NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
‘‘व्यंग्य एवं अतिशियोक्ति’’ ज़रूरी उपकरण:  कुणाल कामरा ने अपने ट्वीट का न्यायालय में किया बचाव
कामरा ने कहा कि यदि शक्तिशाली लोग और संस्थाएं आलोचना को सहने की अक्षमता दिखाते रहेंगे, तो ‘‘हम एक ऐसे देश में बदल जाएंगे, जहां कलाकारों को बाधित किया जाता रहेगा और दूसरों की कठपुतली बने लोगों को बढ़ावा मिलेगा।’’
भाषा
29 Jan 2021
 कुणाल कामरा

नयी दिल्ली: हास्य कलाकार कुणाल कामरा ने न्यायपालिका के खिलाफ अपने कथित विवादास्पद ट्वीट का शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में बचाव करते हुए कहा कि यदि सरकार को लगता है कि उन्होंने कोई सीमा पार की है और यदि वह उनके इंटरनेट को अनिश्चितकाल के लिए बंद करना चाहती है, तो वह भी ‘‘अपने कश्मीरी मित्रों की तरह हर साल 15 अगस्त पर स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं के पोस्ट कार्ड लिखेंगे।’’

कामरा ने कहा कि किसी हास्य प्रस्तुति के लिए ‘‘व्यंग्य एवं अतिशियोक्ति’’ अहम उपकरण होते हैं और हास्य कलाकार अपने अनूठे अंदाज में जनहित के मामलों से जुड़े सवाल खड़े करता है।

उन्होंने कहा कि यदि शक्तिशाली लोग और संस्थाएं आलोचना को सहने की अक्षमता दिखाते रहेंगे, तो ‘‘हम एक ऐसे देश में बदल जाएंगे, जहां कलाकारों को बाधित किया जाता रहेगा और दूसरों की कठपुतली बने लोगों को बढ़ावा मिलेगा।’’

कामरा ने कहा, ‘‘मैं कई मामलों में कई अदालतों के कई फैसलों से असहमत हो सकता हूं, लेकिन मैं इस पीठ से वादा करता हूं कि मैं हर फैसले का मुस्कुराते हुए स्वागत करूंगा। मैं इस मामले में उच्चतम न्यायालय या इस पीठ की निंदा नहीं करूंगा, क्योंकि यह न्यायालय की अवमानना होगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यदि इस न्यायालय को लगता है कि मैंने कोई सीमा पार की है और यदि वह मेरा इंटरनेट अनिश्चितकाल के लिए बंद करना चाहता है, तो मैं भी अपने कश्मीरी मित्रों की तरह हर 15 अगस्त पर स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं के पोस्ट कार्ड लिखूंगा।’’

हास्य कलाकार ने कहा कि उनका मानना है कि इस देश में असहिष्णुता की संस्कृति बढ़ रही है, जहां किसी बात पर नाराज होना मौलिक अधिकार समझा जाता है और इसे पसंदीदा इनडोर राष्ट्रीय खेल के दर्जे तक बुलंद कर दिया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला के साक्षी हैं। मुनव्वर फारूकी जैसे हास्य कलाकारों को उन चुटकुलों के लिए जेल भेजा जा रहा है, जो उन्होंने नहीं सुनाए और स्कूली छात्रों से राजद्रोह के मामले में पूछताछ की जा रही है। ऐसे समय में, मैं उम्मीद करता हूं कि यह न्यायालय दर्शाएगा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मूलभूत संवैधानिक मूल्य है और इस बात को मान्यता देगी कि इस अधिकार का इस्तेमाल करते हुए अपमानित होने की आशंका अनिवार्य है।’’

कामरा ने कहा, ‘‘मैं जिस भाषा या शैली का इस्तेमाल करता हूं, उसका मकसद किसी का अपमान करना नहीं होता, बल्कि उन मामलों पर ध्यान खींचना और संवाद शुरू करना होता है, जो मुझे लोकतंत्र के लिए प्रासंगिक लगते हैं और जिन्हें गंभीर एवं प्रबुद्ध टीकाकारों ने सार्वजनिक क्षेत्र में नहीं उठाया होता है।’’

उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि न्यायिक पदों समेत संवैधानिक पदों के पास चुटकुलों से सुरक्षा नहीं है।

उन्होंने कहा कि वह नहीं मानते कि न्यायाधीश समेत कोई भी उच्चाधिकारी केवल इसलिए काम करने में खुद को असमर्थ पाएगा क्योंकि उस पर व्यंग्य किए जा रहे हैं या उसे लेकर चुटकुले सुनाए जा रहे हैं।

कामरा ने अपने ट्वीट का बचाव करते हुए कहा कि ये ट्वीट ‘‘हमारे लोकतंत्र की शीर्ष अदालत में लोगों का विश्वास कम करने के इरादे से’’ प्रकाशित नहीं किए गए।

उन्होंने कहा कि केवल उनके ट्वीट से दुनिया के सबसे शक्तिशाली न्यायालय का आधार हिल सकता है, ऐसा मानना उनकी क्षमता को बढ़ा-चढ़ा कर समझना है।

न्यायालय ने शीर्ष अदालत के खिलाफ कथित अपमानजनक ट्वीट करने के मामले में कामरा को 18 दिसंबर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और उन्हें निजी पेशी से छूट दी थी।

kunal kamra
Kunal Kamra's Tweet
Supreme Court

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License