NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
किसान आंदोलन: 100 दिन, 100 बाधाएं, 100 उम्मीदें
ऊपरी तौर पर आपको लग सकता है कि इस आंदोलन का क्या हासिल रहा!, क्योंकि मुद्दा तो वहीं अटका है। लेकिन अगर आप गहराई से विश्लेषण करेंगे तो पाएंगे कि यह आंदोलन अपने आप में सफल हो चुका है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
06 Mar 2021
cartoon

देश की राजधानी दिल्ली की सरहदों पर कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ नवंबर में शुरू हुआ किसानों का आंदोलन अपने 100 दिन पूरे कर चुका है। ऊपरी तौर पर आपको लग सकता है कि इस आंदोलन का क्या हासिल रहा!, क्योंकि मुद्दा तो वहीं अटका है। न तीन कृषि क़ानून वापस हुए, न एमएसपी की क़ानूनी गारंटी हुई। फिर किसानों को क्या मिला? लेकिन अगर आप इस आंदोलन का गहराई से विश्लेषण करेंगे तो पाएंगे कि यह आंदोलन सफल हो चुका है। इस आंदोलन ने न केवल सरकार को झकझोर दिया, बल्कि जनमानस को भी उद्वेलित कर दिया है। आज इस आंदोलन ने एक ऐसे जन आंदोलन का रूप ग्रहण कर लिया है जो किसी भी देश और लोकतंत्र के लिए बहुत आवश्यक और स्वास्थ्यवर्धक है।

आपको मालूम है कि इन 100 दिनों में बहुत कुछ हुआ है: सरकार और किसानों की 10 राउंड से ज़्यादा की बातचीत हुई। कभी दबाव बढ़ा, कभी तनाव बढ़ा। बीच में 26 जनवरी का अनेपक्षित लालकिला प्रकरण भी हुआ, जिसकी किसान संगठनों ने भी आलोचना की। इस दौरान मीडिया और सरकार ने किसानों को ख़ालिस्तानी, देशद्रोही, और न जाने क्या क्या कहा। किसानों को धरने से ज़बरदस्ती हटाने की कोशिशें हुई हैं और उनके रास्ते में कील-कांटे न जाने क्या क्या गाड़े गए, लेकिन किसान आंदोलन ने इन सभी बाधाओं को अमूमन शांतिपूर्वक पार कर लिया। अब किसानों का आंदोलन दिल्ली की सीमाओं के साथ गांव-गांव फैल गया है और यूपी, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और अन्य राज्यों में बड़ी बड़ी किसान पंचायतें हो रही हैं। और अब किसानों ने आंदोलन को एक ठोस रूप देते हुए राजनीतिक तौर पर भी सत्तारूढ़ बीजेपी को आगामी चुनावों में हराने की अपील करते हुए सक्रिय तौर पर कार्यक्रम शुरू कर दिए हैं।

इस आंदोलन का क्या हासिल है। इसे जानना-समझना है तो पढ़िए प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और विश्लेषक प्रभात पटनायक का यह आलेख- जन आंदोलन की शिक्षा

इसमें वह बतलाते हैं कि ऐसे जन आंदोलन में हिस्सेदारी, जो जनता के किसी अन्य तबके को निशाना नहीं बनाता हो, जनतंत्र तथा एकता के मूल्यों की सबसे बड़ी शिक्षक होती है। इसीलिए, राजनीतिक क्रांतियां, जो इस तरह के जन आंदोलन का सर्वोच्च रूप होती हैं, जबर्दस्त सामाजिक मंथन का मौका होती हैं, जब एक-दूसरे के प्रति जनता के रुख का भी क्रांतिकारीकरण होता है। वास्तव में यह तो क्रांति की सफलता की बुनियादी शर्त ही है और जनता, क्रांति में हिस्सा लेने की प्रक्रिया में ही, इस बुनियादी सच्चाई को सीखती है।

किसानों ने हरियाणा में केएमपी एक्सप्रेस-वे पर जाम लगाया

उधर, किसानों ने दिल्ली की सीमा पर अपने आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर शनिवार को हरियाणा में छह लेन वाले कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे पर कुछ स्थानों पर यातायात अवरुद्ध कर दिया।

समाचार एजेंसी भाषा की ख़बर के अनुसार किसानों का प्रदर्शन सुबह 11 बजे शुरू हुआ, जो अपराह्न चार बजे तक चला। संयुक्त किसान मोर्चा ने एक्सप्रेस-वे पर यातायात बाधित करने का आह्वान किया था। कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस-वे 136 किलोमीटर लंबा है।

मानेसर-पलवल खंड 53 किलोमीटर लंबा है और इसका उद्घाटन 2016 में केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया था, वहीं 83 किलोमीटर लंबे कुंडली-मानेसर खंड का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में किया था।

भारतीय किसान यूनियन (दाकुंडा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा, ‘‘ हम केएमपी एक्सप्रेस-वे पर यातायात अवरुद्ध करेंगे लेकिन आपात सेवा में लगे वाहनों को जाने दिया जाएगा।’’

हरियाणा के सोनीपत जिले के किसानों ने अपने ट्रैक्टरों को केएमपी एक्सप्रेस-वे पर एक स्थान पर बीचो-बीच खड़ा कर जाम लगा दिया।

प्रदर्शनकारियों में महिलाएं भी शामिल थीं और उनके हाथों में उनकी यूनियन के झंडे थे और उन्होंने काले रंग के झंडे भी लिए हुए थे। प्रदर्शनकारियों ने उनकी मांगों को नहीं मानने के विरोध में केन्द्र की भाजपा नीत सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

सोनीपत में एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘ तीनों कृषि कानूनों को वापस लिये जाने तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। हम पीछे नहीं हटेंगे।’’

किसानों ने पलवल जिले में भी प्रदर्शन किया।

cartoon click
cartoon
cartoon click newsclick
farmers protest
Farm Bills
MSP

Related Stories

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

क्यों है 28-29 मार्च को पूरे देश में हड़ताल?

28-29 मार्च को आम हड़ताल क्यों करने जा रहा है पूरा भारत ?

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

एमएसपी पर फिर से राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेगा संयुक्त किसान मोर्चा

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

कृषि बजट में कटौती करके, ‘किसान आंदोलन’ का बदला ले रही है सरकार: संयुक्त किसान मोर्चा

केंद्र सरकार को अपना वायदा याद दिलाने के लिए देशभर में सड़कों पर उतरे किसान

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे


बाकी खबरें

  • रवि कौशल
    डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी
    24 May 2022
    दिल्ली विश्वविद्यालय के इस फैसले की शिक्षक समूहों ने तीखी आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि इससे विश्वविद्यालय में भर्ती का संकट और गहरा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल
    24 May 2022
    उत्तर बंगाल के ब्रू बेल्ट में लगभग 10,000 स्टाफ और सब-स्टाफ हैं। हड़ताल के निर्णय से बागान मालिकों में अफरा तफरी मच गयी है। मांग न मानने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का संकेत दिया है।
  • कलिका मेहता
    खेल जगत की गंभीर समस्या है 'सेक्सटॉर्शन'
    24 May 2022
    एक भ्रष्टाचार रोधी अंतरराष्ट्रीय संस्थान के मुताबिक़, "संगठित खेल की प्रवृत्ति सेक्सटॉर्शन की समस्या को बढ़ावा दे सकती है।" खेल जगत में यौन दुर्व्यवहार के चर्चित मामलों ने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़…
  • आज का कार्टून
    राम मंदिर के बाद, मथुरा-काशी पहुँचा राष्ट्रवादी सिलेबस 
    24 May 2022
    2019 में सुप्रीम कोर्ट ने जब राम मंदिर पर फ़ैसला दिया तो लगा कि देश में अब हिंदू मुस्लिम मामलों में कुछ कमी आएगी। लेकिन राम मंदिर बहस की रेलगाड़ी अब मथुरा और काशी के टूर पर पहुँच गई है।
  • ज़ाहिद खान
    "रक़्स करना है तो फिर पांव की ज़ंजीर न देख..." : मजरूह सुल्तानपुरी पुण्यतिथि विशेष
    24 May 2022
    मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी का शुरूआती दौर, आज़ादी के आंदोलन का दौर था। उनकी पुण्यतिथि पर पढ़िये उनके जीवन से जुड़े और शायरी से जुड़ी कुछ अहम बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License