NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
लॉकडाउन संकट: पीयूडीआर ने मुख्यमंत्री केजरीवाल से पूछे गंभीर सवाल
पीयूडीआर के मुताबिक मज़दूर-मेहनतकश को इस सुनियोजित त्रासदी का सामना करने पर मजबूर किया गया है। इस पूरे प्रकरण में उन्हें एक नागरिक का दर्ज़ा देकर संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए उनके अधिकारों को मान देना तो दूर, बल्कि उन्हें एक अपराधी बना छोड़ा है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
31 Mar 2020
 मुख्यमंत्री केजरीवाल

पीपल्स यूनियन फ़ॉर डेमोक्रैटिक राइट्स (पीयूडीआर) ने एक बयान जारी कर ग़रीब मज़दूरों की अनदेखी कर राज्यव्यापी और देशव्यापी लॉकडाउन किए जाने की आलोचना की है। पीयूडीआर के मुताबिक मज़दूर-मेहनतकश को इस सुनियोजित त्रासदी का सामना करने पर मजबूर किया गया है। इस पूरे प्रकरण में उन्हें एक नागरिक का दर्ज़ा देकर संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए उनके अधिकारों को मान देना तो दूर, बल्कि उन्हें एक अपराधी बना छोड़ा है।

पीयूडीआर की सचिव राधिका चितकरा और विकास कुमार की ओर से जारी बयान में कोरोना वायरस से बचने के लिए देश भर में लगाए गए लॉकडाउन के बावजूद आनंद विहार बस अड्डे, दिल्ली बॉर्डर और यमुना एक्सप्रेस-वे पर पैदल चलते मज़दूरों की स्थिति का ज़िक्र करते हुए कुछ ख़ास बिंदुओं की ओर ध्यान दिलाया गया है। बयान में कहा गया है-

इस संदर्भ में केंद्रीय सरकार, दिल्ली सरकार और सॉलिसिटर जनरल के बयानों और आदेशों को देखें:

  • 22 मार्च 2020 को दिल्ली सरकार द्वारा 31 मार्च तक लॉकडाउन की घोषणा के लिए जारी किए गए लिखित आदेश में [Order No. F.51/DGHS/PH-IV/COVID-19/2020/prsecyhfw/ dated 22.03.2020], दिहाड़ी मज़दूर, ठेले व पटरी मज़दूर, रिक्शा व टैक्सी चालक और इनके जैसे दिल्ली के लाखों असंगठित मज़दूरों के लिए, सिवाय बंद के, कोई व्यवस्था नहीं थी। जहां निजी संस्थानों को हिदायत थी की उनके कर्मचारियों को तनख्वाह दी जाए, मज़दूरों के लिए इसमें कोई राहत नहीं थी।
  • 24 मार्च को (राज्यव्यापी) लॉकडाउन के तीसरे दिन, केंद्रीय श्रम मंत्रालय जागा और उसकी सलाह पर निर्माण मज़दूर कल्याण बोर्ड में जमा उपकर राशि में से दिल्ली के हर निर्माण मज़दूर के लिए केवल 5-5 हज़ार रुपये देने का ऐलान किया गया [CM Press Briefing, 24 March 2020,at 00:09:30]। लेकिन मुख्यमंत्री ने यह नहीं बताया कि दिल्ली के लगभग 10 लाख निर्माण मज़दूर कैसे यह राशि ले पाएँगे, जबकि इनमें से इस वर्ष केवल 31 हज़ार मज़दूर ही इस बोर्ड के साथ पंजीकृत हैं।
  • 23 मार्च और उसके बाद की सभी प्रेस वार्ताओं में मुख्यमंत्री मालिकों से मज़दूरों के लिए दया और धर्म का हवाला देकर दिहाड़ी देने और मकानों का किराया एक-दो माह टालने भर की अपील करते नज़र आए। [CM, Press Briefing, 23 March 2020,  at 00:07:50] एक संवैधानिक पदाधिकारी से उम्मीद थी के वे मज़दूरों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाते, पर उन्होंने अनुच्छेद 21 को ताक पर रख, मज़दूरों को मालिकों की दया पर छोड़ दिया था। 30 मार्च तक भी मुख्यमंत्री द्वारा या सर्वोच्च न्यायालय में हुई सुनवाई में फ़ैक्टरी व मकान मालिकों के ख़िलाफ़ किसी ठोस कार्रवाई की बात नहीं हुई।
  • हज़ारों मज़दूरों द्वारा पैदल अपने गावों की ओर पलायन शुरू करने के दो दिन बाद 28 मार्च को मुख्यमंत्री ने ऐलान किया की अब वे 4 लाख लोगों को 800 सेंटरों पर खाना खिला सकते हैं। पलायन करते मज़दूरों से अपील की, कि वे अपने घर न जाएँ, नाइट शेल्टेरों में तब्दील किए गए स्कूलों में रहें। सवाल यह है की अगर मज़दूरों के लिए ऐसी अंतरिम व्यवस्था ही करनी थी, तो लॉकडाउन की घोषणा करने से पहले क्यों नहीं की गई? जब 23 मार्च की प्रेस वार्ता में यह कहा गया की 72 लाख परिवारों को अगले माह से मुफ़्त राशन दिया जाएगा, तब यह बात क्यों नहीं बताई गई की अधिकांश मज़दूरों के पास राशन कार्ड ही नहीं हैं [CM Press briefing, 23 March 2020, , at 00:05:15]। मध्य और उच्च वर्गीय ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए जोमाटो और स्विग्गी आदि को 26 मार्च को आवश्यक सेवाओं में सूचीबद्ध करना तो याद रहा [S.O. No. 337/SO-CP/Delhi dated 26.03.2020]। लेकिन मज़दूरों के लिए खाना, वेतन और घर जैसे मूलभूत अधिकार आज भी सरकार के लिए प्राथमिकता पर नहीं।
  • लॉकडाउन के आठवें दिन 29 मार्च को भी, मज़दूरों के जीवन और अधिकारों की बात नहीं की गई। जब वायरस के फैलने का ख़तरा मंडराने लगा तब जाकर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा फ़ैक्टरी व मकान मालिकों को लिखित आदेश [Order No. 40-3/2020-DM-I(A) dated 29.03.2020] दिए गए की लॉकडाउन में भी उन्हें दिहाड़ी दिया जाना अनिवार्य है, उन्हें घरों से न निकाला जाए और इसके उल्लंघन पर मालिकों के ख़िलाफ़ कार्यवाही की जाएगी। 30 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय में हुई सुनवाई में भी सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता के बयान से स्पष्ट है की उनके चिंता के दायरे में केवल वायरस को रोकना है, मज़दूरों के अधिकारों की बात कहीं नहीं ।
  • उधर हरियाणा सरकार ने सभी हदें पार करते हुए, यह आदेश पारित किया की बड़े स्टेडियम “अस्थायी जेलों” में तब्दील किए जाएँगे, जहां पलायन करते मज़दूरों को गिरफ़्तार कर रखा जाएगा [Order no. 5264-5304/L&O-3 dated 29.03.2020 by ADGP, Law & Order for DGP, Haryana]। उत्तर प्रदेश में मज़दूरों को जानवरों की तरह झुंड में बिठाकर उन पर रोगाणु नाशक (केमिकल) छिड़के जा रहे हैं। जहां एक तरफ़ राज्यसभा में विदेश मंत्री जयशंकर के बयानों के मुताबिक़ ईरान, इटली, चाइना और अन्य देशों में फ़से भारतीयों को घर वापस लाने के लिए केंद्रीय सरकार द्वारा पुरज़ोर प्रयास किए गए, वहीं भारतीय मज़दूरों को अपराधियों और पशुओं का दर्ज़ा दिया जा रहा।

अर्थव्यवस्था के हाशिए पर जीते आए दिहाड़ी मज़दूरों को मालिकों और सामाजिक संस्थाओं के हाल क्यों छोड़ दिया गया? क्योंकि सरकारें जानती हैं की एक हफ़्ते में उनके लिए सुरक्षित और मानवीय जिंदगियाँ सुनिश्चित नहीं की जा सकती। स्पष्ट है की इन्हें इस सुनियोजित त्रासदी का सामना करने पर मजबूर किया गया। इस पूरे प्रकरण में उन्हें एक नागरिक का दर्ज़ा देकर संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए उनके अधिकारों को मान देना तो दूर, बल्कि उन्हें एक अपराधी बना छोड़ा है।

Coronavirus
COVID-19
Corona Crisis
PUDR
Arvind Kejriwal
India Lockdown
Daily Wage Workers
economic crises

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License