NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
लॉकडाउन: दूध उत्पादक किसानों की कमर टूटने से संकट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था
21 दिनों के लॉकडाउन का असर सब्ज़ी और फलों के किसानों के साथ ही डेयरी व्यवसाय पर पड़ा है। संकट के समय में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहे दुग्ध उत्पादन की खस्ता होती हालत ने चिंता बढ़ा दी है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
07 Apr 2020
दूध उत्पादक किसान
Image courtesy: Medium

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के भरखरी गांव के दुग्ध उत्पादक किसान रवींद्र यादव को अब समझ में नहीं आ रहा है कि इस आफत से कैसे बाहर निकलें। लॉकडाउन के पहले तक उनकी छोटी सी डेयरी पर हर दिन करीब तीन हजार लीटर दूध इकट्ठा होता था लेकिन अभी उनका धंधा बिल्कुल चौपट हो रखा है।

रवींद्र यादव कहते हैं, 'ये लॉकडाउन नोटबंदी से भी बुरा है। मुझे पिछले 15 दिनों में करीब 20 लाख का घाटा हुआ है। इस घाटे में सिर्फ मेरी हिस्सेदारी नहीं है। इस इलाके के छोटे बड़े करीब 200 किसान मेरे यहां दूध पहुंचाते थे। उनको भी यह नुकसान हुआ है। अभी सबको पशुओं का चारा अपने जेब से खिलाना पड़ रहा है और आगे यह कब तक चलेगा किसी को पता नहीं हैं।'

रवींद्र के पास खुद 25 मवेशी हैं। वो कहते हैं कि अगर यही हाल रहा तो ज्यादा दिन नहीं होंगे जब उनके पास पशुओं को खिलाने के लिए चारा नहीं बचेगा और उन्हें लोन लेकर उनका पेट भरना होगा।

रवींद्र कहते हैं, 'हमारी डेयरी का ज्यादातर दूध मिठाई की दुकानों, चाय की दुकानों और शहर में घरों में सप्लाई होता है। लॉकडाउन के चलते सब बंद है। ऐसे में हर दिन दूध बच जा रहा है। हमने बाकी किसानों से दूध की सप्लाई लेनी बंद कर दी है। फिर भी घर में 100 लीटर के करीब दूध इकट्ठा हो जा रहा है। इसको भी कोई 15 या 20 रुपये में नहीं खरीद रहा है।'

कुछ ऐसा ही कहना उनके पड़ोस के गांव गरयें में डेयरी फर्म चलाने वाले कृष्णपाल सिंह का भी है।

वो कहते हैं, 'डेयरी उत्पाद के लिए यह साल बहुत बुरा है। लॉकडाउन के साथ-साथ बेमौसम बारिश की मार भी झेलनी पड़ रही है। गांवों में यह वक्त गेहूं कटाई का है मगर इस बार बारिश अधिक होने की वजह और लॉकडाउन के चलते गेहूं की कटाई समय से नहीं हो पा रही है। आमतौर पर इस वक्त तक लोगों के पास जानवरों को खिलाने वाला भूसा खत्म हो जाता है या बहुत कम बचता है और गेहूं कि कटाई से नया भूसा बाजार में आ जाता है लेकिन इस बार चारे की समस्या खड़ी हो गई है। अभी भूसे का दाम आसमान छू रहा है और दूध को कोई पूछने वाला नहीं है।'

गौरतलब है कि लगभग 18 करोड़ टन दूध उत्पादन के साथ भारत विश्व के 20 प्रतिशत दूध का उत्पादन करता है और पिछले दो दशकों से प्रथम स्थान पर बना हुआ है।

दुग्ध उत्पादन में लगभग 75% हिस्सेदारी लघु, सीमांत और भूमिहीन किसानों की है। देश भर में लगभग 10 करोड़ डेयरी किसान हैं यानी लगभग 50 करोड़ लोग दुग्ध उत्पादन से होने वाली आमदनी पर निर्भर हैं। हमारे देश में लगभग 28 लाख करोड़ रुपये मूल्य का कृषि उत्पादन होता है। इसमें 25 प्रतिशत हिस्सा यानी लगभग 7 लाख करोड़ रुपये मूल्य का दूध का उत्पादन होता है।

इस पूरे संकट पर स्थानीय किसान नेता रमेश यादव कहते हैं, 'फल, सब्जियां और अनाज की खेती करने वाले ज्यादातर किसान अपना जीवन यापन करने के लिए मवेशी पालते हैं। इसके दो कारण हैं। पहला- खेती में अनिश्चितता ज्यादा है। दूसरा- खेती में पैसा साल में दो या तीन बार मिलता है जब आपकी फसल तैयार होती है लेकिन डेयरी उद्योग में आपको हर दिन के हिसाब से पैसा मिल जाता है। अभी लॉकडाउन ने छोटे और सीमांत किसानों की इस नियमित आय पर ही चोट किया है। उनके हाथ में पैसे नहीं है। पीएम किसान योजना के तहत सरकार पैसे डालने की बात कर रही है लेकिन उतने से किसानों का भला नहीं होने वाला है।'

रमेश यादव आगे कहते हैं, 'अभी पुशओं को खिलाने वाला पुष्टाहार भी नहीं मिल रहा है। पिछले कुछ समय में इसके दाम भी बढ़ गए हैं। पहले यह 900 रुपये प्रति बैग था। अब यह 1300 रुपये बैग हो गया है। अभी अगर मिल भी रहा है तो दोगुने या तीनगुने दाम पर। हमें यह याद रखना होगा कि डेयरी उद्योग ही संकट के समय में ग्रामीण अर्थव्यस्था की रीढ़ रहा है। इसके चलते ही तमाम मंदी और फसलों को बर्बाद होने के बीच किसानों के हाथ में दो पैसे रहे थे। ऐसे में जब यह सेक्टर ही संकट में है तो किसानों की बर्बादी तय है लेकिन अभी किसी भी सरकार का ध्यान इस पर नहीं जा रहा है।'

गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में ऐसे तमाम पोस्ट सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं जिसमें किसान नहर में दूध फैला रहे हैं। ऐसी तस्वीरें कर्नाटक और महाराष्ट्र से भी आई हैं। किसानों को दूध की सही कीमतें नहीं मिल पा रही है। कर्नाटक के बेलगावी जिले में लॉकडाउन के चलते दूध न बिकने से परेशान होकर हजारों लीटर दूध नहर में बहा दिया। उनके गांव की समिति ने दूध खरीदने से इनकार कर दिया, इसलिए उन्हें दूध फेंकना पड़ा। केरल के पलक्कड़ में डेयरी किसानों ने भी दूध फेंक दिया।

फिलहाल यही वजह है कि कई किसान संगठनों ने भी किसानों को इस संकट से उबारने के लिए सभी प्रकार के बिल एवं ऋणों की वसूली पर रोक लगाने की मांग उठानी शुरू कर दी है। साथ ही छोटे किसानों एवं पशुपालकों के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करने की भी अपील की है। उन्होंने सब्जियों और दुग्ध आपूर्ति श्रृंखला को चिकित्सा आपूर्ति के समान शीर्ष प्राथमिकता देने की वकालत की है। हालांकि इससे किसानों को कितनी राहत मिलती है यह अभी तय नहीं है।

Lockdown
Coronavirus lockdown
Milk producing farmers
economic crises
UttarPradesh
farmers crises

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?

ख़ान और ज़फ़र के रौशन चेहरे, कालिख़ तो ख़ुद पे पुती है

मनरेगा मज़दूरों के मेहनताने पर आख़िर कौन डाल रहा है डाका?

लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी

ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे: कोर्ट कमिश्नर बदलने के मामले में मंगलवार को फ़ैसला

ज्ञानवापी विवाद में नया मोड़, वादी राखी सिंह वापस लेने जा रही हैं केस, जानिए क्यों?  

ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे: कमिश्नर बदलने की याचिका पर फ़ैसला सुरक्षित, अगली सुनवाई 9 को


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    महामारी के दौर में बंपर कमाई करती रहीं फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां
    26 May 2022
    वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की वार्षिक बैठक में ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने " प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन" नाम से रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन ब्यौरे का जिक्र है जो यह बताता है कि कोरोना महामारी के दौरान जब लोग दर्द…
  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    हैदराबाद फर्जी एनकाउंटर, यौन हिंसा की आड़ में पुलिसिया बर्बरता पर रोक लगे
    26 May 2022
    ख़ास बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बातचीत की वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर से, जिन्होंने 2019 में हैदराबाद में बलात्कार-हत्या के केस में किये फ़र्ज़ी एनकाउंटर पर अदालतों का दरवाज़ा खटखटाया।…
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   
    26 May 2022
    बुलडोज़र राज के खिलाफ भाकपा माले द्वारा शुरू किये गए गरीबों के जन अभियान के तहत सभी मुहल्लों के गरीबों को एकजुट करने के लिए ‘घर बचाओ शहरी गरीब सम्मलेन’ संगठित किया जा रहा है।
  • नीलांजन मुखोपाध्याय
    भाजपा के क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान करने का मोदी का दावा फेस वैल्यू पर नहीं लिया जा सकता
    26 May 2022
    भगवा कुनबा गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का हमेशा से पक्षधर रहा है।
  • सरोजिनी बिष्ट
    UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश
    26 May 2022
    21 अप्रैल से विभिन्न जिलों से आये कई छात्र छात्रायें इको गार्डन में धरने पर बैठे हैं। ये वे छात्र हैं जिन्होंने 21 नवंबर 2021 से 2 दिसंबर 2021 के बीच हुई दरोगा भर्ती परीक्षा में हिस्सा लिया था
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License