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लखीमपुर कांड: किसानों के साथ विपक्ष भी उतरा सड़कों पर, सरकार बैकफुट पर आई, न्यायिक जांच और एफआईआर की शर्त पर समझौता
कई घंटे चली बातचीत के बाद किसान नेता राकेश टिकैत की मौजूदगी में सरकार और किसानों के बीच समझौता हो गया है। प्रत्येक मृतक के परिवार को 45 लाख के मुआवजे के अलावा घटना की “न्यायिक जांच” और 8 दिन में आरोपियों को अरेस्ट करने का वादा भी किया गया है।
असद रिज़वी
04 Oct 2021
Rakesh Tikait

उत्तर प्रदेश में सोमवार का दिन सियासी हलचल से भरा रहा। रविवार को किसान आंदोलन के दौरान आठ लोगों की मौत के बाद आज विपक्षी दलों ने योगी सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन किये।

हालाँकि प्रदर्शनों की ख़बर मिलते ही शासन-प्रशासन हरकत में आ गया था। देर रात से ही विपक्षी दलों के नेताओं को नज़रबंद किया जाने लगा था। दिल्ली से लखनऊ पहुँची कांग्रेस की महासचिव को लखीमपुर जाने से रोकने की पुलिस-प्रशासन ने हर संभव कोशिश करी। 

लेकिन पुलिसकर्मीयों को चकमा देकर प्रियंका लखनऊ से बाहर निकली-लेकिन पुलिस ने उनको सीतापुर के पास हिरासत में ले लिया। इस दौरान कांग्रेस महासचिव और पुलिसकर्मियों के बीच काफ़ी कहासुनी भी हुई। प्रियंका ने पुलिस से कहा कि वह भी कानून जानती हैं और पुलिस उनको बिना वारंट के नहीं पकड़ सकती है। 

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पुलिस द्वारा प्रियंका को सीतापुर पुलिस लाइन की सेकेंड बटालियन के गेस्ट हाउस में रखा गया जहाँ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने के गेट के बाहर ज़ोरदार प्रदर्शन किया।

कांग्रेसियों ने पुलिस लाइन के अंदर घुसने का प्रयास किया और इस दौरान उनकी और पुलिस के बीच हाथापाई भी हुई। लखीमपुर जाने की अनुमति नहीं मिलने से नाराज़ प्रियंका ने हिरासत में अनशन भी किया।

ये अनशन है- अन्नदाता के अधिकार के लिए, संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए।

भाजपाई हुकूमत हमारे लोकतांत्रिक व संवैधानिक अधिकारों को नहीं कुचल सकती।

गाँधीजी के पथ पर चलते हुए अधिकारों की लड़ाई जारी रहेगी। #KhooniDarpokBJP#लखीमपुर_किसान_नरसंहार pic.twitter.com/qrO636YHrq

— Congress (@INCIndia) October 4, 2021

लखनऊ से लखीमपुर जाने से रोकने पर पूर्व मुख्यमंत्री  सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सड़क पर ही धरने पर बैठ गए। उन्होंने कहा कि किसानों पर अंग्रेजों के शासन से भी ज्यादा जुल्म भाजपा सरकार कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफे और मृतक किसानों को 2-2 करोड़ का आर्थिक सहायता देने की भी मांग की। जिसके बाद पुलिस ने सपा अध्यक्ष हिरासत में ले लिया।

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उधर लखनऊ में अखिलेश के धरने से कुछ दूरी पर भीड़ ने पुलिस की गाड़ी को आग लगा दी। पुलिस ने प्रियंका और अखिलेश के अलावा विपक्ष के कई नेताओं को लखीमपुर पहुंचने से रोकने के लिए उन्हें हाउस अरेस्ट किया। इनमें बहुजन समाज पार्टी (बसपा) महासचिव सतीश मिश्र, कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी, सलमान खुर्शीद, आराधना मिश्रा और शिवपाल यादव शामिल हैं। 

अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने एयरपोर्ट अथॉरिटी को पत्र लिखकर अमौसी एयरपोर्ट पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा का विमान को चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट लैंड ना कराए जाए जाने को कहा है। बघेल और रंधावा लखीमपुर जाने वाले थे। ख़बर लिखे जाने तक प्रियंका हिरासत में थी, लेकिन अखिलेश को रिहा कर कर दिया गया है।

लखीमपुर में सोमवार की सुबह किसानों ने घटनास्थल पर पहुँचे कुछ मीडियाकर्मियों को खदेड़ दिया। इस दौरान कैमरामैन का कैमरा तोड़ दिया गया और उसकी एक अंगुली भी कट गई। मीडियाकर्मियों और पत्रकारों के बीच हुई इस झड़प के बीच हल्की पत्थरबाजी भी हुई। किसानों में गोदी मीडिया के रवैये को लेकर आक्रोश था। इसे देखते हुए टीवी चैनलों ने अपनी “ओबी वैन” भी घटनास्थल 4 से 5 किमी दूर खड़ी कीं।

पीलीभीत के भाजपा सांसद वरुण गांधी ने लखीमपुर में हिंसक घटना की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग की है। गाँधी ने मुख्यमंत्री योगी को इस के एक पत्र भी लिखा है। 

जहाँ सियासी नेताओं को हिरासत में ले लिया गया या नज़रबंद कर दिया गया वहीं किसान नेता राकेश टिकैत सुबह 5:30 बजे तिकुनिया गाँव पहुंचे गये। उन्होंने किसानों के शवों के अंतिम दर्शन करने के बाद अपनी मांगे रखी। टिकैत ने मृतक किसानों के परिवार को मुआवजा,नौकरी और दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे। 

सुबह  7:15 बजे प्रशासन के अधिकारियों ने  मौक़े पर पहुंचकर राकेश टिकैत से सम्पर्क किया। मारे गए किसानों के शव लखीमपुर के अग्रसेन इंटर कॉलेज के बाहर अंतिम दर्शन के लिए रखे गए जहाँ सुबह से ही सैकड़ों ज्यादा किसान जुट गए थे।

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कई घंटे चली बातचीत के बाद दोपहर के क़रीब किसान नेता राकेश टिकैत की मौजूदगी में सरकार और किसानों के बीच समझौता हो गया है। 

सरकार ने प्रत्येक मृतक के परिवार को 45 लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया है। मृतक के परिवार के एक सदस्य को योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी दी जाएगी। इसके अलवा घटना की “न्यायिक जांच” और 8 दिन में आरोपियों को अरेस्ट करने का वादा भी किया गया है।

लखीमपुर पहुँचे प्रदेश के एडीजी प्रशांत कुमार ने अपने बयान में कहा कि गए 4 किसानों के परिवारों को सरकार 45 लाख रुपए और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देगी। इसके अलावा घायलों को 10 लाख रुपए दिए जाएंगे। 

किसानों की शिकायत पर एफ़आईआर दर्ज की जाएगी और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज मामले की जांच करेंगे। 

एडीजी ने कि सीआरपीसी की धारा 144 लागू होने के कारण राजनीतिक दलों के नेताओं को ज़िले का दौरा नहीं करने दिया गया है। हालांकि, किसान संघों के नेताओं को यहां आने की अनुमति है।'

रविवार को हुई हिंसा के बाद लखीमपुर के तिकुनिया में तीन कंपनी पीएसी और प्रदेश के दूसरे ज़िलों में हरदोई, बाराबंकी, लखनऊ ग्रामीण और लखीमपुर की भारी पुलिस फोर्स को तैनात किया गया है। एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर), एडीजी ज़ोन (लखनऊ) एसएन साबत, अतिरिक्त आईपीएस अजय पाल शर्मा को लगाया गया है। 

लखीमपुर में तनाव को देखते हुए प्रशासन ने मंगलवार तक के लिए ज़िले में इंटरनेट सेवाएँ को बंद कर दिया है। कल केवल घटनास्थल के 20 किलोमीटर के दायरे में इंटरनेट बंद किया गया था। राजधानी लखनऊ और लखीमपुर में धारा 144 लगा दी गई है।

हालाँकि लखीमपुर में हुई हिंसक घटना में योगी सरकार बैकफुट पर नज़र आई। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र समेत 14 लोगों पर हत्या, आपराधिक साजिश और बलवे का मुक़दमा दर्ज हुआ है। 

यह मुक़दमा बहराइच ज़िले के नानपारा के रहने वाले जगजीत सिंह की तहरीर पर “तिकुनिया” थाने में दर्ज हुआ है। वहीं मंत्री अजय मिश्र के ड्राइवर की तहरीर पर तिकुनिया थाने में ही अज्ञात किसानों पर हत्या, जानलेवा हमला, बलवा और मारपीट की धाराओं में मुक़दमा दर्ज कर लिया है। हालाँकि टिकैत का टिकैत का कहना है की केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र पर भी मुक़दमा दर्ज होगा।

बता दें कि सुबह जब प्रशासन से बातचीत शुरू हुई तब किसान नेताओं की पहली मांग थी कि मंत्री, उनके बेटे व समर्थकों पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो और मंत्री को बर्खास्त किया जाए।

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