NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
किसान ट्रैक्टर रैली: सड़क पर उमड़ा ट्रैक्टरों का सैलाब, आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार है किसान
सरकार के साथ बातचीत से पहले, कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने निकाली ट्रैक्टर रैली। उन्होंने इसे 26 जनवरी को हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले ट्रैक्टरों की प्रस्तावित परेड़ से पहले को महज एक ‘‘रिहर्सल’’ बताया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
07 Jan 2021
किसान

"मोदी जी आपके मन की बात बहुत हुई, अब किसान आने दिल्ली की बात कहने आया है। हम आपसे अनुरोध कर रहे हैं ये क़ानून वापस ले लो, आप हमारी परीक्षा न लो, किसान इतना खुशहाल नहीं है, वरना हम 26 को दिल्ली में भी घुसेंगे और परेड भी करेंगे। ... देखो हमें तो मरना है, यहां मरेंगे तो लड़कर मरेंगे, घर रहेंगे तो भूखे मरेंगे।"

image

टिकरी बॉर्डर के एमपी नेशनल हाईवे पर किसान ट्रैक्टर रैली में शामिल एक किसान ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा। हालंकि वो अपना नाम बताते इससे पहले ही उनका काफ़िला आएगी बढ़ गया। इस किसान ट्रैक्टर रैली में शामिल लगभग हर किसान ने इन्हीं भावनाओं से यही बात अलग-अलग शब्दों और भाषा में दोहराई।

सरकार से बातचीत से पहले हजारों किसानों ने केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ बृहस्पतिवार को प्रदर्शन स्थल-सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर और हरियाणा के रेवासन में ट्रैक्टर रैली निकाली। बुराड़ी में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने भी ट्रैक्टर मार्च किया। ये वे किसान थे जो आंदोलन की शुरआत में बुराड़ी निरंकारी मैदान में चले गए थे जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने उनके बाहर निकलने पर रोक लगा दी थी। किसान इसे एक खुली जेल बता रहे थे। आज किसान यहां के बैरिकेड तोड़ कर मुख्य सड़क पर आए और ट्रैक्टर मार्च किया।

Noida: Bharatiya Kisan Union (Bhanu) begins tractor march from Maha Maya Flyover to Chilla border in continuation of farmers' protest against the Farm Laws by the Central Government. pic.twitter.com/15jOeLwZDs

— ANI UP (@ANINewsUP) January 7, 2021

प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने कहा कि 26 जनवरी को हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले ट्रैक्टरों की प्रस्तावित परेड से पहले यह महज एक ‘‘रिहर्सल’’ है। सोशल मीडिया पर भी किसानों के इस आंदोलन को भारी समर्थन मिला। दिनभर यह ट्वविटर के टॉप ट्रेंड में रहा।

हरियाणा-दिल्ली की सीमा, सिंघू बॉर्डर पर सड़कों पर सिर्फ ट्रैक्टर, उन पर सवार किसान, उन पर बंधे लाउडस्पीकर दिख रहे थे और पंजाबी धुनों/गीतों के साथ नारे सुनाई दे रहे थे।

भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के प्रमुख जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि हज़ारों ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों के साथ किसान मार्च में हिस्सा ले रहे हैं।

पंजाब के बड़े किसान संगठनों में से एक उगराहां ने कहा कि वह तीन कानूनों को वापस लेने के अलावा किसी बात पर राजी नहीं होंगे।

केन्द्र सरकार और किसान संगठनों के बीच शुक्रवार को आठवें दौर की बातचीत होनी है।

image

प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच सोमवार को सातवें दौर की बैठक बेनतीजा रही थी क्योंकि किसान तीनों कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर डटे हुए हैं।

दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस के कर्मियों की भारी तैनाती के बीच ट्रैक्टर पर सवार किसानों ने सुबह 11 बजे कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे की ओर मार्च शुरू किया।

अपने ट्रैक्टरों पर बैठे, प्रदर्शन कर रहे किसान अपने प्रदर्शन स्थलों से निकले, वाहनों पर उनका मनोबल बढ़ाने के लिए ‘स्पीकरों’’ पर गाने बजने का बंदोबस्त भी था। उनके अन्य साथी किसान मूंगफली, नाश्ता, चाय, और समाचार पत्रों आदि सामान के साथ रास्तों में खड़े भी दिखे।

इस मार्च में बड़ी संख्या में महिला किसानों की भागीदारी भी देखने को मिली, वो खुद ट्रैक्टर चला कर इस मार्च में सक्रिय भागीदारी दिखा रही थी।

महिला किसान भी बाकी किसान की तर्ज पर केंद्र की मोदी सरकार को अपने तेवरों से ललकार रही थी, और साफ तौर पर एलान कर रही थी कि उनकी घर वापसी तभी होगी जब सरकार अपने ये तीन कानूनों को वापस लेगी।

 

गाजीपुर से भाकियू नेता राकेश टिकैत की अगुवाई में ट्रैक्टर मार्च पलवल की तरफ बढ़ रहा है।

संयुक्त किसान मोर्चा के एक वरिष्ठ सदस्य अभिमन्यु कोहाड़ ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘आगामी दिनों में हम तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन तेज करेंगे। आज के मार्च में हरियाणा से करीब 2500 ट्रैक्टर आए हैं।’’

उन्हें, ‘‘हम आगाह करना चाहते हैं कि अगर सरकार हमारी मांगें स्वीकार नहीं करेगी तो किसानों का प्रदर्शन आगे और तेज होगा।’’

सिंघू से टिकरी बॉर्डर, टिकरी से कुंडली, गाजीपुर से पलवल और रेवासन से पलवल की तरफ ट्रैक्टर रैलियां निकाली गई हैं।

image

पंजाब के होशियारपुर से ट्रैक्टर रैली में हिस्सा लेने पहुंचे हरजिंदर सिंह ने कहा, ‘‘सरकार एक के बाद एक बैठक कर रही है। उन्हें पता है हमें क्या चाहिए। हम चाहते हैं कि कानून वापस लिए जाए लेकिन हमें सिर्फ बेकार की बैठकें मिल रही हैं। इस रैली के जरिए, हम 26 जनवरी को क्या करेंगे उसकी महज झलक दिखा रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आज की रैली, केवल दिल्ली की सीमा पर हो रही है, लेकिन एक बार जब हमारे किसान नेता राजधानी में दाखिल होने का निर्णय करेंगे, तो हम वह भी करेंगे।’’

किसान संगठन एआईकेएएमएस ने योगी सरकार ‘किसान कल्याण मिशन’ को लकेर भी हमला बोला और कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने एक ‘किसान कल्याण मिशन’ विकास खण्ड स्तर पर प्रारम्भ किया ताकि वे किसानों का ध्यान इस बात से हटा सके कि जहां धान का एमएसपी 1868 रुपए क्विंटल है, वह इस रेट को दिलाने में पूरी तरह असफल हैं। उत्तर प्रदेश में धान 1000 से 1100 रु किवंटल बिक रहा है। मंत्री व भाजपा नेता इस अभियान में किसान निधि के चेक बांट रहे हैं, तकनीक के नाम पर कुछ उपकरण बांट रहे हैं और घोषणा कर रहे हैं कि किसान उत्पादक संगठनों के बनने से किसानों की आमदनी बढ़ जाएगी।

एआईकेएमएस ने कहा कि देश भर में किसान कारपोरेट पक्ष में मोदी सरकार द्वारा बनाए गए खेती के कानूनों का विरोध कर रहे हैं। भाजपा नेता इस गलत प्रचार में जुटे हैं कि ये कानून किसानों की आमदनी दोगुना कर देंगे।

image

जालंधर के नवपाल सिंह का कहना है कि रैली किसानों का शक्ति प्रदर्शन है। उन्होंने कहा, ‘‘यह रैली सरकार को हमारी ताकत और संख्या दिखाने और देश के लोगों को यह बताने का जरिया है कि हम क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बहुत सारे लोग जो किसान परिवार से नहीं हैं, उनकी सोच है कि कानूनों से सिर्फ किसानों को फर्क पड़ेगा, लेकिन उनके लिए यह जानना जरूरी है कि इन कानूनों से देश का हर व्यक्ति प्रभावित होगा।’’

भीषण ठंड, बारिश के बावजूद पंजाब, हरियाणा और देश के कुछ अन्य भागों के हजारों किसान पिछले 40 दिनों से ज्यादा समय से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे हुए हैं। किसान कृषि कानूनों को निरस्त करने, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने तथा दो अन्य मुद्दों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

इस साल सितम्बर में अमल में आए तीनों कानूनों को केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है। उसका कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे।

दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी तथा खेती बड़े कारपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी।

पंजाब के चमकौर साहिब के जसपाल सिंह देओल ने कहा, ‘‘हम धरती के बेटे हैं। अगर कानून बन गए तो हम भूख से मर जाएंगे। यह रैली सरकार को समझाने का हमारा तरीका है कि मांगे पूरी होने तक हम पीछे नहीं हटेंगे।’’

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

farmers protest
Farm Bills
Tractor March
Tractor Rally
farmers protest update
Bharatiya Kisan Union
BJP
Modi government

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

विशाखापट्टनम इस्पात संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ़ श्रमिकों का संघर्ष जारी, 15 महीने से कर रहे प्रदर्शन

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • असद रिज़वी
    CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा
    06 May 2022
    न्यूज़क्लिक ने यूपी सरकार का नोटिस पाने वाले आंदोलनकारियों में से सदफ़ जाफ़र और दीपक मिश्रा उर्फ़ दीपक कबीर से बात की है।
  • नीलाम्बरन ए
    तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है
    06 May 2022
    रबर के गिरते दामों, केंद्र सरकार की श्रम एवं निर्यात नीतियों के चलते छोटे रबर बागानों में श्रमिक सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं।
  • दमयन्ती धर
    गुजरात: मेहसाणा कोर्ट ने विधायक जिग्नेश मेवानी और 11 अन्य लोगों को 2017 में ग़ैर-क़ानूनी सभा करने का दोषी ठहराया
    06 May 2022
    इस मामले में वह रैली शामिल है, जिसे ऊना में सरवैया परिवार के दलितों की सरेआम पिटाई की घटना के एक साल पूरा होने के मौक़े पर 2017 में बुलायी गयी थी।
  • लाल बहादुर सिंह
    यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती
    06 May 2022
    नज़रिया: ऐसा लगता है इस दौर की रणनीति के अनुरूप काम का नया बंटवारा है- नॉन-स्टेट एक्टर्स अपने नफ़रती अभियान में लगे रहेंगे, दूसरी ओर प्रशासन उन्हें एक सीमा से आगे नहीं जाने देगा ताकि योगी जी के '…
  • भाषा
    दिल्ली: केंद्र प्रशासनिक सेवा विवाद : न्यायालय ने मामला पांच सदस्यीय पीठ को सौंपा
    06 May 2022
    केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच इस बात को लेकर विवाद है कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाएं किसके नियंत्रण में रहेंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License