NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
किसान आंदोलन: आख़िर किसानों को आईटी सेल और अख़बार की ज़रूरत क्यों है?
नए कृषि कानूनों के साथ ही किसानों की नाराज़गी सरकार समर्थक प्रोपेगैंडा, आईटी सेल और मीडिया से भी है। अपने आंदोलन को दुष्प्रचार और फर्जी सूचनाओं से बचाने के लिए किसानों ने अब खुद इसकी काट अपने तरीके से निकाली है।
सोनिया यादव
24 Dec 2020
किसान आंदोलन

बीते कई महीनों से केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का मुद्दा सुर्खियों में छाया हुआ है। सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक किसान आंदोलन अपने चरम पर है तो वहीं सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर डटे किसान हर रोज़ इसे अपने संघर्षो से और आगे बढ़ा रहे हैं।

हालांकि, आंदोलनरत किसानों में जितनी नाराज़गी सरकार के नए कृषि कानूनों को लेकर है उतनी ही नाराज़गी सरकार समर्थक प्रोपेगैंडा, आईटी सेल और मीडिया से भी है। किसानों का कहना है कि आंदोलन के शुरुआती दिनों से ही मीडिया और सोशल मीडिया का एक तबका उनके खिलाफ़ दुष्प्रचार और फर्जी सूचनाएं फैला रहा है। उनके शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है।

अब किसानों ने खुद इस दुष्प्रचार और फर्जी सूचनाओं से निपटने का काट निकाला है। किसान आंदोलन में शामिल कुछ युवाओं ने 'किसान एकता मोर्चा' नाम से एक आईटी सेल शुरू किया है तो वहीं कुछ लोगों ने साझां प्रयास से "आंदोलन की अपनी आवाज" ट्रॉली टाइम्स अख़बार निकाला है।

किसानों के आईटी सेल और अख़बार में अलग क्या है?

किसान एकता मोर्चा के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर किसान आंदोलन की बातें, विरोध प्रदर्शन के भाषण, फैक्ट चेक, और काउंटर आर्ग्यूमेंट डाले जा रहे हैं। इसके अलावा किसान आंदोलन को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने वाली पोस्ट्स का भी खंडन किया जा रहा है। साथ ही पंजाब के ज़िला स्तर पर हो रहे विरोध प्रदर्शन से लेकर देशभर के तमाम प्रदर्शनों की जानकारी भी इसके जरिए लोगों तक पहुंचाई जा रही है।

महज़ कुछ दिनों पहले शुरू हुए किसान एकता मोर्चे के फेसबुक फॉलोअर्स की संख्या 1.30 लाख के पार पहुंच चुकी है। वहीं, ट्विटर फॉलोअर्स 94.6 हज़ार के पार पहुँच चुके हैं। यूट्यूब चैनल के सब्सक्राइबर्स की संख्या 6.75 लाख हो चुकी है।

अगर अख़बार की बात करें तो, ट्राली टाइम्स अख़बार में कविता और कार्टून से लेकर आंदोलन की अलग-अलग खबरों और तस्वीरों को जगह दी गई है। चार पेज के इस अख़बार में तीन पेज पंजाबी भाषा और एक पेज हिंदी का है। अख़बार के माध्यम से सभी प्रदर्शन कर रहे किसानों को एकजुट करने के साथ ही यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि किसान हार मानने वाले नहीं हैं। वह लड़ेंगे और जीतेंगे।

आख़िर किसानों को आईटी सेल और अख़बार की ज़रूरत क्या थी?

किसान अपने आंदोलन को सभी किसानों और आम लोगों के बीच ले जाना चाहते हैं। इसलिए वे इन माध्यमों के जरिए विरोध प्रदर्शन से जुड़ी जानकारियों को जनता के बीच पहुंचाने के साथ ही भ्रामक खबरों का खंडन भी कर रहे हैं। और क्योंकि ज्यादातर लोग गांव देहात से नाता रखते हैं, सोशल मीडिया से नहीं जुड़े हुए हैं इसलिए उन तक अपनी आवाज़ पहुंचाने के लिए अख़बार की शुरूआत की गई है।

आईटी सेल के मीडिया कॉऑर्डिनेटर हरिंदर हैप्पी बताते हैं कि बीते दिनों किसान आंदोलन को अलग-अलग ढंग से प्रोपेगैंडा का शिकार होना पड़ा है। किसानों को कई जगह भ्रमित, आतंकवादी, खालिस्तानी बताया गया। इसलिए आंदोलन में शामिल कुछ युवाओं ने किसानों के विरोध प्रदर्शन से जुड़ी सही जानकारियों को जनता के सामने रखने के लिए ये आईटी सेल शुरू किया है।

‘हमारी आईटी सेल बीजेपी की आईटी सेल का सामना कर सके’

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज़ से पढ़ाई कर चुके हरिंदर ने न्यूज़क्लिक को बताया, "मौजूदा दौर में हम खेती-किसानी को संकट में देख रहे हैं, इसलिए हम उस दिन से ही इस आंदोलन में सक्रिय रूप से लगे हैं जब से दिल्ली चलो का कॉल आया था। हम चाहते हैं कि हम अपनी आईटी सेल से बीजेपी की आईटी सेल का सामना कर सके। हमारे पास संसाधन कम हैं लेकिन हमारी कोशिश है कि किसान नेताओं के भाषणों को लाइव दिखा सकें। हम उन गलत बातों का खंडन कर सकें जो सरकार की ओर से आती हैं। इसके साथ ही पंजाब में जो कुछ हो रहा है, उसे हम यहां दिखा सकें। जिससे लोगों को सच्चाई पता चल सके।”

ट्रैक्टर-ट्रॉली वाले किसानों की आवाज़ के लिए ट्राली टाइम्स

ट्राली टाइम्स के संपादक सुरमीत मावी के अनुसार किसानों की छवि ही ट्रैक्टर और ट्राली से बनती है, इसलिए ट्रैक्टर-ट्रॉली वाले किसानों की आवाज़ के लिए अख़बार का नाम भी ट्राली टाइम्स रखा गया। दूसरी बात यह भी है कि चारों बॉर्डर (गाजीपुर, शाहजहांपुर, टिकरी और सिंघु) पर जहां-जहां किसान प्रदर्शन कर रहे हैं वह एक दूसरे से कनेक्ट नहीं हो पा रहे थे। देश में दूसरे इलाकों में हो रहे प्रदर्शन की खबरें भी सभी तक नहीं पहुंच रही थीं। इसलिए यह अखबार खबरों के माध्यम से सभी में कनेक्टिविटी भी बनाए रखेगा।

पत्रकारिता की पढ़ाई कर चुके, कथाकार और फिल्मों के लिये स्क्रिप्ट लिखने वाले सुरमीत मावी ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, “ये अखबार किसी एक का नहीं, सबका है। मेनस्ट्रीम मीडिया हमारी खबरों को या तो दिखाता नहीं, या घुमा-फिराकर दिखाता है। बात खेती-किसानी की हो रही है और किसानों की खबरें गायब हैं। इसलिए हमने किसानों की बात किसानों और सभी लोगों तक पहुंचाने के लिए ये अख़बार निकाला।

कंटेंट सिलेक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन का काम देख रहीं जस्सी सांघा ने मीडिया को बताया कि अख़बार की लॉन्चिंग 85 साल के एक साधारण से बुजुर्ग किसान जनगन सिंह से कराई गई है। ट्राली टाइम्स में अभी 6-7 लोगों की टीम काम कर रही है लेकिन अब लग रहा है कि टीम बढ़ानी पड़ेगी। फिलहाल अखबार की दो हजार कॉपियां पब्लिश की गई हैं और इसकी छपाई गुड़गांव की एक प्रिंटिंग प्रेस में हो रही है।

आंदोलन की जानकारी आम लोगों तक पहुंचे

अख़बार में सोशल मीडिया का काम देख रहे अजय पाल बताते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक किसानों की बात पहुंचे इसके लिए हम ट्विटर हैंडल और टेलीग्राम ग्रुप पर भी लोगों से जुड़ रहे हैं। मंच पर क्या चल रहा है, किसानों में क्या चर्चा है, ट्रालियों में बैठे किसान क्या कर रहे हैं। यानी पूरे आंदोलन में क्या चल रहा है। यहां के लोगों को इसकी जानकारी मिलनी चाहिए। इसलिए इस अखबार की लॉन्चिंग की गई है। साथ ही हर आदमी स्टेज पर बैठकर अपनी बात किसानों तक नहीं पहुंचा सकता है इसके लिए भी यह अखबार उन लोगों का माध्यम बनेगा जो अपनी बात कहना चाहते हैं।

गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार जहां बार-बार विपक्ष पर किसानों को भ्रमित करने का आरोप लगा रही है तो वहीं किसान अपने संघर्षों के माध्यम से लगातार सरकार की आंखों में आंखे डाल अपनी मांगों और हक़ की लड़ाई से पीछे हटने के भ्रम को दूर करते दिखाई दे रहे हैं।

farmers protest
Farm Bills
BJP IT cell
farmers protest update
Kisan Ekta Morcha
Trolley Times
Social Media
BJP propaganda
BJP
Narendra modi
Agriculture Laws
Farm laws protest

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • Modi
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, PM मोदी आज मुख्यमंत्रियों संग लेंगे बैठक
    27 Apr 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,927 नए मामले सामने आए हैं। इसमें से क़रीब 60 फ़ीसदी मामले दिल्ली और हरियाणा से सामने आए है।
  • SATAN
    जॉन दयाल
    एनआईए स्टेन स्वामी की प्रतिष्ठा या लोगों के दिलों में उनकी जगह को धूमिल नहीं कर सकती
    27 Apr 2022
    स्टेन के काम की आधारशिला शांतिपूर्ण प्रतिरोध थी, और यही वजह थी कि सरकार उनकी भावना को तोड़ पाने में नाकाम रही।
  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    नागरिकों से बदले पर उतारू सरकार, बलिया-पत्रकार एकता दिखाती राह
    26 Apr 2022
    वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बताया कि चाहे वह दलित विधायक जिग्नेश मेवानी की दोबारा गिरफ्तारी हो, या मध्यप्रदेश में कथित तौर पर हिंदू-मुस्लिम विवाह के बाद मुसलमान की दुकान और घर पर चला बुल्डोज़र, यह सब…
  • सत्यम् तिवारी
    रुड़की : डाडा जलालपुर गाँव में धर्म संसद से पहले महंत दिनेशानंद गिरफ़्तार, धारा 144 लागू
    26 Apr 2022
    27 अप्रैल को होने वाली 'धर्म संसद' का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी उत्तराखंड पुलिस को निर्देश दिये थे। 26 अप्रैल की शाम को पुलिस ने डाडा जलालपुर गाँव से महंत दिनेशानंद को गिरफ़्तार कर लिया।
  • अजय कुमार
    एमवे के कारोबार में  'काला'  क्या है?
    26 Apr 2022
    साल 2021 में इस सम्बन्ध में उपभोक्ता संरक्षण नियम बने। इसके तहत नियम बना कि कोई भी डायरेक्ट सेलिंग कंपनी यानी वैसी कम्पनी जो उपभोक्ताओं को सीधे अपना माल बेचती हैं, वह कमीशन देने की शर्त पर अपना माल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License