NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
लेबनानी ट्रेड यूनियनों ने बिगड़ती जीवन स्थिति के ख़िलाफ़ एक दिवसीय आम हड़ताल की
हालांकि हड़ताल का आह्वान सीजीटीएल द्वारा किया गया था, लेकिन इसे फ्री पैट्रियटिक मूवमेंट, फ्यूचर एंड अमल जैसी पार्टियों ने भी समर्थन दिया लेकिन इन पर कुछ वर्गों ने विरोध प्रदर्शनों को हाईजैक करने का आरोप लगाया।
पीपल्स डिस्पैच
18 Jun 2021
Lebanon

लेबनानी कर्मचारियों ने अपनी दुर्दशा को दूर करने में सरकार की विफलता और निरंतर आर्थिक कठिनाई के विरोध में गुरुवार 17 जून को एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल की। इस हड़ताल का आह्वान जनरल कन्फेडरेशन ऑफ लेबनानी वर्कर्स (सीजीटीएल) द्वारा किया गया था, जो देश में ट्रेड यूनियनों का एक प्रमुख संगठन है और फ्री पैट्रियटिक मूवमेंट (एफपीएम), फ्यूचर एंड अमल सहित कुछ प्रमुख राजनीतिक दलों ने इसका समर्थन किया है।

बैंकों और कुछ प्रमुख तेल रिफाइनरियों सहित सभी व्यावसायिक गतिविधियां बंद कर दी गईं और कर्मचारियों ने देश में प्रमुख सड़कों और राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया। हड़ताल से निजी फर्मों और हवाई अड्डों के कामकाज पर भी असर पड़ा क्योंकि कर्मचारियों ने इस हड़ताल के साथ एकजुटता दिखाई।

राजधानी बेरूत में प्रेस से बात करते हुए, सीजीटीएल के प्रमुख बचारा अल-अश्मर ने लेबनान में कर्मचारियों सहित अन्य लोगों के सामना किए जाने वाले राजनीतिक और आर्थिक संकट को हल करने के लिए संगठित प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने स्थिरता और सुधार को वापस लाने के लिए "साल्वेशन गवर्नमेंट" के गठन का भी आह्वान किया।

हालांकि अधिकांश जगहों पर हड़ताल प्रभावी रही वहीं इसमें देश में संकट के लिए व्यापक रूप से जिम्मेदार एफपीएम, फ्यूचर एंड अमल समूहों और पार्टियों की भागीदारी के चलते आलोचनाएं हो रही है। कुछ वर्गों ने इसे देश में महीनों से चल रहे विरोध आंदोलन को हाईजैक करने का प्रयास भी कहा।

व्यवस्था की विफलताओं के कारण लेबनान 2019 की शुरुआत से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। पिछले साल COVID-19 और बेरूत विस्फोटों के बाद यह गंभीर हो गया है। समाधान के लिए काम करने वाली स्थिर सरकार बनाने में देश में राजनीतिक वर्ग की विफलता ने इस स्थिति को और जटिल बना दिया है।

बेरूत विस्फोट के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री हसन दियाब के इस्तीफे के बाद पिछले साल अगस्त से देश में कोई पूर्णकालिक सरकार नहीं है। इस विस्फोट में 200 से अधिक लोग मारे गए थे और शहर के महत्वपूर्ण हिस्से को नुकसान पहुंचा था। दियाब वर्तमान में कार्यवाहक प्रधानमंत्री हैं। साद हरीरी जिन्हें बुनियादी सेवाएं प्रदान करने में अपनी सरकार की विफलता और नए कर लगाने के प्रयासों के खिलाफ विरोध के बाद अक्टूबर 2019 में पद से इस्तीफा देना पड़ा था उनको इस साल की शुरुआत में नई सरकार बनाने का काम सौंपा गया था। अब तक वह ऐसा करने में असफल रहे हैं।

Lebanon
general strike
trade unions
COVID-19

Related Stories

आर्थिक रिकवरी के वहम का शिकार है मोदी सरकार

महामारी के दौर में बंपर कमाई करती रहीं फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां

विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान

महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां

कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक

महंगाई की मार मजदूरी कर पेट भरने वालों पर सबसे ज्यादा 

मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई

जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप

कोरोना अपडेट: देश में एक हफ्ते बाद कोरोना के तीन हज़ार से कम मामले दर्ज किए गए

दिल्लीः एलएचएमसी अस्पताल पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया का ‘कोविड योद्धाओं’ ने किया विरोध


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: कुछ भी मत छापो, श..श..श… देश में सब गोपनीय है
    10 Apr 2022
    एक कानून है, गोपनीयता का कानून। पहले से ही है। सरकारी गोपनीयता का कानून। बलिया में वह भंग कर दिया गया। तीन पत्रकारों ने उसे भंग किया।
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    जय श्री राम बनाम जय सिया राम
    10 Apr 2022
    आज रामनवमी है, और इतवार भी। इसलिए ‘इतवार की कविता’ में आज पढ़ते हैं जय श्री राम और जय सिया राम का फ़र्क़ और मर्म बताती मुकुल सरल की यह छोटी सी कविता।
  • worker
    पुलकित कुमार शर्मा
    पिछले तीन सालों में दिहाड़ी 50 रुपये नहीं बढ़ी, जबकि महंगाई आसमान छू गयी    
    10 Apr 2022
    देश में 30 करोड़ से भी ज्यादा ग्रामीण कामगार कृषि और गैर कृषि पेशों से जुड़े हुए हैं। जिनकी दिहाड़ी में पिछले तीन सालों में मामूली सी बढ़ोतरी हुई है, जबकि महंगाई आसमान छू रही है।  
  • नाइश हसन
    उर्दू पत्रकारिता : 200 सालों का सफ़र और चुनौतियां
    10 Apr 2022
    उर्दू अपना पहले जैसा मक़ाम हासिल कर सकती है बशर्ते हुकूमत एक खुली ज़ेहनियत से ज़बान को आगे बढ़ाने में साथ दे, लेकिन देखा तो यह जा रहा है कि जिस पैकेट पर उर्दू में कुछ छपा नज़र आ जा रहा है उस प्रोडक्ट से…
  • शारिब अहमद खान
    नेट परीक्षा: सरकार ने दिसंबर-20 और जून-21 चक्र की परीक्षा कराई एक साथ, फ़ेलोशिप दीं सिर्फ़ एक के बराबर 
    10 Apr 2022
    केंद्र सरकार द्वारा दोनों चक्रों के विलय के फैसले से उच्च शिक्षा का सपना देखने वाले हज़ारों छात्रों को धक्का लगा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License