NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
लॉकडाउन: पुलिस कार्रवाई कर रही है या सिर्फ़ हिंसा?
पुलिस और सुरक्षा बलों की ज़िम्मेदारी है कि वह लॉकडाउन का पालन न करने वालों पर कार्रवाई करे, लेकिन पुलिस यह कार्रवाई सिर्फ़ अपनी लाठी के ज़रिये करती दिख रही है।
सत्यम् तिवारी
26 Mar 2020
police violence
Image courtesy: The Economic Times

देश भर में कोरोना वायरस के मद्देनज़र बुधवार 25 मार्च से 21 दिन के सम्पूर्ण लॉकडाउन का ऐलान हो गया है, ताकि इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके। इस लॉकडाउन के दौरान ज़रूरी सामान की दुकानें खुली हुई हैं, और बैंक, पेट्रोल पंप जैसी अन्य बुनियादी सुविधाएं भी लोगों को मिल रही हैं। इस दौरान पुलिस और सुरक्षा बलों की ज़िम्मेदारी है कि वह लॉकडाउन का पालन न करने वालों पर कार्रवाई करे, लेकिन पुलिस यह कार्रवाई सिर्फ़ अपनी लाठी के ज़रिये करती दिख रही है। पिछले दो दिन में, वीडियो और ख़बरों के ज़रिये ऐसी तमाम घटनाएँ सामने आई हैं जिसमें देखा जा सकता है कि पुलिस सड़क पर निकले आम लोगों पर बेरहमी से लाठी चला रही है। पश्चिम बंगाल से ख़बर है कि पुलिस की पिटाई से एक व्यक्ति की मौत तक हो गई है। 32 साल का यह युवा दूध लेने बाहर निकला था।

भारत में कोरोना वायरस के 633 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें 15 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके मद्देनज़र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को घोषणा की थी कि 24-25 मार्च की आदी रात से देश भर में 21 दिन का लॉकडाउन होगा, जिसके दौरान ज़रूरी सामान मिलते रहेंगे। देश भर से आ रही ख़बरों के अनुसार पुलिस बाहर निकले नागरिकों से बिना सवाल किए उन्हें डंडे से मार रही है। इसके अलावा कई जगह दुकानदारों ने यह भी शिकायत की है कि पुलिस से उनकी दुकान खुली होने की वजह से तोड़फोड़ कर दी है।

एनवाईपोस्ट में छपी एक ख़बर के अनुसार जब जामिया नगर के नागरिकों का कहना है कि जब वे लोग दूध-सब्जी जैसी चीज़ें लेने घर से बाहर निकले, तो पुलिस ने उनको गालियां दीं और उन्हें डंडे से मारा भी। वहीं के एक मीटशॉप के मालिक ने बताया है कि पुलिस ने उनकी दुकान खुली देखी, तो उसमें तोड़फोड़ करनी शुरू कर दी।

इसके अलावा हाल ही में आजतक के एक पत्रकार नवीन कुमार ने सोशल मीडिया पर लिख कर बताया था कि पुलिस ने कैसे उनके साथ अभद्र व्यवहार किया और उन्हें पीटा भी। 

रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (आरएआई) ने हाल ही में एक बयान जारी कर के कहा, "देश  भर में लॉकडाउन करने के कदम का हम समर्थन करते हैं, लेकिन कुछ राज्यों जैसे पंजाब, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश में पुलिस इसे एक स्तर ऊपर लेकर चली गई। लोकल पुलिसवाले हमारे डिलिवरी बॉय को पीट रहे हैं, हमारी दुकानें बंद करवा रहे हैं।"

पुलिस हिंसा की वजह से दूध-सब्ज़ियों की बर्बादी

लॉकडाउन के दौरान पुलिस किसी से सवाल करने की जगह, सड़क पर दिखने वाले हर शख़्स पर कार्रवाई कर रही है। उसे मार रही है, या उठक-बैठक करवा रही है। इसी सिलसिले में ऑनलाइन दूध और सब्जी की डिलीवरी करने वाली कंपनियों ने इल्ज़ाम लगाया है कि शहरों में पुलिस और सेक्युर्टी गार्ड की तरफ़ से होने वाली रुकावट की वजह से दूध और सब्ज़ियों की डिलिवरी करना मुश्किल हो रहा है, जिसके वजह से भारी मात्रा में दूध और सब्ज़ियों की बर्बादी हुई है।

एनडीटीवी में छपी एक ख़बर के अनुसार कंपनी मिल्क बास्केट के मालिक के गणेश ने बताया है कि पुलिसवालों ने डिलिवरी करने वाले लड़कों को गालियां दी हैं, उन्हें मारा है और एक मामले में गिरफ़्तार भी कर लिया है। 

पुलिस की इस हिंसा की वजह से कथित तौर पर 15,000 लीटर दूध और 10,000 किलो सब्ज़ी की बर्बादी हुई है।

ऐसे में कंपनी ने सरकारों से हस्तक्षेप की मांग की है।

इसके अलावा एक और ऑनलाइन दूध-सब्ज़ियों की डिलिवरी करने वाली कंपनी ग्रोफ़र्स ने भी इल्ज़ाम लगाया है कि वो ज़रूरी चीज़ों की डिलिवरी करने में नाकाम हैं, क्योंकि पुलिस ने उनके गोदाम बंद करवा दिये हैं, और उनके ट्रकों और डिलिवरी बॉय को भी लगातार रोका जा रहा है।

इन मामलों में गुड़गाँव और नोएडा पुलिस के आला अधिकारियों ने सभी पुलिस सिपाहियों से ऐसा ना करने की अपील की है।

दिल्ली-गुड़गाँव के अलग-अलग रेस्तरां ने भी बताया है कि पुलिस उनके खाने की डिलिवरी में भी रुकावट पैदा कर रही है।

देश में हुए लॉकडाउन का सबसे गहरा असर दिहाड़ी मज़दूरों और रेहड़ी-पटरी वालों को हो रहा है, लिहाज़ा लॉकडाउन की वजह से काम बंद होने के बाद लाखों की संख्या में यह लोग बड़े शहरों से अपने गाँवों की तरफ़ जा रहे हैं। लेकिन पुलिस इन्हें पीटने से भी बाज़ नहीं आ रही है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुए जिसमें दिल्ली के आनंद विहार में एक छोटा बच्चा अपने गाँव जाने की कोशिश में है और रोते हुए कह रहा है कि 'पुलिस डराती है कि बाहर दिखोगे तो पीट देंगे।'

ऐसा नहीं है कि पुलिस लॉकडाउन का पालन न करने वालों पर क़ानूनी कार्रवाई नहीं कर रही है, लेकिन उस कार्रवाई की शुरुआत भी हिंसा से की जा रही है। उत्तराखंड के काशीपुर में 25 मार्च को पुलिस ने 30 लोगों को गिरफ़्तार किया, लेकिन उससे पहले पुलिस ने उन पर डंडे मारे थे।

हिंसा को 'नॉर्मल' मत कहिए

देश भर में पुलिस द्वारा की जा रही हिंसा की घटनाएँ कोई नई नहीं हैं। और पिछले 3-4 महीनों में में तो हमने दर्जनों ऐसी घटनाएँ देखी हैं, जहां पुलिस ने आम निर्दोष नागरिकों को बेरहमी से पीटा है।

दिल्ली में हुए नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों ने दौरान दिसम्बर के महीने में पुलिस ने जामिया, दिल्ली गेट, दरियागंज में लाठीचार्ज किया था, जिसमें पुलिस ज़बरदस्ती कॉलेज में, मोहल्लों में घुस गई थी। सीएए के ही विरोध प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश के अलीगढ़, बिजनौर और अन्य इलाक़ों में पुलिस हिंसा एक अलग स्तर पर चली गई, जिसमें 25 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी।

लॉकडाउन के दौरान हो रही इस पुलिस कार्रवाई की जब मेनस्ट्रीम मीडिया रिपोर्टिंग कर रहा है तो टीवी चैनल इस पुलिस हिंसा को 'सुहदरा' का नाम दे रहे हैं। इसकी रिपोर्टिंग के दौरान 'बाहर निकालने वालों को पुलिस ने डंडे से सुधारा' जैसी बातें कही जा रही हैं।

इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी पुलिस हिंसा की वीडियो और खबरें किसी मज़ाहिया तज़किरे की तरह साझा की जा रही हैं। पुलिस द्वारा की जा रही इस हिंसा को इस तरीक़े से 'नॉर्मल' किया जा रहा है, कि जब यही पुलिस कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों को पीटेगी, तब भी हम शायद कुछ नहीं कह सकेंगे।

हिंसा को सामान्य बना देने की आदत का हासिल ये होता है कि हाथ में डंडा लिए हर पुलिसवाले को यही लगता है कि वो किसी को भी मार सकता है। अगर इसे इसी तरह सामान्य मान लिया गया, तो कल पुलिस 'शूट एट साइट' का ऑर्डर लेकर आ जाएगी।

पुलिस हमारी सुरक्षा के लिए है। यह ज़ाहिर बात है कि लॉकडाउन का पालन ना करने वालों पर कार्रवाई करने की ज़िम्मेदारी पुलिस की है, लेकिन क्या वो कार्रवाई अपील से शुरू हो कर सीधे डंडे तक पहुँच जाएगी? क्या पुलिस बाहर निकले लोगों से सवाल नहीं करेगी? कोई गाड़ी लेकर आया है, तो उसकी गाड़ी ज़ब्त की जाए, चालान किया जाए; सीधे डंडा मार देने की इजाज़त कौन सा क़ानून देता है?

Coronavirus
COVID-19
Lockdown
India Lockdown
police
Police Action
Police lathicharge
Narendra modi

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • भाषा
    श्रीलंका में हिंसा में अब तक आठ लोगों की मौत, महिंदा राजपक्षे की गिरफ़्तारी की मांग तेज़
    10 May 2022
    विपक्ष ने महिंदा राजपक्षे पर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला करने के लिए सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को उकसाने का आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिवंगत फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी को दूसरी बार मिला ''द पुलित्ज़र प्राइज़''
    10 May 2022
    अपनी बेहतरीन फोटो पत्रकारिता के लिए पहचान रखने वाले दिवंगत पत्रकार दानिश सिद्दीकी और उनके सहयोगियों को ''द पुल्तिज़र प्राइज़'' से सम्मानित किया गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    लखीमपुर खीरी हत्याकांड: आशीष मिश्रा के साथियों की ज़मानत ख़ारिज, मंत्री टेनी के आचरण पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी
    10 May 2022
    केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के आचरण पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि वे इस घटना से पहले भड़काऊ भाषण न देते तो यह घटना नहीं होती और यह जघन्य हत्याकांड टल सकता था।
  • विजय विनीत
    पानी को तरसता बुंदेलखंडः कपसा गांव में प्यास की गवाही दे रहे ढाई हजार चेहरे, सूख रहे इकलौते कुएं से कैसे बुझेगी प्यास?
    10 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्टः ''पानी की सही कीमत जानना हो तो हमीरपुर के कपसा गांव के लोगों से कोई भी मिल सकता है। हर सरकार ने यहां पानी की तरह पैसा बहाया, फिर भी लोगों की प्यास नहीं बुझ पाई।''
  • लाल बहादुर सिंह
    साझी विरासत-साझी लड़ाई: 1857 को आज सही सन्दर्भ में याद रखना बेहद ज़रूरी
    10 May 2022
    आज़ादी की यह पहली लड़ाई जिन मूल्यों और आदर्शों की बुनियाद पर लड़ी गयी थी, वे अभूतपूर्व संकट की मौजूदा घड़ी में हमारे लिए प्रकाश-स्तम्भ की तरह हैं। आज जो कारपोरेट-साम्प्रदायिक फासीवादी निज़ाम हमारे देश में…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License