NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
लॉकडाउन: एसएफआई ने छात्रों के लिए वित्तीय सहायता की मांग की
छात्र संगठन एसएफआई का कहना है कि देश के विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में गरीब छात्र पढ़ाई करते हैं। लॉकडाउन के चलते उनके सामने आर्थिक संकट आ गया है। ऐसे में छात्रों की मदद नहीं की गई तो बड़ी संख्या में छात्र शिक्षा से बाहर हो जाएंगे।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
18 Apr 2020
sfi
Image courtesy: Maktoob Media English

दिल्ली: कोरोना महामारी के कारण देश में जो लॉकडाउन हुआ है, उससे दिहाड़ी मजदूर और असंगठित क्षेत्र के श्रमिक अधिक कठिनाइयों सामना कर रहे हैं लेकिन लॉकडाउन का खामियाजा सिर्फ उन्ही को नहीं उठाना पड़ रहा है इसका असर आबादी के बाकि हिस्सों और सभी उद्योगों पर भी पड़ा है। छात्र भी इससे बचे नहीं है, वो भी परेशान है और कही जगहों पर फंसे हुए हैं। ऐसे में छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरशन ऑफ़ इण्डिया की दिल्ली इकाई ने सरकार से इन छात्रों की मदद करने की अपील की है।

एसएफआई के राज्य अध्यक्ष सुमित कटरिया और सचिव प्रीतिश मेनन ने सँयुक्त रूप से प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा जहां भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा आजीविका के मसलों का सामना कर रहा है, वहीं बेरोजगारी दर आसमान को छू रही है। ऐसे में विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की आर्थिक मदद परिवार कर पाएंगे यह उम्मीद करना निरर्थक है। यदि इसे अनियंत्रित छोड़ दिया जाता है, तो इससे अवरोधन (ड्रॉप-आउट) दरों में काफी वृद्धि हो सकती है।

उन्होंने आगे कहा कि "कोरोनावायरस (कोविड-19) महामारी के कारण वैश्विक लॉकडाउन मानव इतिहास में अभूतपूर्व है, और दुनिया भर में सरकारें स्थिति से निपटने की कोशिश कर रही हैं। स्थिति की तैयारी के बिना और बिना किसी पूर्व सूचना के टेलीविजन पर घोषणा भी की गई, जैसा कि यह भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की संस्कृति है। हालांकि भारत के पास पूर्ण लॉकडाउन की तैयारी के लिए पर्याप्त समय था, घोषणा एक बम के रूप में आई और 25 मार्च से प्रत्येक को एक ठहराव में ले आया। अब इसे 3 मई तक बढ़ा दिया गया है, लेकिन इसके और आगे बढ़ने की संभावना है।"

एसएफआई  ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि देश भर के विभिन्न शहरों के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में कई छात्र छात्रावासों में फंसे हुए हैं। वे न केवल फंसे हुए हैं, बल्कि सभी को कहा गया था कि हम जहां है वहीं रहे और यात्रा न करें, लेकिन यह भी क्योंकि लॉकडाउन की घोषणा ने छात्रों (या किसी) को तैयारी के फैसले लेने के लिए समय नहीं दिया। जिस प्रकार छात्रों से मांग की थी कि वे वैसे ही रहें, वैसे ही हम सरकार से इन छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की मांग करते हैं। क्योंकि भारत में आसमान आर्थिक पृष्ठभूमि से छात्र पढ़ने आते हैं और मौजदा आर्थिक स्थिति में छात्रों से यह उम्मीद करना कि परिवार छात्रों को आर्थिक रूप से समर्थन करें, यह गैर जिम्मेदाराना है। इसलिए सरकार से अपील है कि वो तुरंत छात्रों की आर्थिक रूप से मदद करे।

 SFI ने सरकार से जो मांग की वो इस प्रकार है कि:-

I. सरकार द्वारा छात्रों को न्यूनतम राशि सीधे बैंक खातों में प्रदान करनी चाहिए
2. छात्रों को फैलोशिप / छात्रवृत्ति और अनुदान वितरित करें (स्नातक - पीएचडी)
3. सरकार दो महीने का शुल्क अवश्य माफ करे
4. लॉकडाउन के दौरान छात्रावास का शुल्क न लिया जाए।
5. सरकार को उन छात्रों की ओर से किराए का भुगतान करना चाहिए जो किराए पर रह रहे हैं
6. साथ ही छात्रों की बुनियादी जरूरतों को सुनिश्चित करने के लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाने चाहिए

 सुमित कटारिया ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि "छात्रों की मदद नहीं की गई तो बड़ी संख्या में छात्र शिक्षा से बाहर हो जाएंगे,क्योंकि उनके सामने गंभीर आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है। बड़ी संख्या में छात्र दिल्ली के कई इलाकों में किराये के मकानों में रहते हैं। इसके साथ ही छात्र पीजी में रहते है, जहाँ उनसे पैसे मांगे जा रहे है। इसके साथ ही छात्रों का एक बड़ा हिस्सा खुद काम करके अपनी जरूरतों को पूरा करता था लेकिन इस लॉकडाउन  में उसकी आमदनी ख़त्म हो गई है और उनंके परिवारों की भी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि उनकी मदद वो कर पाए, ऐसे मे जरूरी हो गया है की सरकार छात्रों की समस्याओं पर गौर करे और उनकी तुरंत सहायता करे"

Lockdown
SFI
financial help for students
Epidemic corona Virus

Related Stories

दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल

डीवाईएफ़आई ने भारत में धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए संयुक्त संघर्ष का आह्वान किया

दिल्ली: ''बुलडोज़र राजनीति'' के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरे वाम दल और नागरिक समाज

एलएसआर के छात्रों द्वारा भाजपा प्रवक्ता का बहिष्कार लोकतंत्र की जीत है

बैठक में नहीं पहुंचे अधिकारी, छात्र बोले- जेएनयू प्रशासन का रवैया पक्षपात भरा है

‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र

जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए

JNU: मांस परोसने को लेकर बवाल, ABVP कठघरे में !

लॉकडाउन-2020: यही तो दिन थे, जब राजा ने अचानक कह दिया था— स्टैचू!

जब तक भारत समावेशी रास्ता नहीं अपनाएगा तब तक आर्थिक रिकवरी एक मिथक बनी रहेगी


बाकी खबरें

  • समीना खान
    ज़ैन अब्बास की मौत के साथ थम गया सवालों का एक सिलसिला भी
    16 May 2022
    14 मई 2022 डाक्टर ऑफ़ क्लीनिकल न्यूट्रीशन की पढ़ाई कर रहे डॉक्टर ज़ैन अब्बास ने ख़ुदकुशी कर ली। अपनी मौत से पहले ज़ैन कमरे की दीवार पर बस इतना लिख जाते हैं- ''आज की रात राक़िम की आख़िरी रात है। " (राक़िम-…
  • लाल बहादुर सिंह
    शिक्षा को बचाने की लड़ाई हमारी युवापीढ़ी और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई का ज़रूरी मोर्चा
    16 May 2022
    इस दिशा में 27 मई को सभी वाम-लोकतांत्रिक छात्र-युवा-शिक्षक संगठनों के संयुक्त मंच AIFRTE की ओर से दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कन्वेंशन स्वागत योग्य पहल है।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: किसानों की दुर्दशा बताने को क्या अब भी फ़िल्म की ज़रूरत है!
    16 May 2022
    फ़िल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी का कहना है कि ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि किसान का बेटा भी एक फिल्म बना सके।
  • वर्षा सिंह
    उत्तराखंड: क्षमता से अधिक पर्यटक, हिमालयी पारिस्थितकीय के लिए ख़तरा!
    16 May 2022
    “किसी स्थान की वहनीय क्षमता (carrying capacity) को समझना अनिवार्य है। चाहे चार धाम हो या मसूरी-नैनीताल जैसे पर्यटन स्थल। हमें इन जगहों की वहनीय क्षमता के लिहाज से ही पर्यटन करना चाहिए”।
  • बादल सरोज
    कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी
    16 May 2022
    2 और 3 मई की दरमियानी रात मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के गाँव सिमरिया में जो हुआ वह भयानक था। बाहर से गाड़ियों में लदकर पहुंचे बजरंग दल और राम सेना के गुंडा गिरोह ने पहले घर में सोते हुए आदिवासी धनसा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License