NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
यूपी की जेल में बंद पत्रकार कप्पन के बेहतर इलाज़ के लिए एडिटर्स गिल्ड, मुख्यमंत्री और सांसदों ने लिखा पत्र
"कोरोना संक्रमण के बाद उन्हें मथुरा के केवीएम अस्पताल में भेजा गया है, ऐसा बताया जा रहा है कि इलाज के दौरान उन्हें अस्पताल के बिस्तर पर ज़ंजीर से बांधकर रखा गया है जबकि उनकी हालत काफ़ी गंभीर है।"
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
27 Apr 2021
यूपी की जेल में बंद पत्रकार कप्पन के बेहतर इलाज़ के लिए एडिटर्स गिल्ड, मुख्यमंत्री और सांसदों ने लिखा पत्र
Image courtesy : ThePrint

ख़बर केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन कोरोना की, जो उत्तर प्रदेश की एक जेल में बंद है। अभी वो उत्तर प्रदेश के मथुरा केवीएम अस्पताल में भर्ती हैं। ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि उनका इलाज़ ठीक से नहीं हो रहा है और उनके साथ ठीक व्यवहार भी नहीं हो रहा है। इसको लेकर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, केरल के सांसद और पत्रकारों के संगठन एडिटर्स गिल्ड ने भी योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है।

केरल के पत्रकार कप्पन को उत्तर प्रदेश के हाथरस जाते समय गिरफ्तार किया गया था। वह एक दलित युवती के बलात्कार एवं हत्या के मामले को कवर करने जा रहे थे। कप्पन को गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। वह अक्टूबर 2020 से ही न्यायिक हिरासत में हैं।

पुलिस ने कहा था कि उसने कप्पन समेत चार लोगों को मथुरा में पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) नामक संगठन के साथ कथित जुड़ाव के आरोप में गिरफ्तार किया।

एडिटर्स गिल्ड ने पत्रकार कप्पन का उचित उपचार किए जाने की मांग की

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने सोमवार को कहा कि वह केरल के गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीकी कप्पन के साथ किए जा रहे अमानवीय व्यवहार की खबरों से बेहद निराश है। गिल्ड ने मांग की कि कप्पन को उचित चिकित्सा देखभाल उपलब्ध कराया जाए और उनके साथ गरिमापूर्ण व्यवहार किया जाना चाहिए।

गिल्ड ने एक बयान में उच्चतम न्यायालय से कप्पन की गिरफ्तारी के संबंध में लंबित रिट याचिका पर तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया।

बयान में कहा गया कि उनकी पत्नी ने आरोप लगाया है कि मथुरा के एक अस्पताल में कोविड-19 का इलाज करा रहे कप्पन को बिस्तर से बांधकर रखा गया है और वह ना ही भोजन करने में समर्थ हैं और ना ही शौचालय का उपयोग कर पा रहे हैं।

बयान के मुताबिक, ‘‘यह स्तब्ध करने वाला और राष्ट्र की अंतरात्मा को झकझोर देने वाला है कि एक पत्रकार के साथ ऐसे अमानवीय तरीके से पेश आया जा रहा है और उनके मूल अधिकारों का हनन हो रहा है।’’

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने योगी आदित्यनाथ को लिखा पत्र

केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे एक पत्र में कहा है कि कप्पन की तबीयत काफ़ी गंभीर है जबकि उन्हें यूएपीए के तहत जेल में बंद किया गया है। विजयन ने अपने पत्र में लिखा है, "ऐसा बताया जा रहा है कि उन्हें डायबिटीज़ है, दिल की बीमारी है, कोरोना संक्रमण के बाद उन्हें मथुरा के केवीएम अस्पताल में भेजा गया है। ऐसा बताया जा रहा है कि इलाज के दौरान उन्हें अस्पताल के बिस्तर पर ज़ंजीर से बांधकर रखा गया है जबकि उनकी हालत काफ़ी गंभीर है।"

विजयन ने आदित्यनाथ से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए लिखा "मैं आप से अनुरोध करता हूं कि, कप्पन को बेहतर इलाज मुहैया कराया जाए। उन्हें इलाज के लिए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में शिफ्ट किया जाए। मीडिया और अन्य लोग कप्पन के स्वास्थ्य को लेकर काफी चिंतित हैं। ”

वेणुगोपाल ने योगी को पत्र लिखा: पत्रकार कप्पन को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने का किया आग्रह

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी सोमवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर आग्रह किया कि गैरकानूनी गतिविधि रोकाथाम कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीक कप्पन को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जाए क्योंकि वह कथित तौर पर कोरोना वायरस से संक्रमित है।

वेणुगोपाल ने पत्र में कहा कि केरल से ताल्लुक रखने वाले कप्पन को मथुरा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है तथा उन्हें मधुमेह और दिल से संबंधी बीमारियां भी हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि इस पत्रकार के मानवाधिकारों का भी हनन किया जा रहा है।

कांग्रेस नेता ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वह इस मामले में दखल दें और कप्पन को उचित चिकित्सा सुविधा मुहैया कराएं।

केरल के 11 सांसदों ने कप्पन के मामले की तुरंत सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखा पत्र

केरल के 11 सांसदों ने भी कप्पन के मामले की तुरंत सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना को पत्र लिखा है।

पत्र में कहा गया है, "उनकी हालत गंभीर है और उन्हें बेहतर इलाज़ की जरूरत है। इसलिए उन्हें बेहतर इलाज के लिए मथुरा मेडिकल कॉलेज अस्पताल से ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, दिल्ली में स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया जाएं।”

बता दें कि इससे पहले पत्रकार के बेहतर इलाज के लिए केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उस याचिका में भी कप्पन को इलाज के लिए दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की गई है।

बता दें कि देशभर में जेलों में बंद कैदियों के बीच भी कोरोना वायरस संक्रमण फैल रहा है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र सहित देश की जेल कैदियों के लिए ख़तरनाक हो रही हैं क्योंकि जेलों में उनकी क्षमता से कही अधिक क़ैदी हैं। पिछले कुछ सालों में कई सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ता सहित कई पत्रकारों और लेखकों को जेल में बंद किया गया है। इनमें से अधिकतर वो हैं जो सरकारों के ख़िलाफ़ और जनता के पक्ष में आवाज़ बुलंद करते थे। दिल्ली दंगों में कथित संलिप्ता के कारण गिरफ़्तार हुए उमर खालिद के भी पिछले दिनों कोरोना संक्रमित होने की खबरे आईं। जबकि महाराष्ट्र की जेलों में बंद भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में बंद सामाजिक कार्यकर्ता और लेखकों की भी हालत खराब होने की खबरें आ रही हैं।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

journalist Siddique Kappan
Kerala
UttarPradesh
Yogi Adityanath
UP police
Editors guild of india
journalist
Press freedom

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?

यूपी: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच करोड़ों की दवाएं बेकार, कौन है ज़िम्मेदार?


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License