NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
भारत
राजनीति
महाराष्ट्र की नि:शुल्क निजी उपचार योजना से 4 प्रतिशत से भी कम कोविड-19 मरीजों को मिला लाभ
राज्य सरकार कहती रही कि कोविड मरीजों के लिए सभी निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज उपलब्ध हैं। हालाँकि उसे हासिल करने की कुछ 'नियम और शर्तें' हैं और लोग इस योजना से अनजान भी हैं।
वर्षा तोरगालकर 
06 Oct 2020
Translated by महेश कुमार
कोरोना वायरस

पुणे: महाराष्ट्र के निजी अस्पतालों में भर्ती होने वाले कोविड-19 रोगियों में से चार प्रतिशत से भी कम मरीज कुछ चुनिंदा निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज करा पाए और राज्य सरकार की योजना का लाभ उठा पाए हैं, वह इसलिए भी क्योंकि इसकी उपयोगिता काफी सीमित है, ऐसा न्यूज़क्लिक द्वारा किए गए एक विश्लेषण में पाया गया है। यह योजना राज्य स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम, महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना (MJPJAY) के हिस्से के तौर पर मई में शुरू की गई थी।  

न्यूज़क्लिक ने राज्य के ऐसे दूसरे शहर पुणे से मिले रिकॉर्डस का अध्ययन किया, जिसमें 58,365 सक्रिय कोविड-19 के मामले मौजूद हैं। यह भारत के किसी भी शहर में सबसे अधिक सक्रिय मामलों में सबसे आगे है।

कोविड-19 के इलाज़ की पेशकश करने वाले 155 निजी अस्पतालों में से 42 को महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना (MJPJAY) योजना में कवर किया गया हैं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे द्वारा 23 मई को जारी एक सरकारी प्रस्ताव/संकल्प (जीआर) के अनुसार, सभी कोविड-19 रोगियों को इन अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा दी जानी थी या है। इसी योजना को सभी के लिए विस्तारित कर दिया गया जिसमें सफेद राशन कार्ड (गरीबी रेखा से ऊपर) वाले भी शामिल थे। यह योजना 31 जुलाई को समाप्त होने वाली थी लेकिन पुणे में महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना (MJPJAY) के प्रमुख अमोल मस्के ने इसे अनिश्चित काल के लिए बढ़ा दिया है।

हालाँकि, इस योजना से केवल दो कारणों से रोगियों के मामूली से हिस्से को लाभ मिला है: पहला, यह कि कोविड-19 इलाज़ की पेशकश करने वाले पुणे के निजी अस्पतालों में से केवल एक छोटे से अंश यानि कुल 22.6 प्रतिशत अस्पताल ही है। दूसरे, यह केवल गंभीर मरीजों की देखभाल सेवाओं (आईसीयू) पर ही लागू होता है जिनकी जरूरत बहुत कम कोविड-19 रोगियों को होती है। उदाहरण के लिए, सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग और राज्य के रोग निगरानी अधिकारी (Integrated Disease Surveillance Programme) प्रदीप आवटे के अनुसार नौ प्रतिशत से भी कम रोगियों को वेंटिलेटर और आईसीयू की जरूरत पड़ती है और 15 प्रतिशत से भी कम को ऑक्सीजन समर्थन की जरूरत होती है।

पुणे का उदाहरण लें, जिस शहर में कोविड-19 के सक्रिय मामलों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है, जिनकी संख्या 30 सितंबर तक 57,298 थी। तब, पुणे में कुल 2,93,264 मामले आए थे, जिनमें आज के, ठीक हुए और और घातक मामले सभी शामिल हैं। जबकि, पुणे में 30 सितंबर तक केवल 5,192 मरीजों को महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना (MJPJAY) के तहत मुफ्त इलाज मिला है।

"लगभग 75 प्रतिशत मरीज निजी अस्पतालों में इलाज कराने का विकल्प चुनते हैं, जबकि 25 प्रतिशत सरकारी अस्पतालों में जाते हैं," पुणे डिवीजन के डिवीजनल कमिशनर सौरभ राव ने उक्त बातें बताई।  एक कच्चे अनुमान के अनुसार 2,19,948 मरीजों की ऐसी संख्या होगी, जिनका निजी अस्पतालों में इलाज किया गया है। 

पुणे जिला परिषद (प्रेस नोट संलग्न) के प्रेस नोट से पता चलता है कि लगभग 60 प्रतिशत रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी थी, जबकि शेष का घर में इलाज़ हो गया। इस प्रकार, 30 सितंबर तक निजी अस्पतालों में कुल 1,31,968 मरीजों का इलाज किया गया है। नतीजतन, इससे हम जान सकते हैं कि केवल 3.93 प्रतिशत मरीजों का इलाज़ महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना (MJPJAY) के तहत निजी अस्पतालों में हुआ है, बाकी सबसे मार्केट रेट पर चार्ज लिया गया है।

स्वास्थ्य कर्मियों का तर्क है कि निजी अस्पतालों में इलाज की उच्च लागत को देखते हुए, यहां तक कि जो मरीज गंभीर नहीं हैं उन्हे भी अस्पताल में भर्ती होने के लिए इस योजना के तहत कवर करने की जरूरत है। लेकिन “यह जीआर अधिकांश रोगियों को अपने दायरे से बाहर कर देता है, चाहे वे लक्षण वाले मरीज हैं या फिर गैर-लक्षण वाले, और इस कवर से बाहर मरीजों से निजी अस्पतालों में अधिक पैसा ऐंठा जाता है। सामुदायिक स्वास्थ्य पहल, जन स्वास्थ्य अभियान (JSA) के समन्वयक अभिजीत मोर ने कहा कि इस योजना से अधिक लोगों को लाभान्वित होना चाहिए था।

महाराष्ट्र में अप्रैल के बाद से ही भारत में सबसे अधिक मामले पाए गए हैं, और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के आंकड़ों के अनुसार 30 सितंबर तक इसमें 14,16,513 कोविड-19 के मामले पाए जा चुके थे।

ऐसे समय में राहत देने के लिए ही नि:शुल्क निजी उपचार योजना को डिज़ाइन किया गया था क्योंकि  सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर भार बढ़ गया था। वो अलग बात है कि बेहतर इलाज़ पाने की जुगत  में निजी अस्पतालों ने मरीजों को लूट लिया। न्यूजक्लिक निजी अस्पतालों के कारण रोगियों पर वित्तीय बोझ के बढ़ाने पर लगातार लिख रहा है।

वेंटिलेटर पर मरीजों के नवीनतम आंकड़ों की गहन जांच करने के लिए न्यूजक्लिक ने राज्य के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट (PHD) से बात करने की कोशिश की। हालांकि, कई प्रयासों के बाद भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

सुधाकर शिंदे, जो एमपीजेएआय के सीईओ हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव प्रदीप व्यास से भी बात नहीं हो सकी। 

बीस गहन चिकित्सा कवर हैं 

राज्य की योजना कोविड-19 के रोगियों में 20 महत्वपूर्ण जटिलताओं या गहन चिकित्सा को शामिल करती है: जिसमें वेंटीलेटर, तीव्र श्वसन रोग (ARDS), बहु-अंग विफलता और इंट्रावसकुलर जमावट (DIC) प्लस एआरडीएस, सेप्टिक शॉक, तीव्र ब्रोंकाइटिस और निमोनिया के साथ श्वसन विफलता और तेजी से गुर्दे की विफलता के इलाज़ शामिल हैं। (डेटा को सॉफ्ट कॉपी के ज़रीए साझा किया है)

डॉ॰ सागर पाटिल, एमजेपीजेवाई ने कहा, "यदि रोगी की एसपीओ2 94 से नीचे है और वह उपरोक्त प्रक्रियाओं की श्रेणी में आने पर भी उसे ऑक्सीजन मास्क की जरूरत पड़ती है तो ऐसे मरीज के मामले में एमजेपीजेवाई पर विचार किया जा सकता है।

जीआर में वर्णित प्रक्रियाओं के हिसाब से "निजी अस्पतालों में बहू-अंग विफलता, एआरडीएस या डीआईसी के इलाज़ की लागत दो लाख रुपये से शुरू होती है,"। हालांकि, द इंडियन एक्सप्रेस में एक रिपोर्ट के अनुसार, निजी अस्पताल इन प्रक्रियाओं में सीमा से अधिक चार्ज कर रहे हैं।

रोगी परेशान 

अमोल मस्के के अनुसार, पुणे में केवल 5,192 रोगियों को इस योजना के तहत नि:शुल्क इलाज़ मिला है। राज्य के सार्वजनिक स्वस्थ्य विभाग के डैशबोर्ड के अनुसार, जिले में 3,03,138 कोविड-19 के रोगी हैं, कोविड के इलाज़ के लिए 43 सरकारी अस्पताल और 143 निजी अस्पताल हैं, जिनमें से केवल 42 ही इस योजना के अंतर्गत आते हैं।

अधिकांश रोगियों और उनके रिश्तेदारों ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बताया कि उन्होने मान लिया था कि सभी कोविड-19 मरीजों को मुफ्त इलाज़ मिलेगा जिन्हे एमजेपीजेवाई वेबसाइट पर सूचीबद्ध किया गया है। सोलह साल के साहिल सेबल का पुणे के सह्याद्रि अस्पताल में वायरस का इलाज किया गया और उसे अस्पताल में भर्ती होने के सात दिनों का बिल 66,588 रुपये चुकाना पड़ा। उनकी बहन, चाचा और दो चाची, जो सभी कोविड पॉज़िटिव थे, उनका भी इलाज़ इसी अस्पताल में किया गया है।

"हम तीनों के पास निजी स्वास्थ्य बीमा कवर नहीं है, लेकिन मैंने निजी अस्पताल को इसलिए चुना क्योंकि मैं इस धारणा से आया था कि सभी कोविड-19 रोगियों को मुफ्त इलाज मिलेगा," साहिल के चाचा सोमनथ सेबल ने कहा। “जब मैंने साहिल का भारी भरकम बिल देखा, तो मेरे अस्पताल के बिलिंग विभाग से बहस हुई। उन्होंने कहा कि गैर-लक्षण वाले रोगियों के लिए मुफ्त उपचार उपलब्ध नहीं है।

अस्पताल ने व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) का सात दिनों का बिल 14,000 रुपये लगाया, हालांकि साहिल 14 अन्य रोगियों के साथ उसी सामान्य कोविड-19 वार्ड में था। जीआर के अनुसार, अस्पतालों को वार्ड साझा करने वाले रोगियों के बीच पीपीई लागत को विभाजित करने की जरूरत है। सोमनाथ सेबल ने कहा, "यह बिल 2,000 रुपये से कम होना चाहिए था।"

जब उनसे बात की गई, तो अस्पताल अधिकारियों ने बिलिंग प्रक्रिया को बताने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि यह अस्पताल सरकारी नियमों का पूरी तरह से पालन करता है।

स्वास्थ्य सुविधाएं और उपलब्ध बिस्तर 

हमारी जांच से पता चला कि निजी अस्पताल एमपीजेएवाय योजना की शर्तों के बारे में मरीजों से बात नहीं करते हैं। मरीजों की सहायता के लिए उनके पास केवल एक एमपीजेएवाय डेस्क है, लेकिन डेस्क चलाने वाले कर्मी को इस योजना के बारे में अच्छी तरह मालूम नहीं है, यह तब पता चला जब इस रिपोर्टर ने भारती अस्पताल, पुणे और सिम्बायोसिस अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर, पुणे से बात की। पुणे के भारती अस्पताल में एमपीजेएवाय डेस्क के एक कर्मी ने 10 जुलाई को इस संवाददाता को बताया कि यह योजना एक सप्ताह पहले समाप्त हो गई है। इसे मूल रूप से 31 जुलाई तक के लिए लाया गया था (और अब इसे अनिश्चित काल तक बढ़ाया गया है)। अस्पताल में कोविड-19 रोगियों और 32 वेंटिलेटर के कुल 240 बेड हैं।

कोविड-19 के मामले में राज्य के हेल्पलाइन नंबरों पर काम करने वाले अधिकारियों ने कहा कि उन्हें इस योजना के तहत आने वाले निजी अस्पतालों के नाम नहीं पता हैं।

निजी अस्पताल की होड़ क्यों

पुणे के एक झुग्गी बस्ती में रहने वाले 39 वर्षीय सतीश पवार (नाम बदला हुआ) को मई में एक निजी अस्पताल में आठ दिनों का इलाज करवाने के लिए 1.66 लाख रुपये अदा करने पड़े। एनजीओ में एक एडमिन के रूप में काम करने वाले पवार किसी सरकारी अस्पताल में नहीं जाना चाहते थे क्योंकि वहाँ सफाई व्यवस्था के बारे में चिंतित थे और इसलिए उन्होने आठ अन्य रोगियों के साथ एक वार्ड साझा किया था। “मेरी पत्नी ने दोस्तों और रिश्तेदारों से मोटी रकम उधार ली। 15 दिनों के बाद, मैंने अस्पताल को फोन किया और उनसे पैसे की भरपाई के लिए कहा, लेकिन वे कॉल को यहाँ-वहाँ स्थानांतरित करते रहे, ”उन्होंने कहा।

पवार ने भी अधिकांश रोगियों और परिवारों की तरह न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बताया कि वे इस तथ्य से अनभिज्ञ थे कि नि:शुल्क उपचार केवल उन रोगियों के लिए है जिन्हें कुछ महत्वपूर्ण किस्म की देखभाल की जरूरत होती है।

पुणे के डिवीजनल कमिश्नरेट डैशबोर्ड के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में पुष्टि किए गए कोविड-19 रोगियों के लिए आइसोलेशन बेड की संख्या 10,294 है। जबकि सक्रिय रोगियों की संख्या 57,000 से अधिक है। मरीजों के पास निजी अस्पतालों में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

राज्य ने निजी हॉल, होटल और अन्य कॉम्प्लेक्स को कोविड इलाज़ केंद्रों में परिवर्तित कर दिया है, लेकिन रोगियों ने कहा कि उन्हें इन सुविधाओं पर भरोसा नहीं है क्योंकि उनके पास पर्याप्त स्वास्थ्य कर्मी, आईसीयू बेड, ऑक्सीजन या वेंटिलेटर नहीं है।

मरीज और रिश्तेदार भी सरकारी अस्पतालों से बचने की कोशिश करते हैं, उक्त बातें श्वेता राउत ने कही जो मरीजों के अधिकारों पर काम करने वाली पुणे स्थित संस्था एडवोकेसी एंड ट्रेनिंग टू हेल्थ इनिशिएटिव्स (साथी) एक स्वास्थ्य प्रणाली शोधकर्ता है। उन्होने बताया कि "वे सरकारी अस्पतालों में इलाज नहीं कराना चाहते हैं क्योंकि वहां लापरवाही तो है साथ ही सफाई की बेहद कमी हैं,"।

अगर अपने माता-पिता के साथ रहने वाले कैब-चालक हुसैन जैद को जो मुंबई के मझगांव की एक चॉल में रहता है, को उन अस्पतालों के नाम पता होते जहाँ मुफ्त में कोविड-19 का इलाज़ किया जाता है, तो वह अपने 75 वर्षीय इब्राहिम फ़तकदवाला को सैफी अस्पताल के बजाय वहीं ले जाता। अस्पताल ने 5 मई से 15 जून के बीच 40 दिनों के इलाज़ के लिए 8,09,893 रुपये का बिल बनाया। 

“मैंने पिताजी को जब सांस लेने में कठिनाई हो रही थी, तो नियमित जाँच के लिए पास के निजी अस्पतालों ले गया। अस्पतालों ने कोविड-19 की जांच न होने की वजह से उनका इलाज़ करने से इनकार कर दिया। मेरे दोस्त ने मुझे जांच कराने के लिए सैफी अस्पताल में एक बिस्तर की व्यवस्था कराई, जिसमें वे कोविड पॉज़िटिव निकले। अगर मुझे पता होता कि वे कोविड-19 पॉज़िटिव है तो मैं उन्हें एमजेपीएवाय के तहत एक सरकारी या निजी अस्पताल में ले जाता, ”हुसैन ने कहा।

अस्पताल ने उनसे प्रति दिन पीपीई के इस्तेमाल के लिए 3,800 रुपये और प्रति दिन बेड शुल्क के रूप में 5,000 रुपये ऐंठे। इसके बावजूद कि सरकारी आदेश के मुताबिक भोजन बेड चार्ज में शामिल है, अस्पताल ने भोजन के लिए भी पैसे ऐंठे। 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Less Than 4% COVID-19 Patients Benefit from Maharashtra’s Free Private Treatment Scheme, Pune Data Shows

Maharashtra Covid 19
Pune
COVID-19
private hospitals
MJPJAY
Coronavirus
Pune Hospitals

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License