज कुमार
20 Apr 2021
जम्बूद्वीप का राजा और काम का सरकारी तमाशा!

जब पता चल जाए कि काम की बजाय तमाशे से काम चल सकता है, तो काम का काम तमाम करके तमाशा ही “काम” हो जाता है। जम्बूद्वीप का राजा तमाशे के इस महत्व को खूब जानता था। उसने जनहित के सारे कामों को तमाशे में बदल दिया और तमाशे को ही जनहित कार्य बना दिया। ये सब अघोषित रूप से किया गया ताकि लोकतंत्र का तमाशा भी चलता रहे। 

राजा ने जो किया सिर्फ तमाशा किया। जो करने की ज़िम्मेदारी थी लेकिन नहीं किया, उसका भी तमाशा किया। उदाहरण के तौर पर कोरोना के खिलाफ जंग का तमाशा किया। कोरोना की तबाही नहीं रुकी तो तबाही को ही तमाशे में बदल दिया।

तमाशों में सबसे ख़तरनाक धर्म और राजनीति का सरकारी तमाशा होता है। इस तमाशे में आप इस कद्र सम्मोहित हो जाते हैं कि अगर आपके घर में आग लग जाए तो भी पहले आप तमाशा ही देखते हैं।

ख़ैर! राजा एक कुशल तमाशेबाज़ था। वो जानता था कि तमाशा वही अच्छा माना जाता है जो सच्चाई का भ्रम पैदा करे। राजा ने तमाशे को सच्चाई में बदल दिया। राजा तमाशे को उस बुलंदी तक ले गया कि तमाशे और सच्चाई में कोई फर्क ही नहीं बचा। राजा ने तमाशों की झड़ी लगा डाली। एक तमाशे को छिपाने के लिये दूसरा और दूसरे को छिपाने को लिए तीसरा तमाशा हर रोज होने लगा। अब तमाशा सिर्फ किया ही नहीं जाता बल्कि करवाया भी जाता।

लेकिन, तमाशे में जैसे ही निंदक आता राजा उस पर देशद्रोह की धारा लगा देता या उसके घर पर छापे पड़वा देता। पूरे देश को तमाशा बनाकर राजा देश की सुरक्षा का तमाशा करता।

राजा इस बात से वाकिफ था कि उसका पूरा राज ही तमाशे पर टिका है। इसलिये तमाशा करने वालों की एक पूरी फौज खड़ी की गई। उन लोगों से भी तमाशा कराया जाने लगा जो खुद तमाशा बने हुए थे। धीरे-धीरे तमाशा ही देश की संस्कृति बन गया। मीडिया ना सिर्फ तमाशे पर जमकर तालियां पीटने लगा बल्कि खुद भी तमाशा करने लगा।

राजा एक कुशल मदारी था। उसने बहुत सारे जोकरों को इस भ्रम में रखा कि वो भी मदारी हैं। जोकर खुद को मदारी समझकर चीख-चीखकर और कूद-कूदकर तमाशा करने लगे। लेकिन धीरे-धीरे जोकर और मदारी का ये सिलसिला भी उस चरण में पहुंच गया जहां मदारी और जोकर का भेद मिट गया। लोग समझ नहीं पा रहे थे कि राजा कौन है, मदारी कौन और जोकर कौन?

राजा टेलीविज़न पर आकर दो गज की दूरी का तमाशा करता और चुनाव की रैली में हज़ारों की भीड़ इकठ्ठा कर लेता और नया तमाशा शुरु कर देता। जमूरा मास्क की ज़रूरत का तमाशा करता और रोड शो में बिना मास्क लगाए जाता और मास्क की ज़रूरत को तमाशा बना देता। पहले चुनाव का तमाशा बनाता फिर आदर्श चुनाव-संहिता का तमाशा बनाता जिससे चुनाव आयोग खुद एक तमाशा बन जाता।

तमाशे में लाखों लोग मारे जाते लेकिन तमाशा नहीं रुकता।

नोटः इस व्यंग्य आलेख का 21वीं सदी के इस भारत से कोई संबंध नहीं है। जिस भारत में कोरोना की दूसरी लहर का कहर है। कई राज्यों में लॉकडाउन है, नाइट कर्फ्यू हैं, पश्चिम बंगाल में चुनाव हैं और हरिद्वार में कुंभ है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

इसे भी पढ़ें : क्या उन परिवारों को भी टीका उत्सव मनाना है जहां कोरोना से मौत हुई है?

 


बाकी खबरें

  • शलका चौहान
    कैसे जहांगीरपुरी हिंसा ने मुस्लिम रेहड़ी वालों को प्रभावित किया
    04 May 2022
    महामारी और उसके बाद लगाए गए लॉकडाउन ने मुस्लिम रेहड़ी वालों की आर्थिक गतिविधियों का काफ़ी कम कर दिया है, अब सांप्रदायिक नफ़रत ने उनके ख़िलाफ़ हमले और भेदभाव की घटनाओं में भी इज़ाफ़ा किया है।
  • loudspeaker
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    2023 विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र तेज़ हुए सांप्रदायिक हमले, लाउडस्पीकर विवाद पर दिल्ली सरकार ने किए हाथ खड़े
    04 May 2022
    हिजाब, बुलडोज़र की राजनीति के बाद एक बार फिर देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने के लिए लाउडस्पीकर का हथकंडा अपनाया जा रहा है। जिन राज्यों में आने वाले समय में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, उन्हें…
  • NEP
    न्यूज़क्लिक टीम
    स्कूलों की तरह ही न हो जाए सरकारी विश्वविद्यालयों का हश्र, यही डर है !- सतीश देशपांडे
    04 May 2022
    नई शिक्षा नीति देश में हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय जैसे संस्थान स्थापित करने की वकालत करती है लेकिन शिक्षाविद ऐसे प्रस्तावों को लेकर आश्वस्त नहीं है. दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर सतीश देशपांडे मानते…
  • unemployment
    मुरली कृष्णन
    क्या भारत महामारी के बाद के रोज़गार संकट का सामना कर रहा है?
    04 May 2022
    भारत का रोजगार बाजार लगातार संकुचित होता जा रहा है, और कुशल कामगारों के लिए कार्यबल में प्रवेश कर पाना लगातार मुश्किल होता जा रहा है। सरकार की ओर से की जाने वाली नौकरी की मुहिम और अनौपचारिक…
  • Cuba
    पीपल्स डिस्पैच
    क्यूबा में नाकाबंदी ख़त्म करने की मांग को लेकर उत्तरी अमेरिका के 100 युवाओं का मार्च
    04 May 2022
    "भविष्य निर्माण करो, नाकाबंदी खत्म करो!"
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License