NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
सरकार बनाने में विफल रहने के बाद लेबनान के नवनियुक्त प्रधानमंत्री हरीरी का इस्तीफ़ा
केवल सात महीने सत्ता में रहे प्रधानमंत्री हसन दिआब द्वारा बेरूत विस्फोटों के बाद अपने पद से इस्तीफ़ा देने के बाद लेबनान में पिछले साल अगस्त से कार्यवाहक सरकार थी।
पीपल्स डिस्पैच
16 Jul 2021
सरकार बनाने में विफल रहने के बाद लेबनान के नवनियुक्त प्रधानमंत्री हरीरी का इस्तीफ़ा

लेबनान के नवनियुक्त प्रधानमंत्री साद हरीरी ने गुरुवार 15 जुलाई को बेरूत में राष्ट्रपति मिशेल औन से मुलाकात के बाद अपने इस्तीफे की घोषणा की। साद हरीरी ने कहा कि राष्ट्रपति मिशेल औन ने प्रस्तावित कैबिनेट मंत्रियों की उनकी सूची को मंजूरी नहीं दी।

हरीरी के इस्तीफे की घोषणा के बाद उनकी फ्यूचर मूवमेंट पार्टी के समर्थकों ने देश के विभिन्न हिस्सों में सड़कों पर उतर आए और ब्लॉक कर दिया। राजधानी बेरूत में सुरक्षा बलों ने ऐसे ही एक विरोध प्रदर्शन पर रबर की गोलियां चलाईं।

गुरुवार को दिया गया इस्तीफा दो साल से भी कम समय में दूसरी बार होगा जब साद हरीरी को इस्तीफा देना पड़ा। वह अक्टूबर 2019 में सरकार का नेतृत्व कर रहे थे जब विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ और उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा।

साद हरीरी ने पिछले नौ महीनों में सरकार बनाने में अपनी विफलता के लिए माफी मांगी। बेरुत विस्फोट के बाद अगस्त में हसन दिआब के इस्तीफे के बाद उन्हें पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। इस घटना में करीब 200 लोग मारे गए थे और शहर के बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा था।

लेबनान की आधिकारिक समाचार एजेंसी नेशनल न्यूज़ एजेंसी (एनएनए) पर प्रकाशित एक बयान में हरीरी ने औन पर उनके द्वारा प्रस्तावित नामों की सूची में संशोधन का प्रस्ताव करते हुए कैबिनेट गठन को रोकने का आरोप लगाया। औन ने पहले भी हरीरी के नामों की सूची को खारिज कर दिया था।

नई कैबिनेट की स्थिति को लेकर औन और हरीरी के बीच मतभेद पिछले कुछ समय से सामने आए थे। हरीरी ज्यादातर कथित "तकनीकी कैबिनेट" बनाना चाहते थे, जिसका मतलब है कि इसके अधिकांश सदस्य निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं होंगे और संवैधानिक रूप से निर्वाचित प्रतिनिधित्व से समझौता किया जाएगा। इस तरह के बदलाव देश में करीब दो साल से चल रहे विरोध प्रदर्शनों की एक बड़ी मांग रहे होंगे।

एक औपचारिक सरकार की कमी ने देश में आर्थिक और राजनीतिक संकट को और तेज कर दिया है। जीडीपी अनुपात में बहुत अधिक ऋण हो गया और इसकी स्थानीय मुद्रा अपना अधिकांश मूल्य खो रही है। लोगों के पास जो भी बचत है उसे कमजोर कर रही है। एनएनए की रिपोर्ट के अनुसार हरीरी के इस्तीफे के बाद अमेरिकी डॉलर का मूल्य खुले बाजार में 22,000 लेबनानी पाउंड के रिकॉर्ड उच्च स्तर को छू गया। इससे आवश्यक वस्तुओं की कीमतें, जिनमें से अधिकांश आयात की जाती हैं, वह आम लोगों की पहुंच से बाहर हो गई हैं। इसने देश को ईंधन और भोजन जैसी आवश्यक सब्सिडी को समाप्त करने के लिए प्रेरित किया है जिससे आम लोगों की जिंदगी मुश्किल हो गई है।

Lebnan
Saad Hariri

Related Stories

क्या लेबनान खुद को संभाल पाएगा? 


बाकी खबरें

  • भाषा
    बच्चों की गुमशुदगी के मामले बढ़े, गैर-सरकारी संगठनों ने सतर्कता बढ़ाने की मांग की
    28 May 2022
    राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में भारत में 59,262 बच्चे लापता हुए थे, जबकि पिछले वर्षों में खोए 48,972 बच्चों का पता नहीं लगाया जा सका था, जिससे देश…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: मैंने कोई (ऐसा) काम नहीं किया जिससे...
    28 May 2022
    नोटबंदी, जीएसटी, कोविड, लॉकडाउन से लेकर अब तक महंगाई, बेरोज़गारी, सांप्रदायिकता की मार झेल रहे देश के प्रधानमंत्री का दावा है कि उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे सिर झुक जाए...तो इसे ऐसा पढ़ा…
  • सौरभ कुमार
    छत्तीसगढ़ के ज़िला अस्पताल में बेड, स्टाफ और पीने के पानी तक की किल्लत
    28 May 2022
    कांकेर अस्पताल का ओपीडी भारी तादाद में आने वाले मरीजों को संभालने में असमर्थ है, उनमें से अनेक तो बरामदे-गलियारों में ही लेट कर इलाज कराने पर मजबूर होना पड़ता है।
  • सतीश भारतीय
    कड़ी मेहनत से तेंदूपत्ता तोड़ने के बावजूद नहीं मिलता वाजिब दाम!  
    28 May 2022
    मध्यप्रदेश में मजदूर वर्ग का "तेंदूपत्ता" एक मौसमी रोजगार है। जिसमें मजदूर दिन-रात कड़ी मेहनत करके दो वक्त पेट तो भर सकते हैं लेकिन मुनाफ़ा नहीं कमा सकते। क्योंकि सरकार की जिन तेंदुपत्ता रोजगार संबंधी…
  • अजय कुमार, रवि कौशल
    'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग
    28 May 2022
    नई शिक्षा नीति के ख़िलाफ़ देशभर में आंदोलन करने की रणनीति पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सैकड़ों विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने 27 मई को बैठक की।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License