NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
किसान आंदोलन : महाराष्ट्र से किसानों का दिल्ली कूच का दूसरा दिन
"मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं एक दिन इस तरह दिल्ली जाऊंगा। लेकिन इस सरकार ने हमारे लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं छोड़ा है। इसने हमें अपने भविष्य के लिए लड़ने के लिए मजबूर कर दिया है।"
मुकुंद झा
22 Dec 2020
किसान आंदोलन

महाराष्ट्र से हज़ारों किसानों का व्हीकल (गाड़ियों) का जत्था दिल्ली के लिए सोमवार को नासिक से रवाना हो चुका है। आज उसका दूसरा दिन और देर शाम तक मध्य प्रदेश बॉर्डर पहुंचने की उम्मीद है। ये किसान भी देश के बाकी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि की तरह नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली प्रदर्शन करने आ रहे हैं।

यह जत्था अखिल भरतीय किसान सभा के नेतृत्व में दिल्ली कूच कर रहा है। जगह जगह पर किसान और आम जनता इन जत्थों को रोककर उनका स्वागत कर रहे हैं।

image

किसान नेताओं ने दिल्ली रवाना होने से पहले शिवाजी महाराज, महात्मा फुले और डॉ. अम्बेडकर की मूर्तियों को नमन कर मोदी सरकार और किसान विरोधी कानून के खिलाफ लड़ने की शपथ ली।

किसान पिछले कई दिनों से दिल्ली में राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सोमवार को किसान सभा के नेतृत्व में महाराष्ट्र से हजारों किसान और मज़दूर, दिल्ली में किसान आंदोलन में भाग लेने के लिए रवाना हुए।

महाराष्ट्र के किसानों में भी उत्साह और जोश भरपूर है। दिल्ली रवाना हो रहे महाराष्ट्र के सतारा के किसान मानिक अघड़े ने कहा "हम दिल्ली में ठंड से डरते नहीं हैं। मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए कानून अधिक खतरनाक हैं (सर्दियों की तुलना में)। हम सड़क पर बैठेंगे और सड़क पर भोजन करेंगे लेकिन, हम इन कानूनों के वापस लिए जाने तक वापस नहीं आएंगे।"

उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया "यह केवल पंजाब और हरियाणा के किसानों का संघर्ष नहीं है। यह सभी भारत के किसानों के लिए है। आज (सोमवार) हम यहां से अपना मार्च शुरू कर रहे हैं। इसके बाद में, देशभर के हजारों अन्य किसान दिल्ली के द्वार पर पहुंचेंगे।"

महाराष्ट्र के 21 जिलों के हजारों किसान सोमवार सुबह नासिक में अपने वाहन, और राशन के साथ गोल्फ क्लब मैदान एकत्र हुए थे। वहां अडानी, अंबानी, कॉर्पोरेट कंपनियों और मोदी के खिलाफ नारेबाजी की गई। इसके बाद किसान आंदोलन में शहीद किसानों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके बाद किसान सभा के नेतृत्व में जनसभा हुई।

image

इस जनसभा में कई जन संगठन और राजनीतिक दलों के कई नेताओं ने किसानों को संबोधित किया। अखिल भारतीय किसान सभा के नेता डॉ. अशोक धवले, जेपी गावित, किशन गुज्जर, डॉ. अजीत नवले, सुनील मालुसारे, केरल के सांसद व अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उप सचिव के. के. रागेश व अन्य ने भाषण दिए। जबकि अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय महासचिव मरियम धवले, सीटू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. डी एल कराड, सीटू विधायक विनोद सहित कई सम्मानित किसान नेताओ ने हार्दिक शुभकामनाएं दी। इसके बाद आंदोलनकारी किसान और किसान नेता दिल्ली की ओर रवाना हुए।

image

गोल्फ़ क्लब ग्राउंड से शाम 5:30 बजे सैकड़ों वाहनों के साथ वाहन मार्च रात 8 बजे मुंबई-आगरा हाईवे पर ओज़र, पिम्पलगांव बसवंत, शिरवाडे (वाणी) से होते हुए चंदवाड में प्रवास पर पहुंचा।

image

यहाँ किसानों ने खुद अपनी गाड़ियों में लकड़ी और गैस चूल्हे, राशन निकलकर भोजन बनाया और खेतों में खाना खाकर रात आराम किया और फिर मंलवार सुबह दिल्ली की ओर कूच शुरू कर दिया। किसानों का यह पूरा समूह 23 दिसंबर की सुबह महाराष्ट्र की सीमा को पार कर जाएगा और 24 दिसंबर की शाम को राष्ट्रीय राजधानी की सीमा तक पहुंचने की उम्मीद है।

अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धवले ने कहा कि "यह भारत के बहुमत की आर्थिक स्वतंत्रता के लिए लड़ाई है। देश में लगभग 65% आबादी कृषि पर निर्भर है और मोदी सरकार उनकी आय का एकमात्र स्रोत अपने पूंजीवादी दोस्तों को सौंपने की कोशिश कर रही है। ऐसा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।" उन्होंने आगे कहा कि जब तक कानून वापस नहीं लिया जाता, तब तक किसानों ने विरोध करने का फैसला किया है।

image

अपने साथी किसानों के साथ मार्च करते हुए, 38 साल के पालघर के संतोष कामदी पहली बार दिल्ली जा रहे हैं। उन्होंने न्यूजक्लिक से कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं एक दिन इस तरह दिल्ली जाऊंगा। लेकिन इस सरकार ने हमारे लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं छोड़ा है। इसने हमें अपने भविष्य के लिए लड़ने के लिए मजबूर कर दिया है। "

(न्यूज़क्लिक संवादाता अमय तिरोदकर के इनपुट के साथ )

farmers protest
Farm bills 2020
farmers protest update
DILLI CHALO
Maharastra farmers protest
All India Kisan Sabha
BJP
Narendra modi
Modi Govt
Amit Shah

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License