NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
किसान महासभा, खेग्रामस और मनरेगा मज़दूरों ने घरों पर रहकर ही किया राष्ट्रव्यापी विरोध
बिहार सहित कई राज्यों में अपने घरों में रहकर किसानों, खेत मज़दूरों और मनरेगा मज़दूर ने एकदिवसीय धरना दिया। यह धरना हर गांव में फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद की गारंटी करने; प्राकृतिक आपदा, आगजनी और लॉकडाउन से बर्बाद फसलों का 25 हजार रु. प्रति एकड़ मुआवजा देने समेत कई मांगों को लेकर था।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
28 Apr 2020
किसान महासभा

लॉक डाउन  में किसानों खेतिहर मज़दूरो और मनरेगा मज़दूरों की हो रही लगातार उपेक्षा के खिलाफ सोमवार को राष्ट्रव्यापी विरोध किया गया। इस विरोध प्रदर्शन का आवाह्न अखिल भारतीय किसान महासभा और अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मज़दूर सभा (खेग्रामस) व मनरेगा मज़दूर सभा के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इसके तहत बिहार सहित कई राज्यों में अपने घरों में रहकर किसानों, खेत मज़दूरों और मनरेगा मज़दूर ने एकदिवसीय धरना दिया। इसके साथ ही मज़दूरों ने अपनी मांगों से सम्बंधित नारे भी लगाए।

लॉकडाउन के बाद से ही देश की अर्थव्यवथा चरमरा गई है और इसका व्यापक असर ग्रमीण अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा हैं। इसके साथ ही कुदरती आफत ने भी किसानों और खेतिहर मज़दूरों पर दोहरी मार की है।  पिछले दिनों लगातार कई राज्यों में भारी वर्षा, ओलावृष्टि और बिजली गिरने की खबरे आई हैं। जिससे किसानों की खड़ी रबी की फसलें बर्बाद हो गई है। इसके साथ लॉकडाउन में काम न मिलने से खेतिहर मज़दूर और मनरेगा मज़दूरों जिसमें अधिकतर भूमिहीन लोग हैं, जो दिहाड़ी पर काम करते हैं, उनके सामने भी भोजन का संकट खड़ा हो गया हैं। हालंकि सरकारों ने कहा है कि वो इनकी मदद कर रही है लेकिन अभी तक सरकारी मदद नाकाफी ही रही है।

IMG-20200427-WA0295.jpg

अखिल भारतीय किसान महासभा के नेताओ ने  कहा कि यह धरना हर गांव में फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद की गारंटी करने; प्राकृतिक आपदा, आगजनी और लॉकडाउन से बर्बाद फसलों का 25 हजार रु. प्रति एकड़ मुआवजा देने; बिजली के निजीकरण की मुहिम पर तत्काल रोक लगाने;  कोरोना, लॉकडाउन में भूख व पुलिस दमन से हुई मौतों पर 20 लाख रुपया मुआवजा देने; नफरत नहीं भाईचारा को मजबूत करने; कोरोना को पराजित करने; जिला स्तर पर कोरोना की नि: शुल्क जांच व इलाज, आईसीयू वार्ड व वैंटिलेटर का प्रबन्ध करने आदि मांगों को लेकर है।

इसी तरह खेग्रामस और मनरेगा मज़दूर महासभा के नेताओ ने कहा है कि कोरोना लॉकडाउन ने ग्रामीण गरीबों-मज़दूरों को भुखमरी के कगार पर धकेल दिया है, वहीं मनरेगा मज़दूरों से न्यूनतम से भी कम मज़दूरी पर काम लेने का सरकारी आदेश निर्गत है। उन्होंने मांग की 10 हजार रुपये गुजारा भत्ता,  सभी मजदूरों को 3 महीना का राशन व दैनिक मजदूरी 500 रुपये करने की गारंटी सरकार अविलम्ब करे।

अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव व पूर्व विधायक राजाराम सिंह ने बताया कि पूरे बिहार में लगभग सौ केंद्रों पर यह  कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें हजारों किसानों ने तख्तियों के साथ धरना दिया और ईमेल के जरिये अपनी मांग प्रधानमंत्री तक पहुंचाने की कोशिश की है। उन्होंने  उम्मीद जताई कि  सरकार इनकी इन मांगों पर अविलम्ब कार्रवाई करेगी और किसानों को राहत देगी।
 
मज़दूर नेताओं ने कहा है कि राशन में महज़ चावल-गेहूं दिया जा रहा है जबकि भोजन के अन्य जरूरी सामान खरीदने की स्थिति में एक बड़ी आबादी नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी गरीबों-मज़दूरों को तीन महीने का राशन और प्रति परिवार 10 हज़ार रुपये गुजारा भत्ता मिलना चाहिए। मनरेगा को कोरोना राहत अभियान सहित तमाम कृषि कार्यों से जोड़ना चाहिए और उन्हें 500 रुपये दैनिक मज़दूरी और 200 दिन काम मिलना चाहिए।

इस महामारी के समय में भारत सरकार के रवैया को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। जैसे कई जगह से ख़बरें आ रही हैं कि मज़दूर भोजन न मिलने पर आत्महत्या कर रहे हैं। इस तरह की घटनायें सरकार के दावों की पोल खोलती हैं।

सरकार के रवैये से नाराज़ वामपंथी पार्टी सी.पी.एम. के जन-संगठनों के द्वारा संयुक्त रूप से मंगलवार, 21 अप्रैल को देशव्यापी विरोध किया था। उनका कहना था कि "जनता को भाषण नहीं, राशन और वेतन चाहिए।" इसके साथ ही  किसान और मज़दूर संगठनों ने  किसानों को राहत देने और ग्रामीण मज़दूरों के लिए भी आर्थिक मदद करने की अपील की थी।

kisan
Kisan Mahasabha
KHEGRAMAS
MNREGA
farmers protest
Lockdown
Coronavirus
Nationwide protests at home

Related Stories

मनरेगा मज़दूरों के मेहनताने पर आख़िर कौन डाल रहा है डाका?

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

छत्तीसगढ़ :दो सूत्रीय मांगों को लेकर 17 दिनों से हड़ताल पर मनरेगा कर्मी

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

सड़क पर अस्पताल: बिहार में शुरू हुआ अनोखा जन अभियान, स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जनता ने किया चक्का जाम

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे

ऐतिहासिक किसान विरोध में महिला किसानों की भागीदारी और भारत में महिलाओं का सवाल

पंजाब : किसानों को सीएम चन्नी ने दिया आश्वासन, आंदोलन पर 24 दिसंबर को फ़ैसला

लखीमपुर कांड की पूरी कहानी: नहीं छुप सका किसानों को रौंदने का सच- ''ये हत्या की साज़िश थी'’


बाकी खबरें

  • भाषा
    ईडी ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला को धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए तलब किया
    27 May 2022
    माना जाता है कि फ़ारूक़ अब्दुल्ला से यह पूछताछ जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनिमियतता के मामले में की जाएगी। संघीय एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एनसीबी ने क्रूज़ ड्रग्स मामले में आर्यन ख़ान को दी क्लीनचिट
    27 May 2022
    मेनस्ट्रीम मीडिया ने आर्यन और शाहरुख़ ख़ान को 'विलेन' बनाते हुए मीडिया ट्रायल किए थे। आर्यन को पूर्णतः दोषी दिखाने में मीडिया ने कोई क़सर नहीं छोड़ी थी।
  • जितेन्द्र कुमार
    कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ
    27 May 2022
    कांग्रेस नेतृत्व ख़ासकर राहुल गांधी और उनके सिपहसलारों को यह क़तई नहीं भूलना चाहिए कि सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई कई मजबूरियों के बावजूद सबसे मज़बूती से वामपंथी दलों के बाद क्षेत्रीय दलों…
  • भाषा
    वर्ष 1991 फ़र्ज़ी मुठभेड़ : उच्च न्यायालय का पीएसी के 34 पूर्व सिपाहियों को ज़मानत देने से इंकार
    27 May 2022
    यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने देवेंद्र पांडेय व अन्य की ओर से दाखिल अपील के साथ अलग से दी गई जमानत अर्जी खारिज करते हुए पारित किया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    “रेत समाधि/ Tomb of sand एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं”
    27 May 2022
    ‘रेत समाधि’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है। इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License