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लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड: "मुआवज़ा हमारे मरे बच्चों को वापस नहीं लाएगा"
तिकोनिया से एक ग्राउंड रिपोर्ट, जहां गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा और उनके बेटे के ख़िलाफ़ गुस्सा अभी भी उबल रहा है, शोक में डूबे परिवारों का कहना है कि मुआवज़े से भी उनके मृतक वापस नहीं आ जाएंगे।
अब्दुल अलीम जाफ़री
06 Oct 2021
Translated by महेश कुमार
लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड

तिकोनिया (लखीमपुर खीरी) : रविवार को अपने पति दलजीत को अलविदा कहने वाली परमजीत कौर को नहीं पता था कि अपने पति से यह उनकी आखिरी मुलाकात होगी।

बंजारन टांडा के मूल निवासी दलजीत सिंह उन चार किसानों में से एक थे, जिन्हें कथित तौर पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे द्वारा चलाई गई जा रही कार से कुचल दिया गया था।

उनकी मृत्यु के पिछले 24 घंटों के बाद भी परमजीत कौर पूरी तरह सदमे में है और वे कुछ भी नहीं बोल पा रही है सिवाय इसके कि वे बार-बार अपने पति का नाम पुकारती रहती है।

'रोटी दे के भेजा था, क्या पता अब रोटी नहीं खा पाएगा, अब हमें कौन पालेगा, एक वही कमाने वाला था', एक दुखी व्याकुल कौर ने न्यूज़क्लिक को बताया और बताते हुए अचानक बेहोश हो गई।

दलजीत के बच्चे परनजीत कौर (13) और राजदीप सिंह (17) ने अपनी मां को सांत्वना दे रहे थे और उनसे बहादुर बनने की गुहार लगा रहे थे। 

'मंत्री का बेटा, किसानों का हत्यारा'

राजदीप का कहना है कि वह अपने पिता के साथ नानपारा के 20-30 लोगों के साथ मोटरसाइकिल से अपने घर से लगभग 120 किलोमीटर दूर तिकोनिया गए थे, ताकि किसानों के विरोध में शामिल हो सके। 

“हर कोई विरोध कर रहा था, तभी अचानक अफरा-तफरी मच गई। जब तक पापा कुछ समझ पाते, पीछे से आ रहे तीन वाहन उन्हे रौंदकर निकल गए। पापा मेरी आंखों के सामने रो रहे थे, लेकिन मैं कुछ नहीं कर पा रहा था। मैं चिल्ला रहा था और रो रहा था। कुछ ही समय में, उन्होने सांस लेना बंद कर दिया” मृतक दलजीत के बेटे ने अपने पिता की मृत्यु की न्यायिक जांच की मांग करते हुए उक्त बातें बताई।

उन्होंने इस घटना के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा पर आरोप लगाया और कहा कि वह तीन-तीन वाहनों में आए थे जिसमें एक वाहन में वे खुद बैठे हुए थे। दलजीत के बेटे ने आरोप लगाया, “उन्होंने जानबूझकर सभी को कुचल दिया और मेरे पिता की मृत्यु हो गई। उन्होंने वहाँ इकट्ठा किसानों पर गोलियां भी चलाईं।”

नानपारा के नबी नगर, मोहरनिया के मूल निवासी गुरविंदर सिंह के परिवार के सदस्य सिंह के शरीर से लिपटकर रोते-बिलखते नजर आए। गुरविंदर के घायल होने की खबर मिलने के बाद वे तिकोनिया पहुंचे थे। जब तक वे मौके पर पहुंच पाते, ज़मीन के हिसाब से छोटे किसान श्री सिंह की मौत हो चुकी थी।

गुरविंदर के चचेरे भाई पूरन सिंह ने कहा, 'वह एक संत व्यक्ति थे और अचानक घटना का शिकार हो गए। अगर हमें जरा सा भी आभास होता कि कृषि-कानूनों के विरोध में उनकी जान चली जाएगी या किसानों की छोटी-छोटी नाराजगी इतने बड़े पैमाने पर हिंसक हो जाएगी, तो हम उन्हें कभी भी विरोध स्थल पर नहीं जाने देते।” उन्होने उत्तर प्रदेश में "खराब कानून-व्यवस्था" के लिए वर्तमान शासन पर आरोप लगाया और उसे जिम्मेदार ठहराया।

सिंह ने बिलखते हुए कहा कि “तीन कृषि-कानूनों के खिलाफ प्रतिरोध नया नहीं है, यह पूरे देश में हो रहा है, लेकिन चूंकि वर्तमान सरकार विधानसभा चुनाव से पहले अपनी जमीन खो रहा है, इसलिए वे किसानों को निशाना बना रहे हैं और इस बार एक कदम आगे बढ़ गए हैं, और निर्दोष किसानों को मारना शुरू कर दिया है।” 

पूरन सिंह के मुताबिक गुरविंदर रविवार को अपने एक रिश्तेदार से मिलने लखीमपुर गए थे और आंदोलन में शामिल हो गए। “जब हमारे आसपास के लोगों ने हमें हिंसा के बारे में बताया, तो हमने अपने रिश्तेदारों को फोन किया लेकिन उन्होंने हमें बताया कि वे धरना स्थल पर नहीं पहुंचे हैं। उनका सेलफोन भी बंद था। देर रात गुरविंदर की मौत की सूचना मिली और उन्होंने कहा कि काश वह वहां नहीं जाते।“

दलजीत के शव के बगल में लखीमपुर के धौरहा के रहने वाले नछत्तर सिंह का शव भी पड़ा था।  अल्मोड़ा में एसएसबी जवान के पद पर तैनात उनका बेटा मंदीप सोमवार तड़के तिकोनिया पहुंचा। दूसरों की तरह, मंदीप ने भी भाजपा सांसद के बेटे को गुनहगार ठहराया और पुलिस पर उसे 'भागने' में मदद करने का आरोप लगाया।

इस बीच, तिकोनिया में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे एक अन्य घायल किसान ने, जो चौकथा फार्म के मूल निवासी हैं ने अपने 20 वर्षीय भतीजे लवप्रीत सिंह को खो दिया है। लखीमपुर खीरी के मझगई ने न्यूज़क्लिक को बताया, "मैं सड़क से कूद गया और वाहन के रास्ते से हटने में कामयाब रहा लेकिन मेरा भतीजा लवप्रीत नहीं हट सका। वह मेरी आंखों के सामने मारा गया। उसे कुचलने के लिए वाहन को उसके ऊपर चढ़ा दिया गया था। उसके बाद मंत्री का बेटा आशीष (मोनू) हाथ में पिस्टल लिए वाहन से बाहर निकला और गोलियां चलाने लगा और फिर पुलिस की मदद से भागने में सफल रहा।

मंत्री के बेटे पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि मोनू जिस वाहन से आए थे उसके पीछे दो एसयूवी भी थीं। “जब किसानों ने उन्हे काले झंडे दिखाए, तो उन्होने कार की गति तेज कर दी और जानबूझकर किसानों के ऊपर चढ़ा दिया। उन्होंने कहा, हम में से कई लोग डर के मारे उसके रास्ते से हट गए, लेकिन मेरे भतीजे सहित कुछ कार के नीचे आ गए।”

शाहजहांपुर से आने वाले एक युवा किसान जगदीप सिंह को लाशों के आसपास बैठे, मरने वालों को श्रद्धांजलि देते हुए देखा गया।

“मेरे जिले से लगभग 45 वाहन शोक संतप्त परिवारों को श्रद्धांजलि देने आए थे। हम यहां किसानों के रूप में आए हैं और सरकारी प्रतिनिधियों ने उनकी हत्या कर दी है। हम मरने के लिए अपनी बारी का इंतजार नहीं कर सकते हैं। रंजीत ने न्यूज़क्लिक को बताया कि, यह लड़ाई अब इतनी व्यक्तिगत हो गई है," "और उस देश के लिए यह एक दुखद स्थिति है जहां देश में लगभग 70 प्रतिशत आबादी किसान हैं, (एमओएस मिश्रा के वीडियो का हवाला देते हुए) कहा कि एक नेता का कहता कि वह किसानों के ‘होश ठिकाने’ लगाएगा और उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।  

किसानों के परिवारों में शासन के खिलाफ भारी गुस्सा और रोष तो है ही साथ ही उनमें नुकसान और शोक की गहरी भावना जड़ कर गई है।

यह स्थिति कैसे बनी 

रविवार की सुबह तक, तिकोनिया थाने के अंतर्गत बनबीरपुर, एक छोटा सा गाँव जो लखीमपुर खीरी जिला मुख्यालय के अंतर्गत आता है और भारत-नेपाल सीमा के बहुत करीब है, शांतिपूर्ण था। लेकिन, दोपहर में, गांव में तब खूनखराबा हो गया जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद अजय मिश्रा टेनी, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के स्वामित्व वाली एक एसयूवी सहित कुल तीन एसयूवी का काफ़िला चार किसानों और एक पत्रकार सहित अपर चढ़ गया था, इस हादसे में कम से कम आठ लोग मारे गए, और साथ ही 13 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। 

लखीमपुर खीरी और आसपास के जिलों शाहजहांपुर, पीलीभीत, बहराइच और सीतापुर के हजारों किसान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को हेलिकॉप्टर से उतरने से रोकने के लिए जिला मुख्यालय से 75 किलोमीटर दूर तिकोनिया के महाराजा अग्रसेन मैदान में बने हेलीपैड का घेराव करने के लिए इकट्ठा हुए थे। एक किसान गुरमीत सिंह विर्क ने आरोप लगाया, जो कि विरोध का नेतृत्व कर रहे थे, कि कथित तौर पर यह घटना तब हुई जब किसान विरोध स्थल से तितर-बितर हो रहे थे, तब अचानक मिश्रा के काफिले के तीन वाहन किसानों पर चढ़ गए। 

न्यूज़क्लिक के साथ बात करते हुए, विर्क ने बताया कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और अजय मिश्रा टेनी के पैतृक गांव बनबीरपुर की यात्रा से कुछ मिनट पहले हिंसा और आगजनी हुई। किसान नए कृषि-कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे और डिप्टी सीएम के दौरे का विरोध करने के लिए सड़क जाम कर दी थी। कथित तौर पर मिश्रा की तीन एसयूवी द्वारा किसानों के एक समूह को टक्कर मारने के बाद वे भड़क गए, और कुछ हिंसा हुई जिसमें कई लोग घायल हो गए।

 मौर्य के दौरे और भाजपा सांसद द्वारा किसानों को खुली धमकी देने के विरोध में किसानों के तिकोनिया-बनबीरपुर मार्ग पर एकत्र होने के बाद यह घटना हुई। प्रदर्शनकारी उस हेलीपैड पर जमा हो गए थे, जहां डिप्टी सीएम को पहुंचना था। जब पुलिस अधिकारियों ने उन्हें सूचित किया कि वह नहीं आएंतो किसान तितर-बितर हो गए और उन्होंने दूसरा रास्ता अपना लिया था।  विर्क ने आरोप लगाया कि इसी बीच तेज मंत्री के बेटे का काफीला तेज़ रफ्तार से आया और किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी। उन्होंने कुछ किसानों पर गोली दागी और मौका-ए-वारदात से भाग गए।”  

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक कथित वीडियो में, मिश्रा को जिले में चल रहे विरोध के संदर्भ में किसानों को धमकी देते हुए सुना जा सकता है, वे वीडियो में कह रहे हैं कि, “आओ और मेरा सामना करो, मैं तुम्हें दो मिनट में ठीक कर दूंगा। तुम्हें लखीमपुर खीरी छोड़ना होगा।” 

उन्होंने आगे कहा, "मैं केवल मंत्री या विधायक और सांसद नहीं हूं। मेरे विधायक बनने से पहले जो लोग मुझे जानते हैं, वे ये भी जानते होंगे कि मैं किसी चुनौती से भागता नहीं हूं।

एक प्रत्यक्षदर्शी पूर्णदीप सिंह ने आरोप लगाया कि मंत्री के बेटे आशीष ने वाहन पलटने के बाद भागने की कोशिश की। उसने एक किसान की गोली मारकर हत्या कर दी, और मौके से भागने की कोशिश की तो किसान ने जमीन पर गिरने के बाद उसे पकड़ने की कोशिश की। उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों को दूर रखने के लिए उन्होंने लगातार हवा में कई राउंड फायरिंग की और पुलिस ने उन्हें बचाया।

“मोनू ने दावा किया कि वह मौके पर आया ही नहीं क्योंकि वह गाँव में किसी पुश्तैनी समारोह में व्यस्त था। गांव के सभी लोगों ने उसे पिस्तौल लहराते देखा था। वह हत्या करने के इरादे से आया था, नहीं तो उसकी कार में लोहे की छड़ें नहीं भरी होती और वह किसानों और लोगों से भरी संकरी सड़क पर पूरी रफ्तार से गाड़ी नहीं चलाता।

इस दौरान सड़कों पर चप्पल व टूटे चश्मे बिखरे देखे जा सकते थे। ग्रामीणों ने दावा किया कि किसानों को मारी गई कार की टक्कर के बाद भगदड़ मच गई। किसानों ने जान बचाने की कोशिश की और जहां-जहां खाली जगह मिली, वहां दौड़ पड़े। इससे किसी का चश्मा टूटकर जमीन पर गिर गया तो किसी की चप्पल टूट गई। मंत्री के काफिले के दो वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया।

'मुआवज़ा मृतकों को वापस नहीं ला सकता है'

मरने वाले चारों किसानों के परिवार के सदस्यों ने शवों को सड़क के बीच कई घंटों तक शवगृह के फ्रीजर बॉक्स में रखा, और कहा कि वे साइट से एक इंच भी नहीं हटेंगे और जब तक मंत्री के बेटे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती तब तक वे अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। 

हालांकि, रविवार को पहुंचे भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रमुख नेता राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश के एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार और खीरी जिला प्रशासन के साथ कम से कम पांच दौर की बातचीत की। बैठक में घटना के दौरान मारे गए चार किसानों को 45 लाख रुपये और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की गई है। जबकि सरकार हिंसा में घायल लोगों को 10 लाख रुपये देगी और उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से घटना की जांच कराई जाएगी। 

फैसले के बाद परिजनों ने मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजने की अनुमति दे दी। 

“45 लाख रुपये और सरकारी नौकरी, मरने वालों को वापस नहीं ला सकती है, लेकिन वित्त के मामले में पीड़ित परिवारों के लिए यह एक तरह की राहत है। टिकैत ने कहा कि अगर सरकार आरोपी को मृतकों के अंतिम संस्कार के 10 दिनों में गिरफ्तार करने में विफल रहती है, तो एक विशाल पंचायत आयोजित की जाएगी।”

बीकेयू नेता ने सभा को भरोसा दिलाया कि मिश्रा के बेटे को कानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा और मंत्री मिश्रा अपने मंत्री पद से हटना होगा। 

पीड़ित परिवार के सदस्यों ने कहा: “हम यहां किसी सौदेबाजी के लिए नहीं हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि मंत्री और उनके आरोपी बेटे को तुरंत सलाखों के पीछे भेजा जाए। एक मृतक किसान के बेटे राजदीप ने कहा, किअगर यह जल्द नहीं किया गया, तो हम सड़कों पर आ जाएंगे।”

इसके अलावा, एक स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप जो किसानों के विरोध की रिपोर्टिंग करने गए थे वे तभी से गायब हैं। रमन के बारे में कोई जानकारी न मिलने पर उनके परिजन और उसकी पत्नी में भयभीत हो गए। उनके चाचा राम लखन कश्यप ने न्यूज़क्लिक को बताया कि उनका शव सोमवार सुबह मुर्दाघर में मिला था। वह गंभीर रूप से घायल थे और इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।

राम लखन ने कहा कि “भगदड़ के दौरान मेरे भतीजे को एक कार ने कुचल दिया। मुझे नहीं पता कि यह सांसद के बेटे की कार थी या किसान की, लेकिन एक वाहन के कुचलने से उनकी मौत हो गई थी। वह अपने पीछे दो छोटे बच्चों और पत्नी को छोड़ गए हैं।"

Lakhimpur Kheri
Tikonia
farmer death
Ajay Mishra Teni

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