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लॉकडाउन: क्या विकलांगों को राहत पैकेज में केंद्र सरकार ने धोखा दिया है?
केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाली आर्थिक मदद देशभर में सिर्फ 28,000 विकलांग जनों के लिए है, जो केंद्र की 80 प्रतिशत विकलांगता की श्रेणी में आते हैं। ये मदद उन करोड़ों ज़रूरतमंदों से दूर है जो 40 प्रतिशत या उससे अधिक विकलांग हैं और किसी आपदा के समय समान आर्थिक सहायता का हक़ रखते हैं।
सोनिया यादव
30 Apr 2020
विकलांग
'प्रतीकात्मक तस्वीर' साभार : लोकमत

“बुजुर्ग, विधवा और दिव्यांगों को 1000 रुपये अतिरिक्त दिए जाएंगे। ये अगले तीन महीने के लिए है। इस पहल का फायदा लगभग 3 करोड़ लोगों को होगा।”

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सितारमण ने लॉकडाउन के बीच ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ की घोषणा के दौरान ये बाते कहीं। एक साथ सुनने में शायद तीन करोड़ बहुत बड़ी आबादी लगती है, लेकिन इस तीन करोड़ में जिन दिव्यांगों को सरकार मदद की बात कर रही है उनकी संख्या सिर्फ 28,000 है।

बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार देशभर में करीब 2.68 करोड़ लोग विकलांग हैं। हालांकि विभिन्न राज्यों की तरफ से जारी सार्टिफिकेट इससे काफी ज्यादा हैं। भारतीय सांख्यिकी मंत्रालय के जुलाई, 2018 में किए गए सर्वे के मुताबिक़ भारत में लगभग 2.2 करोड़ लोग विकलांग हैं। लेकिन केंद्र सरकार केवल उन विकलांग लोगों को अतिरिक्त आर्थिक सहायता दे रही है, जो केंद्रीय सूची में शामिल हैं और जिनकी विकलांगता 80 प्रतिशत या उससे अधिक है। सरकार की इस आधी-अधूरी सीमित सहायता को लेकर विकलांग जनों में गुस्सा है। उनका कहना है कि सरकार ने मदद के नाम पर उनकी आंखों में धूल झोंकने का काम किया है।

इस संबंध में दिव्यांग अधिकार महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत भाई गोयल ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री को पत्र लिखकर देश के सभी बैंचमार्क दिव्यांग पेंशनर को अतिरिक्त पेंशन के रूप में एक हजार रुपये की आर्थिक मदद देने की बात कही है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने हाल ही में 80 फीसदी अथवा इससे अधिक दिव्यागंता वाले दिव्यांग जनों को ही एक हजार रुपये की आर्थिक मदद दी है जिससे दिव्यांग जनों में रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि रोजी रोटी का संकट सभी दिव्यांगजनों के समक्ष है। दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 24 की उपधारा 3 (ग) के प्रावधानों में प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा और संघर्ष के क्षेत्र में या उसके दौरान सहायता का उल्लेख है जिसमें चालीस प्रतिशत अथवा इससे अधिक दिव्यागंता वाले दिव्यांग जनों को सहायता प्रदान की जानी चाहिए।

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मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा, राजस्थान के राजसमंद से लोकसभा सांसद दीया कुमारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत को इस संबंध में पत्र लिखा है। पत्र के माध्यम से सांसदों ने विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा प्रदत्त प्रमाण पत्र धारक 40 प्रतिशत दिव्यांगता वाले सभी विकलांगों को एक हजार की सहायता राशि प्रदान करने की बात कही है।

मालूम हो कि विकलांगता पेंशन और सहायता राशि के लाभार्थियों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के अलग-अलग मापदंड हैं। केंद्रीय सूची में जहां 80 प्रतिशत से अधिक विकलांगता वाले लोगों को शामिल किया गया है तो वहीं राज्य सरकारें 40 प्रतिशत से अधिक श्रेणी वाले विकलांगों को पेंशन और अन्य सहायता का लाभ देती हैं।

गैर-लाभकारी संगठन 'नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ़ एंप्लॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपुल (एनसीपीईडीपी) के कार्यकारी निदेशक अरमान अली ने हाल ही में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर देश के लाखों दिव्यांग लोगों को लॉकडाउन के समय में हो रही दिक्कतों की ओर ध्यान आकर्षित किया।

अरमान अली कहते हैं, “1000 रुपये की घोषणा तीन महीने की अवधि के लिए है। यह राशि प्रति व्यक्ति के लिए प्रति माह 333 रुपये हुई। देश में किसी को भी अभी तक राशि नहीं मिली है।”

इस पत्र में उन्होंने मांग की थी कि यह अनुग्रह राशि 1000 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये की जाए, क्योंकि भोजन और दवाइयों की कीमत काफी बढ़ गई है।

अली का कहना है कि पहले तो इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं थी कि शासन द्वारा घोषित इस राशि को कैसे वितरित किया जाएगा। बाद में यह सामने आया कि केवल वे लोग जो रोजगार एक्सचेंज में रजिस्टर्ड हैं, केंद्र की सूची में शामिल हैं, उन्हें यह राशि मिलेगी।

अली बताते हैं, “हम सरकार के साथ बातचीत करने की कोशिश रहे हैं और हमसे कहा गया है कि प्रत्येक राज्य में दिव्यांगों के लिए नियुक्त आयुक्त इन मुद्दों से निपटने के लिए नोडल प्राधिकारी होंगे। लेकिन कई राज्यों में ये पद खाली हैं। कोई हेल्पलाइन नहीं हैं। यह विकलांगों के सामने आने वाली कई समस्याओं में से सिर्फ एक है।”

राष्ट्रीय विकलांग संघर्ष मोर्चा ने भी भारत सरकार से लॉकडाउन काल में दिव्यांग अधिकार अधिनियम लागू करने की मांग की है। साथ ही सरकार से भेदभाव खत्म करने की अपील की है।

लॉकडाउन विकलांग जनों के लिए एकसाथ कई मुसीबतें लेकर आया है। शारिरिक दिक्कतें तो पहले से ही हैं लेकिन अब खाने-पीने और गुजारे जैसी कई और चुनौतियां खड़ी हो गई हैं, जिससे उन्हें मानसिक तनाव से भी गुजरना पड़ रहा है।

लगभग 60 प्रतिशत विकलांगता की श्रेणी में आने वाले राजस्थान के गंगापुर निवासी अनिल सिसोदिया कहते हैं, “हमें इस लॉकडाउन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऊपर से केंद्र सरकार की 1000 सहायता राशि भी हमें नहीं मिल पा रही। हम सरकार से निवेदन करते हैं कि हमें भी मदद मिले क्योंकि इस समय राशन-पानी, दवाई, गुजारे की सभी को जरूरत है। हमें समझ नहीं आ रहा कि सरकार हमारे साथ ऐसा भेदभाव कैसे कर सकती है?”

एक अन्य विकलांग पुरुराज मोयल ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, “ये हमारे साथ धोखा किया जा रहा है। लोगों को अभी तक इसकी सही जानकारी ही नहीं है कि आखिर दिव्यांगों की मदद के नाम पर हो क्या रहा है। हमारे संविधान में विकलांग अधिनियम 2016 के तहत सेक्शन 24 सब्सेक्शन 3 में इस बात का साफ उल्लेख है कि प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा के समय सभी विकलांगों को समान आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए। लेकिन केंद्र सरकार हमारे साथ भेदभाव कर रही है। नियम के मुताबिक 40 प्रतिशत विकलांग या असक्षम व्यक्ति विकलांगता की क्षेणी में आते हैं। लेकिन केंद्र सरकार हमारे साथ धोखा कर रही है।”

बिहार से दीपक का कहना है कि सरकार द्वारा घोषित राशि भी अभी तक किसी को नहीं मिली है। प्रोत्साहन राशि का भी कोई अता-पता नहीं है। ऐसे मुश्किल समय में सरकार की तरफ़ से विकलांग जनों से संपर्क या मदद करने के लिए कोई कोशिश नहीं की गई है। हम पहले से ही समस्याओं से घिरे हैं और अब तो मुसीबतों का पहाड़ टूट गया है।

क्या है सरकार की तैयारी?

सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग ने लॉकडाउन में विकलांग समुदाय को ध्यान में रखते हुए कुछ दिशानिर्देश जारी किए थे। जैसे कि:

  • क्वरंटीन या आइसोलेशन में रह रहे विकलांग लोगों के लिए ज़रूरी खाना, पानी और दवाइयां उनके घर तक पहुंचाई जानी चाहिए।
  • विकलांग लोगों के परिजनों या उनके लिए काम करने वाली संस्थाओं को ट्रैवेल पास मिले।
  • कोविड-19 से जुड़ी हर जानकारी स्थानीय और एक्सेसिबल भाषा (ऑडियो, सांकेतिक भाषा और ब्रेल) में उपलब्ध हो।
  • अस्पताल में काम करने वाले और अन्य आपातकालीन सेवाएं देने वाले लोगों को विकलांग जनों के प्रति संवेदनशील बनाया जाए।
  • हर सरकारी और निजी संस्थान में ज़रूरी सेवाएं देने वाले दिव्यांग जनों को पूरे भुगतान के साथ छुट्टी दी जाए।
  • दुकानों में एक तय अवधि में सिर्फ़ विकलांगों और बुजुर्गों को खरीदारी की सुविधा दी जाए।
  • किसी भी तरह की मानसिक परेशानी के लिए ऑनलाइन काउंसलिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
  • 24 घंटे उपलब्ध हेल्पलाइन जहां एक्सेसिबल तरीके से जानकारी मिल सके।

दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के सोशल मीडिया हैंडल्स (Disability Affairs, @socialpdws) पर सांकेतिक भाषा, ऑडियो और वीडियो के ज़रिए कोविड-19 से जुड़ी कुछ जानकारियां दी जा रही हैं, लेकिन विशेषज्ञ इसे नाकाफ़ी बताते हैं।

दिव्यांग लोगों की हालात के बारे में बताते हुए गैर सरकारी संगठन मुस्कान की मनीषा सिंह कहती हैं, “दिव्यांगों के लिए लॉकडाउन में रोजाना की ज़रूरतों को पूरा करना एक चुनौती बन गई है। यहां तक कि इसमें से कई लोग स्वयं भोजन और दवा लेने में भी सक्षम नहीं हैं। शहरी इलाकों में रहने वाले दिव्यांग फिर भी किसी तरह से अपनी ज़रूरतों को पूरा कर पा रहे हैं। लेकिन करीब 70 प्रतिशत दिव्यांग लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। उनकी हालत का अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल है।

‘मुस्कान’ की ही प्रीति कहती हैं कि जो लोग गरीब हैं और रोज कमाने और खाने वाले हैं, उनके लिए इस लॉकडाउन में जीवित रहना मुश्किल हो रहा है। इस दौरान जिनके परिवार में कमाई बंद हो गई है, उनके लिए और समस्याएं बढ़ गई हैं। इन लोगों को फिलहाल कोरोना से बचाव और आर्थिक मदद का कोई जरिया समझ नहीं आ रहा। लॉकडाउन को लेकर इन लोगों में जागरूकता की कमी है। दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर कोविड-19 से जुड़ा एक भी अपडेट नहीं है। इसके अलावा केंद्र सरकार का महत्वाकांक्षी एक्सेसिबल इंडिया अभियान भी पिछले कुछ वर्षों से ठप पड़ा है। एक्सेसिबल इंडिया की वेबसाइट पर न तो कोविड-19 से जुड़ी कोई जानकारी है और न ही इसके सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर इससे जुड़ा कोई पोस्ट। ऐसे में अपनी छोटी- बड़ी ज़रूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर विकलांगों को महामारी का खतरा तो है साथ ही जानकारी का आभाव भी है।  

इस संबंध में न्यूज़क्लिक ने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से ईमेल के जरिए संपर्क करने की कोशिश की है लेकिन ख़बर लिखे जाने तक हमें कोई जवाब नहीं मिला है। जैसे ही जवाब मिलेगा ख़बर अपडेट की जाएगी।

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