NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
एनपीआर के विरोध में 1000 से ज़्यादा महिलाओं का मुख्यमंत्रियों के नाम पत्र
“एनपीआर महिलाओं के ऊपर स्पष्ट रूप से ख़तरा उत्पन्न कर रहा है। इसलिए एनपीआर को जनगणना के सूचीकरण से अलग किया जाए।”
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
18 Mar 2020
NPR

देशभर की 1000 से ज्यादा महिलाओं ने राज्य मुख्यमंत्रियों को पत्र लिख कर कहा है– “एनपीआर महिलाओं के ऊपर स्पष्ट रूप से ख़तरा उत्पन्न कर रहा है। इसलिए एनपीआर को जनगणना के सूचीकरण से अलग करो।”

आपको बता दें  कि पहली अप्रैल, 2020 से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का नवीनीकरण (updation) जनगणना के सूचीकरण के साथ होने जा रहा है। इसी के विरोध में महिलाओं ने सभी मुख्यमंत्रियों को यह पत्र भेजा है।

पत्र पर दस्तखत करने वालों में 20 से ज्यादा राज्यों से कार्यकर्ता, लेखक, शिक्षाविद, वकील, डॉक्टर, किसान, पेशेवर लोग, आंगनवाडी कार्यकर्ता और अन्य महिलाएं शामिल हैं।

पत्र पर दस्तखत करने वालीं प्रसिद्ध महिला अधिकार कार्यकर्ता जिनमें एनी राजा, फराह नक़वी, अंजलि भारद्वाज, वाणी सुब्रमनियम, मीरा संघमित्रा, मरियम धावले और पूनम कौशिक शामिल है; ने इस पत्र को मंगलवार, 17 मार्च को दिल्ली प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जारी किया।

मुख्यमंत्रियों को संबोधित इस पत्र में लिखा गया है:-

“हम आपको भारत की महिलाओं के रूप में लिखते हैं कि हम राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ़ हैं। महिलाएं भारत की आबादी का लगभक 50% हिस्सा हैं, और यह विरोध हमारे स्वयं के जीवन के अनुभवों पर आधारित हैI”

प्रेस सम्मलेन में एनी राजा ने कहा की, “अधिकतर महिलाओं के नाम ज़मीन या संपत्ति नहीं होती है, उनकी साक्षरता दर कम होती है, और वह शादी के बाद माता पिता का घर बिना किसी काग़ज़ात के छोड़ देती हैं। असम में, 19 लाख जैसी बड़ी आबादी जो एनआरसी से छूटी है उनमें बड़ी संख्या में महिलाएं हैं। यह सच्चाई है।”

फराह नक़वी ने कहा, “सभी जाति और धर्म के निरपेक्ष महिलाएं एनपीआर-एनआरआईसी (NPR-NRIC) जैसी व्यवस्था से प्रभावित होंगी जो नागरिकता की परीक्षा मनमानी और डराकर लेने की तैयारी में है।” उन्होंने कहा, “महिलाएं और बच्चे जो आदिवासी समुदाय से हैं, दलित महिलाएं, मुस्लिम महिलाएं, प्रवासी श्रमिक, छोटा किसान, भूमिहीन, घरेलू कार्मिक, यौन कर्मी और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को नागरिकता साबित करने को कहा जायेगा; यह सब पर बेदखली का जोख़िम हैI”

photo1.jpeg

अंजलि भरद्वाज ने नागरिकता अधिनियम की धारा 14 और 2003 के नियम की बात की जिसमें साफ़ साफ़ एनपीआर सामग्री को भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRIC) के साथ जोड़ने की बात कही गई है और स्थानीय रजिस्ट्रार को शक्ति दी है कि वह लोगो को “संदिग्ध नागरिक” बना सके। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने जो 12 मार्च को संसद में कहा था की किसी को भी “संदिग्ध” नहीं बनाया जायेगा उसकी कोई कानूनी मान्यता नहीं होगी जबतक उचित कानूनों और नियमों में संशोधन नहीं किये जायेंगे I

प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल वक्ताओं ने कहा की जनगणना जैसी प्रक्रिया की पवित्रता और महत्ता बचाए रखने के लिए देशभर की महिलाओं ने हर राज्य के मुख्यमंत्री को एनपीआर को जनगणना से अलग करने को कहा है। जहां enumerators यानी गणना करने वाले सिर्फ जनगणना का सूचीकरण करें। हालांकि कई राज्यों ने सीएए, एनआरसी, एनपीआर के खिलाफ़ विधानसभा में संकल्प पारित किया है, लेकिन जबतक जनगणना और एनपीआर को अलग करने के लिए एक अप्रैल से पहले कार्यकारी (executive) आदेश जारी नहीं होते यह संकल्प (resolutions) केवल एक अभिव्यक्ति बन कर रह जायेगा। हर राज्य को कार्यकारी आदेश तुरंत जारी करने की आवश्यकता है।

दो राज्य – केरल और पश्चिम बंगाल ने एनपीआर को अलग रखने के लिए कार्यकारी आदेश जारी किये हैं, तथा राजस्थान और झारखंड ने एक अप्रैल, 2020 से सिर्फ जनगणना करने का आदेश दिया है। वक्ताओं ने इन राज्यों द्वारा की गई कार्यवाही की सराहना की।

मुख्यमंत्रियों को भेजा गया पत्र और विभिन्न राज्यों द्वारा जारी किए गए आदेश/अधिसूचना नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके देखे जा सकते हैं-

https://drive.google.com/drive/folders/17jnovR4wTYBw9p7nTLiFJIMYO-6Agh6w?usp=sharing 

National Population Register
NPR
Letter to CM's
Women Letter
Annie Raja
NRIC
census

Related Stories

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

आदिवासियों के विकास के लिए अलग धर्म संहिता की ज़रूरत- जनगणना के पहले जनजातीय नेता

जनगणना जैसे महत्वपूर्ण कार्य को क्यों टाल रही है सरकार?

नहीं, भारत "मुस्लिम-राष्ट्र" नहीं बनेगा! 

जाति-जनगणना : क्यों और कौन कर रहा है विरोध?

विशेष: गिनने और न गिनने के बीच जीती जागती जाति

राष्ट्रव्यापी NRC पर अभी कोई फैसला नहीं: गृह मंत्रालय ने संसद को बताया

बंगाल चुनाव नतीजे भाजपा की सांप्रदायिकता की राजनीति को ख़ारिज करते हैं

पश्चिम बंगाल चुनाव: प्रमुख दलों के घोषणापत्रों में सीएए, एनआरसी का मुद्दा

किसान आंदोलन : 'आम जनता का संघर्ष है जिसे किसान लड़ रहे हैं'


बाकी खबरें

  • श्रुति एमडी
    किसानों, स्थानीय लोगों ने डीएमके पर कावेरी डेल्टा में अवैध रेत खनन की अनदेखी करने का लगाया आरोप
    18 May 2022
    खनन की अनुमति 3 फ़ीट तक कि थी मगर 20-30 फ़ीट तक खनन किया जा रहा है।
  • मुबाशिर नाइक, इरशाद हुसैन
    कश्मीर: कम मांग और युवा पीढ़ी में कम रूचि के चलते लकड़ी पर नक्काशी के काम में गिरावट
    18 May 2022
    स्थानीय कारीगरों को उम्मीद है कि यूनेस्को की 2021 की शिल्प एवं लोककला की सूची में श्रीनगर के जुड़ने से पुरानी कला को पुनर्जीवित होने में मदद मिलेगी। 
  • nato
    न्यूज़क्लिक टीम
    फ़िनलैंड-स्वीडन का नेटो भर्ती का सपना हुआ फेल, फ़िलिस्तीनी पत्रकार शीरीन की शहादत के मायने
    17 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने रूस-यूक्रेन संघर्ष के विस्तार के रूप में फिनलैंड-स्वीडन के नेटो को शामिल होने और तुर्की के इसका विरोध करने के पीछे के दांव पर न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सोनिया यादव
    मैरिटल रेप : दिल्ली हाई कोर्ट के बंटे हुए फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या अब ख़त्म होगा न्याय का इंतज़ार!
    17 May 2022
    देश में मैरिटल रेप को अपराध मानने की मांग लंबे समय से है। ऐसे में अब समाज से वैवाहिक बलात्कार जैसी कुरीति को हटाने के लिए सर्वोच्च अदालत ही अब एकमात्र उम्मीद नज़र आती है।
  • ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद
    विजय विनीत
    ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद
    17 May 2022
    सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने की। कोर्ट ने कथित शिवलिंग क्षेत्र को सुरक्षित रखने और नमाज़ जारी रखने के आदेश दिये हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License